अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पूरा: पीएम मोदी करेंगे 25 नवंबर को ध्वजारोहण, जानिए पूरी खबर..

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि रामलला का भव्य मंदिर और उससे जुड़े सभी निर्माण कार्य अब पूरी तरह पूरे हो चुके हैं। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिखर पर ‘ध्वज’ फहराकर इस ऐतिहासिक परियोजना के पूर्ण होने का प्रतीक समारोह करेंगे।

Construction of Ram Temple in Ayodhya completed

ट्रस्ट ने X पर एक पोस्ट में कहा,

उन्हें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री रामलला मंदिर का पूरा निर्माण कार्य अब पूरा हो गया है। इसमें मुख्य मंदिर के साथ-साथ परिसर में बने महादेव, गणेश जी, हनुमान जी, सूर्यदेव, माँ भगवती, माँ अन्नपूर्णा और शेषावतार भगवान को समर्पित मंदिर शामिल हैं। इन सभी मंदिरों पर ध्वज और कलश भी स्थापित कर दिए गए हैं।साथ ही ट्रस्ट ने बताया कि संत तुलसीदास मंदिर के अलावा ऋषि वाल्मिकी, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि अगस्त्य, निषादराज, शबरी और देवी अहिल्या के लिए सात मंडप बनाए गए हैं। साथ ही जटायु और गिलहरी की सुंदर मूर्तियाँ भी स्थापित की गई हैं।

ट्रस्ट द्वारा कही अन्य महत्वपूर्ण बातें:

ट्रस्ट ने बताया कि निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) मंदिर परिसर के अंतिम पत्थर बिछाने और आंतरिक सड़कों का काम पूरा कर रही है। वहीं, GMR कंपनी लगभग 10 एकड़ में फैले पंचवटी क्षेत्र के सौंदर्यीकरण और विकास का कार्य संभाल रही है। ट्रस्ट ने कहा कि अब सिर्फ कुछ ऐसे काम बाकी हैं जो सीधे जनता से जुड़े नहीं हैं— जैसे 3.5 किलोमीटर लंबी चारदीवारी, ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह और ऑडिटोरियम का निर्माण।

 

PM मोदी फहराएंगे मंदिर का ध्वज:

श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को अयोध्या आकर नवनिर्मित मंदिर के शिखर पर ‘ध्वज’ फहराएँगे। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है और राम परिवार मंदिर की पहली मंजिल पर विराजमान है।

जिस दिन प्रधानमंत्री ध्वज फहराएँगे, उस दिन राम परिवार की विशेष आरती की जाएगी। यह कार्यक्रम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी चंपत राय संभाल रहे हैं। इस समारोह में 6 से 8 हजार लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।

 

ध्वज की खासियत:

राम मंदिर के शिखर पर फहरने वाला ध्वज खास केसरिया रंग का होगा, जिस पर सूर्य, ॐ और कोविदार (जिसे कचनार भी कहते हैं) के प्रतीक बने होंगे। मंदिर का शिखर 161 फुट ऊँचा है, जिस पर 42 फुट ऊँचा स्तंभ लगाया गया है। इसी पर 22 फुट लंबी और 11 फुट चौड़ी पताका फहराई जाएगी।

यह ध्वज 60 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज हवाओं को सहन कर सकेगा और आंधी-तूफान में भी सुरक्षित रहेगा। इसे 360 डिग्री पर घूमने वाले बॉल-बेयरिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, ताकि हवा के साथ यह आसानी से घूम सके। प्रधानमंत्री मोदी मुख्य मंदिर सहित आठ अन्य मंदिरों के शिखरों पर भी ध्वज फहराएँगे। ट्रस्ट ने ध्वज तैयार करने के लिए कई एजेंसियों को जोड़ा है। 28 अक्टूबर को भवन निर्माण समिति की बैठक में ध्वज के कपड़े की टेस्ट रिपोर्ट पेश की जाएगी, जिसके बाद अंतिम चयन किया जाएगा।

 

ध्वज फहराने के मायने क्या है?

मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने का मतलब है कि मंदिर अब पूरी तरह तैयार हो चुका है- इसमें बाहरी सुरक्षा दीवार ‘परकोटा’ भी शामिल है। यह समारोह भगवान राम के भक्तों के लिए एक धार्मिक घोषणा है कि अब वे मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं। ध्वजारोहण समारोह प्रतीकात्मक रूप से इस बात का संकेत होगा कि राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरी तरह संपन्न हो गया है- यह लाखों भक्तों के लंबे इंतज़ार का ऐतिहासिक क्षण है।

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि की सराहना की:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर के पूरा होने पर खुशी जताई और इसे लोगों की आस्था और विश्वास का परिणाम बताया। उन्होंने लखीमपुर खीरी में कहा कि कुछ साल पहले तक लोग सोचते थे कि राम मंदिर बन पाना सिर्फ एक सपना है, लेकिन आज भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है और अयोध्या अपनी पुरानी गरिमा वापस पा रही है।

योगी ने कहा कि जब भक्तों ने मंदिर के लिए आवाज उठाई, तो कई लोगों ने इसे असंभव कहा, लेकिन भक्तों ने हार नहीं मानी। उनके विश्वास और दृढ़ निश्चय से यह ऐतिहासिक सपना साकार हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले साल छह करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु अयोध्या आए थे, जबकि पहले हर साल सिर्फ कुछ लाख लोग ही दर्शन के लिए आते थे।

 

राम मंदिर के बारे में:

राम मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बना एक भव्य हिंदू मंदिर परिसर है। माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था, जिसे ‘राम जन्मभूमि’ कहा जाता है।

मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को एक बड़े धार्मिक समारोह के साथ हुआ था। उद्घाटन के दिन अभिषेक के बाद लगभग पाँच लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुँचे थे। एक महीने बाद भी रोज़ाना करीब 1 से 1.5 लाख लोग मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे थे।

 

मंदिर से जुड़ा विवाद और निर्माण प्रक्रिया:

राम मंदिर का स्थल लंबे समय तक हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का कारण रहा है, क्योंकि यही वह जगह है जहाँ पहले बाबरी मस्जिद थी, जो 1528-1529 के बीच बनाई गई थी। 1949 में मस्जिद के अंदर भगवान राम और सीता की मूर्तियाँ रखी गईं, और 1992 में यह मस्जिद ढहा दी गई।

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि विवादित भूमि हिंदुओं को मंदिर निर्माण के लिए दी जाएगी, जबकि मुसलमानों को अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद बनाने के लिए जमीन दी जाएगी। अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना मौजूद थी।

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण की शुरुआत की। मंदिर के निर्माण की ज़िम्मेदारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दी गई। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्य यजमान के रूप में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की।

 

राम जन्मभूमि मंदिर: सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मील का पत्थर:

राम जन्मभूमि मंदिर का पूरा होना भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा में एक ऐतिहासिक पल है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, और अब दो साल से भी कम समय में पूरा मंदिर बनकर तैयार हो गया है। यह सिर्फ एक शानदार निर्माण नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही भक्ति और आस्था का फल है। अब जब भव्य मंदिर तैयार हो गया है, अयोध्या फिर से सनातन संस्कृति का एक उज्ज्वल केंद्र बन गया है, जहाँ दुनिया भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं।

 

निष्कर्ष:

रामलला का भव्य मंदिर अब अयोध्या और पूरे भारत की आस्था और गर्व का प्रतीक बन गया है। यह मंदिर सदियों की भक्ति और विश्वास का साकार रूप है। इसके निर्माण ने न केवल एक ऐतिहासिक सपना पूरा किया है, बल्कि अयोध्या को फिर से विश्व के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया है।

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