एलन मस्क की स्टारलिंक ने सैटकॉम रोलआउट से पहले मुंबई में नई जगह लीज पर ली

एलन मस्क की उपग्रह संचार कंपनी स्टारलिंक ने भारत में अपनी उपस्थिति को मजबूत करते हुए मुंबई में अपना पहला ऑफिस स्पेस लीज पर लिया है। यह ऑफिस चांदीवली के बूमरैंग कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में स्थित है, जो शहर के प्रमुख कारोबारी इलाकों में से एक है। कंपनी ने लगभग 1,294 वर्ग फीट क्षेत्रफल का यह कार्यालय लीज पर लिया है, जिसे मुख्य रूप से स्टारलिंक की कानूनी टीम द्वारा उपयोग किया जाएगा।

 

यह कदम भारत में स्टारलिंक के विस्तार और निवेश योजनाओं की दिशा में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है। कंपनी का उद्देश्य देशभर में अपनी जमीनी उपस्थिति और नियामक गतिविधियों को मजबूत करना है, ताकि वह भविष्य में भारत में अपने सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के संचालन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सके।

Elon Musk Starlink leases new space in Mumbai ahead of satcom rollout

क्या है इस लीज की शर्तें?

 

रियल एस्टेट एनालिटिक्स फर्म प्रॉपस्टैक के अनुसार, स्टारलिंक ने मुंबई के चांदिवली स्थित बूमरैंग कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में अपना पहला ऑफिस स्पेस 5 साल की लीज अवधि के लिए लिया है। इस अनुबंध के तहत कंपनी ने मकान मालिक निकुंज शेठ के साथ समझौता किया है।

 

लीज अनुबंध की प्रमुख वित्तीय शर्तें:

स्टारलिंक के मुंबई स्थित पहले भारतीय कार्यालय के लीज अनुबंध में निम्नलिखित प्रमुख वित्तीय विवरण शामिल हैं:

  • मासिक लाइसेंस शुल्क (पहला वर्ष): ₹3,52,275 (भारतीय रुपये तीन लाख बावन हजार दो सौ पचहत्तर मात्र) + जीएसटी
  • वार्षिक वृद्धि: प्रत्येक वर्ष लाइसेंस शुल्क पर 5% की वृद्धि होगी
  • सीएएम (कॉमन एरिया मेंटेनेंस) शुल्क: ₹26,328 प्रति माह (₹12 प्रति वर्ग फुट बिक्री योग्य क्षेत्र पर)
  • कुल वार्षिक व्यय (पहला वर्ष): लगभग ₹37,86,036 (किराया + सीएएम, जीएसटी को छोड़कर)
  • वर्षवार कुल व्यय:
    • वर्ष 2: ₹39,62,188
    • वर्ष 3: ₹41,60,296
    • वर्ष 4: ₹43,68,310
    • वर्ष 5: ₹45,85,616
  • सुरक्षा जमा: ₹31,70,475 (9 महीने के किराए के बराबर, बिना ब्याज के; 3 महीने का भुगतान टर्म शीट पर हस्ताक्षर के समय, और 6 महीने का निष्पादन से पहले)
  • स्टाम्प ड्यूटी: ₹66,500
  • पंजीकरण शुल्क: ₹1,000
  • कुल पंजीकरण लागत: ₹67,500 (14 अक्टूबर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से भुगतान किया गया)
  • पार्किंग: लाइसेंस शुल्क में 1 समर्पित कार पार्किंग स्थान शामिल है

 

इस समझौते में भारत के सैटेलाइट नियामक मानकों के पालन पर विशेष जोर दिया गया है। इसके तहत स्टारलिंक को अपने आईटी सर्वर, नेटवर्क सिस्टम, टेलीकॉम और सुरक्षा उपकरण स्थापित करने की अनुमति दी गई है, लेकिन शर्त यह है कि किरायेदारी समाप्त होने पर यह सभी उपकरण उसी परिसर में रहेंगे।

किराए पर ली गई जगह में केंद्रीय एयर कंडीशनिंग, बिजली और पानी की सुविधा उपलब्ध होगी, जिसका उपभोग व्यय स्टारलिंक स्वयं वहन करेगा। वहीं, लाइसेंसदाता (Sheth) को तीन महीने के भीतर जीएसटी पंजीकरण (GST registration) कराना होगा ताकि किरायेदार को इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) का लाभ मिल सके।

