अरब सागर में बना कम दबाव का क्षेत्र अब चक्रवात ‘शक्ति’ में बदल गया है। श्रीलंका ने इस तूफान का नाम ‘शक्ति’ रखा है। यह मानसून के बाद का इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि इसका लैंडफॉल भारत में नहीं होगा, लेकिन इसके असर से गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में तेज हवाएं, ऊंची लहरें और भारी बारिश हो सकती हैं। खतरे को देखते हुए महाराष्ट्र में 3 से 7 अक्टूबर तक हाई अलर्ट जारी किया गया है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर रहने व सभी एहतियाती कदम अपनाने की अपील की गई है।
- जब समुद्र में बना तूफान आगे बढ़ते-बढ़ते पहली बार किसी तटीय इलाके (जमीन) पर पहुंचता है, तो उसे लैंडफॉल कहा जाता है।

इसका असर कहाँ दिखेगा?
इसका असर मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले में दिखेगा। जबकि उत्तरी कोंकण के निचले इलाके नमी और घने बादलों के कारण बाढ़ का सामना कर सकते हैं। यहां 45-55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। हवा की रफ्तार 65 किमी और इससे ज्यादा भी हो सकती है। 5 अक्टूबर तक महाराष्ट्र के तटों पर समुद्र में ऊंची लहरें उठने की आशंका है।
मछुआरों और तटीय निवासियों के लिए चेतावनी:
समुद्र में उथल-पुथल के चलते मछुआरों को समुद्र में 7 अक्टूबर तक न जाने की चेतावनी दी गई है। जो नाव पहले से समुद्र में हैं, उन्हें तुरंत लौटने की सलाह दी गई है। तटीय निवासियों को जरूरी सामान स्टॉक करने, घर के अंदर रहने और आधिकारिक अपडेट का पालन करने के लिए कहा गया है।
मौसम विभाग ने क्या कहा?
मौसम विभाग ने बताया कि साइक्लोन ‘शक्ति’ आठ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरात तट से दूर द्वारका की ओर बढ़ रहा था। शुक्रवार रात 9:30 बजे तक इसका केंद्र द्वारका से करीब 300 किलोमीटर पश्चिम, कराची से 330 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम और पोरबंदर से 360 किलोमीटर पश्चिम में था।
यह तूफान पहले पश्चिम की ओर और फिर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में बढ़ेगा, और शनिवार तक एक भीषण चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। इसके असर से रविवार तक गुजरात, उत्तरी महाराष्ट्र और पाकिस्तान के तटीय इलाकों में समुद्र की स्थिति बहुत खराब रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोन की गति 6 अक्टूबर की सुबह से कमजोर पड़ने की संभावना है।
मुंबई और आसपास के शहरों पर कितना असर?
मुंबई और आसपास के इलाकों में भारी बारिश के कारण परिवहन सेवाओं में रुकावट, पानी भरना और रोजमर्रा के कामकाज पर असर पड़ सकता है। लोगों को यात्रा सावधानी से करने और जरूरी योजना बनाने की सलाह दी गई है। पर्यटकों को भी समुद्र के पास न जाने की एडवाइजरी जारी की गई है।
महाराष्ट्र सरकार ने अधिकारियों को दिए निर्देश:
- आपदा प्रबंधन व्यवस्था (Disaster Management System) को सक्रिय करें।
- तटीय और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने की तैयारी करें।
- लोगों को सतर्क रहने और जरूरी सावधानियां अपनाने के लिए सलाह (advisory) जारी करें।
- जिला प्रशासन को आश्रय स्थल तैयार करने, चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने और NDRF, पुलिस व अग्निशमन विभाग के साथ संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।
गुजरात में भी बारिश का अनुमान:
स्वतंत्र मौसम विशेषज्ञ अभिजीत मोदक के अनुसार, तूफान के कारण सौराष्ट्र और कच्छ में भी थोड़ी बारिश आ सकती हैं। IMD के एक अधिकारी ने भी कहा है कि तूफान का मार्ग भारत के भूभाग से दूर है, यानी इसका सीधा असर जमीन पर नहीं पड़ेगा, लेकिन समुद्र में उथल-पुथल और समुद्री गतिविधियां जारी रहेंगी।
चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों में देखी जा रही वृद्धि:
हाल के वर्षों में अरब सागर में चक्रवातों की संख्या और उनकी तीव्रता दोनों बढ़ी हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इसका मुख्य कारण समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान है। इतिहास में बंगाल की खाड़ी में उष्णकटिबंधीय तूफान अधिक आते रहे हैं, लेकिन अब पश्चिमी अरब सागर में भी चक्रवाती तूफानों का निर्माण होने लगा है।
