भारत-चीन के बीच जल्द शुरू होंगी सीधी उड़ानें, सरकार ने एयरलाइंस को दिए संचालन के निर्देश

कोविड-19 महामारी और सीमा विवाद के कारण 2020 में बंद हुई भारत–चीन सीधी उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू करने की बातचीत अपने अंतिम चरण में है। दोनों देशों के अधिकारी इस पर गंभीरता से चर्चा कर रहे हैं।

भारत सरकार ने एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइनों को चीन के लिए तुरंत उड़ानें शुरू करने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में चीन के थियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने की संभावना रखते हैं। यह सम्मेलन 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित होगा।

 

भारत–चीन डायरेक्ट फ्लाइट्स 2020 में बंद हुईं-

कोविड-19 महामारी और पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण 2020 में भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया था। 15 जून 2020 को चीन ने गलवान घाटी और ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों को जमा किया और कई जगह घुसपैठ की घटनाएं हुईं।

इस दौरान गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए और भारत ने जवाबी कार्रवाई में 40 चीनी सैनिकों को मारा था। इन घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में गंभीर तनाव पैदा हुआ और हवाई संपर्क निलंबित रखा गया।

 

भारत–चीन के बीच हर महीने चलती थीं सैकड़ों फ्लाइट्स, अब फिर शुरू होने की तैयारी-

कोरोना महामारी से पहले भारत और चीन के बीच हर महीने 539 सीधी उड़ानें संचालित होती थीं, जिनकी कुल सीट क्षमता 1.25 लाख से अधिक थी।  एयर ट्रैफिक डेटा के अनुसार, जनवरी-अक्टूबर 2024 के बीच भारत–चीन यात्रा करने वाले लोगों की संख्या 4.6 लाख रही, जबकि 2019 के समान अवधि में यह आंकड़ा 10 लाख था। इस दौरान वाया हॉन्गकॉन्ग 1.73 लाख, वाया सिंगापुर 98 हजार, वाया थाईलैंड 93 हजार और वाया बांग्लादेश 30 हजार यात्रियों ने यात्रा की।

 

भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में कदम-

पिछले साल रूस के कजान में G20 समिट के दौरान मोदी और जिनपिंग की मुलाकात से दोनों देशों के रिश्तों में सकारात्मकता देखी गई। 

अक्टूबर 2024 में डेमचोक और डेपसांग जैसे विवादित इलाकों से सेना की वापसी के बाद से रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार आने लगा है। भारत ने हाल ही में चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा जारी करना भी शुरू कर दिया है, जो एक बड़ा सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

 

चीन ने भारतीय नागरिकों को 85,000 से ज्यादा वीजा जारी किए :

भारत में चीनी दूतावास के अनुसार, 1 जनवरी से 9 अप्रैल 2025 के बीच भारतीय नागरिकों को 85,000 से अधिक वीज़ा जारी किए गए हैं। इसे दोनों देशों के बीच बेहतर होते संबंधों और आपसी नागरिक और पेशेवर जुड़ाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

चीनी दूतावास ने बताया कि 2024 की शुरुआत से भारत में वीज़ा प्रक्रिया को सक्रिय रूप से सुविधाजनक बनाया गया है, जिससे भारतीय नागरिक पर्यटन, व्यवसाय, अध्ययन, काम और पारिवारिक यात्राओं के लिए चीन जा रहे हैं।

5 साल बाद भारत ने चीनी पर्यटकों को फिर से वीज़ा जारी करना शुरू किया:

भारत ने 24 जुलाई 2025 से चीनी पर्यटकों को वीज़ा जारी करना फिर से शुरू किया है, जो पिछले 5 साल में पहली बार किया गया कदम है। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई है।

 

अमेरिका से तनाव के बीच भारत-चीन रिश्तों में नरमी:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और चीन पर एकतरफा टैरिफ लगाए जाने के बाद दोनों देशों ने इसका संयुक्त रूप से विरोध किया था। जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाया, जिससे भारत–अमेरिका संबंधों में तनाव देखा गया। सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली और बीजिंग चार बॉर्डर ट्रांसिट पॉइंट के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार को फिर से शुरू करने की दिशा में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री मोदी SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन जाएंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर 2025 को चीन का दौरा करेंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह मोदी की 2020 में गलवान घाटी में हुई भारत–चीन सैन्य झड़प के बाद चीन की पहली यात्रा होगी।

प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले 2018 में चीन गए थे। यह उनके प्रधानमंत्री काल का छठा चीन दौरा होगा, जो पिछले 70 वर्षों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की सबसे अधिक चीन यात्राओं का रिकॉर्ड है।

इससे पहले, मोदी 30 अगस्त को जापान जाएंगे और वहां भारत–जापान शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

 

निष्कर्ष-

भारत और चीन के बीच संबंधों में हाल के महीनों में सुधार के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। वीज़ा जारी करने में बढ़ोतरी, उड़ान सेवाओं की पुनः शुरूआत और द्विपक्षीय व्यापार के पुनरुद्धार से दोनों देशों के बीच नागरिक, पेशेवर और आर्थिक जुड़ाव मजबूत हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन दौरा, गलवान झड़प के बाद भारत–चीन संबंधों की संवेदनशीलता को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच बातचीत और सहयोग के लिए अवसर मौजूद हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा दे सकते हैं।