बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवात ‘मोन्था’ अब आंध्र प्रदेश के तट से टकरा रहा है। मौसम विभाग ने इसे एक गंभीर चक्रवाती तूफान बताया है। तटीय इलाकों में तेज़ हवाएँ (लगभग 110 किमी/घंटा) चल रही हैं और भारी बारिश हो रही है। तूफान के मछलीपट्टनम और काकीनाडा के बीच तट से टकराने की संभावना है।
इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज(INCOIS) ने चेतावनी दी है कि समुद्र में 2 से 4.7 मीटर ऊँची लहरें उठ सकती हैं। इसका असर आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक रहेगा।
चक्रवात की वर्त्तमान स्थिति:
बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवात ‘मोन्था’ अब 17 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ रहा है। यह इस समय मछलीपट्टनम से लगभग 230 किमी दक्षिण-पूर्व और काकीनाडा से करीब 310 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश, दक्षिण ओडिशा के तटीय इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। चक्रवात के आज भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने और आगे उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ने की संभावना जताई गई है।
आंध्र प्रदेश में चक्रवात की तैयारी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से बात कर केंद्र सरकार की पूरी मदद का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को तुरंत पुनर्वास केंद्रों में पहुंचाया जाए। सरकार ने प्रभावित जिलों के स्कूल बंद करने का आदेश दिया है। जिला कलेक्टर और विशेष अधिकारी बचाव और राहत कार्यों की लगातार निगरानी कर रहे हैं, जबकि NDRF और SDRF की टीमें पूरी तरह तैयार हैं।
अब तक काकीनाडा और कोनासीमा जैसे प्रभावित क्षेत्रों से करीब 10,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि 126 गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।
ओडिशा में NDRF और ODRAF को किया गया अलर्ट:
ओडिशा के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने जिला कलेक्टरों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में चक्रवात की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को हर स्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया।
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), ओडिशा राज्य आपदा मोचन बल (ODRAF) और अग्निशमन विभाग की टीमों को पहले से ही तैयार रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य के तटीय और दक्षिणी हिस्सों के करीब 15 जिले इस खराब मौसम से प्रभावित हो सकते हैं। पिछले अनुभवों को देखते हुए सभी जरूरी इंतजाम पहले ही कर लिए गए हैं।
IMD ने जारी की चेतावनी:
मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि चक्रवात ‘मोन्था’ के तट से टकराने के बाद अगले पाँच दिनों तक केरल, कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भारी बारिश हो सकती है।
विभाग ने कहा कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में दो अलग-अलग मौसम प्रणालियाँ बन रही हैं। इसी वजह से अगले सात दिनों के लिए देशभर में मौसम चेतावनी जारी की गई है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को भारी बारिश और संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए अलर्ट पर रखा गया है।
बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी बारिश की चेतावनी:
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अगले कुछ दिनों तक तेज बारिश होने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र अब चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। इसके असर से 29 से 31 अक्टूबर के बीच कई जगहों पर तेज़ हवाएँ और भारी बारिश हो सकती हैं।
रांची मौसम विभाग ने बताया कि 28 से 31 अक्टूबर तक झारखंड के कई जिलों में भारी बारिश, गरज और बिजली गिरने की संभावना है। पटना मौसम विभाग ने भी 28 अक्टूबर से बिहार में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पश्चिम बंगाल में भी 28 से 31 अक्टूबर तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। तूफान के आंध्र प्रदेश के तट पर पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन इसका असर कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, मेदिनीपुर, हावड़ा, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और हुगली जैसे जिलों में भी देखने को मिल सकता है।
रेलवे की क्या है तैयारी?
दक्षिण मध्य रेलवे ने चक्रवात ‘मोन्था’ से होने वाले असर से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। महाप्रबंधक संजय कुमार श्रीवास्तव ने सभी विभागों- ऑपरेटिंग, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, कमर्शियल और मेडिकल- को उच्च सतर्कता पर रखा है।
कंट्रोल रूम 24 घंटे चालू रखे गए हैं ताकि ट्रेनों की आवाजाही, पुलों की स्थिति और पानी के स्तर पर लगातार नजर रखी जा सके। गश्ती दलों को पटरियों और अन्य जरूरी ढांचों की जांच के लिए तैनात किया गया है।
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए विजयवाड़ा, राजमुंदरी, काकीनाडा टाउन, भीमवरम और तेनाली जैसे प्रमुख स्टेशनों पर हेल्प डेस्क और 24 घंटे खुला रिफंड काउंटर बनाए गए हैं। साथ ही मेडिकल टीमें, एम्बुलेंस और प्राथमिक उपचार केंद्र भी तैयार हैं। रेलवे ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित किया है ताकि रीयल-टाइम जानकारी साझा की जा सके और जरूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
आइये जानते है चक्रवात मोन्था के बारे में:
‘मोन्था’ एक उष्णकटिबंधीय तूफान (Tropical Storm) है, जो बंगाल की खाड़ी में बना है। शुरू में यह एक कम दबाव वाला क्षेत्र (Low Pressure Area) था, लेकिन अब भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इसे एक ‘साइक्लोनिक स्टॉर्म’ घोषित किया है।
मौसम विभाग के अनुसार, यह तूफान आगे चलकर ‘गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm)’ बन सकता है। ‘मोन्था’ नाम थाईलैंड ने दिया है, जिसका अर्थ थाई भाषा में “खुशबूदार या सुंदर फूल” होता है।
तूफान का नामकरण कैसे होता है?:
चक्रवाती तूफानों के नाम विश्व मौसम संगठन (WMO) और एशिया-प्रशांत के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) की एक विशेष प्रणाली के तहत रखे जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण पर WMO/ESCAP पैनल (PTC) ने 2000 में मस्कट, ओमान में अपने 27वें सत्र में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के चक्रवातों को नाम देने पर सहमति जताई थी। इसके बाद, उत्तर हिंद महासागर में चक्रवातों का नामकरण सितंबर 2004 से शुरू हुआ। इस सूची में उस समय के आठ सदस्य देशों: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड- द्वारा सुझाए गए नाम शामिल थे।
बाद में, पांच नए देश: ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी शामिल करके 13 देशों की नई सूची बनाने की आवश्यकता सितंबर 2018 में WMO/ESCAP के 45वें सत्र में पेश की गई थी, जिसकी मेजबानी ओमान ने की थी।
जब भी कोई तूफान 65 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से चलने लगता है, तो उसे इस सूची से क्रमवार (वर्णमाला के अनुसार) एक नाम दिया जाता है। इस बार तूफान का नाम “मोन्था” थाईलैंड ने सुझाया था।
- सरल और तटस्थ नाम: नाम छोटे, सरल और याद रखने में आसान होते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लोगों के बीच किसी भी तरह का भ्रम न हो। नाम किसी भी धर्म, संस्कृति या राजनीतिक भावना को ठेस पहुँचाने वाला नहीं होना चाहिए।
- नामों का पुन: उपयोग नहीं: उत्तरी हिंद महासागर के लिए यह नियम है कि एक बार इस्तेमाल किया गया नाम दोबारा उपयोग नहीं किया जाता है। यदि कोई चक्रवात बहुत विनाशकारी हो, तो उसके नाम को हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।
निष्कर्ष:
चक्रवात ‘मोन्था’ इस समय आंध्र प्रदेश के तट पर गंभीर खतरा बनकर उभर रहा है। तेज़ हवाओं और ऊँची लहरों के साथ यह तूफान तटीय इलाकों में व्यापक असर डाल सकता है। मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की चेतावनियों को देखते हुए लोगों को सतर्क रहना आवश्यक है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयारी तेज़ कर दी है।
