यूरोपीय संघ ने नई Biometric Entry/Exit System (EES) की शुरुआत की है, जो सदस्य देशों की सीमाओं के प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाली है। इस प्रणाली का उद्देश्य non-EU यात्रियों के लिए प्रवेश और निकास प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित, तेज़ और पारदर्शी बनाना है।

नया बायोमेट्रिक एंट्री–एग्ज़िट सिस्टम (EES) क्या है?
- परिचय: Entry/Exit System (EES) यूरोपीय संघ द्वारा शुरू की गई एक नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिसके माध्यम से अब non-EU नागरिकों के आगमन और प्रस्थान का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा। यह पुरानी पासपोर्ट पर मैन्युअल मुहर लगाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर देगी। इस प्रणाली का संचालन EU की आईटी एजेंसी eu-LISA द्वारा किया जाएगा।
- कार्यान्वयन: यह प्रणाली 12 अक्टूबर 2025 से 10 अप्रैल 2026 के बीच Smart Borders Initiative के तहत चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। शुरुआत में प्रत्येक सदस्य देश को कम से कम एक बाहरी सीमा पर EES सक्रिय करना होगा। धीरे-धीरे सभी बाहरी बॉर्डर पॉइंट्स इस प्रणाली से जुड़ जाएंगे। इस समय के दौरान पारंपरिक पासपोर्ट स्टैम्पिंग प्रक्रिया भी जारी रहेगी, ताकि यात्रियों को कोई असुविधा न हो।
- उद्देश्य: EES का मुख्य उद्देश्य सीमा नियंत्रण को आधुनिक, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। इसके माध्यम से मैन्युअल जाँच को डिजिटल रूप में बदलकर प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाना है। इसके माध्यम से पहचान संबंधी फ्रॉड और अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगाना है।
- विनियमन: यह प्रणाली यूरोपीय संघ के कानूनों Regulation (EU) 2017/2226 और Regulation (EU) 2017/2225 के तहत संचालित होगी। इन नियमों के अनुसार डेटा संरक्षण और गोपनीयता को पूरी तरह सुनिश्चित किया जाएगा।
- शेंगेन क्षेत्र यूरोप के उन देशों का समूह है जिन्होंने अपनी सीमाओं पर पासपोर्ट और पहचान संबंधी जांच को समाप्त कर दिया है।
- इस व्यवस्था के तहत नागरिक और यात्री एक देश से दूसरे देश में बिना किसी सीमा नियंत्रण के स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य यात्रा, व्यापार और पर्यटन को सरल बनाना है, साथ ही बाहरी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत रखना है।
- वर्ष 2025 तक शेंगेन क्षेत्र में कुल 29 देश शामिल हैं, जिनमें अधिकांश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं। इसके अलावा नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन जैसे गैर-ईयू देश भी इस क्षेत्र का हिस्सा हैं।
- इन देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझेदारी होती है। वे आतंकवाद, मानव तस्करी और अवैध प्रवास जैसे गंभीर मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं।
- इसमें सदस्य देश आपसी सहयोग के लिए शेंगेन सूचना प्रणाली (SIS) का उपयोग करते हैं, जिसके माध्यम से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ अपराध से जुड़ी जानकारी साझा करती हैं।

एंट्री–एग्ज़िट सिस्टम (EES) की प्रमुख विशेषताएँ
