चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 80वीं वर्षगांठ पर तियानमेन में भव्य ‘विक्ट्री डे परेड’ का आयोजन कर अपनी सैन्य शक्ति का सबसे बड़ा प्रदर्शन किया। हाइपरसोनिक मिसाइलों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों और मानवरहित लड़ाकू प्लेटफार्मों समेत उन्नत तकनीक की नुमाइश वाली इस परेड में 10 हजार से अधिक सैनिक, सैकड़ों टैंक-बख्तरबंद वाहन और 100 से अधिक विमान शामिल हुए। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में आयोजित इस परेड में रूस के व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन और कई एशियाई देशों के शीर्ष नेता भी मौजूद रहे।

चीन की विक्ट्री-डे परेड: मुख्य बिंदु-
- चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 80वीं वर्षगांठ पर तियानमेन में ‘विक्ट्री डे परेड’ आयोजित की।
- परेड में हाइपरसोनिक मिसाइलें, लेजर, स्टील्थ जेट, ड्रोन, रोबोटिक डॉग जैसे आधुनिक हथियार दिखाए गए।
- 10,000 से अधिक सैनिक, 100 से ज्यादा विमान, सैकड़ों टैंक और बख्तरबंद वाहन शामिल रहे।
- राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में हुई परेड में रूस के पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन भी मौजूद रहे।
- पुतिन और किम ने एक घंटे से ज्यादा गुप्त बातचीत की, जिसमें पुतिन ने किम को रूस आमंत्रित किया।
- किम अपनी बहन किम यो जोंग और बेटी किम जू ऐ को भी साथ लाए, जिससे उत्तराधिकार की अटकलें तेज हुईं।
विक्ट्री-डे परेड में चीन का हथियार प्रदर्शन: हाइपरसोनिक मिसाइलों से लेकर स्टील्थ जेट और ड्रोन तक का प्रदर्शन, आइए जानते है इन हथियारों के बारे में-
- CJ-1000 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल: यह लंबी दूरी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी रेंज इंटरमीडिएट और इंटरकॉन्टिनेंटल के बीच मानी जाती है। इसका डिजाइन DF-100 जैसा है और यह बेहद तेज गति से जमीन के करीब उड़कर हजारों किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेद सकती है। इसे रोकना लगभग असंभव है, ठीक वैसे ही जैसे भारत की ब्रह्मोस मिसाइल।
- HQ-20 एयर डिफेंस सिस्टम: HQ-9 से हल्का यह नया एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम आठ इंटरसेप्टर मिसाइलों से लैस है। इसे दुश्मन के विमान और क्रूज मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है और इसका रिएक्शन टाइम बेहद तेज है।
- HQ-29 एंटी-बैलिस्टिक इंटरसेप्टर: यह हाई-एल्टीट्यूड सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके मिड-कोर्स फेज में अंतरिक्ष में ही नष्ट कर सकता है। इसे अमेरिका के SM-3 से तुलना की जाती है। इसमें एंटी-सैटेलाइट क्षमता भी है और इसे चीन का एस-500 कहा जा रहा है।
- HQ-11 शॉर्ट-रेंज डिफेंस सिस्टम: FM-3000 नाम से भी जाना जाने वाला यह मोबाइल सिस्टम 30 किमी तक विमानों और 20 किमी तक मिसाइलों को रोक सकता है। इसमें वर्टिकल लॉन्च मिसाइलें और क्लोज-इन वेपन सिस्टम दोनों हैं।
- YJ-15, YJ-19 और YJ-20 मिसाइलें: YJ-15 एक सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है जो रैमजेट इंजन से चलती है। YJ-19 स्क्रैमजेट तकनीक से लैस है और हाइपरसोनिक स्पीड पकड़ सकती है। YJ-20 सबसे घातक है, जिसे ‘एयरक्राफ्ट कैरियर किलर’ कहा जाता है और यह बड़े जहाजों और लैंड टारगेट्स पर सटीक प्रहार कर सकती है।
- PHL-16 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (‘चाइनीज HIMARS’): अमेरिकी HIMARS से मिलता-जुलता यह सिस्टम ज्यादा पेलोड ले सकता है और लंबी दूरी तक सटीक प्रहार करने की क्षमता रखता है। यह ताइवान स्ट्रेट में चीन के लिए अहम हथियार है।
- टाइप 99B मेन बैटल टैंक: 55 टन वजनी इस टैंक में 125 मिमी गन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम और ड्रोन व एंटी-टैंक मिसाइलों को रोकने की क्षमता है। इसे ऊंचाई वाले इलाकों जैसे तिब्बत में भी टेस्ट किया जा चुका है।
- DF-26D (‘गुआम किलर’): 5,000 किमी रेंज वाली यह इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अमेरिकी गुआम बेस को निशाना बनाने में सक्षम है।
DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल: मैक 10 तक स्पीड से उड़ने वाली यह मिसाइल अपनी उड़ान पथ बदलकर किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है।
