रक्षा विभाग ने ई-कचरा निपटान पर विशेष अभियान 5.0 के कार्यान्वयन चरण की शुरुआत की, मुख्य उद्देश्य ई-कचरा और पुरानी आईटी उपकरणों को नष्ट कर ‘वेस्ट से वेल्थ’ बनाना

स्वच्छ भारत अभियान के तहत रक्षा विभाग (DoD) ने 2 से 31 अक्टूबर 2025 तक चलने वाले “स्पेशल कैंपेन 5.0” के कार्यान्वयन चरण की शुरुआत की है। इस वर्ष का विशेष थीम ‘ई-वेस्ट निपटान’ है, जिसके तहत पुराने आईटी उपकरणों को नष्ट करने और ‘वेस्ट से वेल्थ’ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

तैयारी चरण के दौरान विभाग ने लंबित मामलों की पहचान की, जिनमें सांसद संदर्भ, सार्वजनिक शिकायतें, अंतर-मंत्रालयी परामर्श, संसदीय आश्वासन और राज्य सरकारों के संदर्भ शामिल हैं।

Department of Defence commences implementation phase of Special Drive 5.0 on e-waste disposal

देशभर के रक्षा संगठनों में स्वच्छ और अव्यवस्था-मुक्त कार्यस्थल पर जोर:

स्वच्छता अभियान के लिए देशभर में विभिन्न कार्यालयों और संगठनों को चुना गया है, जिनमें कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट्स, बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय, एनसीसी, भारतीय तटरक्षक बल, सैनिक स्कूल सोसाइटी, कैंटोनमेंट्स, कैन्टीन स्टोर्स विभाग और कई पर्वतारोहण संस्थान शामिल हैं। इस अभियान का उद्देश्य कार्यस्थलों को स्वच्छ और अव्यवस्था-मुक्त बनाकर उत्पादकता में वृद्धि करना है।

 

खान मंत्रालय का विशेष अभियान 5.0:

  1. प्रारंभिक समीक्षा चरण:

खान मंत्रालय ने 15 से 30 सितंबर 2025 तक विशेष अभियान 5.0 के समीक्षा चरण के तहत व्यापक गतिविधियाँ संचालित कीं। इस दौरान मंत्रालय और इसके अधीनस्थ संगठनों ने सांसदों, राज्य सरकारों, जन शिकायतों, पीएमओ के संदर्भों, संसदीय आश्वासनों और अन्य लंबित मामलों की पहचान की।

इसके अलावा, स्वच्छता, डिजिटलीकरण और अभिलेखों की छंटाई पर भी गहन समीक्षा की गई। इस चरण में 292 स्थलों की पहचान की गई और 18,873 भौतिक फाइलों तथा 12,202 ई-फाइलों की जांच की गई। कर्मचारियों के लिए अभिलेख प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।

 

  1. मुख्य क्रियान्वयन चरण:

इसके बाद, 2 से 31 अक्टूबर 2025 तक मुख्य क्रियान्वयन चरण शुरू हुआ, जिसमें स्वच्छता अभियान का वास्तविक संचालन किया जा रहा है। इस चरण में ई-कचरा संग्रहण और प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है। जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम अनुसंधान विकास एवं डिजाइन केंद्र (जेएनएआरडीडीसी), नागपुर के सहयोग से ई-कचरा बूथ लगाए जा रहे हैं और घर-घर से कचरा एकत्र करने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। नई दिल्ली के शास्त्री भवन में भी 2 से 31 अक्टूबर तक ई-कचरा बूथ कार्यान्वित है।

विशेष अभियान 5.0: उद्देश्य और प्रमुख क्षेत्र:

भारत सरकार ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य कार्यालयों में स्वच्छता बढ़ाना और लंबित मामलों का निपटान करना है।

मुख्य उद्देश्य:

  • स्वच्छता: सरकारी कार्यालयों में कार्यस्थलों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित बनाना।
  • ई-कचरा प्रबंधन: पर्यावरण नियमों के अनुरूप ई-कचरे का सुरक्षित निपटान करना, जिसमें घरेलू और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं।
  • लंबित मामले: शिकायतें, आरटीआई आवेदन और अन्य लंबित संदर्भों का त्वरित निपटान।
  • दक्षता और पारदर्शिता: अभिलेखों की समीक्षा, डिजिटलीकरण और छंटाई के माध्यम से सरकारी कार्यों में अधिक पारदर्शिता और उत्पादकता सुनिश्चित करना।

यह अभियान सरकारी कार्यालयों में न केवल साफ-सफाई बल्कि कार्य प्रणाली को भी अधिक प्रभावी बनाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।

 

ई-कचरा निपटान से हुई 3300 करोड़ की आय:

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि विशेष स्वच्छता अभियानों के दौरान ई-कचरे और कबाड़ के निपटान से लगभग 3,300 करोड़ रुपये की आय हुई है।

मुख्य उपलब्धियां:

  • फाइलों का निपटान: 137.86 लाख से अधिक पुरानी फाइलें बंद या हटाई गईं।
  • स्वच्छता स्थलों की पहचान: देशभर में 12.04 लाख स्थानों की पहचान कर सफाई की गई।
  • कार्यालय क्षेत्र की सफाई: 696.27 लाख वर्ग फुट से अधिक कार्यालय स्थान साफ किया गया।
  • आर्थिक लाभ: ई-कचरे और कबाड़ के निपटान से 3,296.71 करोड़ रुपये की आय अर्जित की गई।

यह अभियान न केवल स्वच्छता बढ़ाने बल्कि सरकारी कार्यस्थलों की दक्षता और संसाधनों के उपयोग में सुधार लाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

 

ई-कचरा (E-Waste) और उसका प्रबंधन

ई-कचरा क्या है?