- बायोमेट्रिक पंजीकरण: इस प्रणाली में यात्रियों के चेहरे की तस्वीरें और उंगलियों के निशान दर्ज किए जाते हैं। इसमें प्रत्येक व्यक्ति से दो फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं और इन्हें उसकी पहचान से जोड़ा जाता है। पहली बार प्रवेश के समय यह जानकारी पंजीकृत हो जाती है।
- यात्रा दस्तावेज़ विवरण: EES हर यात्री का नाम, जन्मतिथि, राष्ट्रीयता, पासपोर्ट नंबर, जारी करने वाला देश और पासपोर्ट की समाप्ति तिथि दर्ज करता है। इसके साथ ही प्रवेश और निकास की तिथियाँ तथा जिस सीमा से यात्रा की गई उसका रिकॉर्ड भी डिजिटल रूप में सुरक्षित किया जाता है।
- स्वचालित प्रवेश–निर्गमन रिकॉर्डिंग: जब भी कोई यात्री सीमा पार करता है, तो यह प्रणाली स्वतः उस गतिविधि को दर्ज करती है। इससे हर यात्रा का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होता है। इसमें पासपोर्ट पर मुहर लगाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यात्रियों से इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है।
- ठहराव अवधि की निगरानी: यह प्रणाली स्वचालित रूप से गणना करती है कि कोई ग़ैर-ईयू यात्री कितने दिन रुका है। यह सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति 180 दिनों की अवधि में अधिकतम 90 दिन से अधिक न ठहरे। यदि कोई यात्री निर्धारित अवधि से अधिक रुकता है, तो प्रणाली तुरंत चेतावनी संकेत जारी कर देती है जिससे अधिकारियों को निगरानी आसान होती है।
- छूट के प्रावधान: EES के नियम ईयू नागरिकों पर लागू नहीं होते। जिनके पास दीर्घकालिक निवास या निवास परमिट है, उन्हें भी आम तौर पर छूट दी जाती है। इसके अलावा 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से फिंगरप्रिंट नहीं लिए जाते हैं।
- अन्य यूरोपीय प्रणालियों से एकीकरण: EES का संचालन यूरोपीय संघ की आईटी एजेंसी eu-LISA करती है। यह प्रणाली अन्य वीज़ा और सुरक्षा डेटाबेस से जुड़ी होती है, जिससे सीमा प्रहरियों को पहचान की पुष्टि, धोखाधड़ी रोकथाम और सुरक्षा जांच में सहायता मिलती है।
- स्वचालित सीमा नियंत्रण: इस प्रणाली के तहत अधिकांश सीमाओं पर अब स्वयं-सेवा कियोस्क और ऑटोमेटिक गेट्स लगाए जाएंगे। यात्री स्वयं अपना पासपोर्ट स्कैन कर सकेंगे। इससे जांच प्रक्रिया तेज़ और सरल हो जाएगी।
- एकीकृत प्रारूप: EES को 29 शेंगेन देशों और उनसे जुड़े कुछ ग़ैर-ईयू देशों में लागू किया जाएगा। सभी बाहरी सीमा बिंदुओं पर इसे अनिवार्य रूप से अपनाया जाएगा ताकि पूरी व्यवस्था एक समान ढंग से कार्य करे।
- एक बार पंजीकरण की सुविधा: यात्री को एक ही वैध पासपोर्ट अवधि के दौरान केवल एक बार पंजीकरण कराना होगा। उसी पासपोर्ट की वैधता अवधि में अगली यात्राओं में पुराना डेटा इस्तेमाल किया जाएगा। यदि पासपोर्ट नया बनता है या बदला जाता है, तो नया पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- स्थान: यह जांच प्रक्रिया हवाई अड्डों, समुद्री बंदरगाहों, रेलवे स्टेशनों और सड़क सीमाओं पर की जाएगी। ब्रिटेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को डोवर पोर्ट, यूरोटनल (फोक्सटन) और लंदन सेंट पैनक्रस स्टेशन पर EES पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
एंट्री–एग्ज़िट सिस्टम (EES) कैसे काम करेगा?
