कांग्रेस का आरोप-अमेरिका में RSS के लिए लॉबिंग फर्म काम कर रही; संघ ने कहा-‘पूरी तरह गलत’

कांग्रेस ने गुरुवार 13 नवम्बर 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संघ ने अमेरिका में एक लॉबिंग कंपनी को अपने “हितों की पैरवी” के लिए हायर किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि अमेरिकी सीनेट की लॉबिंग रिपोर्ट में RSS का नाम दर्ज है, जिसके अनुसार लॉ फर्म Squire Patton Boggs (SPB) संघ के लिए काम कर रही है।

 

RSS ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह भारत में कार्यरत एक स्वैच्छिक संगठन है और उसने कभी भी विदेश में किसी लॉबिंग फर्म की सेवाएं नहीं ली हैं।

Congress alleges lobbying firm working for RSS in US

कांग्रेस का दावा क्या है?

जयराम रमेश ने X पर अमेरिकी सीनेट की लॉबिंग रिपोर्ट का एक स्क्रीनशॉट साझा किया।
रिपोर्ट में लिखा है कि:

  • लॉ फर्म Squire Patton Boggs ने बताया कि वह State Street Strategies के जरिए national volunteers association (RSS) के लिए लॉबिंग कर रही है।
  • रिपोर्ट अमेरिकी कानून के तहत अनिवार्य रूप से लॉबिंग गतिविधियों का खुलासा करती है।

जयराम रमेश ने पोस्ट करते हुए कहा- “RSS खुद को भारत में एक नॉन-रजिस्टर्ड संस्था बताता है जो कोई टैक्स नहीं देती। अब सामने आया है कि वह अमेरिका में महंगी लॉबिंग फर्म रखता है। यह बेहद गंभीर मामला है।”

 

RSS का जवाब: “हमने कोई लॉबिंग फर्म हायर नहीं की”

कांग्रेस के आरोपों पर RSS ने तत्काल प्रतिक्रिया दी। संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत में काम करता है। RSS ने अमेरिका में कोई लॉबिंग फर्म नहीं हायर की है। कांग्रेस का दावा मनगढ़ंत और भ्रामक है।” RSS का कहना है कि उसे अमेरिका में कोई सरकारी पैरवी की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है।

 

कांग्रेस के हालिया बड़े हमले-पृष्ठभूमि समझना जरूरी

यह आरोप ऐसे समय में आए हैं जब कांग्रेस और RSS के बीच राजनीतिक टकराव लगातार बढ़ा है। पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस नेताओं ने RSS के खिलाफ कई तीखे बयान दिए:

  1. खड़गे: RSS पर बैन लगाने की मां 13 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- “RSS पर बैन लगना चाहिए, जैसे सरदार पटेल ने किया था।”
  2. सिद्धारमैया: RSS और सनातनियों से सावधान रहने की अपील कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि RSS ने हमेशा सामाजिक न्याय और संविधान का विरोध किया है।
  3. अजय राय: RSS को देशविरोधी गतिविधियों से जोड़ाUP कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि RSS को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और यह संगठन “देश को बांटने वाला” है।

इन बयानों के बाद अब अमेरिकी लॉबिंग वाली रिपोर्ट ने विवाद को नया आयाम दे दिया है।

 

RSS की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-100 साल का सफर

  • स्थापना: RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन नागपुर में केशवराव बलीराम हेडगेवार ने की थी।
  • 1926: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम तय हुआ, शाखा प्रणाली शुरू हुई।
  • 1930: डॉ. हेडगेवार गांधीजी के आंदोलन में शामिल होकऱ जेल गए।
  • 1931: पहली बार ड्रेस (खाकी नेकर, टोपी) तय की गई।
  • 1939: हेडगेवार का निधन, माधवराव गोलवलकर नए सरसंघचालक बने।
  • 1947: देश की आज़ादी के बाद संघ का तेजी से विस्तार हुआ।
  • 1948: महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा, गोलवलकर जेल गए।
  • 1949: संघ से बैन हटा। संविधान व लोकतंत्र के प्रति निष्ठा की घोषणा की गई।
  • 1951: संघ से प्रेरित होकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की।
  • 1966: हिंदू समाज को जोड़ने के लिए विश्व हिंदू परिषद (VHP) की स्थापना।
  • 1975-77: इमरजेंसी में संघ पर बैन, हज़ारों स्वयंसेवक गिरफ्तार हुए।
  • 1980: जनसंघ के खत्म कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी।
  • 1984-1992: राम जन्मभूमि आंदोलन से संघ और भाजपा का विस्तार।
  • 1998-2004: पहली बार संघ से जुड़े नेता (अटल बिहारी वाजपेयी) प्रधानमंत्री बने।
  • 2014: नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, संघ परिवार का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा।
  • 2015: संघ के 90 साल पूरे, दुनिया के 39 देशों में ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ के नाम से लगती हैं आरएसएस की शाखाएं।
  • 2020-2023: संघ ने कोरोना महामारी के दौरान राहत कार्य किया।
  • 2025: 2 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन संघ के 100 साल पूरे।

 

RSS दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में से एक माना जाता है, जिसकी शाखाएं भारत के अलावा विदेशों में भी सक्रिय हैं।

 

यह विवाद क्यों बड़ा है?

  • RSS भारत में खुद को गैर-राजनीतिक, गैर-सरकारी और गैर-रजिस्टर्ड संगठन बताता है।
  • कांग्रेस का आरोप है कि संघ विदेश में लॉबिंग पर पैसा खर्च कर रहा, और उसका नाम अमेरिकी सीनेट की आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज है।
  • RSS का कहना है कि रिपोर्ट में जो भी दावा है, वह गलत या गलत तरीके से पेश किया गया डेटा है।
  • मामला संवेदनशील इसलिए भी है क्योंकि लॉबिंग को अमेरिका में राजनीतिक प्रभाव के एक औपचारिक माध्यम के रूप में देखा जाता है।