ई-कचरा, या इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, उन विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कहते हैं जिनका उपयोग खत्म हो गया है और जिन्हें फेंक दिया गया है, दान किया गया है या रीसाइक्लिंग के लिए भेजा गया है।

उदाहरण:

  • व्यक्तिगत उपकरण: मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, टैबलेट, ई-सिगरेट।
  • घर के उपकरण: टेलीविजन, माइक्रोवेव, एयर कंडीशनर, फ्रीजर, खिलौने।
  • अन्य: कॉपियर, फैक्स मशीन, डीवीडी प्लेयर।

 

ई-कचरा क्यों समस्या है?

  • हानिकारक पदार्थ: सीसा, पारा, कैडमियम और ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स जैसे विषैले पदार्थ स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • पर्यावरण प्रदूषण: अनुचित निपटान से मिट्टी और जल प्रदूषित होता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
  • कम रीसाइक्लिंग दर: वैश्विक स्तर पर केवल थोड़े हिस्से का पुनर्चक्रण होता है।

ई-कचरे के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जोखिम:

  • स्वास्थ्य: मस्तिष्क, किडनी और प्रजनन तंत्र पर असर; दीर्घकालिक रोग।
  • पर्यावरण: हवा, मिट्टी और जल प्रदूषण; ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन; पारिस्थितिकी को नुकसान।
  • आर्थिक नुकसान: सोना, चांदी, तांबा जैसे मूल्यवान संसाधनों की बर्बादी।

 

भारत में आम ई-कचरा निपटान के तरीके:

  1. लैंडफिलिंग: खोदी गई खाई में ई-कचरा दबाना। लेकिन इससे खतरा भी है जैसे- जहरीले पदार्थ मिट्टी और जल में मिल सकते हैं।
  2. इंसिनरेशन (दहन): उच्च तापमान पर ई-कचरा जलाना।
  3. रीसाइक्लिंग: ई-कचरा अलग करके मूल्यवान धातुएँ और प्लास्टिक पुनःप्राप्त करना, विषैले घटकों का सुरक्षित निपटान।
    • उदाहरण: प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, मोबाइल फोन, तार आदि का रीसाइक्लिंग।

ई-कचरा (प्रबंधन) नियम क्या है?

  1. ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022:
  • एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (EPR): उत्पादकों को पंजीकृत रीसाइक्लर्स के माध्यम से वार्षिक रीसाइक्लिंग लक्ष्यों को पूरा करना अनिवार्य है।
    • EPR प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्पादकों ने रीसाइक्लिंग प्रक्रिया की जिम्मेदारी निभाई।
  • उत्पादों का विस्तार: वित्त वर्ष 2023-24 से 106 इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (EEE) शामिल किए गए (पहले 21 थे)।
  • बुलक कंज्यूमर का समावेश: सार्वजनिक संस्थान और कार्यालय पंजीकृत रीसाइक्लर्स/रिफर्बिशर्स के माध्यम से ई-कचरे का निपटान करेंगे।
  • रीसाइक्लर्स और रिफर्बिशर्स की जिम्मेदारी: ई-कचरा संग्रहण और प्रक्रिया का प्रबंधन करना।
  1. ई-कचरा (प्रबंधन) द्वितीय संशोधन नियम, 2023: नियम 5 के तहत धारा 4 जोड़ी गई, जो रेफ्रिजरेशन और एयर-कंडीशनिंग निर्माण में सुरक्षित, जिम्मेदार और टिकाऊ रेफ्रिजरेंट प्रबंधन सुनिश्चित करती है।
  2. ई-कचरा (प्रबंधन) संशोधन नियम, 2024:
  • केंद्रीय सरकार EPR प्रमाणपत्रों के व्यापार के लिए प्लेटफॉर्म स्थापित कर सकती है, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के दिशानिर्देशों के अनुसार।
  • CPCB EPR प्रमाणपत्रों की कीमत सीमा निर्धारित करेगा: अधिकतम 100% और न्यूनतम 30% पर्यावरणीय दंड के अनुपालन पर।

 

निष्कर्ष:

विशेष अभियान 5.0 और ई-कचरा प्रबंधन की पहलें भारत में स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इस अभियान के तहत सरकारी कार्यालयों में लंबित मामलों का निपटान, कार्यस्थलों की स्वच्छता, और ई-कचरे का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया गया। ई-कचरे के उचित प्रबंधन से न केवल पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम कम होते हैं, बल्कि कीमती संसाधनों जैसे सोना, तांबा और प्लास्टिक का पुनः उपयोग भी संभव होता है।

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