डिजिटल कंज्यूमर सेफ्टी: 26 बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने ज़ीरो डार्क पैटर्न घोषित किया; केंद्र ने नियमों के पालन की तारीफ़ की

देश की 26 प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म से डार्क पैटर्न्स हटा दिए हैं और वे अब ग्राहकों को किसी भी तरह की छिपी हुई तकनीकों से गुमराह नहीं करतीं। लेकिन एक नई स्वतंत्र स्टडी इस दावे को चुनौती देती है।

26 major e-commerce companies declare zero dark patterns

सिटिजन एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्स द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि 26 में से सिर्फ 5 कंपनियां ही वास्तव में डार्क पैटर्न-फ्री हैं, जबकि अन्य 21 कंपनियों पर अब भी हिडन चार्जेस लगाने या मजबूरन विकल्प थोपने जैसी तकनीकों के इस्तेमाल के सबूत मिले हैं।

CCPA को सेल्फ-डिक्लेरेशन देने वाली कंपनियां ‘फ्री’ नहीं निकलीं

20 नवंबर को उपभोक्ता मामलों के विभाग ने घोषणा की थी कि फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, जोमैटो, स्विगी, जियोमार्ट और बिग बास्केट जैसी 26 कंपनियों ने आंतरिक या थर्ड-पार्टी ऑडिट के बाद सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) को सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर सौंप दिए हैं।

 

इन कंपनियों ने दावा किया था कि उनके प्लेटफॉर्म पर अब कोई डार्क पैटर्न नहीं है और उन्होंने अपने ऐप व वेबसाइट पर इस डिक्लेरेशन को सार्वजनिक भी किया था।

 

सरकार ने इसे डिजिटल उपभोक्ता सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बताया था और उम्मीद जताई थी कि इससे अन्य कंपनियां भी सेल्फ-रेगुलेशन अपनाने के लिए प्रेरित होंगी।

 

लेकिन लोकल सर्किल्स की रिपोर्ट तस्वीर को बिल्कुल उलट कर देती है।

 

लोकल सर्किल्स की जांच-90% प्लेटफॉर्म पर अब भी डार्क पैटर्न्स

लोकल सर्किल्स के फाउंडर सचिन तपड़िया ने बताया कि उनकी टीम ने इन सभी 26 प्लेटफॉर्म्स की जांच की।

 

उनके अनुसार:

  • सिर्फ 5 कंपनियां-मीशो, इज़ माई ट्रिप, जेप्टो और बिग बास्केट-पूरी तरह डार्क पैटर्न-फ्री पाई गईं।
  • बाकी 21 कंपनियों पर अब भी ‘हिडन चार्जेस’, ‘जबरन ऐड-ऑन सर्विस’, ‘फोर्स्ड एक्शन’ और दूसरे कई पैटर्न सक्रिय मिले।

 

उन्होंने कहा कि

“अधिकतर कंपनियों ने केवल ड्रिप प्राइसिंग को हटाया है और इसी आधार पर खुद को डार्क पैटर्न-फ्री मान लिया है। जबकि अन्य 13 में से कई पैटर्न अब भी इस्तेमाल हो रहे हैं।”

 

उदाहरण के तौर पर कुछ साइट्स पर देखा गया कि किसी उत्पाद को खरीदने पर बिना पूछे दूसरी सेवा जोड़ दी जाती है, जिससे बिल बढ़ जाता है-यह फोर्स्ड ऐक्शन और हिडन कॉस्ट का मामला है।

 

26 कंपनियां जिन्होंने स्वयं को डार्क पैटर्न-फ्री घोषित किया

सीसीपीए को दिए गए डिक्लेरेशन में जिन कंपनियों ने खुद को डार्क पैटर्न-फ्री बताया, उनमें शामिल हैं:

जेप्टो, जोमैटो, स्विगी, जियोमार्ट, बिग बास्केट, फार्म ईजी, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, वॉलमार्ट इंडिया, मेक माई ट्रिप, ब्लिंकिट, क्लियरट्रिप, नेटमेड्स, टाटा 1mg, मीशो, इक्सिगो, हैमलीज, रिलायंस ज्वेल्स, रिलायंस डिजिटल, अजियो, तिरा ब्यूटी, ड्यूरोफ्लेक्स, कुराडेन इंडिया आदि।

 

हालाँकि इनमें से अधिकांश कंपनियाँ स्टडी में फेल हो गईं।

 

सरकार ने जून 2025 में कंपनियों को 3 महीने का समय दिया था

जून 2025 में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सलाह जारी की थी कि वे:

  • 3 महीने के भीतर सेल्फ-ऑडिट करें,
  • डार्क पैटर्न्स हटाएँ,
  • और CCPA को घोषणा पत्र जमा करें।

इसी दौरान नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (NCH) ने सोशल मीडिया कैंपेन, वीडियो और वर्कशॉप्स के जरिए उपभोक्ताओं को डार्क पैटर्न्स पहचानने की ट्रेनिंग दी।

 

सरकार ने चेतावनी दी थी कि यदि कोई कंपनी डेडलाइन मिस करती है या गलत दावा करती है, तो नियामकीय कार्रवाई की जा सकती है।

 

डार्क पैटर्न-फ्री प्लेटफॉर्म होने से उपभोक्ताओं को क्या फायदा?

सरकार के अनुसार, यदि कंपनियाँ ईमानदारी से डार्क पैटर्न्स हटाएँगी, तो उपभोक्ताओं को ये लाभ मिलेंगे-

  1. पेमेंट पेज पर हिडन चार्ज नहीं लगेंगे।
  2. सब्सक्रिप्शन रोकना या कैंसल करना आसान होगा।
  3. फेक अर्जेंसी और काउंटडाउन से गुमराह नहीं किया जाएगा।
  4. स्पष्ट प्राइसिंग और पारदर्शी विकल्प मिलेंगे।
  5. ऑनलाइन शॉपिंग अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगी।

 

डार्क पैटर्न्स क्या होते हैं?

डार्क पैटर्न वे ट्रिक्स हैं जिनका इस्तेमाल ऐप्स और वेबसाइट्स उपभोक्ताओं के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए करते हैं। उदाहरण:

  • False Urgency – “जल्दी खरीदो! स्टॉक खत्म होने वाला है”
  • Basket Sneaking – आपकी कार्ट में चुपके से आइटम जोड़ देना
  • Forced Action – बिना सर्विस लिए आगे बढ़ने न देना
  • Subscription Trap – सब्सक्रिप्शन कैंसल करने का जटिल रास्ता
  • Drip Pricing – अंतिम चरण में छिपे हुए चार्ज जोड़ना

2023 की गाइडलाइंस ने 13 ऐसे पैटर्न्स को प्रतिबंधित किया है और उन्हें उपभोक्ता धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा है।

 

निष्कर्ष:

हालाँकि 26 कंपनियों ने खुद को डार्क पैटर्न-फ्री घोषित किया था, लेकिन लोकल सर्किल्स की रिपोर्ट यह साफ करती है कि अधिकांश कंपनियाँ अभी भी उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं।

 

सरकार के लिए अगला कदम ये हो सकता है कि वह स्वैच्छिक घोषणाओं के बजाय अनिवार्य अनुपालन और कठोर दंड प्रणाली लागू करे, ताकि डिजिटल मार्केट में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।