 

परिचालन में मुंबई की होगी अहम भूमिका:

स्टारलिंक भारत में अपनी वाणिज्यिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की तैयारी में है और इसके लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा आवश्यक सुरक्षा परीक्षण प्रारंभ कर रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्पेस-एक्स ने मुंबई में पहले ही तीन ग्राउंड स्टेशन तैयार कर लिए हैं, जो भारत में स्टारलिंक का प्रमुख परिचालन केंद्र (हब) होगा। इन स्टेशनों पर शीघ्र ही ऑन-साइट निरीक्षण शुरू होने की संभावना है।

इस वर्ष की शुरुआत में भारतीय नियामक संस्थाओं ने स्टारलिंक को देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की औपचारिक मंजूरी प्रदान की थी, जिससे भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क के विस्तार की दिशा में एक नया अध्याय जुड़ गया है।

 

मुंबई का चयन: सैटेलाइट संचार का नया केंद्र

मुंबई का चयन यह दर्शाता है कि यह शहर सैटकॉम (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) परियोजनाओं के लिए लॉजिस्टिक और नियामक केंद्र के रूप में कितनी अहम भूमिका निभा रहा है। प्रॉपस्टैक के सह-संस्थापक राजा सीतारमन ने कहा, “स्टारलिंक मुंबई को हाई-स्पीड सैटेलाइट कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए एक रणनीतिक हब के रूप में देखता है।” यह कार्यालय स्टारलिंक की कानूनी और परिचालन टीमों का मुख्यालय होगा, जो साझेदारियों को सुगम बनाएगा- जैसे हाल ही में एयरटेल के साथ हुआ सहयोग, जिसके माध्यम से कंपनी भारत के 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं तक पहुंच बनाने की योजना बना रही है।

 

ऋतिक रोशन के पास भी इसी बिल्डिंग में हैं तीन ऑफिस यूनिट्स:

स्टारलिंक ने जिस ‘बूमरैंग’ बिल्डिंग में अपना नया ऑफिस स्पेस लीज पर लिया है, उसी इमारत में बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन और उनके पिता राकेश रोशन की कंपनी HRX Digitech LLP ने भी तीन ऑफिस यूनिट्स खरीदी हैं। प्रॉपस्टैक द्वारा एक्सेस किए गए प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में इन तीनों यूनिट्स की कुल कीमत ₹31 करोड़ रही थी।

ये तीनों ऑफिस यूनिट्स मुंबई के अंधेरी ईस्ट के चांदिवली क्षेत्र स्थित बूमरैंग बिल्डिंग की पहली मंज़िल पर हैं। दस्तावेज़ बताते हैं कि इन यूनिट्स का कुल क्षेत्रफल 13,546 वर्ग फुट है, और इनका पंजीकरण 9 जुलाई 2025 को किया गया था।

इसी तरह, सितंबर 2024 में रोशन परिवार की इसी कंपनी ने इसी बिल्डिंग की पांचवीं मंज़िल पर पाँच ऑफिस यूनिट्स भी खरीदी थीं, जिनकी कुल कीमत ₹37.75 करोड़ थी। ये यूनिट्स 17,389 वर्ग फुट के कार्पेट एरिया में फैली हुई हैं। प्रॉपर्टी दस्तावेज़ों के अनुसार, इस सौदे पर ₹2.26 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी और ₹30,000 का पंजीकरण शुल्क अदा किया गया था।

 

भारत में सैटकॉम क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा:

भारत में सैटकॉम क्षेत्र फिलहाल तेज़ी से बढ़ रहा है, खासकर ग्रामीण ब्रॉडबैंड की बढ़ती मांग के कारण। जियो और यूटेलसैट जैसे प्रतिस्पर्धी अपने नेटवर्क विस्तार में जुटे हैं, लेकिन स्टारलिंक की लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) तकनीक 20 मिलीसेकंड से कम लेटेंसी का वादा करती है- जो दूरस्थ शिक्षा, टेलीमेडिसिन और ई-कॉमर्स के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। अस्थायी स्पेक्ट्रम अनुमतियों के साथ, स्टारलिंक की वाणिज्यिक सेवाएं 2026 की शुरुआत तक लॉन्च हो सकती हैं, बशर्ते कि अंतिम मंजूरी TRAI और DoT से मिल जाए।

