एशिया कप 2025 की तैयारियों के बीच भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को स्पॉन्सरशिप के मोर्चे पर एक बड़ा झटका लगा है। फैंटेसी स्पोर्ट्स क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ड्रीम11 ने बोर्ड को सूचित किया है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम की आधिकारिक प्रायोजक (sponsor) के रूप में अपनी साझेदारी आगे नहीं बढ़ाएगी। कंपनी का यह निर्णय सीधे तौर पर संसद द्वारा हाल ही में पारित प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 से जुड़ा है। इस बिल के तहत भारत में रियल मनी गेमिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है, जिसके चलते ड्रीम11 का मुख्य व्यवसाय प्रभावित हुआ है। स्पॉन्सरशिप समझौते से पीछे हटने का यह कदम न केवल भारतीय क्रिकेट के लिए वित्तीय झटका है, बल्कि यह ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर नए कानूनों के व्यापक असर को भी दर्शाता है।
2023 में मिला था, 358 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट
एशिया कप 2025 से ठीक पहले भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को स्पॉन्सरशिप के क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है। फैंटेसी स्पोर्ट्स कंपनी ड्रीम11, जिसने जुलाई 2023 में बीसीसीआई के साथ 358 करोड़ रुपये का करार किया था, ने भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर करने का फैसला वापस लिया है । इस डील के तहत ड्रीम11 को भारतीय पुरुष, महिला, अंडर-19 और इंडिया-ए टीमों की किट स्पॉन्सरशिप का अधिकार मिला था और कंपनी ने उस समय बायजूस को रिप्लेस किया था। हालांकि, संसद द्वारा हाल ही में पारित प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 के बाद कंपनी का मुख्य व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसी कारण ड्रीम11 ने यह अनुबंध समाप्त कर दिया है।
क्या है ऑनलाइन गेमिंग बिल, जिसके चलते ड्रीम11 को तोड़ना पड़ा बड़ा कॉन्ट्रैक्ट?
हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा से “प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025” पारित किया गया। इस विधेयक के तहत रियल-मनी आधारित ऑनलाइन गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया गया। सरकार का कहना है कि इस बिल का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग को व्यवस्थित करना और पैसों पर आधारित गेम्स को खत्म कर युवाओं को आर्थिक एवं मानसिक संकट से बचाना है।
रियल मनी गेम्स वे हैं जिनमें सीधे पैसों का इस्तेमाल होता है और जीत-हार का निपटान नकद में किया जाता है। भारत में यह उद्योग लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, लेकिन इन खेलों से युवा वर्ग पर गंभीर नकारात्मक असर पड़ा है। कई मामलों में आर्थिक नुकसान और तनाव आत्महत्या जैसी घटनाओं तक का कारण बना है।
बिल की खास बातें:
- ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन मनी गेम्स पर सख्त रोक होगी।
- अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर तीन साल की जेल या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
- विज्ञापन करने वालों को दो साल की जेल या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना।
- वित्तीय संस्थाओं पर भी कठोर कार्रवाई, संपत्ति जब्ती और गैर-जमानती सजा का प्रावधान।
- स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण गठित किया जाएगा जो गेमिंग गतिविधियों की निगरानी करेगा।
सरकार का मानना है कि ऐसे खेल न केवल युवाओं की मानसिक और सामाजिक सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते हैं। इसलिए रियल मनी गेम्स पर नियंत्रण समाज और देश दोनों के हित में जरूरी है।

ड्रीम11 को बड़ा झटका:
ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर नए कानून के प्रभाव साफ दिखने लगे हैं। ड्रीम11, जिसकी कुल कमाई का 67% हिस्सा रियल मनी गेमिंग से आता था, अब अपने इस कोर बिजनेस को बंद करने को मजबूर हो गई है। कंपनी की मुख्य आय फैंटेसी क्रिकेट जैसे गेम्स से होती थी, जहां यूजर्स वास्तविक पैसे लगाकर अपनी टीमें बनाते थे और जीतने पर नकद पुरस्कार पाते थे।
रियल मनी गेमिंग से बढ़ता आर्थिक नुकसान
- सरकार के आंकड़ों के अनुसार, मनी-बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को गंभीर मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
- कई लोग गेमिंग की लत में अपनी जीवनभर की बचत तक गंवा बैठे हैं।
- कुछ मामलों में गेमिंग की वजह से आत्महत्या तक की घटनाएं सामने आई हैं।
- अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं।
- केवल मिडिल-क्लास परिवारों को ही लगभग 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
- भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी।
क्या ड्रीम11 को अनुबंध तोड़ने पर BCCI को देना पड़ेगा जुर्माना?
कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार, नए सरकारी कानूनों से मुख्य व्यवसाय पर असर पड़ने की स्थिति में कंपनी पर किसी तरह का जुर्माना लागू नहीं होगा। इसलिए बीसीसीआई को इस डील के टूटने से सीधी पेनल्टी नहीं मिलेगी, लेकिन टीम इंडिया के लिए नए स्पॉन्सर की तलाश अनिवार्य हो गई है। गौरतलब है कि 18 साल पहले शुरू हुई ड्रीम11 की मौजूदा वैल्यू लगभग 8 बिलियन डॉलर आंकी जाती है।
टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप को लेकर अनिश्चितता:
एशिया कप का आगाज 9 सितम्बर से होगा, ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बोर्ड इतने कम समय में टीम इंडिया की जर्सी के लिए प्रायोजक खोज पाने में सफल हो पाता है या नहीं। हालांकि, संभावना है कि सीमित समय में भी यह कार्य पूरा किया जा सकता है। वर्तमान में क्रिकेट जगत की निगाहें बीसीसीआई के निर्णय और कदमों पर टिकी हुई हैं।
बीसीसीआई के लिए जर्सी स्पॉन्सर की खोज में कुछ बड़े कॉरपोरेट समूह प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं।
- टाटा ग्रुप: पहले से ही IPL का टाइटल स्पॉन्सर है और भारतीय क्रिकेट से गहरा जुड़ाव रखता है।
- रिलायंस ग्रुप (जियो): स्पोर्ट्स स्पॉन्सरशिप और प्रसारण अधिकारों में सक्रिय भूमिका निभाता है।
- अडाणी ग्रुप: हाल के वर्षों में स्पोर्ट्स वेंचर्स में निवेश बढ़ाया है, जिससे यह एक मजबूत विकल्प बन सकता है।