YJ-21 हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल: दुश्मन के जहाजों को भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया आधुनिक हथियार। - GJ-11 ‘लॉयल विंगमैन’ ड्रोन: स्टील्थ डिजाइन वाला यह कॉम्बैट ड्रोन J-20 फाइटर जेट के साथ उड़कर उसे कवर देता है और जरूरत पड़ने पर हमला भी कर सकता है। इसमें दो इंटरनल वेपन बे हैं और यह रडार पर नहीं पकड़ा जाता।
- PLA आर्मी और नेवी ड्रोन सिस्टम: ये ड्रोन रिकॉन्नसेंस, स्ट्राइक, माइन्स हटाने, रसद सप्लाई और घायल सैनिकों को निकालने तक का काम कर सकते हैं। नेवी के ड्रोन में अंडरवॉटर व्हीकल्स और सरफेस ड्रोन शामिल हैं। AQS003A ड्रोन लंबी दूरी की टोही और स्ट्राइक मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे फोर्स मल्टीप्लायर माना जा रहा है।
- Y-20A और Y-20B ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट: Y-20A रूसी इंजन से चलता है जबकि Y-20B में घरेलू WS-20 इंजन है। ये भारी हथियार और सैनिकों को लंबी दूरी तक ले जाने में सक्षम हैं और PLA की एयरलिफ्ट क्षमता को बढ़ाते हैं।
- KJ-500A और KJ-600 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट: KJ-500A AESA रडार से लैस है और 100 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। इसमें एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग की सुविधा है। KJ-600 कैरियर-आधारित सिस्टम है, जिसकी रेंज 1,200 किमी तक है और यह ‘एयरक्राफ्ट कैरियर की आंख’ कहलाता है।
- J-20S और J-35 फाइटर जेट: J-20S ड्रोन को नियंत्रित कर सकता है, जबकि J-35 एयरक्राफ्ट कैरियर और जमीन दोनों से उड़ान भरने में सक्षम है। दोनों स्टील्थ जेट भारी हथियार ले जाने की क्षमता रखते हैं।
- DF-5C इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल: 13,000 किमी से ज्यादा रेंज वाली यह मिसाइल एक साथ 10 अलग-अलग वॉरहेड ले जा सकती है। MIRV तकनीक से लैस यह अमेरिका के किसी भी हिस्से को टारगेट कर सकती है और चीन की न्यूक्लियर डिटरेंस क्षमता को और मजबूत बनाती है।
ट्रंप ने क्या कहा:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की विक्ट्री-डे परेड पर निशाना साधते हुए पुतिन और किम जोंग उन की मौजूदगी पर तंज़ कसा। ट्रंप ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में चीन की जीत में अमेरिकी सैनिकों की कुर्बानी को याद रखा जाना चाहिए। ट्रुथ सोशल पर लिखते हुए पुतिन और किम को “गर्मजोशी से शुभकामनाएं” दीं और आरोप लगाया कि दोनों अमेरिका के खिलाफ साज़िश कर रहे हैं।

क्या है चीन की विक्ट्री डे परेड और क्या है इसका इतिहास:
चीन का “विक्ट्री डे” यानी विजय दिवस द्वितीय विश्व युद्ध के घटनाक्रम से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह दिन जापान के आत्मसमर्पण और चीन की ऐतिहासिक जीत को दर्शाता है। जब 2 सितंबर 1945 को जापान ने औपचारिक रूप से मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण किया, तो चीन ने 3 सितंबर को विजय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यह दिन चीन की आज़ादी और जापानी आक्रामकता पर विजय का प्रतीक बन गया।
जापानी आक्रामकता और चीन का संघर्ष
1937 के मार्को पोलो ब्रिज हादसे के बाद चीन और जापान के बीच युद्ध भड़क उठा। जापानी साम्राज्यवाद अपने चरम पर था और चीन उसकी सीधी चोट झेल रहा था। गांवों और शहरों को जलाया गया, लाखों नागरिक विस्थापित हुए और व्यापक नरसंहार किए गए। इस युद्ध ने चीन की जनता को अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
नानकिंग नरसंहार: भयावह त्रासदी
जापानी आक्रमण का सबसे क्रूर चेहरा दिसंबर 1937 में देखने को मिला, जब नानकिंग नरसंहार हुआ। इस नरसंहार में जापानी सैनिकों ने हजारों महिलाओं का बलात्कार किया और लाखों चीनी नागरिकों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। इस घटना ने चीन की सामूहिक स्मृति में गहरे जख्म छोड़ दिए और यह जापानी आक्रामकता का प्रतीक बन गया।
सहयोगी देशों का समर्थन और अमेरिका का सहयोग
इस युद्ध में चीन अकेला नहीं था। अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ जैसे सहयोगी देशों ने उसे सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर मदद दी। शुरुआत में अमेरिका दूर से ही इस संघर्ष को देख रहा था, लेकिन दिसंबर 1941 में पर्ल हार्बर पर जापानी हमले ने हालात बदल दिए। अमेरिका ने औपचारिक रूप से द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया और चीन का प्रत्यक्ष सहयोगी बन गया।
