वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अक्टूबर 2022 में ग्रे सूची से हटाए जाने का मतलब यह नहीं है कि उसे धन शोधन और आतंकवादियों का वित्तपोषण करने की छूट मिल गई है। फ्रांस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, एफएटीएफ अध्यक्ष एलिसा डी एंडा माद्राज़ो ने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान सहित सभी देशों को अपराधों को रोकने के उपाय करते रहना चाहिए।
ये बात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद डिजिटल वॉलेट के माध्यम से आतंकी शिविरों को धन उपलब्ध कराने की ख़बरों के बीच आई है। सुश्री माद्राज़ो ने कहा कि ग्रे सूची से बाहर निकलने वाला कोई भी देश धनशोधन या आतंकी गतिविधियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।
2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर निकला था पाकिस्तान:
पाकिस्तान को जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इसके बाद उसने कई सुधार किए और अक्टूबर 2022 में इस सूची से बाहर आ गया था। हालांकि, FATF ने स्पष्ट किया कि आतंकी फंडिंग को लेकर निगरानी जारी रहेगी और किसी भी तरह की लापरवाही गंभीर परिणाम भुगत सकती है।
FATF संगठन ने पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों के वित्तीय नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने को कहा है। FATF की यह चेतावनी ऐसे समय आई है, जब पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों को वित्तीय सहायता रोकने में विफलता के आरोप लगते रहे हैं।
FATF ने पाकिस्तान को चेतावनी दी: JeM की महिलाओं के लिए ऑनलाइन जिहाद क्लासेज पर फटकार:
रिपोर्ट के मुताबिक, FATF ने पाकिस्तान को फटकार लगाई है, जिसमें कहा गया कि जैश-ए-मोहम्मद (JeM) महिलाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए नए ऑनलाइन जिहाद क्लासेज शुरू करने वाला है। इन क्लासेज के जरिए महिलाओं को जिहाद से जोड़ा जाएगा और आगे जाकर उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि ऐसे क्लासेज का उद्देश्य शिक्षा के नाम पर जनता को भ्रमित करना और युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में झोंकना है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद FATF ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है।
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन:
पाकिस्तान में वर्तमान समय में 75 से ज्यादा आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इनमें कई ऐसे संगठन हैं जिन्हें पाकिस्तान का खुला समर्थन प्राप्त है, हालांकि पाकिस्तान हमेशा इस बात से इनकार करता रहा है।
इन संगठनों में से कुछ का मुख्य उद्देश्य भारत और अन्य पड़ोसी देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना है।
प्रमुख आतंकी संगठन:
- लश्कर-ए-तैयबा (LeT): यह संगठन 1990 के दशक में पाकिस्तान का सबसे बड़ा भारत-विरोधी प्रॉक्सी संगठन बनकर उभरा। इसका संचालन हाफिज मोहम्मद सईद करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के बावजूद पाकिस्तान में खुले घूमते हैं।
- जैश-ए-मोहम्मद (JeM): इस संगठन की स्थापना 2000 में मसूद अजहर ने की थी, जब उन्हें आईसी-814 विमान अपहरण के दौरान रिहा किया गया था। जैश पाकिस्तान में आत्मघाती हमलों की मुख्य ताकत माना जाता है। इसका मुख्यालय बहावलपुर, पंजाब में है। इसके सात बड़े ट्रेनिंग कैंप खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में और चार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित हैं। हाल ही में इसने तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान में भी नए कैंप शुरू किए हैं।
- हक्कानी नेटवर्क: यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का अर्ध-स्वायत्त अंग है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर पर काम करता है। इसके नेता सिराजुद्दीन हक्कानी हैं, जो वर्तमान में अफगानिस्तान के गृह मंत्री हैं। अमेरिका ने उनके खिलाफ 1 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया है। यह नेटवर्क ISI का अफगानिस्तान में हाथ-पैर माना जाता है और भारत-विरोधी कार्रवाइयों में सक्रिय योगदान देता है।
- ISIS-खुरासान (ISIS-K): यह संगठन TTP (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के टूटे हुए धड़ों से बना। इसके बेस पूर्वी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कबायली इलाकों में हैं। भले ही इसकी विचारधारा पाकिस्तान के खिलाफ है, लेकिन कई सबूत बताते हैं कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के कुछ हिस्से इसकी कुछ कार्रवाइयों को छुपकर मंजूरी देते हैं।
प्रांतीय स्थिति:
- पंजाब: South Asia Terrorism Portal के अनुसार पंजाब प्रांत में 34 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इनमें LeT, JeM, जमात-उद-दावा (JuD), लश्कर-ए-झांगवी (LeJ), 313 ब्रिगेड, TTP और फला-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) शामिल हैं। पंजाब में इन संगठनों ने भारत में कई हमलों को अंजाम दिया और आज भी इनके नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त नहीं किया जा सका है।
