ताइवान मुद्दे पर चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव का अप्रत्यक्ष लाभ भारत को मिल रहा है। चीन ने बुधवार को जापान से आने वाले सभी सीफूड उत्पादों-जैसे मछली, झींगा और अन्य समुद्री खाद्य पदार्थों-पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इस फैसले के तुरंत बाद भारतीय सीफूड निर्यातक कंपनियों के शेयरों में तेज उछाल देखने को मिला।
चीन के इस प्रतिबंध से उसके घरेलू बाजार में सीफूड की भारी कमी का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में वह वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रहा है, जिसमें भारत प्रमुख रूप से शामिल है। इसी उम्मीद ने भारतीय सीफूड कंपनियों में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। तेलंगाना की अवंती फीड्स के शेयर करीब 10% चढ़े, जो पिछले दो महीनों में सबसे बड़ा उछाल है। वहीं कोस्टल कॉरपोरेशन के शेयर भी करीब 5% बढ़े। यह कंपनी पहले ही चीन को निर्यात बढ़ाने की घोषणा कर चुकी है।
ताइवान को लेकर बढ़ा तनाव, कूटनीतिक टकराव तेज
तनाव की शुरुआत जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बयान से हुई। उन्होंने 7 नवंबर को संसद में कहा कि यदि चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो जापान ताइवान की सुरक्षा के लिए अपनी सेना भेजेगा। चीन ने इस बयान को “उकसाने वाला और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब जापान में चीन के काउंसल जनरल शुए जियान ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “जो भी ताइवान मामले में दखल देगा, उसकी गर्दन काट दी जाएगी।” इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को तलब किया और कड़े विरोध पत्र सौंपे।
चीन ने अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से बचने की चेतावनी जारी की है, जबकि जापान ने चीन में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। दोनों देशों के बीच यह तनाव पूर्वी एशिया में सुरक्षा स्थिति को और अस्थिर कर रहा है।
भारत को अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका
भारत ऐसे समय में चीन के बाजार में प्रवेश मजबूत कर सकता है, जब अमेरिका ने भारतीय सीफूड पर 50% तक का टैक्स लगाया हुआ है। इसका असर यह हुआ कि अक्टूबर 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 9% गिर गया।
इसके विपरीत, चीन, वियतनाम और थाईलैंड को भेजे जाने वाले भारतीय सीफूड में वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत ने 2023–24 में 17.81 लाख टन, यानी लगभग 7.4 बिलियन डॉलर (61,000 करोड़ रुपए) का सीफूड निर्यात किया था। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा फ्रोजन श्रिम्प और फ्रोजन फिश का है। अमेरिका अभी भी भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहाँ वॉलमार्ट और क्रोगर जैसे रिटेल दिग्गज भारतीय उत्पाद खरीदते हैं। लेकिन चीन के नए आदेश के बाद भारत के लिए एशियाई बाजार और मजबूत होने की संभावना है।
जापान को बड़ा झटका, क्योंकि चीन उसका प्रमुख ग्राहक
चीन द्वारा प्रतिबंध लगाने से जापान के सीफूड उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है। जापान अपने कुल सीफूड निर्यात का 20–25% चीन को भेजता है, जो उसका सबसे बड़ा बाजार है। हालाँकि उसके कुल निर्यात में सीफूड का हिस्सा सिर्फ 1% है, फिर भी यह उद्योग कई छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है।
2023 में भी चीन ने जापान से सीफूड आयात पर बैन लगाया था, जब जापान ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का पानी समुद्र में छोड़ा था। लगभग दो साल बाद जापान ने चीन को निर्यात दोबारा शुरू किया था, लेकिन नया प्रतिबंध फिर से उद्योग के लिए झटका साबित हुआ है।
चीनी मीडिया ने जापान पर लगाया “अनावश्यक दखल” का आरोप
चीनी सरकारी मीडिया ने जापान को ताइवान मामले में “अनावश्यक दखल देने वाला” बताया है। एक संपादकीय में चेतावनी दी गई कि यदि जापान सैन्य हस्तक्षेप की कोशिश करेगा, तो इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि जापान और अमेरिका ताइवान को औपचारिक रूप से स्वतंत्र देश नहीं मानते, लेकिन उसकी सुरक्षा का समर्थन करते हैं।
इसके अलावा, ताइवान जापान से मात्र 110 किलोमीटर दूर है और उसके आस-पास का समुद्री क्षेत्र जापान की ऊर्जा और व्यापार आपूर्ति के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसी क्षेत्र में अमेरिका के सबसे बड़े विदेशी सैन्य ठिकानों में से एक भी स्थित है।
दोनों देशों ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किए
कूटनीतिक तनाव बढ़ने के बाद दोनों देशों ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा चेतावनियाँ जारी की हैं।
जापान का अलर्ट (चीन में रहने वाले नागरिकों के लिए):
- भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें
- अनजान लोगों से बातचीत में सावधानी
- अकेले यात्रा न करें
- बच्चों के साथ बाहर जाते समय सतर्क रहें
चीन का अलर्ट (जापान जाने वाले छात्रों के लिए):
चीन ने कहा कि जापान में अपराध बढ़े हैं और चीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा स्थिति बिगड़ी है। छात्रों को सावधानी से यात्रा करने और सतर्क रहने को कहा गया है।
निष्कर्ष:
चीन–जापान के बीच बढ़ते तनाव ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नई भू-राजनीतिक चिंता पैदा कर दी है। लेकिन इस बीच भारत के लिए अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं।
चीन द्वारा जापानी सीफूड पर प्रतिबंध ने भारत के सीफूड निर्यातकों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराया है। यदि भारत इस मौके का लाभ उठाता है, तो न केवल उसकी निर्यात क्षमता बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक समुद्री खाद्य व्यापार में उसकी हिस्सेदारी भी मजबूत होगी।