हाल के महत्वपूर्ण उदाहरणों में मई 2021 का चक्रवात तौकते शामिल है, जिसने पश्चिमी तट पर भारी नुकसान पहुंचाया, और जून 2023 का चक्रवात बिपरजॉय, जो गुजरात पर हमला करने से पहले अरब सागर में उत्पन्न हुआ था।
तूफान का नामकरण कैसे होता है?:
चक्रवाती तूफानों के नाम विश्व मौसम संगठन (WMO) और एशिया-प्रशांत के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) की एक विशेष प्रणाली के तहत रखे जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण पर WMO/ESCAP पैनल (PTC) ने 2000 में मस्कट, ओमान में अपने 27वें सत्र में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के चक्रवातों को नाम देने पर सहमति जताई थी। इसके बाद, उत्तर हिंद महासागर में चक्रवातों का नामकरण सितंबर 2004 से शुरू हुआ। इस सूची में उस समय के आठ सदस्य देशों: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड- द्वारा सुझाए गए नाम शामिल थे।
बाद में, पांच नए देश: ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को भी शामिल करके 13 देशों की नई सूची बनाने की आवश्यकता सितंबर 2018 में WMO/ESCAP के 45वें सत्र में पेश की गई थी, जिसकी मेजबानी ओमान ने की थी।
जब भी कोई तूफान 65 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से चलने लगता है, तो उसे इस सूची से क्रमवार (वर्णमाला के अनुसार) एक नाम दिया जाता है। इस बार तूफान का नाम “शक्ति” श्रीलंका ने सुझाया था।
सरल और तटस्थ नाम: नाम छोटे, सरल और याद रखने में आसान होते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लोगों के बीच किसी भी तरह का भ्रम न हो। नाम किसी भी धर्म, संस्कृति या राजनीतिक भावना को ठेस पहुँचाने वाला नहीं होना चाहिए।
नामों का पुन: उपयोग नहीं: उत्तरी हिंद महासागर के लिए यह नियम है कि एक बार इस्तेमाल किया गया नाम दोबारा उपयोग नहीं किया जाता है। यदि कोई चक्रवात बहुत विनाशकारी हो, तो उसके नाम को हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।
अलग-अलग महासागरों में आने वाले तूफानों के नाम क्षेत्रों के अनुसार दिए जाते हैं। नीचे तालिका में विभिन्न महासागरों में तूफानों के नाम का वर्गीकरण प्रस्तुत है।
क्षेत्र |
नाम |
उत्तरी अटलांटिक, मध्य उत्तरी प्रशांत, पूर्वी उत्तरी प्रशांत |
हरिकेन |
हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत |
साइक्लोन (चक्रवात) |
उत्तर-पश्चिम प्रशांत |
टाइफून |
भारत का उदाहरण:
- उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों का नामकरण सितंबर 2004 में शुरू हुआ।
- इस क्षेत्र के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ही नामकरण का काम करता है।
- उदाहरण के लिए, हाल ही में आए चक्रवात ‘शक्ति’ का नाम श्रीलंका ने दिया था।
बंगाल की खाड़ी में भी बना गहरा दबाव:
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने गहरे दबाव के कारण आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भारी बारिश और बाढ़ आई है। ओडिशा के तटीय जिलों में लगातार बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं और कई जगहों पर राहत और बचाव कार्य जारी हैं। आंध्र प्रदेश में बारिश से जुड़ी तीन घटनाओं में चार लोगों की मौत हुई है, जबकि ओडिशा के गजपति जिले में लैंडस्लाइड के कारण दो लोगों की जान गई है और कुछ लोग अभी भी लापता हैं।
बिहार पर भी दिख रहा असर:
बंगाल की खाड़ी के निम्न दाब का प्रभाव बिहार पर भी दिख रहा है। बिहार में अगले 3 दिनों तक मौसम खराब रहने की संभावना है। राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में मौसम विभाग की ओर से अति भारी और भारी वर्षा को लेकर चेतावनी जारी की गई है। चार एवं पांच अक्टूबर को उत्तर एवं दक्षिण बिहार के कुछ जगहों पर रेड अलर्ट जारी किया है।
निष्कर्ष:
अरब सागर में बने चक्रवात ‘शक्ति’ का लैंडफॉल भारत में नहीं होगा, लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में तेज हवाएं, ऊंची लहरें और भारी बारिश हो सकती है। ऐसे में सुरक्षा और सतर्कता बनाए रखना जरूरी है।