election commission: SIR से जुड़े सभी काम 30 सितंबर तक निपटाएं, चुनाव आयोग ने राज्यों को दिए निर्देश

चुनाव आयोग ने देशभर के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 30 सितंबर तक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि आयोग अक्तूबर-नवंबर से मतदाता सूची को अपडेट करने की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की शुरुआत कर सकता है।

 

सूत्रों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में हुई मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने 10 से 15 दिन के भीतर SIR लागू करने के लिए तैयार रहने को कहा था। अब स्पष्ट डेडलाइन तय करते हुए 30 सितंबर को अंतिम तारीख घोषित की गई है। सभी राज्यों को पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां तैयार रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।

Election Commission directs states to complete all SIR related work by September 30

पूरे देश में लागू होगा SIR:

 

चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद, पूरे देश में एसआईआर लागू किया जाएगा। असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं।

इस गहन संशोधन का मुख्य उद्देश्य जन्मस्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है।

 

पिछला SIR आधार बनेगा कट-ऑफ तिथि:

राज्यों में पिछला विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ही नई प्रक्रिया की कट-ऑफ तिथि के रूप में उपयोग होगा। उदाहरण के लिए, बिहार में 2003 की मतदाता सूची का इस्तेमाल आगामी गहन पुनरीक्षण के लिए किया जा रहा है। अधिकांश राज्यों में पिछला SIR 2002 और 2004 के बीच संपन्न हुआ था, और पिछले SIR के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मिलान लगभग पूरा हो चुका है।

विशेष ध्यान देने योग्य है कि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं, जिससे इन राज्यों में मतदाता सूची की तैयारी और गहन समीक्षा अहम हो जाएगी।

 

दिल्ली और उत्तराखंड में पिछली SIR: मतदाता सूचियां अब वेबसाइट पर उपलब्ध:

दिल्ली में आखिरी बार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2008 में हुआ था। कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने अपनी पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर पहले ही उपलब्ध करा दी हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची मौजूद है, जबकि उत्तराखंड में अंतिम SIR 2006 में संपन्न हुआ था और उस वर्ष की सूची अब राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर है।

 

क्या है SIR?

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत चुनाव आयोग मतदाता सूची को अपडेट और सुधारता है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि मतदाता सूची में केवल योग्य और वर्तमान निवासी ही शामिल हों। उदाहरण के तौर पर, कभी-कभी किसी व्यक्ति का निधन हो चुका होता है लेकिन उसका नाम मतदाता सूची में मौजूद रहता है, या कोई व्यक्ति 18 वर्ष का हो गया है लेकिन उसका नाम सूची में नहीं जुड़ा होता। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति उस क्षेत्र को छोड़ चुका है जहां चुनाव होने वाले हैं, तो उसका नाम भी सूची से हटाया जाता है। SIR के माध्यम से ऐसे मामलों को सही किया जाता है ताकि मतदाता सूची शुद्ध और अद्यतन बनी रहे।

 

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का कानूनी आधार:

  • अनुच्छेद 326: केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं। चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह नागरिकता और योग्यता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ मांग सकता है।
  • अनुच्छेद 324: चुनाव आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने का अधिकार प्रदान करता है।
  • प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 21: चुनाव आयोग को किसी भी समय मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण करने का अधिकार देता है, जिसमें लिखित कारण का उल्लेख आवश्यक है।
  • प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 15: मतदाता सूची की तैयारी आयोग के नियंत्रण, निर्देशन और पर्यवेक्षण के अधीन हो।
  • मतदाता पंजीकरण नियम, 1960: सारांश और गहन पुनरीक्षण की अनुमति देता है।

 

SIR का इतिहास:

मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण पहले भी कई बार किया गया है: 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004। प्रत्येक पुनरीक्षण चुनाव आयोग की प्राथमिकताओं में बदलाव को दर्शाता है शुरुआती प्रशासनिक त्रुटियों को सुधारने, प्रवासन और निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्विन्यास को संबोधित करने, तथा सूची की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए।

 

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की आवश्यकता क्यों पड़ी?

