चुनाव आयोग ने बढ़ाई SIR की समय सीमा: अब 14 फरवरी को आएगी अंतिम मतदाता सूची, विपक्ष ने उठाए सवाल

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने रविवार को जारी आदेश में इस प्रक्रिया की समय सीमा एक सप्ताह बढ़ा दी है। अब अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी। यह निर्णय उस समय आया है जब विपक्षी दल इस प्रक्रिया को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं।

Election Commission extends SIR deadline

समय सीमा में बदलाव: नई तारीखें

चुनाव आयोग द्वारा जारी नई अधिसूचना के अनुसार, मतदाता जोड़ने और हटाने का एन्यूमरेशन पीरियड यानी वोटर वेरिफिकेशन अब 11 दिसंबर तक चलेगा, जबकि पहले यह 4 दिसंबर तक निर्धारित था। इसी तरह पहली ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर की जगह अब 16 दिसंबर को जारी की जाएगी। यह विस्तार उन राज्यों में काम कर रहे अधिकारियों को अतिरिक्त समय देगा जहां यह व्यापक प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू हुई है।

चुनाव आयोग ने शनिवार को अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस प्रक्रिया में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 51 करोड़ मतदाताओं के लिए बनाए गए गणना फॉर्म में से 99.53 प्रतिशत फॉर्म लोगों तक पहुंचा दिए गए हैं। इनमें से लगभग 79 प्रतिशत फॉर्म का डिजिटलीकरण भी पूरा हो चुका है। इसका मतलब है कि घर-घर जाकर BLO द्वारा भरवाए गए फॉर्म में लिखे नाम, पते और अन्य विवरण को ऑनलाइन सिस्टम में दर्ज कर दिया गया है।

 

क्या है SIR और क्यों जरूरी

स्पेशल इंटेंसिव रिविजन चुनाव आयोग की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें पूरी वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। इस प्रक्रिया में 18 वर्ष से अधिक उम्र के नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाता है। साथ ही, जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है या जो किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं, उनके नाम हटाए जाते हैं। वोटर लिस्ट में नाम, पते और अन्य विवरण में आई गलतियों को भी ठीक किया जाता है।

 

चुनाव आयोग का कहना है कि 1951 से 2004 तक का SIR हो चुका है, लेकिन पिछले 21 साल से यह प्रक्रिया नहीं हुई है। इस लंबे समय में मतदाता सूची में कई बदलाव आवश्यक हो गए हैं। लोगों का बड़े पैमाने पर माइग्रेशन, दो जगहों पर वोटर लिस्ट में नाम होना, मृत्यु के बाद भी नाम बने रहना और विदेशी नागरिकों का नाम सूची में शामिल हो जाना जैसी समस्याओं को दूर करना जरूरी है। आयोग का उद्देश्य है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से न छूटे और कोई भी अयोग्य व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो।

 

कौन से राज्य हैं शामिल

12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया चल रही है। इनमें अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। ये सभी राज्य आने वाले समय में विधानसभा चुनावों का सामना करने वाले हैं, इसलिए एक अपडेटेड और सटीक मतदाता सूची की आवश्यकता है।

बिहार में पूरा हुआ पहला चरण

SIR की प्रक्रिया का पहला चरण बिहार में पूरा हो चुका है। वहां की अंतिम मतदाता सूची में 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। अब 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया चल रही है, जहां करीब 51 करोड़ मतदाता हैं। इस विशाल कार्य में 5.33 लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और 7 लाख से अधिक बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए गए हैं। BLO घर-घर जाकर स्वयं फॉर्म भरवा रहे हैं और मतदाताओं की जानकारी एकत्र कर रहे हैं।

 

कांग्रेस का गंभीर आरोप

SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्ष, खासकर कांग्रेस, लगातार हमलावर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने काम के भारी दबाव के चलते जान गंवाने वाले बूथ लेवल ऑफिसर्स की मौत को गंभीर मामला बताया है। उन्होंने कहा कि 20 दिनों में 26 BLO की मौत दिनदहाड़े हत्या जैसी है। यह आंकड़ा चिंताजनक है और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

 

सुप्रिया ने गोंडा के BLO विपिन यादव का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि उनके परिवार ने बताया है कि उन पर वोटर लिस्ट से पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम हटाने का दबाव था। उन्होंने इसे कोई कहानी नहीं बल्कि देश के सामने एक कड़वा सच बताया। कांग्रेस नेत्री ने सवाल उठाया कि इतनी जल्दबाजी क्यों है और थोड़ा समय लेकर यह प्रक्रिया क्यों नहीं करवाई जा सकती।

 

सुप्रिया ने आरोप लगाया कि SIR कोई छोटा मामला नहीं है बल्कि यह वोट चोरी का सबसे ताकतवर तरीका है और इसीलिए इसका इतने खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। विपक्ष का मानना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं हो रही है और इसमें कई खामियां हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

SIR प्रक्रिया का मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल की राज्य सरकारों ने इस प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इन याचिकाओं पर लगातार सुनवाई कर रही है।

 

कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका पर केंद्र और राज्य चुनाव आयोग से 1 दिसंबर तक जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 2 दिसंबर को निर्धारित की गई है। तमिलनाडु की याचिका पर 4 दिसंबर और पश्चिम बंगाल की याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी। दिलचस्प बात यह है कि 9 दिसंबर को ही चुनाव आयोग राज्यों की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट भी जारी करने वाला था, हालांकि अब इसे 16 दिसंबर कर दिया गया है।

 

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यदि राज्य सरकारें मजबूत आधार और तर्क प्रस्तुत करती हैं, तो अदालत तारीख बढ़ाने का निर्देश दे सकती है। हालांकि, बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि SIR पहले कभी नहीं हुआ है, यह तर्क चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने का पर्याप्त आधार नहीं बन सकता।

 

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक दल जानबूझकर डर का माहौल बना रहे हैं। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और इसमें सभी सुरक्षा उपाय अपनाए गए हैं।

 

मतदाताओं को क्या करना होगा

SIR के दौरान BLO और BLA मतदाताओं को फॉर्म देंगे। मतदाताओं को अपनी जानकारी मैच करनी होगी। यदि किसी व्यक्ति का नाम दो जगहों पर वोटर लिस्ट में है, तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। यदि किसी का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो उसे जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे।

 

SIR के लिए कई दस्तावेज मान्य हैं जिनमें पेंशनर पहचान पत्र, सरकारी विभाग द्वारा जारी पहचान पत्र, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, 10वीं की मार्कशीट, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय रजिस्टर में नाम, परिवार रजिस्टर में नाम, जमीन या मकान आवंटन पत्र और आधार कार्ड शामिल हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट के सितंबर के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए एक अतिरिक्त दस्तावेज के रूप में स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा, नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं।

 

शिकायत और सहायता

यदि किसी मतदाता का नाम ड्राफ्ट सूची से कट जाता है, तो वह एक महीने तक अपील कर सकता है। ERO के फैसले के खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट और DM के फैसले के खिलाफ मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक अपील की जा सकती है। किसी भी शिकायत या सहायता के लिए मतदाता हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कॉल कर सकते हैं या अपने BLO या जिला चुनाव कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

 

चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिहार की SIR के बाद की मतदाता सूची को अन्य 12 राज्यों में दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है। यदि कोई व्यक्ति इन राज्यों में अपना नाम जुड़वाना चाहता है और बिहार की सूची का अंश प्रस्तुत करता है जिसमें उसके माता-पिता के नाम हैं, तो उसे नागरिकता के अतिरिक्त प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फ जन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा।