दिल्ली में सख्त हुए नियम: BS-3 के कॉमर्शियल वाहनों की एंट्री रुकी, दूसरे राज्यों के वाहनों पर पड़ेगा असर..

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने सख्त कदम उठाया है। 1 नवंबर 2025 से BS-III या उससे नीचे के उत्सर्जन मानकों वाले सभी गैर-दिल्ली पंजीकृत वाणिज्यिक माल वाहनों का राजधानी में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह फैसला दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए लिया गया है। वाणिज्यिक मालवाहक वाहनों पर यह प्रतिबंध ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के अलग-अलग चरणों के दौरान उतनी ही अवधि तक लागू रहेगा, जब तक वह विशेष चरण प्रभावी रहता है।

Delhi Entry of BS-3 commercial vehicles halted

CAQM के निर्देशों के मुताबिक,

1 नवंबर से दिल्ली के बाहर पंजीकृत ऐसे सभी वाणिज्यिक माल वाहनों को राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी जो BS-VI मानकों पर खरे नहीं उतरते। BS-VI मानक वाले वाहन कम प्रदूषण फैलाते हैं।

CAQM ने 17 अक्टूबर की बैठक में लिया यह फैसला:

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 17 अक्टूबर को हुई बैठक में फैसला किया कि 1 नवंबर से दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले वाणिज्यिक मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई जाएगी। यह कदम अक्टूबर के अंत में शुरू होने वाले प्रदूषण के मौसम में हवा की गुणवत्ता सुधारने और सड़क परिवहन, निर्माण धूल व बायोमास जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

 

इसका असर किन वाहनों पर पड़ेगा?

इस फैसले का असर दिल्ली के बाहर के लाखों ट्रक, टेम्पो और लॉजिस्टिक्स ऑपरेटरों पर पड़ेगा। BS-III मानक वाले वाहन अब दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। जिनका मुख्य रूट दिल्ली था, उन्हें अब NCR के अन्य रास्तों से आना होगा या अपने वाहन BS-VI मानक में अपग्रेड करने होंगे।

 

किन वाहनों के प्रवेश को अनुमति?

  • दिल्ली में पंजीकृत वाणिज्यिक माल वाहन।
  • BS-VI मानक वाले पेट्रोल या डीजल वाणिज्यिक माल वाहन।
  • BS-IV मानक वाले पेट्रोल या डीजल वाहन, लेकिन केवल 31 अक्टूबर 2026 तक।
  • CNG या LNG से चलने वाले वाणिज्यिक माल वाहन।
  • इलेक्ट्रिक वाणिज्यिक माल वाहन।

 

BS मानदंड क्या है?

BS (भारत स्टेज) मानदंड ऐसे नियम हैं जो वाहनों से निकलने वाले धुएं और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं। ये मानदंड यूरोप में लागू “यूरो” उत्सर्जन नियमों पर आधारित हैं। फिलहाल पूरे देश में सबसे सख्त मानक, यानी भारत स्टेज-6 (BS-VI), लागू है।

 

भारत में BS मानदंडों का इतिहास:

  • पहली बार 1991 में पेट्रोल इंजन वाले वाहनों और 1992 में डीजल इंजन वाले वाहनों के लिए उत्सर्जन नियम लागू किए गए। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी वाहन जून 2000 तक “भारत 2000” मानकों का पालन करें। इसके बाद से भारत ने यूरोप के उत्सर्जन मानकों की तर्ज पर भारत स्टेज (BS) मानदंड अपनाए।
  • 2002 में डॉ. रामाशेलकर समिति ने यूरो मानदंडों के आधार पर भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक रोडमैप सुझाया, जिस पर सरकार ने 2003 में राष्ट्रीय ऑटो ईंधन नीति बनाई।
  • 2014 में सौमित्र चौधरी समिति ने सुझाव दिया कि देश में BS-IV को 2017 तक, BS-V को 2019 तक और BS-VI को 2024 तक लागू किया जाए।
  • बाद में 2016 में सरकार ने फैसला किया कि BS-V को छोड़कर सीधे BS-VI मानक 2020 से पूरे देश में लागू किए जाएंगे।

 

भारत स्टेज (BS) मानदंडों की समय-सीमा:

  1. भारत 2000 (यूरो–1): वर्ष 2000 में लागू हुआ। भारत ने पहली बार यूरो मानकों के अनुसार नए उत्सर्जन नियम अपनाए।
  2. BS-II (यूरो–2): 2001 से 2005 के बीच लागू हुआ। पहले तीन महानगरों में लागू किया गया, बाद में पूरे देश में बढ़ाया गया।
  3. BS-III (यूरो–3): 2005 से 2010 तक लागू हुआ। शुरू में 13 शहरों में लागू हुआ और बाद में पूरे देश में।
  4. BS-IV (यूरो–4): 2010 से 2017 तक लागू रहा। इस चरण में वाहनों के ईंधन में सल्फर की मात्रा घटाने पर ध्यान दिया गया।
  5. BS-V (यूरो–5): लागू नहीं हुआ। सरकार ने प्रदूषण पर तेजी से नियंत्रण पाने के लिए इसे छोड़कर सीधे अगले चरण पर जाने का फैसला किया।
  6. BS-VI (यूरो–6): 2018 में NCR में शुरू हुआ और 2020 से पूरे देश में लागू है। यह अब तक का सबसे सख्त उत्सर्जन मानक है, जिससे प्रदूषण में काफी कमी आई है।

 

BS-IV और BS-VI मानदंडों में अंतर:

  • सल्फर की मात्रा: BS-IV में 50 ppm, जबकि BS-VI में सिर्फ 10 ppm सल्फर होता है।
  • कणिकीय पदार्थ: BS-IV में 120 माइक्रोग्राम, BS-VI में 20–40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड: BS-VI में डीजल वाहनों से 70% और पेट्रोल से 25% कम उत्सर्जन।
  • नई तकनीकें: BS-VI में SCR तकनीक और ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक (OBD) सिस्टम जोड़े गए।
  • रियल ड्राइविंग एमिशन (RDE): BS-VI में पहली बार वास्तविक सड़क पर उत्सर्जन जांच की सुविधा दी गई।

 

भारत में उत्सर्जन नियंत्रण की प्रमुख पहलें:

  • 1974: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की स्थापना।
  • 1981: वायु (प्रदूषण निवारण) अधिनियम लागू।
  • 1986: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित।
  • 1991-1992: पहले वाहन उत्सर्जन मानदंड लागू।
  • 2000-2017: BS-I से BS-IV तक मानक लागू।
  • 2010: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना।
  • 2020: पूरे देश में BS-VI मानक लागू(BS-V को छोड़कर)।
  • 2021: भारत ने COP26 में 2070 तक “शुद्ध-शून्य उत्सर्जन” का लक्ष्य तय किया।
  • 2022-2023: कार्बन बाजार ढांचा और RDE मानक शुरू।

 

वायु प्रदूषण से क्या तात्पर्य है?

वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में ऐसे पदार्थ होना जो इंसानों, जानवरों या पर्यावरण के लिए हानिकारक हों। ये प्रदूषक गैसें (जैसे ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड) या छोटे कण (जैसे धूल, कालिख) हो सकते हैं।

 

वायु प्रदूषण के नुकसान:

  • हर साल 70-80 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं।
  • यह स्ट्रोक, हृदय रोग, अस्थमा, COPD और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है।
  • ओज़ोन परत में ह्रास से फसलों को नुकसान पहुँचाता है और अम्लीय वर्षा से जंगल प्रभावित होते हैं।
  • विश्व बैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण की वजह से हर साल विश्व अर्थव्यवस्था को 8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है।

 

दिल्ली में प्रदूषण की वर्त्तमान स्थिति:

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार सुबह 8 बजे तक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 268 रहा, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। पिछले दिन इसी समय AQI 352 था, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में था।

कई इलाकों में मामूली सुधार देखा गया जैसे; आनंद विहार में 282, आया नगर में 237, द्वारका सेक्टर-8 में 288, IGI एयरपोर्ट पर 211 और पंजाबी बाग में 293 AQI दर्ज किया गया। कुल मिलाकर, दिल्ली की हवा अब भी “खराब” श्रेणी में बनी हुई है।

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के बारे में:

CAQM एक सरकारी संस्था है, जिसे 2021 के NCR वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम के तहत बनाया गया है। इसका काम NCR और आसपास के राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों का समन्वय और कार्यान्वयन करना है।

आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होना अनिवार्य है, जिसे पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में कम से कम 15 साल का अनुभव या प्रशासनिक क्षेत्र में 25 साल का अनुभव होना चाहिए। CAQM सीधे संसद को जवाबदेह है और NCR में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए सर्वोच्च संस्था के रूप में कार्य करता है।

 

निष्कर्ष:

दिल्ली-NCR में प्रदूषण नियंत्रण के लिए CAQM का यह कदम एक अहम पहल है। इससे राजधानी की वायु गुणवत्ता सुधारने और स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यदि इसे सख्ती से लागू किया गया, तो आने वाले समय में प्रदूषण स्तर में स्पष्ट कमी देखी जा सकेगी।

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