SIR का मुख्य उद्देश्य डुप्लीकेट और नकली मतदाताओं को हटाना है, विशेषकर वे जो स्थायी और वर्तमान दोनों पते पर सूचीबद्ध हैं। चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि केवल वही निवासी मतदाता सूची में शामिल हों जो वर्तमान में किसी क्षेत्र में रह रहे हों, ताकि संविधान के तहत केवल भारतीय नागरिक ही मतदान कर सकें।

घुसपैठियों पर निगरानी: चुनाव आयोग का कहना है कि गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से विदेशी घुसपैठियों को हटाना है। इसके लिए मतदाताओं के जन्मस्थान की जांच की जाएगी। यह कदम उस समय और भी अहम हो जाता है जब कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई की जा रही है।

 

आगामी चुनावों से पहले तैयारी:

2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में SIR प्रक्रिया इन चुनावों से पहले मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिहाज से अहम मानी जा रही है।

 

क्या SIR भारत में महत्वपूर्ण है?

SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) भारत में मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी का दावा है कि राज्य की मतदाता सूची में लगभग 1 करोड़ रोहिंग्या प्रवासी, बांग्लादेशी मुस्लिम मतदाता, मृतक मतदाता, डुप्लीकेट प्रविष्टियां और नकली मतदाता शामिल हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से इन नामों को हटाने और मतदाता सूची को शुद्ध करने की मांग की। अधिकारी का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची की साख और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।

 

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पूरा:

बिहार में हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस दौरान नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए, मृत एवं स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाए गए और कई प्रविष्टियों में सुधार किया गया। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि अब 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का औपचारिक ऐलान किसी भी समय किया जा सकता है।

 

बिहार में SIR क्यों शुरू हुआ?

बिहार में लंबे समय से मतदाता सूची की गुणवत्ता को लेकर गंभीर शिकायतें रही हैं। मुख्य समस्याएं यह थीं कि बड़ी संख्या में मृतक मतदाताओं के नाम सूची में बने हुए थे, राज्य के अंदर और बाहर बड़े पैमाने पर आंतरिक और बाहरी प्रवासन (Migration) के कारण लोग अपनी जगह बदल चुके थे, और कई डुप्लीकेट या फर्जी प्रविष्टियां सूची में दर्ज थीं। चुनाव आयोग का कहना है कि यदि इन समस्याओं को समय रहते ठीक नहीं किया गया, तो चुनाव में फर्जी वोट और गड़बड़ी की आशंका बढ़ सकती है। इसी कारण 2025 की शुरुआत में बिहार में SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया शुरू की गई, ताकि मतदाता सूची को शुद्ध, अद्यतन और विश्वसनीय बनाया जा सके।

 

विपक्ष ने इसे राजनीतिक चाल बताया:

बिहार में SIR प्रक्रिया ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया था। विपक्षी दलों, जिनमें कांग्रेस भी शामिल है, ने राज्य की वर्तमान सरकार BJP पर आरोप लगाया है कि वह मतदाता सूची में नाम हटाने और नए नाम जोड़ने का प्रयोग आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्होंने अनियमितताओं की जानकारी दी थी, लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया।

चुनाव आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा कि 1 अगस्त को प्रकाशित प्रारूपित मतदाता सूची पर कोई भी आधिकारिक पार्टी प्रतिनिधि नियत फॉर्मेट में दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई। आयोग के अनुसार, बिहार SIR प्रक्रिया के तहत लगभग 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।

 

पूरे मानसून सत्र में विपक्ष ने SIR का विरोध किया था:

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चला। पूरे सत्र के दौरान विपक्ष ने संसद परिसर और सदन में प्रदर्शन किया और बिहार SIR पर चर्चा कराने की लगातार मांग की। विपक्षी सांसदों के विरोध और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही के आखिरी दिन भी नियमित रूप से नहीं हो सकी, जिससे कानून और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा बाधित रही।

 

निष्कर्ष:

SIR भारत में मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। यह प्रक्रिया डुप्लीकेट, मृतक और फर्जी मतदाताओं को हटाकर केवल वास्तविक और वर्तमान निवासी मतदाताओं को सूची में शामिल करती है, जिससे चुनावों की साख और निष्पक्षता बनी रहती है।