भारत में बाल विवाह के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। हाल ही में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक कार्यक्रम में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) की रिपोर्ट ‘टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स अ चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ में बताया गया है कि लड़कियों के बाल विवाह में 69% और लड़कों के बाल विवाह में 72% की कमी आई है। यह साबित करता है कि देश बाल विवाह मुक्त भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
सर्वेक्षण में पाँच राज्यों के 757 गाँवों से बहुस्तरीय यादृच्छिक नमूना पद्धति का इस्तेमाल किया गया ताकि भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को शामिल किया जा सके। डेटा इकट्ठा करने के लिए आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कर्मचारी, स्कूल शिक्षक, नर्स, दाई और पंचायत सदस्य जैसे अग्रिम पंक्ति के लोगों से संपर्क किया गया।

बाल विवाह के कारण:
- 91% उत्तरदाताओं ने गरीबी का हवाला दिया।
- नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा (44%).
- परंपराएं और सामाजिक मानदंड.
असम में बाल विवाह में सबसे अधिक गिरावट:
असम में बाल विवाह में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। पिछले तीन वर्षों में लड़कियों के बाल विवाह में 84% और लड़कों में 91% की कमी हुई है। अन्य राज्यों में भी गिरावट देखी गई है:
- महाराष्ट्र और बिहार: 70% कमी
- राजस्थान: 66% कमी
- कर्नाटक: लड़कियों में 55%, लड़कों में 88% कमी
असम में बाल विवाह कम होने के पीछे का कारण:
असम की सफलता का श्रेय राज्य सरकार के ‘शून्य सहिष्णुता’ दृष्टिकोण, सख्त कानूनी कार्रवाई, और केंद्र सरकार व नागरिक समाज संगठनों के साथ समन्वित प्रयासों को दिया जाता है। राज्य में बाल विवाह कानूनों के बारे में लोगों में जागरूकता लगभग सार्वभौमिक (99%) है। इसके लिए टेलीविजन (92%) और एनजीओ (76%) मुख्य स्रोत रहे हैं।
जागरूकता बना सबसे बड़ा हथियार:
पहले 2019–21 में भारत में हर मिनट तीन बाल विवाह होते थे, लेकिन रोजाना केवल तीन शिकायतें ही दर्ज होती थीं। अब स्थिति बदल गई है और लगभग हर व्यक्ति बाल विवाह से जुड़े कानूनों के बारे में जानता है।
- बिहार: 93%, महाराष्ट्र: 89%, असम: 88% लोगों ने NGOs के माध्यम से जानकारी प्राप्त की।
- राजस्थान और महाराष्ट्र में स्कूलों ने जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई, जहां क्रमशः 87% और 77% लोगों को स्कूलों से जानकारी मिली।
कम उम्र में शादी करने के नुकसान:
- लड़की की पढ़ाई अधूरी रह जाती है।
- नौकरी या पैसे कमाने का मौका नहीं मिलता।
- समाज में बराबरी से योगदान नहीं कर पाती।
- घरेलू हिंसा (मारपीट) का खतरा ज़्यादा होता है।
- HIV/एड्स जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- कम उम्र में ही माँ बनने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- गर्भावस्था और प्रसव में जान का खतरा भी हो सकता है।
शिक्षा और चुनौतियाँ:
- सर्वेक्षण में 6-18 साल की लड़कियों में केवल 31% स्कूल जाती हैं, जिसमें बिहार (9%) और महाराष्ट्र (51%) में असमानताएं देखी गई हैं।
- शिक्षा में मुख्य बाधाएँ हैं गरीबी (88%), बुनियादी ढांचे की कमी (47%), सुरक्षा चिंताएं (42%), और परिवहन की कमी (24%)।
भारत में बाल विवाह की स्थिति:
- साल 2023-24 में लगभग 73,501 बाल विवाह रोके गए।
- 59,364 पंचायतों की मदद से।
- 14,137 कानूनी कार्रवाई द्वारा।
- 27 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में 11.5 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के उच्च जोखिम में हैं।
- सबसे ज़्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है।
- 2022 में 3,563 बाल विवाह मामले न्यायालयों में दर्ज हुए, लेकिन केवल 181 मामलों में मुकदमेबाज़ी पूरी हुई।
- बाल विवाह की दर धीरे-धीरे कम हो रही है:
- 1990–2005: लगभग 1% प्रति वर्ष घट रही थी।
- पिछले दशक में: लगभग 2% प्रति वर्ष घट रही है।
उपाय और जागरूकता:
- गिरफ्तारी और FIR को बाल विवाह रोकने के सबसे मजबूत निवारक के रूप में देखा जाता है।
- इस गिरावट का श्रेय सरकार और नागरिक समाज संगठनों द्वारा की गई समन्वित कार्रवाई को दिया जाता है।
- 99% उत्तरदाता भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में जानते थे।
- जागरूकता लगभग सार्वभौमिक स्तर पर पहुंच गई है, तथा बाल विवाह के मामलों की रिपोर्ट करने में काफी सहजता देखी गई है।
समाज की कितनी जिम्मेदारी?
- माता-पिता, शिक्षक और युवाओं को पहल करनी होगी
- हर अंडर-एज शादी का विरोध और रिपोर्टिंग करनी होगी
- बच्चों को बचपन का अधिकार लौटाना होगा
NGOs की कितनी भागीदारी हो सकती है?
NGOs जमीनी स्तर पर बाल विवाह रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कानूनी मदद, चेतावनी, जागरूकता अभियान और साक्ष्य-आधारित सलाह के माध्यम से समुदायों और सरकार के बीच सेतु का काम करते हैं। इसके जरिए माता-पिता, शिक्षक, युवा और अन्य समुदाय के सदस्य सीखते हैं कि कम उम्र में शादी क्यों गलत है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत में बाल विवाह को समाप्त करने की पहल:
- बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006: 18 साल से कम उम्र की लड़कियों और 21 साल से कम उम्र के लड़कों की शादी पर रोक लगाता है।
- राष्ट्रीय कार्य योजना: उन लड़कियों की मदद करना जिनका बाल विवाह होने का खतरा है।
- बाल विवाह मुक्त भारत अभियान: कानून में बदलाव की वकालत करता है ताकि बच्चों की शादी की न्यूनतम आयु 18 साल बनी रहे और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित हो।
वैश्विक स्तर पर , मार्च 2016 में शुरू किया गया UNFPA-UNICEF वैश्विक बाल विवाह समाप्ति कार्यक्रम (GPECM) किशोरियों के अधिकारों को बढ़ावा देता है तथा बाल विवाह, बाल विवाह और जबरन विवाह को रोकने के लिए काम करता है।
आगे की राह: रिपोर्ट में 2030 तक बाल विवाह खत्म करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं:
- बाल विवाह कानूनों का सख्त पालन करना।
- सूचना तंत्र को मजबूत बनाना।
- विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करना।
- ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
- बाल विवाह मुक्त भारत के लिए एक राष्ट्रीय दिवस घोषित करना।
दुनिया में बाल विवाह के आँकड़े:
- हर साल लगभग 1 करोड़ 20 लाख लड़कियों का बाल विवाह होता है।
- सबसे अधिक बाल विवाह दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ्रीका में होते हैं।
- दुनिया भर में 18 साल से कम उम्र की लगभग 12 करोड़ लड़कियां पहले ही शादीशुदा हैं।
निष्कर्ष:
भारत में बाल विवाह के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं जिससे यह साबित होता है कि जागरूकता, कानून और सामुदायिक प्रयासों के कारण देश बाल विवाह मुक्त भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।