मध्यप्रदेश में दिवाली पर ‘कार्बाइड गन’ से  300 बच्चों की आंखें प्रभावित, चिंगारी ने जलाया कॉर्निया, जाने क्या है कार्बाइड गन-

मध्य प्रदेश में हाल ही में दिवाली उत्सव के दौरान बच्चों को गंभीर नेत्र चोटें लगी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 100 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से 30 की हालत गंभीर बताई गई है। यह सभी बच्चे निर्मित “कार्बाइड बंदूकों” के साथ खेलते समय घायल हुए।

राज्य में कुल 300 से अधिक लोग, मुख्य रूप से बच्चे और युवा, विभिन्न चोटों के शिकार हुए हैं। अधिकारियों ने खतरनाक घरेलू उपकरणों के इस्तेमाल पर चिंता जताई है और माता-पिता व समुदाय से सुरक्षित उत्सव मनाने की अपील की है ताकि आगे और हादसे न हों।

Diwali in Madhya Pradesh 300 children were affected by a carbide gun

कार्बाइड गन से सबसे अधिक चोटें भोपाल, विदिशा, ग्वालियर और इंदौर में:

जिलेवार आंकड़ों के अनुसार भोपाल, विदिशा, ग्वालियर और इंदौर में कार्बाइड गन से सबसे ज्यादा चोटें दर्ज की गईं। प्रमुख अस्पतालों जैसे AIIMS भोपाल, हमीदिया, BMCHRC, कमला नेहरू, सेवा सदन, JP और जया आरोग्य हॉस्पिटल में दर्जनों मरीजों का इलाज किया गया, जिनमें कॉर्नियल बर्न, उड़ते टुकड़ों से चोटें और आंशिक या पूर्ण दृष्टि हानि शामिल हैं।

डॉक्टरों और अधिकारियों ने माता-पिता से अपील की है कि वे बच्चों को ऐसे असुरक्षित उपकरणों के उपयोग से रोकें और सुरक्षित दिवाली समारोह सुनिश्चित करें।

 

कार्बाइड बंदूकें:

कार्बाइड बंदूकें आमतौर पर घर पर बनी प्लास्टिक/टिन पाइप से तैयार की जाने वाली उपकरण हैं जिनमें कैल्शियम कार्बाइड और पानी मिलाकर रासायनिक प्रतिक्रिया कराई जाती है; इससे निकलने वाली एसिटिलीन गैस जलने पर तेज विस्फोट पैदा करती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये देखते में खिलौने जैसी लगने के बावजूद बेहद खतरनाक हैं- विस्फोट से तेज गर्मी, हानिकारक गैसें और पाइप के टूटकर उड़ने वाले छोटे-छोटे टुकड़े शार्टशेल की तरह कार्य करते हैं, जो आंखों, चेहरे और त्वचा को गंभीर चोट पहुँचा सकते हैं।

 

कार्बाइड/पाइप‑गन के तेज़ चिंगारे और गर्मी से कॉर्निया जलना:

कार्बाइड या पाइप‑गन की तेज़ चिंगारी और अत्यधिक गर्मी सीधे कॉर्निया (आंख की पारदर्शी सतह) को जला देती है, जिससे आंख के संवेदनशील ऊतकों में घाव, तीव्र जलन और सूजन होती है। विस्फोट के दौरान उड़ने वाले प्लास्टिक के टुकड़े या जलते कण आंख में घुसकर भौतिक चोट, घाव और संक्रमण का कारण बनते हैं।

इन कारतूसों में मौजूद रासायनिक मिश्रण- जैसे सल्फर और पोटाश जलने पर ऊतकों में और अधिक जलन तथा क्षति पैदा करते हैं। परिणामस्वरूप गंभीर कॉर्निया बर्न, स्कारिंग और दीर्घकालिक संक्रमण हो सकते हैं, जिनसे दृष्टि स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। गंभीर मामलों में मरीजों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

इन बंदूकों में कभी-कभी कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीली और बारूद का मिश्रण मिलता है और इन्हें ऑनलाइन “पीवीसी मंकी रिपेलर गन” जैसे नामों से भी बेचा जा रहा है। परेशानी तब और बढ़ जाती है जब विस्फोट न हो- बच्चे बैरल में झांकते हैं और एक क्षण की चूक से इतनी शक्तिशाली धमाका हो सकता है कि रेटिना फट जाए और तत्काल अंधापन भी हो सकता है।

