इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द होने के बाद ट्रस्टों के जरिए मिला चंदा: भाजपा को ₹959 करोड़ तो कांग्रेस को ₹517 करोड़, अन्य पार्टियों को कितना मिला?

साल 2024-25 की राजनीतिक फंडिंग के ताज़ा आंकड़े दिखाते हैं कि इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रिपोर्ट बताती है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की तुलना में भाजपा को कहीं अधिक धन प्राप्त हुआ। इलेक्टोरल बॉन्ड के रद्द हो जाने के बाद भी ट्रस्टों के जरिए मिला यह बड़ा फंड देश की चुनावी फंडिंग प्रणाली और उसकी पारदर्शिता पर नई बहस खड़ा करता है।

Donations received through trusts after the cancellation of electoral bonds

इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या हैं?

इलेक्टोरल ट्रस्ट 2013 में बनाई गई गैर-लाभकारी संस्थाएं हैं, जो दानदाताओं से पैसा इकट्ठा कर उसे राजनीतिक दलों को देती हैं। ये ट्रस्ट कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत विनियमित होते हैं । इस अधिनियम की धारा 25 (जो अब नए कंपनी अधिनियम, 2013 में धारा 8 है ) किसी भी कंपनी को इस योजना के तहत चुनावी ट्रस्ट स्थापित करने की अनुमति देती है।

  • दान देने वाले: भारतीय नागरिक, भारत में पंजीकृत कंपनियां, फर्म, HUF या भारत में रहने वाले व्यक्ति। दान के समय PAN (निवासी) या पासपोर्ट नंबर (NRI) देना जरूरी है।
  • दान वितरण: ट्रस्ट को एक साल में प्राप्त धन का कम से कम 95% पंजीकृत राजनीतिक दलों को देना होता है।
  • पंजीकरण: हर तीन साल में अपने पंजीकरण और संचालन को नवीनीकृत करना आवश्यक है।

 

साल 2024-25 में भाजपा को कितना मिला?

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध इलेक्टोरल ट्रस्टों की 2024-25 की रिपोर्टों से साफ होता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द किए जाने के बाद भी भाजपा को बड़ी रकम मिली है। यानि कुल लगभग 959 करोड़ रुपये मिले।

 

भाजपा को अलग–अलग इलेक्टोरल ट्रस्टों से मिले पैसे इस प्रकार हैं:

  • प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) से: 6 करोड़ रुपये
  • न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से: 150 करोड़ रुपये
  • हार्मनी ट्रस्ट से: 1 करोड़ रुपये
  • ट्रायम्फ ट्रस्ट से: 21 करोड़ रुपये
  • जन कल्याण ट्रस्ट से: 5 लाख रुपये
  • इग्निटिंग ट्रस्ट से: 75 लाख रुपये

 

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को:

  • प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 724 करोड़ रुपये,
  • और इलेक्टोरल बॉन्ड से 1,685 करोड़ रुपये मिले थे।

 

कांग्रेस को कितना मिला?

कांग्रेस ने अपनी 2024-25 की रिपोर्ट में बताया है कि उसे 20,000 रुपये से अधिक के कुल दान में 517.37 करोड़ रुपये मिले। यह बात ध्यान खींचती है कि 2024-25 में कांग्रेस को मिला कुल योगदान 517 करोड़ रुपये, पिछले साल 2023-24 में इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले 828 करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम है। लेकिन यह रकम 2022-23 के गैर-चुनावी साल में बॉन्ड से मिली 171 करोड़ रुपये की आय से काफी ज्यादा है। यानी बॉन्ड खत्म होने के बाद कांग्रेस की फंडिंग घटी जरूर है, लेकिन फिर भी वह सामान्य (गैर-चुनावी) साल की तुलना में काफी मजबूत बनी रही।

2024-25 की रिपोर्ट में कांग्रेस को कुल 313 करोड़ रुपये से ज्यादा सिर्फ इलेक्टोरल ट्रस्टों के जरिए मिले, जो साल 2024-25 में उसके कुल दान का बड़ा हिस्सा है।

 

इलेक्टोरल ट्रस्टों से कांग्रेस को प्राप्त राशि:

  • प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से: 33 करोड़ रुपये
  • एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट से: 15 करोड़ रुपये
  • न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से: 5 करोड़ रुपये
  • जन कल्याण ट्रस्ट से: 5 लाख रुपये

 

अन्य राजनितिक दलों को कितना मिला?

