दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद कार्ति पी चिदंबरम और छह अन्य आरोपियों के खिलाफ चीनी वीजा घोटाले के मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश (CBI) दिग विनय सिंह, जो कार्ति चिदंबरम और सात अन्य के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, ने सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया और चेतन श्रीवास्तव नामक एक व्यक्ति को इस मामले से मुक्त कर दिया।
23 दिसंबर को जारी एक आदेश में, अदालत ने सातों आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के कथित अपराध के लिए आरोप तय करने का निर्देश दिया। विस्तृत आदेश का इंतजार है।
CBI का आरोपपत्र और जांच
अक्टूबर 2024 में, CBI ने कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ 2011 में एक बिजली कंपनी के लिए चीनी नागरिकों के वीजा की सुविधा देने में कथित रिश्वतखोरी के संबंध में आरोपपत्र दाखिल किया था। उस समय उनके पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
एक विशेष अदालत के समक्ष प्रस्तुत अपने आरोपपत्र में, CBI ने शिवगंगा से लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम, उनके कथित करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, वेदांता की सहायक कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPL), और मुंबई स्थित बेल टूल्स का नाम लिया है, जिसके माध्यम से कथित रूप से रिश्वत भेजी गई थी।
एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया है।
आरोपपत्र में शामिल अन्य आरोपियों में विरल मेहता, अनूप अग्रवाल, मंसूर सिद्दीकी और चेतन श्रीवास्तव शामिल हैं।
घोटाले की पूरी कहानी
पावर प्रोजेक्ट और देरी
पंजाब स्थित एक निजी कंपनी मनसा में 1980 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट स्थापित कर रही थी। इस काम को चीनी कंपनी शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प (SEPCO) को सौंपा गया था।
CBI की FIR में कहा गया है कि यह परियोजना अपने शेड्यूल से पीछे चल रही थी और कंपनी को जुर्माने का सामना करना पड़ सकता था। कार्य को गति देने के लिए चीनी पेशेवरों को मनसा लाया गया और इनके लिए वीजा की व्यवस्था चेन्नई के एक व्यक्ति ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद से की।
नियमों की अनदेखी और वीजा
प्रोजेक्ट वीजा एक विशेष प्रकार का वीजा था जो 2010 में बिजली और इस्पात क्षेत्र के लिए पेश किया गया था। इसके लिए पी चिदंबरम के गृह मंत्री के कार्यकाल के दौरान विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए थे, लेकिन FIR के अनुसार प्रोजेक्ट वीजा के पुनः जारी करने का कोई प्रावधान नहीं था।
CBI की प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों वाली FIR में आरोप लगाया गया कि TSPL के एक कार्यकारी ने अपने “करीबी सहयोगी/फ्रंट मैन” भास्कररमन के माध्यम से कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया।
FIR में कहा गया, “उन्होंने कंपनी के संयंत्र को अनुमति योग्य अधिकतम प्रोजेक्ट वीजा की सीमा को हराने के लिए एक पिछले दरवाजे का रास्ता तैयार किया, जिसके तहत उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा को पुनः उपयोग करने की अनुमति दी गई।”
गृह मंत्रालय को पत्र और त्वरित मंजूरी
कथित रूप से TSPL के एक कार्यकारी ने 30 जुलाई 2011 को गृह मंत्रालय को एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें अपनी कंपनी को आवंटित प्रोजेक्ट वीजा को पुनः उपयोग करने की मंजूरी मांगी गई। FIR के अनुसार, यह एक महीने के भीतर स्वीकृत हो गया और अनुमति जारी कर दी गई।
FIR में आरोप लगाया गया है कि “17 अगस्त 2011 को, कार्यकारी ने भास्कररमन के निर्देश पर 30 जुलाई 2011 के उपरोक्त पत्र की एक प्रति ई-मेल के माध्यम से उन्हें भेजी, जिसे कार्ति को अग्रेषित किया गया… तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम के साथ चर्चा के बाद भास्कररमन ने स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए 50 लाख रुपए की अवैध रिश्वत की मांग की।”
फर्जी बिलों के जरिए रिश्वत का भुगतान
CBI की FIR में यह भी आरोप लगाया गया है कि उक्त रिश्वत का भुगतान TSPL से कार्ति चिदंबरम और भास्कररमन को मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड के माध्यम से किया गया। चीनी वीजा से संबंधित कार्य के लिए परामर्श और आउट-ऑफ-पॉकेट खर्चों के लिए उठाए गए दो चालानों के तहत भुगतान को छिपाया गया था।
FIR के अनुसार, TSPL के कार्यकारी ने बाद में ई-मेल पर कार्ति चिदंबरम और भास्कररमन को धन्यवाद दिया था। आरोप है कि TSPL द्वारा चालानों के खिलाफ भुगतान चेक के माध्यम से बेल टूल्स लिमिटेड को किया गया और फिर उक्त राशि नकद में भास्कररमन को दी गई।
भास्कररमन की गिरफ्तारी और छापेमारी
CBI ने कार्ति चिदंबरम के करीबी सहयोगी भास्कररमन को गिरफ्तार कर लिया था। यह कार्रवाई 17 मई को हुई छापेमारी के बाद की गई थी। उन पर 263 चीनी नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप है।
CBI ने मंगलवार को कार्ति चिदंबरम के 10 ठिकानों पर छापा मारा था। CBI ने तमिलनाडु में तीन, मुंबई में तीन, पंजाब में एक, कर्नाटक में एक और ओडिशा में एक सहित नौ स्थानों पर तलाशी ली। इसमें कार्यालय और घर शामिल थे।
दिल्ली में पी चिदंबरम के घर का गेट बंद होने के कारण CBI के अधिकारियों ने गेट फांदकर अंदर प्रवेश किया। छापेमारी सुबह आठ बजे शुरू हुई थी, जो देर रात तक चली।
कार्ति का तंज भरा जवाब
मंगलवार को हुई कार्रवाई के दौरान कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर तंज किया। उन्होंने कहा कि यह (CBI की कार्रवाई) कितनी बार हुआ है, मैं गिनती भी भूल गया हूं। इसका एक रिकॉर्ड होना चाहिए।
बता दें कि CBI ने 2010-2014 के बीच के इस मामले में नया केस दर्ज किया है। उसी मामले में मंगलवार को छापे की कार्रवाई की गई थी।
मामले का महत्व
यह मामला तब का है जब पी चिदंबरम भारत के गृह मंत्री थे और उन पर अपने पद का दुरुपयोग कर अपने बेटे को लाभ पहुंचाने का आरोप है। CBI ने दो साल की जांच के बाद 2022 में दर्ज अपनी FIR के आधार पर आरोपपत्र दाखिल किया था।
अब अदालत द्वारा आरोप तय करने का आदेश इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो औपचारिक मुकदमे की शुरुआत का संकेत देता है। विस्तृत आदेश आने के बाद मामले की आगे की कार्यवाही स्पष्ट होगी।