 

मध्य प्रदेश पुलिस ने कार्बाइड गन पर सख्त कार्रवाई शुरू की, कई गिरफ्तार और जब्त:

मध्य प्रदेश पुलिस ने राज्यभर में निरीक्षण और जब्ती अभियान शुरू किया है। भोपाल में 228 प्लास्टिक कार्बाइड गन और 102 पैकेट कैल्शियम कार्बाइड जब्त किए गए, जबकि दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया। स्थानीय निवासी मोहम्मद ताहा के खिलाफ इन हथियारों की बिक्री के मामले में FIR दर्ज की गई।

ग्वालियर पुलिस ने एक युवा को गिरफ्तार किया और उसे विस्फोटक अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज किया। अधिकारियों ने आदेश जारी किए हैं कि सभी पटाखा की दुकानों और सड़क किनारे के स्टालों का निरीक्षण किया जाए। जो भी व्यक्ति कार्बाइड गन बेचते या स्टोर करते पाए गए, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

कार्बाइड गन से घायल बच्चों के परिजन अधिकारियों पर नाराज़:

घायल बच्चों के परिवारों ने कार्बाइड गन की बिक्री रोकने में प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। 14 वर्षीय हेमंत पंथी और 15 वर्षीय अरिस के माता-पिता, जो हमीदिया अस्पताल में इलाजरत हैं, का कहना है कि प्रशासन इन खतरनाक उपकरणों की बिक्री रोकने में विफल रहा। उन्होंने निर्माताओं और विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और साथ ही चिकित्सा खर्चों के लिए मुआवजा देने की अपील भी की है।

 

सोशल मीडिया ने बढ़ाई कार्बाइड गन की दीवानगी:

जांच में सामने आया है कि कार्बाइड गन क्रेज़” सोशल मीडिया के जरिए फैल रहा था। वायरल Instagram Reels और YouTube Shorts में इन विस्फोटों को दिवाली स्टंट के रूप में ग्लैमराइज किया गया। वीडियो में उपयोगकर्ताओं ने प्लास्टिक पाइप, माचिस की तीलियों और कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल कर DIY संस्करण दिखाए, जिन्हें अक्सर “PVC मंकी रिपेलर गन” के नाम से प्रचारित किया गया।

हालांकि अधिकारियों ने 18 अक्टूबर को इनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया, फिर भी विदिशा और भोपाल के उपनगरों के व्यापारी इन्हें खुलेआम स्टॉक करते रहे। भोपाल पुलिस अधिकारी ने माना, “प्रतिबंध देर से आया। चेतावनी भेजने तक, सैकड़ों यूनिट्स पहले ही घरों में मौजूद थीं।”

 

मध्य प्रदेश सरकार का सख्त रुख:

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 18 अक्टूबर को अधिकारियों को कार्बाइड गन की बिक्री रोकने का निर्देश दिया था, लेकिन दिवाली के दौरान ये उपकरण बाजारों में उपलब्ध थे। चोटों के बाद सरकार ने राज्यभर में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में भर्ती बच्चों की स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी व्यक्ति इन उपकरणों का निर्माण या बिक्री अवैध रूप से करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

कई जिलों में भारतीय सिविल डिफेंस कोड, 2023 की धारा 163 के तहत निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी गई है। सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे पटाखा दुकानों का व्यक्तिगत निरीक्षण करें और नियमों का पालन सुनिश्चित करें।

 

कार्बाइड गन से चोट के बाद लक्षण:

विशेषज्ञों के अनुसार कार्बाइड गन के विस्फोट से आंख पर चोट लगने के तुरंत बाद ये लक्षण दिखाई देते हैं:

  • आंखों में तेज दर्द और जलन
  • अत्यधिक आंसू आना
  • रोशनी सहन न होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • आंख पर काले या सफेद धब्बे
  • आंख से खून आना

चोट लगने पर आंख को रब (मल) न करें। इसके बजाय आंखों को साफ पानी से धीरे-धीरे 10–20 मिनट तक धोना चाहिए। यदि किसी रसायन का संपर्क हुआ हो, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ/डॉक्टर से संपर्क करें। यह प्राथमिक बचाव गंभीर चोट और स्थायी नुकसान को रोकने में मदद करता है।

latest posts