  1. तृणमूल कांग्रेस (TMC):
  • कुल प्राप्ति: 5 करोड़ रुपये
  • ट्रस्टों से: 5 करोड़ रुपये
  • पिछले साल (2023-24) बॉन्ड से मिली राशि: 612 करोड़ रुपये
  1. बीजेडी (BJD):
  • 2024-25 में कुल चंदा: 60 करोड़ रुपये
  • ट्रस्टों से: 35 करोड़ रुपये
  • 2023-24 में बॉन्ड से मिली राशि: 5 करोड़ रुपये
  1. बीआरएस (BRS):
  • 2024-25 में ट्रस्टों से: 15 करोड़ रुपये
  • 2023-24 में बॉन्ड से: 495 करोड़ रुपये
  • 2023-24 में ट्रस्टों से: 85 करोड़ रुपये
  1. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और बहुजन समाज पार्टी ने घोषणा की कि उन्हें 20,000 रुपये से अधिक का कोई योगदान नहीं मिला है।

 

टाटा समूह के PET से भाजपा को ज्यादा चंदा:

साल 2024-25 में टाटा समूह द्वारा नियंत्रित प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) के माध्यम से कुल 915 करोड़ रुपये राजनीतिक चंदे के रूप में प्राप्त हुए। इसमें से लगभग 83% राशि भाजपा को गई, जबकि कांग्रेस को मात्र 8.4% मिला। PET टाटा समूह की कंपनियों से चंदा इकट्ठा करता है और लोकसभा चुनाव वाले साल में इसे राजनीतिक दलों में वितरित करता है। उदाहरण के लिए, 2018-19 में PET ने कुल 454 करोड़ रुपये तीन बड़े दलों को दिए थे:

  • भाजपा: 356 करोड़ रुपये (75%)
  • कांग्रेस: 6 करोड़ रुपये
  • तृणमूल कांग्रेस: 43 करोड़ रुपये

इसके अलावा PET ने तृणमूल, YSR कांग्रेस, शिवसेना, बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति, JDU, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और एलजेपी-रामविलास को भी 10 करोड़ रुपये का चंदा दिया।

 

PET को दान देने वाली प्रमुख टाटा कंपनियां:

  • टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड: 308 करोड़ रुपये
  • TCS: 217.6 करोड़ रुपये
  • टाटा स्टील: 173 करोड़ रुपये
  • टाटा मोटर्स: 4 करोड़ रुपये
  • टाटा पावर: 5 करोड़ रुपये
  • टाटा कम्युनिकेशंस: 8 करोड़ रुपये
  • टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, टाटा एलेक्सी लिमिटेड, टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स: प्रत्येक 7 करोड़ रुपये

 

अन्य ट्रस्टों ने कितना दिया ?

साल 2024-25 में अन्य ट्रस्टों के माध्यम से भी भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा मिला। महिंद्रा समूह द्वारा समर्थित न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट ने अपने 160 करोड़ रुपये के कुल चंदे में से 150 करोड़ रुपये भाजपा को दिए, जबकि कांग्रेस और शिवसेना-यूबीटी को 5-5 करोड़ रुपये मिले।

ट्रायम्फ ट्रस्ट, जिसे सीजी पावर ने 20 करोड़ रुपये दिए थे, ने भाजपा को 21 करोड़ और तेलुगु देशम पार्टी को 4 करोड़ रुपये दिए। हार्मनी ट्रस्ट ने भाजपा को 30.1 करोड़, शिवसेना-यूबीटी को 3 करोड़ और एनसीपी-शरद पवार को 2 करोड़ रुपये दिए। जन प्रगति ट्रस्ट ने शिवसेना को 1 करोड़ रुपये दान दिया।

 

निष्कर्ष:

साल 2024-25 के राजनीतिक फंडिंग के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड रद्द होने के बावजूद ट्रस्टों के जरिए भाजपा और अन्य दलों तक पहुंचा यह बड़ा चंदा न केवल देश की चुनावी फंडिंग व्यवस्था में सामर्थ्य और असमानता को उजागर करता है, बल्कि इसकी पारदर्शिता और निगरानी के महत्व पर भी नई बहस को जन्म देता है।