- जब कोई यात्री 12 अक्टूबर 2025 या उसके बाद से शेंगेन क्षेत्र में पहली बार प्रवेश करेगा, तो उसे अपनी व्यक्तिगत जानकारी प्रदान करनी होगी। सीमा नियंत्रण अधिकारी यात्री का पूरा नाम, जन्मतिथि, राष्ट्रीयता और पासपोर्ट विवरण दर्ज करेंगे। इन सूचनाओं के आधार पर प्रत्येक यात्री का एक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा।
- इसके बाद अधिकारी यात्री के चेहरे की तस्वीर लेंगे और दो उंगलियों के निशान स्कैन करेंगे। यह बायोमेट्रिक डेटा सीधे उस यात्री के डिजिटल रिकॉर्ड से जुड़ जाएगा। अगली बार जब भी वही यात्री प्रवेश या निकास करेगा, यह प्रणाली उसी डेटा के माध्यम से उसकी पहचान की स्वचालित पुष्टि करेगी।
- यात्रियों को यह सुविधा भी मिलेगी कि वे अपनी जानकारी पहले से दर्ज करा सकें। इसके लिए वे स्वयं-सेवा मशीनों का उपयोग कर सकते हैं, जो चयनित सीमा बिंदुओं पर लगाई जाएँगी। कुछ देशों में यह प्रक्रिया मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से भी संभव होगी।
- जिन यात्रियों ने पहले ही किसी EES सक्षम सीमा से यात्रा की है, उनका चेहरा और फिंगरप्रिंट पहले से सिस्टम में मौजूद रहेंगे। ऐसे मामलों में सीमा अधिकारी केवल स्कैन कर पहचान सत्यापित करेंगे, जिससे प्रक्रिया पहले की तुलना में बहुत तेज़ हो जाएगी।
- EES प्रणाली को सभी देशों में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। इसलिए शुरुआती चरणों में कुछ यात्रियों के पासपोर्ट पर मुहर लगाई जा सकती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक उस देश की सभी सीमाओं पर नया सिस्टम पूरी तरह लागू नहीं हो जाता।
- एक बार जब यात्री यूनाइटेड किंगडम से प्रस्थान के समय पंजीकरण पूरा कर लेता है, तो शेंगेन क्षेत्र में प्रवेश करते समय उसे दोबारा पंजीकरण नहीं कराना पड़ेगा। इससे यात्रा प्रक्रिया अधिक सहज, तेज़ और पारदर्शी बन जाएगी।
एंट्री–एग्ज़िट सिस्टम (EES) का प्रभाव
- सीमा सुरक्षा: एंट्री–एग्ज़िट सिस्टम शेंगेन क्षेत्र की सीमा सुरक्षा को और मजबूत करेगा। यह सभी गैर–ईयू यात्रियों का व्यक्तिगत और बायोमेट्रिक डेटा दर्ज करेगा, इस प्रणाली के माध्यम से गैरकानूनी आवागमन पर सटीक निगरानी रखी जा सकेगी।
- तेज़ सीमा प्रक्रिया: डिजिटल रिकॉर्ड और स्वचालित पहचान सत्यापन के कारण यात्रियों को सीमा जांच में पहले की तुलना में कम समय लगेगा। जो यात्री अक्सर यात्रा करते हैं, उनके लिए प्रक्रिया और भी तेज़ होगी। इससे भीड़ और प्रतीक्षा समय दोनों कम होंगे और यात्रा अनुभव अधिक सहज बनेगा।
- संसाधनों का बेहतर उपयोग: अब सीमा अधिकारियों को पासपोर्ट की मैन्युअल जांच में अधिक समय नहीं लगाना पड़ेगा। डिजिटल निगरानी से कम जनशक्ति में अधिक यात्रियों का प्रबंधन संभव होगा। इससे संचालन लागत में कमी आएगी और सीमा प्रबंधन अधिक कुशल और आधुनिक बन जाएगा।
- अवैध गतिविधियों पर रोक: EES अन्य यूरोपीय सुरक्षा डेटाबेस और निगरानी सूचियों से जुड़ा रहेगा। यह समन्वय उन व्यक्तियों की पहचान में मदद करेगा जिन पर सुरक्षा या आपराधिक संदेह है। इस प्रकार, विभिन्न देशों की सुरक्षा एजेंसियाँ मिलकर आतंकवाद, मानव तस्करी और अवैध प्रवास जैसे अपराधों को रोकने में अधिक सक्षम होंगी।
आगे की दिशा:
EES यूरोप की आने वाली योजना यूरोपीय यात्रा सूचना और प्राधिकरण प्रणाली (ETIAS) की पहली कड़ी है, जो साल 2026 के अंत तक शुरू होने की संभावना है। इसके तहत गैर–शेंगेन नागरिकों को शेंगेन क्षेत्र में प्रवेश से पहले यात्रा अनुमति प्राप्त करनी होगी। आने वाले समय में EES से एकत्रित डेटा ETIAS प्रणाली को सटीकता से लागू करने में सहायता करेगी, इससे जांच प्रक्रिया तेज़, सुरक्षित और विश्वसनीय बनेगी, और यूरोप में यात्रा व्यवस्था का नया डिजिटल अध्याय शुरू हो पाएगा।