DRDO की बड़ी उपलब्धि: ‘अस्त्र’ मिसाइल का परीक्षण सफल, आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

भारतीय वायुसेना (IAF) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 11 जुलाई 2025 को ओडिशा के चांदीपुर में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। स्वदेशी रूप से विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर से लैस अस्त्र बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) का सफल परीक्षण किया गया। यह मिसाइल सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से दागी गई और इसने अलग-अलग दूरी पर स्थित दो तेज़ गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों को सटीकता से मार गिराया। इस परीक्षण ने न केवल स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं को प्रमाणित किया है, बल्कि भारतीय वायुसेना की युद्धक तैयारियों को भी नई शक्ति प्रदान की है।

आइए जानते है, अस्त्र मिसाइल प्रणाली के बारे में:

  • अस्त्र मिसाइल एक स्वदेशी रूप से विकसित बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) प्रणाली है, जिसे भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है। यह मिसाइल अत्यधिक गति से उड़ रहे सुपरसोनिक टारगेट्स को निशाना बनाने में सक्षम है और इसका उपयोग शॉर्ट-रेंज सामरिक अभियानों में किया जाता है। सामरिक मिसाइलों का प्रयोग युद्ध क्षेत्र में दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट करने के लिए किया जाता है।

    अस्त्र मिसाइल हर मौसम में, दिन-रात की स्थितियों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकती है। इसमें ठोस रॉकेट मोटर तकनीक का उपयोग किया गया है जो इसे तेज़ गति और स्थिरता प्रदान करता है। इसकी मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक है, और यह अत्याधुनिक गाइडेंस व नेविगेशन सिस्टम से सुसज्जित है।

    मिसाइल के विकास:

    इस मिसाइल के विकास में DRDO की कई प्रयोगशालाओं के साथ-साथ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और 50 से अधिक सार्वजनिक व निजी कंपनियों ने सहयोग किया है। अस्त्र प्रणाली भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं का एक मजबूत उदाहरण है, जो भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त देने में सहायक होगी।

     

    अस्त्र के और भी एडवांस्ड वर्जन विकसित हो रहे हैं-

    DRDO ने अस्त्र मिसाइल का विकास यहीं नहीं रोका है। अब इसके और भी वर्जन – अस्त्र एमके-2 और अस्त्र एमके-3 – पर काम चल रहा है। अस्त्र एमके-3 को अब एक नया नाम ‘गांडीव’ दिया गया है, जो महाभारत के वीर अर्जुन के धनुष का नाम है। यह मिसाइल भारत की सबसे आधुनिक और लंबी दूरी तक मार करने वाली स्वदेशी मिसाइल बन जाएगी।

    गांडीव की मारक क्षमता मेटियोर और PL-15 से ज्यादा

    फिलहाल भारतीय वायु सेना के राफेल जेट विमान फ्रांस की मेटियोर मिसाइल (200 किमी रेंज) से लैस हैं। लेकिन DRDO द्वारा विकसित गांडीव की रेंज और मारक क्षमता मेटियोर से अधिक मानी जा रही है। इसे सुखोई-30 MKI और तेजस लड़ाकू विमानों में तैनात किया जाएगा। यह चीन की सबसे शक्तिशाली मिसाइल PL-15 को भी पीछे छोड़ सकती है, जिससे भारत की हवाई ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।

     

    अस्त्र मिसाइल का रणनीतिक महत्व-

    आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी सफलता: यह मिसाइल भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को मज़बूत करती है और विदेशी हथियारों की निर्भरता को कम करती है।

    विदेशी मिसाइलों पर निर्भरता खत्म: अब भारत को मेटियोर या AMRAAM जैसी विदेशी मिसाइलों के लिए विदेशी मुद्रा खर्च नहीं करनी पड़ेगी।

    भारतीय वायु सेना को बल मिलेगा: यह मिसाइल युद्ध की स्थिति में LAC (चीन सीमा) और LOC (पाक सीमा) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में IAF की एयर सुपीरियॉरिटी को कई गुना बढ़ा देगी।

     

    रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (Radio Frequency Seeker) क्या है?

    परिभाषा:Radio Frequency (RF) Seeker एक ऐसा उपकरण या प्रणाली होती है जो किसी टारगेट (लक्ष्य) से निकलने वाले रेडियो सिग्नलों (जैसे रडार, संचार उपकरण आदि) का पता लगाकर उसकी दिशा और स्थिति निर्धारित करती है।

     

    यह कैसे काम करता है?

    1. लक्ष्य (Target)जैसे रडार स्टेशन या किसी एयरक्राफ्ट से रेडियो तरंगें (Radio waves) निकलती हैं।
    2. RF सीकरइन तरंगों को पकड़ता है और यह निर्धारित करता है कि ये सिग्नल किस दिशा से आ रहे हैं।
    3. यह जानकारी गाइडेंस सिस्टम को भेजी जाती है, जिससे मिसाइल या अन्य हथियार टारगेट की ओर सटीकता से जा सके।

     

    स्वदेशी रक्षा निर्माण: आत्मनिर्भर भारत की ताकत

    भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में जो आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति की है, वह ऐतिहासिक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश का स्वदेशी रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 2014-15 की तुलना में 174% की वृद्धि को दर्शाता है। यह उपलब्धि न केवल ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि भारत अब आयातित हथियारों पर निर्भर नहीं रहना चाहता।

    धनुष गन, अर्जुन टैंक, तेजस विमान, आकाश मिसाइल और एडवांस्ड रडार सिस्टम जैसे कई अत्याधुनिक सैन्य प्लेटफॉर्म अब देश में ही बनाए जा रहे हैं। नौसेना के लिए स्वदेशी विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां और युद्धपोतों का निर्माण, भारत की समुद्री शक्ति को नई ऊंचाई दे रहा है।

    निष्कर्ष:

    ‘अस्त्र’ मिसाइल प्रणाली केवल एक रक्षा उपकरण नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है। इसके निर्माण और सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब विश्वस्तरीय तकनीकों को खुद विकसित करने और उन्हें युद्ध क्षेत्र में उतारने की क्षमता रखता है। यह मिसाइल न सिर्फ भारत की वायुसेना को तकनीकी बढ़त देती है, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत देश को रक्षा आयात पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

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