दिल्ली की हवा इन दिनों फिर से बेहद प्रदूषित हो गई है। दिवाली के त्योहार के बाद, राजधानी में धुंध और धुआँ फैलने से वायु गुणवत्ता लगातार चौथे दिन ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। CPCB के आंकड़ों के अनुसार, कई इलाकों में AQI गंभीर स्तर तक पहुँच गया है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी की गई है। धीमी हवा और त्योहारी उत्सव के कारण दिल्ली-NCR की हवा और भी विषाक्त हो गई है।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में दिल्ली-NCR की हवा और भी खराब हो सकती है। इसके लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का चरण II लागू कर दिया गया है। यह कदम भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के पूर्वानुमानों के आधार पर उठाया गया है।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) क्या है?
GRAP एक ऐसा योजना है जो दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित और कम करने के लिए बनाई गई है। इसे 2016 में एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर तैयार किया गया। यह योजना 2017 में लागू हुई और पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) तथा राज्य सरकारों के सहयोग से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा लागू की जाती है।
GRAP के विभिन्न चरण:
- चरण I – खराब (AQI 201-300): सड़क की धूल कम करना और वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) लागू करना।
- चरण II – बहुत खराब (AQI 301-400): डीजल जनरेटर का उपयोग सीमित करना और प्रदूषण वाले क्षेत्रों में गतिविधियों को नियंत्रित करना।
- चरण III – गंभीर (AQI 401-450): कुछ वाहनों और निर्माण कार्यों पर रोक लगाना, और स्कूलों में दूरस्थ शिक्षा की अनुमति देना।
- चरण IV – गंभीर+ (AQI 450 से अधिक): भारी वाहनों को रोकना, स्कूल और गैर-जरूरी उद्योग बंद करना।
दिल्ली और पड़ोसी शहरों की वायु गुणवत्ता:
23 अक्टूबर को सुबह 8 बजे दिल्ली का औसत AQI 328 दर्ज किया गया। इससे पहले 22 अक्टूबर को शाम 4 बजे औसत AQI 353 तक पहुंच गया था, जो इस मौसम का सबसे उच्च स्तर था। 21 अक्टूबर को यह 351 और 20 अक्टूबर को 345 था। निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में परिवहन का योगदान 15.6% और उद्योगों व अन्य स्रोतों का योगदान 23.3% था।
दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता खराब बनी रही। हरियाणा के गुरुग्राम में AQI 280, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 324, नोएडा में 336 और ग्रेटर नोएडा में 316 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। CPCB(Commission for Air Quality Management) के अनुसार, आनंद विहार सबसे प्रदूषित इलाका रहा, जहां AQI 428 तक पहुंच गया। अक्षरधाम में AQI 350 और एम्स के आसपास के क्षेत्र में 342 दर्ज किया गया।
दिल्ली निवासियों ने क्या कहा?
निवासियों ने साँस लेने में तकलीफ़ और आँखों में जलन जैसी समस्याओं की शिकायत की। स्थानीय निवासी सागर ने कहा, “प्रदूषण आज ही नहीं, बल्कि सालों से बढ़ रहा है। लोग नेताओं को दोष देते हैं, लेकिन खुद भी जिम्मेदार हैं। पटाखे जलाना उनका विकल्प है, और फिर लोग शिकायत करते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही।”
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने की “आप” शासन से तुलना:
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि निर्माण गतिविधियों में 21% और नए वाहन पंजीकरण में 8% वृद्धि होने के बावजूद प्रदूषण का स्तर स्थिर है। सिरसा ने यह भी कहा कि दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है।
उदाहरण के तौर पर:
- 2020 (आप शासन में): AQI 462
- 2024: AQI 360
- 2025: AQI 351
अभूतपूर्व बाढ़ के कारण पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट:
उपग्रह से मिले आंकड़ों और CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में इस साल 1 से 12 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की सिर्फ 175 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी समय 779 मामले थे।
पर्यावरण संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स के विश्लेषण से पता चला है कि पराली जलाने के मामलों में लगभग 77.5% की कमी आई है। इसका मुख्य कारण हाल की बाढ़ है, जिससे खेतों में पानी भर गया और धान की कटाई में देरी हुई।
पराली जलाना रोकने के लिए कानून:
2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद किसानों को खेतों से पराली हटाने में दिक्कतें आने लगीं। केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम 2021 के तहत पराली जलाने पर सख्त नियम बनाए। इसके अनुसार:
- 2 एकड़ से कम जमीन पर पराली जलाने पर ₹5,000 जुर्माना,
- 2 से 5 एकड़ जमीन पर ₹10,000 जुर्माना,
- 5 एकड़ से अधिक जमीन पर ₹30,000 जुर्माना लगाया जाता है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता कब से सुधरेगी?
