शिक्षा मंत्रालय अब देश के स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को पढ़ाई का हिस्सा बनाने जा रहा है। अगले शैक्षणिक सत्र 2026–27 से कक्षा 3 से आगे के सभी छात्रों के लिए AI को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बच्चों को भविष्य की तकनीक और बदलती डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करना है। इसके लिए मंत्रालय एक व्यापक AI एकीकरण रूपरेखा तैयार कर रहा है।
यह नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है, जिसमें AI और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती तकनीकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की वकालत की गई थी।
स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा,
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) सभी कक्षाओं में AI को शामिल करने की रूपरेखा तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती देश के एक करोड़ से ज्यादा शिक्षकों को AI से जुड़ी शिक्षा देने के लिए तैयार करना है। हमें तेज़ी से काम करना होगा ताकि अगले दो-तीन सालों में छात्र और शिक्षक दोनों इस तकनीक को अच्छी तरह समझ और इस्तेमाल कर सकें।
उन्होंने आगे बताया कि एक पायलट परियोजना पहले से चल रही है, जिसके तहत शिक्षक पाठ योजना बनाने में AI उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे। इसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों दोनों को डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करना है। वही, 2019 से अब तक 10,000 से ज्यादा शिक्षकों को इंटेल, IBM और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT) के सहयोग से AI प्रशिक्षण दिया गया है।

कक्षावार सुझाए गए शिक्षण कार्यक्रम:
- कक्षा 3-5: बच्चों को आसान भाषा में बताया जाएगा कि AI क्या है। वे पैटर्न और नियमों को पहचानना सीखेंगे, उपकरणों का सुरक्षित उपयोग समझेंगे, और मानव व मशीन के काम में फर्क पहचानेंगे। उन्हें सरल और त्वरित प्रतिक्रिया वाले कार्य दिए जाएंगे।
- कक्षा 6-8: इस स्तर पर छात्रों को डेटा की बुनियादी जानकारी, पूर्वाग्रह (bias) और निष्पक्षता के सिद्धांत सिखाए जाएंगे। वे उद्धरण के साथ सारांश बनाना, रचनात्मक लेखन करना और ब्लॉक-आधारित उपकरणों से एल्गोरिथमिक सोच विकसित करना सीखेंगे।
- कक्षा 9-10: छात्र AI मॉडल के मूल सिद्धांत, उनका मूल्यांकन और सीमाएँ समझेंगे। वे छोटे डेटा सेट्स पर काम करेंगे, त्वरित रणनीतियाँ अपनाएँगे, नैतिकता से जुड़े केस स्टडी पढ़ेंगे और विषय-आधारित परियोजनाएँ (जैसे इतिहास स्रोत जांच) करेंगे।
- कक्षा 11-12: वरिष्ठ छात्रों को AI के व्यावहारिक उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा जैसे: उद्धरणों के साथ शोध सहायता, बुनियादी डेटा विश्लेषण, कोडिंग में मदद और विषय-विशेष पोर्टफोलियो तैयार करना। साथ ही, वे नीति और AI नैतिकता पर प्रस्तुतियाँ भी देंगे।
नीति आयोग की रिपोर्ट ने कौशल उन्नयन पर दिया है जोर:
नीति आयोग की रिपोर्ट ने कहा है कि AI के दौर में कौशल उन्नयन (स्किल अपग्रेडेशन) बहुत जरूरी है। नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने चेतावनी दी कि अगर हमने समय रहते रणनीतिक बदलाव नहीं किए, तो भारत का 75 लाख का IT कार्यबल 2030 तक घटकर 60 लाख रह सकता है। उन्होंने कहा कि AI काम करने के तरीके, कर्मचारियों और कार्यस्थलों को बदल रहा है। करीब 20 लाख पारंपरिक नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं, लेकिन अगर सही माहौल बनाया गया तो 80 लाख नई नौकरियाँ पैदा हो सकती हैं।
रिपोर्ट में भारत को AI प्रतिभा का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए “भारत AI टैलेंट मिशन” शुरू करने का सुझाव दिया गया है। इसमें 2030 तक 1 करोड़ IT नौकरियों और 31 लाख ग्राहक सेवा (कस्टमर सर्विस) नौकरियों की संभावना जताई गई है, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, लॉजिस्टिक्स और रचनात्मक क्षेत्रों में नए अवसर मिलेंगे।
रिपोर्ट में भविष्य को लेकर क्या कहा गया?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य के लिए “भारत AI प्रतिभा मिशन” और “भारत AI मिशन” के बीच करीबी सहयोग जरूरी है। इसमें शिक्षा जगत, सरकार और उद्योग के बीच साझेदारी की बात कही गई है ताकि एक ऐसा माहौल बनाया जा सके, जहाँ कंप्यूटिंग सुविधाएँ और डेटा उपलब्ध हों और प्रशिक्षित लोग भविष्य के नवप्रवर्तक और शोधकर्ता बन सकें।
रिपोर्ट के अनुसार, AI अर्थव्यवस्था में भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करते हैं। अगर सरकार, उद्योग और शिक्षा मिलकर काम करें, तो भारत न केवल अपने कार्यबल को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि वैश्विक AI विकास में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
वर्तमान में AI पाठ्यक्रम में कितना शामिल?
