सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी घने धुंध की चादर में लिपटी रही और हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि मंगलवार को प्रदूषण स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच गया है। सुबह 8 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 310 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह 400 के पार चला गया। लगातार बढ़ते प्रदूषण ने लोगों की सेहत पर खतरे की घंटी बजा दी है।
3 नवंबर को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI):
3 नवंबर को दिल्ली की हवा फिर ज़हरीली रही। हल्की ठंड के मौसम के बीच शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 324 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर 300 से 400 के बीच रहा। वजीरपुर (389), बुराड़ी क्रॉसिंग (384), आनंद विहार (371), अशोक विहार (367) और आया नगर (365) सबसे ज्यादा प्रदूषित रहे। इसके अलावा मथुरा रोड (345), चांदनी चौक (354), द्वारका सेक्टर-8 (344) और JLN स्टेडियम (331) भी गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों में रहे। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इतना प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक है।
AQI में इस गिरावट का मुख्य कारण:
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट का मुख्य कारण हवा की धीमी रफ्तार और प्रदूषकों का जमा होना है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के असर से हवा की गति कम हो गई है, जिससे धूल और धुआं ऊपर नहीं जा पा रहा और वातावरण में ठहराव बन गया है। इसी कारण हवा ज़्यादा प्रदूषित हो रही है। प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) के अनुसार, मंगलवार तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रह सकती है और बुधवार से हल्का सुधार संभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि 4 और 5 नवंबर को फिर से धुंध बढ़ सकती है, क्योंकि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने का सिलसिला जारी है और हवा की गति अब भी धीमी बनी हुई है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या है?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक ऐसा पैमाना है, जिससे यह पता चलता है कि किसी इलाके की हवा कितनी साफ या प्रदूषित है। यह हमें बताता है कि हवा में मौजूद प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर कितना असर डाल सकता है। 2014 में शुरू किया गया यह सिस्टम “एक संख्या – एक रंग – एक विवरण” के रूप में बनाया गया था, ताकि लोग आसानी से समझ सकें कि उनके आसपास की हवा कैसी है। इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने तैयार किया है।
AQI आठ मुख्य प्रदूषकों पर आधारित होता है:
- पीएम10 (PM10)
- पीएम5 (PM2.5)
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- ओजोन (O₃)
- अमोनिया (NH₃)
- सीसा (Pb)
AQI का वर्गीकरण:
AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक को छह श्रेणियों में बाँटा गया है। हर श्रेणी को एक अलग रंग और अर्थ दिया गया है, ताकि लोग आसानी से समझ सकें कि हवा कितनी प्रदूषित है। जितनी ऊँची संख्या और गहरा रंग होगा, उतनी ही ज़्यादा हवा में ज़हर होगा और स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ेगा:
- 0 से 50: हरा- हवा अच्छी है।
- 51 से 100: पीला- हवा संतोषजनक है।
- 101 से 200: नारंगी- हवा मध्यम प्रदूषित है।
- 201 से 300: लाल- हवा खराब है।
- 301 से 400: बैंगनी- हवा बहुत खराब है।
- 401 से 500: मैरून- हवा गंभीर रूप से प्रदूषित है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ दल पर साधा निशाना:
उन्होंने कहा, “हर साल दिल्ली की हवा ज़्यादा ज़हरीली होती जा रही है, लेकिन भाजपा सरकारें सिर्फ़ बहाने बनाती रहती हैं। अब जब केंद्र और दिल्ली, दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो जिम्मेदारी से बचने का कोई बहाना नहीं हो सकता। लोगों को साफ हवा चाहिए, सिर्फ़ वादे नहीं।”
सत्तारूढ़ दल के नेता ने कांग्रेस और आप को ठहराया जिम्मेदार:
सत्तारूढ़ दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की मौजूदा स्थिति 15 साल की कांग्रेस सरकार और 10 साल की आप सरकार की नीतियों का नतीजा है। सिरसा ने दावा किया कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान इस साल अब तक की सबसे स्वच्छ हवा दर्ज की गई है।
दिवाली पर दिल्ली में केवल 9 AQI पोस्ट कार्यरत:
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि दिवाली के दिन दिल्ली के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से केवल 9 ही काम कर रहे थे, जबकि शहर चारों ओर से पटाखों, धूल, वाहनों के धुएं और पराली जलाने से बने ज़हरीले धुएं से घिरा हुआ था।
अदालत की न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने सवाल उठाया कि जब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के पास सही आंकड़े ही नहीं हैं, तो वह दिल्ली की हवा सुधारने के लिए प्रभावी कदम कैसे उठा सकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर स्थिति है, क्योंकि अगर निगरानी स्टेशन काम नहीं करेंगे, तो यह भी पता नहीं चल पाएगा कि GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) कब लागू किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से माँगा जवाब:
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और धुंध के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे वायु प्रदूषण पर तुरंत नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाएँ। अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से कहा है कि वह एक हलफनामा दाखिल करे, जिसमें अब तक किए गए उपायों के आंकड़े और आगे की कार्ययोजना का पूरा विवरण हो। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि सिर्फ सलाहें देना या परामर्श जारी करना काफी नहीं है, बल्कि हर साल सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण संकट से निपटने के लिए जमीन पर वास्तविक कार्रवाई करनी होगी।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) क्या है?
CAQM एक सरकारी संस्था है, जिसे 2021 के NCR वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम के तहत बनाया गया है। इसका काम NCR और आसपास के राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों का समन्वय और कार्यान्वयन करना है।
आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होना अनिवार्य है, जिसे पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में कम से कम 15 साल का अनुभव या प्रशासनिक क्षेत्र में 25 साल का अनुभव होना चाहिए। CAQM सीधे संसद को जवाबदेह है और NCR में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए सर्वोच्च संस्था के रूप में कार्य करता है।
दिल्ली में आने वाले दिनों के मौसम का हाल:
दिल्ली में आने वाले पांच दिनों तक मौसम तो साफ रहने की उम्मीद है लेकिन हवा की गुणवत्ता खराब हो सकती है। सुबह और रात के समय धुंध या हल्का कोहरा छाया रह सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दिन का तापमान 28 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 16 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। शाम के समय हवा की रफ्तार धीमी रहने से प्रदूषण के कण नीचे ही फंस सकते हैं, जिससे दिन में हवा की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है?
वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में ऐसे पदार्थ होना जो इंसानों, जानवरों या पर्यावरण के लिए हानिकारक हों। ये प्रदूषक गैसें (जैसे ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड) या छोटे कण (जैसे धूल, कालिख) हो सकते हैं।
वायु प्रदूषण के नुकसान:
- हर साल 70-80 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं।
- यह स्ट्रोक, हृदय रोग, अस्थमा, COPD और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है।
- ओज़ोन परत में ह्रास से फसलों को नुकसान पहुँचाता है और अम्लीय वर्षा से जंगल प्रभावित होते हैं।
- विश्व बैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण की वजह से हर साल विश्व अर्थव्यवस्था को 8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है।
निष्कर्ष:
दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता यह साफ संकेत देती है कि प्रदूषण अब सिर्फ़ पर्यावरण नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का गंभीर संकट बन चुका है। सरकार और प्रशासन को तुरंत ठोस एवं दीर्घकालिक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों को स्वच्छ और सुरक्षित हवा मिल सके। जब तक सामूहिक प्रयास नहीं किए जाते — चाहे वह सरकार, उद्योग या आम जनता की ओर से हों — तब तक दिल्ली की हवा में यह ज़हर यूँ ही घुलता रहेगा।
