रिलायंस धीरूभाई अंबानी ग्रुप के चेयरमैन और उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है। यह कार्रवाई ₹17,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड मामले को लेकर की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल अंबानी अब जांच अधिकारी की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते। यदि वह बिना इजाज़त देश से बाहर जाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें एयरपोर्ट या बंदरगाह पर हिरासत में लिया जा सकता है।
इससे पहले ED ने उन्हें समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। अनिल अंबानी से 5 अगस्त को पूछताछ की जाएगी। इस कार्रवाई से पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई और दिल्ली समेत 50 से अधिक कंपनियों और ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके दौरान 25 से ज्यादा लोगों से पूछताछ भी की गई।
यह पूरा मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 17 के तहत दर्ज किया गया है, और अनिल अंबानी को भेजा गया समन भी इसी सिलसिले में पूछताछ के लिए जारी किया गया है। मामला गंभीर आर्थिक अनियमितताओं और बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिस पर ED ने जांच तेज़ कर दी है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA): मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ भारत का सख्त कानून
धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) भारत में मनी लॉन्ड्रिंग यानी अवैध रूप से अर्जित धन को वैध दिखाने की प्रक्रिया को अपराध मानता है। यह अधिनियम 2002 में पारित हुआ और 2005 में लागू किया गया। इसका मूल उद्देश्य ऐसी गतिविधियों को रोकना और नियंत्रित करना है जिनमें अपराध से अर्जित आय को कानूनी वित्तीय प्रणाली में शामिल करने की कोशिश की जाती है।
PMLA न सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग को एक दंडनीय अपराध घोषित करता है, बल्कि यह ये भी सुनिश्चित करता है कि वित्तीय लेन-देन पारदर्शी और वैध हों, जिससे भारत की आर्थिक प्रणाली की अखंडता बनी रहे। इस कानून के अंतर्गत बैंकों, वित्तीय संस्थानों और इंटरमीडियरीज को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट देने की बाध्यता है।
PMLA की धारा 17: मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जांच एजेंसियों को व्यापक अधिकार प्रदान करने वाली PMLA की धारा 17 विशेष महत्व रखती है। इस धारा के अंतर्गत ED जैसी एजेंसियाँ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी किसी संपत्ति या आय को जब्त या फ्रीज कर सकती हैं। यह कार्रवाई तब की जाती है जब जांच में यह संदेह होता है कि संपत्ति किसी अपराध से अर्जित की गई है या मनी लॉन्ड्रिंग में प्रयुक्त हो रही है।
धारा 17 यह भी सुनिश्चित करती है कि इस तरह की कार्रवाई कुछ प्रक्रियात्मक नियमों और न्यायिक नियंत्रण के तहत हो, ताकि निर्दोष व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। इस तरह PMLA कानून न केवल अपराधियों को नियंत्रित करता है, बल्कि निष्पक्षता और न्याय की प्रक्रिया को भी बनाए रखता है।
अनिल अंबानी पर गंभीर आरोपों की जांच तेज़
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का एक अहम केंद्र बिंदु ₹3,000 करोड़ का वह लोन है, जो 2017 से 2019 के बीच Yes Bank द्वारा अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिया गया था। आरोप है कि इन लोन की मंजूरी से ठीक पहले संबंधित संस्थाओं के माध्यम से Yes Bank के प्रमोटरों को धनराशि ट्रांसफर की गई, जिसे ED “लोन के बदले घूस” के रूप में देख रही है। जांच में यह भी सामने आया है कि लोन स्वीकृति की प्रक्रिया में बैंक की मौजूदा क्रेडिट नीति की अनदेखी की गई, बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमो तैयार किए गए और उचित मूल्यांकन के बिना निवेश स्वीकृत किया गया।
SBI और अन्य बैंकों की रिपोर्ट और धोखाधड़ी के आरोप
भारत सरकार ने हाल ही में संसद में यह जानकारी दी है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) और अनिल अंबानी को “धोखाधड़ी” की श्रेणी में डाल दिया है। जल्द ही इस संबंध में सीबीआई में शिकायत दर्ज की जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, केनरा बैंक द्वारा दिए गए ₹1,050 करोड़ के लोन को लेकर RCom के साथ जुड़े धोखाधड़ी के एक अन्य मामले की भी ED जांच कर रही है। इन मामलों ने अनिल अंबानी समूह की वित्तीय पारदर्शिता और बैंकिंग प्रणाली में उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ED जांच में खुलासा: अनिल अंबानी समूह द्वारा योजनाबद्ध आर्थिक धोखाधड़ी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ongoing जांच में सामने आया है कि अनिल अंबानी समूह ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत बैंकों, निवेशकों और सार्वजनिक संस्थानों को गुमराह कर आर्थिक लाभ उठाया। रिपोर्ट में निम्नलिखित गंभीर गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है:
- बिना पर्याप्त वेरिफिकेशन कमजोर कंपनियों को भारी लोन
- कई कंपनियों में एक जैसे डायरेक्टर और पते
- दस्तावेजों की कमी और फर्जी कंपनियों में फंड ट्रांसफर
- पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए लोन (लोन एवरग्रीनिंग)
ED ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध बताते हुए समूह की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
कंपनियों का स्पष्टीकरण: मौजूदा कामकाज पर नहीं पड़ेगा असर
अनिल अंबानी से जुड़ी जांच पर प्रतिक्रिया देते हुए रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंजों को औपचारिक बयान जारी किया है। दोनों कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि अनिल अंबानी फिलहाल उनके बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं और ED की जांच का सीधा संबंध रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) जैसी पुरानी कंपनियों के वित्तीय लेनदेन से है।
उन्होंने यह भी कहा कि इन जांच कार्रवाइयों का रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के मौजूदा संचालन, प्रोजेक्ट्स या वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनियों ने निवेशकों और शेयरधारकों को भरोसा दिलाया है कि उनका संचालन पूरी पारदर्शिता और नियामकीय अनुपालन के तहत जारी रहेगा।