वर्तमान में 18,000 से ज़्यादा CBSE स्कूल कक्षा 6 से आगे 15 घंटे के मॉड्यूल के माध्यम से AI को एक कौशल विषय के रूप में पढ़ाते हैं, जबकि कक्षा 9 से 12 तक इसे एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
बुनियादी साक्षरता की ओर बढ़ रहा AI:
AI मॉड्यूल में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस साल कक्षा 9-10 के करीब 7.9 लाख और कक्षा 11-12 के 50,000 से ज्यादा छात्रों ने AI को चुना है, जबकि शुरुआत में यह संख्या सिर्फ 15,000 और 2,000 थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे स्कूल और कॉलेज तकनीक-आधारित शिक्षा अपना रहे हैं, AI अब सिर्फ “चर्चा का विषय” नहीं रहा, बल्कि यह छात्रों की बुनियादी साक्षरता का हिस्सा बनता जा रहा है।
आइये जानते है कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) के बारे में:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मशीनों की वह क्षमता है जिससे वे वे काम कर सकती हैं जो आमतौर पर इंसानों की बुद्धिमत्ता से किए जाते हैं। यह मशीनों को अनुभव से सीखने, नई परिस्थितियों के अनुसार ढलने और समस्याओं को खुद हल करने में मदद करती है। AI डेटा, एल्गोरिदम और बड़े भाषा मॉडल का इस्तेमाल करके जानकारी का विश्लेषण करती है, पैटर्न पहचानती है और प्रतिक्रिया देती है। समय के साथ, ये मशीनें बेहतर और इंसानों की तरह सोचने, निर्णय लेने और बात-चीत करने में सक्षम होती जा रही हैं।
भारत में AI पारिस्थितिकी तंत्र:
भारत का प्रौद्योगिकी क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इस साल इसका वार्षिक राजस्व 280 अरब डॉलर पार कर सकता है। इसमें 60 लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं। देश में 1,800 से ज्यादा वैश्विक क्षमता केंद्र हैं, जिनमें 500 से ज्यादा AI पर केंद्रित हैं। लगभग 1.8 लाख स्टार्टअप में से पिछले साल शुरू हुए 89% नए स्टार्टअप ने AI का इस्तेमाल किया।
नैसकॉम AI इंडेक्स के अनुसार, 87% कंपनियां सक्रिय रूप से AI समाधान अपना रही हैं। AI का सबसे अधिक उपयोग औद्योगिक और ऑटोमोटिव, उपभोक्ता वस्तुएँ, खुदरा, बैंकिंग, वित्त, बीमा और स्वास्थ्य सेवा में हो रहा है, जो कुल AI मूल्य का लगभग 60% बनाते हैं। बीसीजी सर्वेक्षण के मुताबिक, 26% भारतीय कंपनियों ने बड़े पैमाने पर AI परिपक्वता हासिल कर ली है।
AI को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रयास:
इंडियाएAI मिशन: “भारत में AI का विकास और भारत के लिए उसका उपयोग करना” के उद्देश्य से, मंत्रिमंडल ने मार्च 2024 में इंडियाAI मिशन को मंज़ूरी दी। इसके लिए अगले पाँच सालों में ₹10,371.92 करोड़ का बजट रखा गया है। यह मिशन भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इंडियाAI मिशन के सात स्तंभ हैं:
- इंडियाAI कंप्यूट: उच्च-स्तरीय GPU किफायती दर (₹65/घंटा) पर उपलब्ध कराता है; अब 38,000 से ज्यादा GPU जुड़े हैं।
- एप्लिकेशन डेवलपमेंट पहल: भारत-विशिष्ट समस्याओं (स्वास्थ्य, कृषि, जलवायु, शासन, शिक्षा) के लिए AI एप्लिकेशन विकसित करता है; हैकथॉन के जरिए समाधान तैयार किए जाते हैं।
- AIKosh (डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म): बड़े डेटासेट और 243 AI मॉडल उपलब्ध कराता है; 20 क्षेत्रों में 3,000+ डेटासेट, 6,000 पंजीकृत उपयोगकर्ता और 13,000+ डाउनलोड।
- फाउंडेशन मॉडल: भारतीय डेटा और भाषाओं पर आधारित बड़े मल्टीमॉडल AI मॉडल बनाता है; चार स्टार्टअप पहले चरण में चयनित:
- सर्वम AI,
- सोकेट AI,
- ज्ञानी AI,
- गण AI।
- फ्यूचरस्किल्स: AI-कुशल पेशेवर तैयार करता है; पीएचडी फेलो, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को समर्थन, टियर 2 और 3 शहरों में लैब स्थापित।
- स्टार्टअप फाइनेंसिंग: AI स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद; ग्लोबल प्रोग्राम के तहत 10 स्टार्टअप्स को यूरोपीय बाजार में विस्तार में सहायता।
- सुरक्षित और विश्वसनीय AI: ज़िम्मेदार AI अपनाने के लिए मजबूत शासन; गोपनीयता, पूर्वाग्रह शमन, व्याख्यात्मकता और ऑडिटिंग पर केंद्रित परियोजनाएँ।
निष्कर्ष:
स्कूलों में AI को शामिल करना बच्चों को भविष्य की डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करेगा। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है जो छात्रों की तकनीकी साक्षरता व नवाचार क्षमता को बढ़ाएगा।