अमेरिकी योगदान और बलिदान
पर्ल हार्बर के बाद अमेरिका ने चीन को हथियार, संसाधन और सैनिक समर्थन दिया। अमेरिकी सैनिकों ने बर्मा और चीन में जापानी सेना के खिलाफ कई मोर्चों पर युद्ध लड़ा। अनुमान है कि 20,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक चीन-बर्मा-इंडिया थिएटर में मारे गए, जिनमें से कई चीन की धरती पर लड़ते हुए या एयरलिफ्ट दुर्घटनाओं में शहीद हुए। आज भी चीन में युद्ध स्मारक इन अमेरिकी बलिदानों को दर्ज करते हैं।
चीन की जीत और जापान का आत्मसमर्पण
लगातार आठ वर्षों तक जापानी कब्जे का मुकाबला करने के बाद, चीन को आखिरकार 1945 में स्वतंत्रता और विजय मिली। जब जापान ने आत्मसमर्पण किया, तो चीन ने इसे केवल द्वितीय विश्व युद्ध की जीत नहीं बल्कि जापानी आक्रामकता पर ऐतिहासिक विजय माना। वहीं पश्चिमी दुनिया इसे “वर्ल्ड वॉर II की विजय” कहती है।
शी जिनपिंग और विजय दिवस का पुनर्जीवन
हालांकि लंबे समय तक चीन में इस दिन का आयोजन बड़े स्तर पर नहीं किया गया। मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2015 से इस दिन को भव्य पैमाने पर फिर से मनाना शुरू किया गया। 2014 में चीनी सरकार ने इसे एक प्रमुख राष्ट्रीय स्मरण दिवस के रूप में घोषित किया। 2015 में इसकी 70वीं वर्षगांठ पर विशाल सैन्य परेड आयोजित हुई, जिसमें शी जिनपिंग ने इसे “विश्व फासीवाद पर जीत” करार दिया और चीन की भूमिका को केंद्रीय बताया।
देशभक्ति और शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक
आज के दौर में चीन इस दिवस को केवल इतिहास याद करने के लिए नहीं बल्कि अपनी ताकत दिखाने और देशभक्ति की भावना को जगाने के लिए भी उपयोग करता है। पिछले एक दशक से यह दिन बड़े पैमाने पर सैन्य परेड और राष्ट्रीय आयोजनों के माध्यम से मनाया जाता है। इसके जरिए चीन यह संदेश देना चाहता है कि वह वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी ऐतिहासिक विरासत और वर्तमान ताकत दोनों को दुनिया के सामने प्रदर्शित कर सकता है।
ताइवान का चीन पर आरोप: युद्ध का इतिहास तोड़-मरोड़कर पेश किया गया
चीन यह दावा करता है कि उसने एशिया में जापान के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध का नेतृत्व किया था, लेकिन ताइवान ने इस दावे को खारिज कर दिया है। ताइवान का कहना है कि चीन हाल के वर्षों में लगातार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता रहा है। ताइवान ने स्पष्ट किया कि जब चीन जापानी आक्रमण का सामना कर रहा था, तब पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का अस्तित्व ही नहीं था और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने युद्ध में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाई थी।
विक्ट्री डे परेड से अनुपस्थित रहे पीएम मोदी
बीजिंग में आयोजित विक्ट्री डे परेड की गेस्ट लिस्ट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल नहीं था। जबकि मोदी महज दो दिन पहले ही चीन की यात्रा पर थे, उन्होंने बाकी नेताओं की तरह इस परेड में शामिल होने का विकल्प नहीं चुना। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह अनुपस्थिति मोदी की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके माध्यम से वह चीन को यह संदेश देना चाहते हैं कि सामान्य रिश्ते तभी संभव हैं जब चीन सीमा पर आक्रामक रवैया छोड़ दे और पाकिस्तान को रणनीतिक सहयोग देना बंद करे।
चीन-पाकिस्तान रक्षा सहयोग और भारत की चिंताएँ
पाकिस्तान ने बीते पाँच सालों में जितने हथियार खरीदे हैं, उनमें से 81% चीन से ही मिले हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ भी किया है। यही कारण है कि मोदी ने इस आयोजन से दूरी बनाए रखी।
जापान के साथ रणनीतिक संतुलन: यह परेड द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई थी। ऐसे में यदि मोदी इसमें शामिल होते तो इसे टोक्यो में नकारात्मक रूप से देखा जा सकता था। चूँकि जापान आज भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक साझेदार है, इसलिए नई दिल्ली ने कूटनीतिक दृष्टि से यह निर्णय लिया कि इस आयोजन से दूरी बनाई जाए।