22 अक्टूबर को हवा की गति में कुछ समय के लिए सुधार हुआ, जिससे पटाखों से निकलने वाले धुएं को कम करने में मदद मिली, लेकिन तापमान गिरने के साथ ही यह फिर से कम होने लगी। दिल्ली में दिनभर घना कोहरा और धीमी हवा (लगभग 7 किमी/घंटा) के कारण प्रदूषण फैल नहीं पाया।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में हवा साफ होने के अनुकूल हालात नहीं बनेंगे। वही, केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली (EWS) के अनुसार, दिल्ली का AQI शनिवार तक ‘बेहद खराब’ रहेगा और उसके बाद अगले छह दिनों तक ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ के बीच उतार-चढ़ाव करता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी दिवाली पर पटाखा फोड़ने की अनुमति:
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 18 से 21 अक्टूबर 2025 तक दिल्ली-NCR में केवल क्यूआर कोड वाले ग्रीन पटाखे बेचे और फोड़े जा सकते हैं। ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक ही किया जा सकेगा।
पुलिस गश्ती दल बनाने और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, ई-कॉमर्स साइटों जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पूरी तरह बंद थी। बता दें कि 10 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने दिल्ली-NCR में हरित पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली-NCR में पटाखों पर 2017 से प्रतिबंध:
दिल्ली-NCR में पटाखों पर 2017 से प्रतिबंध है। शुरुआत में केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति थी, लेकिन 2018 में पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया, जो 2024 तक था। सरकारी और अदालत के आंकड़ों से पता चलता है कि हवा साफ नहीं हुई और लोग अक्सर नियम तोड़ते रहे। दिसंबर 2024 में दिल्ली सरकार ने 2025 तक सभी पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने को कहा था।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM):
CAQM एक सरकारी संस्था है, जिसे 2021 के NCR वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम के तहत बनाया गया है। इसका काम NCR और आसपास के राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों का समन्वय और कार्यान्वयन करना है।
आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होना अनिवार्य है, जिसे पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में कम से कम 15 साल का अनुभव या प्रशासनिक क्षेत्र में 25 साल का अनुभव होना चाहिए। CAQM सीधे संसद को जवाबदेह है और NCR में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए सर्वोच्च संस्था के रूप में कार्य करता है।
वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है?
वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में ऐसे पदार्थ होना जो इंसानों, जानवरों या पर्यावरण के लिए हानिकारक हों। ये प्रदूषक गैसें (जैसे ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड) या छोटे कण (जैसे धूल, कालिख) हो सकते हैं।
बाहरी वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं:
- बिजली और परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन का जलना
- जंगल की आग और ज्वालामुखी विस्फोट
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ और अपशिष्ट प्रबंधन
- कृषि और विध्वंस गतिविधियाँ
अंदरूनी वायु प्रदूषण अक्सर घर में खाना पकाने या गर्म करने के लिए लकड़ी या कृषि अपशिष्ट जलाने से होता है। कुछ प्रदूषण ग्रीनहाउस गैसें भी छोड़ता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।
वायु प्रदूषण के नुकसान:
- हर साल 70-80 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं।
- यह स्ट्रोक, हृदय रोग, अस्थमा, COPD और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है।
- ओज़ोन परत में ह्रास से फसलों को नुकसान पहुँचाता है और अम्लीय वर्षा से जंगल प्रभावित होते हैं।
- विश्व बैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण की वजह से हर साल विश्व अर्थव्यवस्था को 8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है।
निष्कर्ष:
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या एक बार फिर गंभीर रूप ले चुकी है। दिवाली के बाद बढ़े प्रदूषण स्तर और धीमी हवाओं ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। हालांकि, सरकार और संबंधित एजेंसियाँ GRAP जैसे उपायों के माध्यम से प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन स्थायी समाधान तभी संभव है जब प्रशासनिक कदमों के साथ नागरिक भी जिम्मेदारी निभाएँ। स्वच्छ हवा केवल सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि समाज के सामूहिक प्रयासों से ही सुनिश्चित की जा सकती है।