 

भारत: दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट बाज़ारों में एक-

भारत आज दुनिया के सबसे बड़े और तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट बाज़ारों में शामिल हो चुका है। सस्ते स्मार्टफोनों, कम डेटा दरों और 4G व 5G नेटवर्क के तेज़ विस्तार ने इस वृद्धि को अभूतपूर्व गति दी है। देश में 850 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, और इंटरनेट की पहुंच अब ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक गहराई से फैल चुकी है। इस डिजिटल क्रांति ने लोगों के जीवन, कामकाज, शिक्षा और व्यापार के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है, जिससे भारत वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है।

 

इन शहरों गेटवे स्टेशन लगाने का प्लान:

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक मुंबई, नोएडा,चंडीगढ़,कोलकाता और लखनऊ जैसे बड़े शहरों को इन गेटवे स्टेशनों के लिए चुना है। ये गेटवे स्टेशन ही सैटेलाइट से सिग्नल प्राप्त करके उसे यूजर्स तक पहुंचाने का सेंटर होंगे।

 

Starlink: सैटेलाइट आधारित इंटरनेट क्रांति:

Starlink, SpaceX द्वारा संचालित एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, जो लो-अर्थ-ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों के समूह के माध्यम से उच्च गति और कम विलंबता वाला ब्रॉडबैंड कनेक्शन प्रदान करती है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के दूरस्थ और कम सेवित क्षेत्रों को इंटरनेट से जोड़ना है, जहाँ पारंपरिक इंटरनेट अवसंरचना कमजोर या अनुपलब्ध है।

 

यह कैसे काम करता है ?

Starlink प्रणाली मुख्य रूप से तीन घटकों पर आधारित है –

  • पहला, सैटेलाइट समूह, जिसमें हजारों छोटे उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करते हैं। ये उपग्रह उन्नत एंटेना तकनीक की मदद से ग्राउंड स्टेशनों और यूज़र टर्मिनलों से संवाद करते हैं। कई उपग्रह लेज़र लिंक के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं, जिससे नेटवर्क एक जाल (mesh) की तरह कार्य करता है और ज़मीनी अवसंरचना पर निर्भरता घटती है।
  • दूसरा, गेटवे अर्थ स्टेशन, जो सैटेलाइट नेटवर्क को सार्वजनिक इंटरनेट से जोड़ते हैं। SpaceX विभिन्न देशों में कई गेटवे स्टेशन स्थापित कर रहा है ताकि स्थिर और विश्वसनीय सेवा सुनिश्चित हो सके।
  • तीसरा, यूज़र टर्मिनल (डिश), जो ग्राहकों को एक किट के रूप में दिया जाता है। यह डिश स्वचालित रूप से उपग्रहों से सिग्नल प्राप्त करने के लिए संरेखित हो जाती है और एक Wi-Fi राउटर के माध्यम से इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करती है।

 

मुख्य विशेषताएँ और उपयोग:

Starlink की सबसे बड़ी ताकत इसका वैश्विक कवरेज है, जो 150 से अधिक देशों और क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। इसकी उच्च गति वाली सेवा स्ट्रीमिंग, वीडियो कॉल और ऑनलाइन गेमिंग जैसे हाई-बैंडविड्थ कार्यों को आसानी से संभाल सकती है।

इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है-

  • आवासीय क्षेत्र: ग्रामीण या दूरस्थ इलाकों में घरों के लिए।
  • मोबाइल उपयोग: वाहनों, नौकाओं और अन्य परिवहन साधनों के लिए।
  • व्यावसायिक उपयोग: उन उद्यमों के लिए जिन्हें विश्वसनीय और तेज़ कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है।

SpaceX अपने उपग्रहों को सततता के दृष्टिकोण से डिज़ाइन करता है। इन उपग्रहों को उनकी संचालन अवधि समाप्त होने के बाद स्वतः पृथ्वी के वायुमंडल में लौटकर जल जाने के लिए बनाया गया है, जिससे अंतरिक्ष में कचरे का खतरा कम हो सके।

कुल मिलाकर, Starlink एक ऐसी तकनीकी पहल है जो न केवल डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि वैश्विक कनेक्टिविटी के नए युग की नींव भी रख रही है।

 

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