भारतीय पुरुष टेनिस टीम ने स्विट्जरलैंड के खिलाफ डेविस कप 2025 विश्व ग्रुप I में इतिहास रच दिया। बील के स्विस टेनिस एरीना में खेले गए मुकाबले में भारत ने नौवीं वरीयता प्राप्त स्विट्जरलैंड को 3-1 से हराकर 2026 डेविस कप क्वालीफायर में अपनी जगह सुनिश्चित की।

सुमित नागल ने दिलाई ऐतिहासिक जीत:
शनिवार को खेले गए पहले रिवर्स सिंगल्स में सुमित नागल ने स्विट्ज़रलैंड के युवा खिलाड़ी हेनरी बर्नेट को 1-6, 3-6 से हराकर भारत को निर्णायक जीत दिलाई। इस जीत के साथ ही भारत ने पहली बार डेविस कप क्वालीफायर्स में प्रवेश किया।
- इससे पहले भारत की जोड़ी एन. श्रीराम बालाजी और रित्विक बोलीपल्ली याकूब पाल और डोमिनिक स्ट्रिकर से हार गई थी, जिससे मेज़बान टीम की उम्मीदें कुछ समय के लिए बढ़ गई थीं।
- पहले दिन भारत ने दमदार शुरुआत करते हुए दक्षिणेश्वर सुरेश और सुमित नागल के शानदार प्रदर्शन से 2-0 की बढ़त बना ली थी। सुरेश ने जेरोमी किम को हराया, जबकि नागल ने मार्क आंद्रिया हुसलेर पर जीत दर्ज की थी।
नागल ने जीत के बाद कहा,
यह हमारी लिए बहुत बड़ी जीत है। हम बहुत समय बाद यूरोप में जीत रहे हैं और इसके लिए हमने कड़ी मेहनत की है। युगल मुकाबला मुश्किल था क्योंकि दोनों टीमों ने बहुत अच्छा खेल दिखाया।
कप्तान रोहित राजपाल के नेतृत्व में पहली बड़ी विदेशी जीत:
2019 में महेश भूपति से जिम्मेदारी लेने के बाद यह कप्तान रोहित राजपाल की विदेशी जमीन पर पहली बड़ी जीत थी। उनके नेतृत्व में भारत पहले स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और क्रोएशिया से हार चुका था। लेकिन इस बार राजपाल का पहला दिन ही साहसिक कदम उठाना, जब उन्होंने रिजर्व खिलाड़ी दक्षिणेश्वर को मौका दिया, टीम की ऐतिहासिक जीत में अहम साबित हुआ।
32 सालों बाद भारत से बहार किसी यूरोपीय टीम को हराया:
यह 32 सालों के बाद भारत की किसी यूरोपीय टीम पर पहली जीत है। इससे पहले 1993 में लेंडर पेस और रमेश कृष्णन की कप्तानी में भारत ने फ्रांस को क्वार्टर फाइनल में हराया था। हालांकि, भारत ने 2022 में दिल्ली में अपने घर पर डेनमार्क को ग्रास कोर्ट पर हराया था।
भारत तीन बार रहा है टूर्नामेंट का रनरअप:
भारत ने डेविस कप में अब तक तीन बार फाइनल खेला है। साल 1966, 1974 और 1987 में भारतीय टीम ने खिताबी मुकाबलों तक का सफर तय किया, लेकिन किसी भी बार वह खिताब जीतने में सफल नहीं हो सकी और हमेशा रनरअप बनी। इन अवसरों ने भारत के टेनिस इतिहास में गौरवमय पलों को चिन्हित किया है, लेकिन खिताब की कमी भारतीय खिलाड़ियों के लिए हमेशा एक चुनौती रही है।
भारत का अब तक का प्रदर्शन:
2019 में नया प्रारूप शुरू होने के बाद से भारत ने विश्व ग्रुप I मुकाबला नहीं जीता था।
इससे पहले लगातार प्रयासों के बावजूद टीम क्वालीफायर तक पहुंचने से चूक गई थी।
डेविस कप के इतिहास में भारत तीन बार उपविजेता रहा है।
- 1966
- 1974 (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में नाम वापस ले लिया)
- 1987
शशि थरूर ने दी बधाई:
भारत की ऐतिहासिक जीत पर राजनीति और खेल जगत से भी बधाइयाँ मिलने लगीं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारतीय टेनिस टीम को खास अंदाज़ में शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा- “बहुत अच्छा काम किया टीम इंडिया! मैं क्रिकेट की नहीं, बल्कि टेनिस टीम की 3-1 से शानदार जीत की बात कर रहा हूँ। यह 1993 के बाद पहली बार है जब भारत ने किसी यूरोपीय देश को उसके घर में हराया है। अब 2026 क्वालीफायर्स की ओर बढ़ते हैं।”

डेविस कप 2026 क्वालीफायर्स में बनाई जगह:
भारत अब 2026 डेविस कप क्वालीफायर में 12 अन्य विजेताओं के साथ खेलेगा। वहीं स्विट्जरलैंड जैसी हारने वाली टीमें 2026 विश्व ग्रुप I प्ले-ऑफ में उतरेंगी। भारत का अगला बड़ा लक्ष्य डेविस कप फाइनल में जगह बनाना होगा, जहां दुनिया की 16 सर्वश्रेष्ठ टीमें खिताब के लिए मुकाबला करती हैं।
डेविस कप के बारे में:
डेविस कप पुरुषों की टेनिस में सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय टीम प्रतियोगिता है। इसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ (आईटीएफ) करता है और इसमें हर साल 150 से अधिक देशों की टीमें हिस्सा लेती हैं। इसे अक्सर ‘टेनिस का विश्व कप’ कहा जाता है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी वार्षिक टीम खेल प्रतियोगिता मानी जाती है।
विजेता टीम को विश्व चैंपियन का खिताब दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1900 में ब्रिटेन और अमेरिका के बीच एक मुकाबले से हुई थी और आज यह टेनिस की सबसे महत्वपूर्ण टीम स्पर्धा बन चुकी है।
- डेविस कप के इतिहास में सबसे सफल देश संयुक्त राज्य अमेरिका है। जो अब तक 32 खिताब जीते हैं और 29 बार उपविजेता रहा है।

Top Davis Cup Winning Countries
- इटली ने 2024 में नीदरलैंड को हराकर अपना हालिया खिताब जीता।
निष्कर्ष:
स्विट्जरलैंड जैसी मजबूत टीम को हराकर भारतीय पुरुष टेनिस टीम ने डेविस कप 2025 विश्व ग्रुप I में अपनी ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यह जीत न केवल 2026 क्वालीफायर में भारत की दावेदारी को मजबूत करती है, बल्कि भारतीय टेनिस के आत्मविश्वास और नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक भी है।