- खैबर पख्तूनख्वा: इस प्रांत में 21 आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जिनमें TTP, हिज्बुल तहरीर, लश्कर-ए-इस्लामी और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
- बलूचिस्तान: इस प्रांत में 19 संगठन सक्रिय हैं। इनमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA), बलूच स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (BSO-A), ISIS और अल-कायदा शामिल हैं। ये संगठन पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय हैं।
- सिंध और कराची: हाल ही में रिपोर्टों में बताया गया कि सिंध प्रांत, खासकर कराची, कई आतंकी संगठनों का हब बन चुका है। यहां 13 से अधिक संगठन सक्रिय हैं, जैसे अल-कायदा, सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (SSP), सिपाह-ए-मुहम्मद पाकिस्तान (SMP), LeJ, ISIS, जमात-उल-अहरार (JuA), पीपुल्स अमन कमेटी (PAC) और BLA।
इन संगठनों की गतिविधियाँ न केवल पाकिस्तान की अंदरूनी सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि भारत और अन्य पड़ोसी देशों के खिलाफ भी आतंकवादी घटनाओं में सक्रिय योगदान देती हैं।
आतंक वित्तपोषण का नया चेहरा: डिजिटल वॉलेट्स, क्रिप्टो और फिनटेक का इस्तेमाल:
पाकिस्तानी आतंक नेटवर्क अब पारंपरिक हवाला चैनलों पर FATF की कार्रवाई के बाद डिजिटल वॉलेट्स, प्रीपेड कार्ड्स, मोबाइल बैंकिंग ऐप्स और क्रिप्टो एक्सचेंज का इस्तेमाल करके धन का प्रवाह कर रहे हैं; कराची, क्वेटा और पेशावर से लेकर अफगानिस्तान और खाड़ी देशों तक फंड इसी माध्यम से भेजे जा रहे हैं।
आतंकवादी वित्तपोषकों ने छोटे‑छोटे चैरिटी वॉलेट और नकली NGO खाते बनाकर जाजकैश, ईज़ीपैसा और सादापे जैसे प्लेटफॉर्म्स पर माइक्रो‑डोनेशन्स इकट्ठा करने शुरू कर दिए, जिन्हें बाद में लॉजिस्टिक्स और परिचालन खर्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी एजेंसियों की डिजिटल फॉरेंसिक जाँच में यह सामने आया है कि ये राशियाँ अक्सर दुबई स्थित वॉलेट्स और क्रिप्टो एक्सचेंजों के माध्यम से रूट की जाती हैं और फिर पाकिस्तान की फिनटेक व्यवस्था में लौटाई जाती हैं; कई ऐसे खाते कथित तौर पर ISI से जुड़े ऑपरेटिव्स द्वारा नियंत्रित पाए गए हैं। इस तरह के डिजिटल मार्ग पहचान और ट्रेसबिलिटी को चुनौती देते हैं, जिससे वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा पर नए प्रकार के खतरे उभर रहे हैं।
आइए जान लेते है “Financial Action Task Force” और उसकी लिस्ट के बारे में-
1989 में G7 देशों द्वारा एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) के उद्देश्य से स्थापित, और 2001 में आतंकवादी वित्तपोषण (CTF) को शामिल करने के लिए विस्तार किया गया।
FATF यह सुनिश्चित करता है कि सदस्य देश इसकी 40 सिफारिशों का पालन करें। इसका ढांचा अवैध वित्तीय लेनदेन से निपटने, आतंकवादी वित्तपोषण रोकने, और पारदर्शिता व अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रमुख क्षेत्र:
- एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और आतंकवादी वित्तपोषण (CTF) नीतियाँ
- रोकथाम और निगरानी के उपाय
- वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही
- सक्षम अधिकारियों के अधिकार और कर्तव्य
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
सदस्यता: FATF में 40 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 38 क्षेत्रीय इकाइयाँ और दो क्षेत्रीय संगठन (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल और यूरोपीय आयोग) शामिल हैं। भारत 2010 में FATF का सदस्य बना।
मुख्यालय: पेरिस, OECD कार्यालय।
FATF द्वारा रखी जाने वाली सूचियाँ:
- ग्रे लिस्ट (Grey List):
परिभाषा: ऐसे देश जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने में रणनीतिक कमियाँ पाई जाती हैं, उन्हें FATF के तहत “ग्रे लिस्ट” में रखा जाता है। ये देश FATF के साथ मिलकर इन कमियों को सुधारने की कोशिश करते हैं।
उद्देश्य: यह चेतावनी होती है कि अगर सुधार नहीं हुआ तो देश ब्लैकलिस्ट में भी जा सकता है।
प्रभाव:
- वित्तीय परिणाम: ग्रे लिस्ट में शामिल देशों पर अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय और वित्तीय संस्थाओं द्वारा कड़ी निगरानी रहती है, जिससे विदेशी निवेश बाधित होता है और वित्तीय प्रवाह कम होता है।
- उन्नत निगरानी: FATF इन देशों की 40 सिफारिशों के पालन की सख्त निगरानी करता है।
ग्रे लिस्ट में शामिल हैं ये देश: अल्जीरिया, अंगोला, बुल्गारिया, बुर्किना फासो, कैमरून, कोटे डी आइवर, क्रोएशिया, कांगो, हैती, केन्या, लाओ, पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, लेबनान, माली, मोनाको, मोजाम्बिक, नामिबिया, नेपाल, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, वेनेजुएला, वियतनाम, यमन
- ब्लैक लिस्ट (Black List):
परिभाषा: ऐसे देश जो गंभीर रणनीतिक कमियों वाले हैं और आतंकवादी वित्तपोषण या मनी लॉन्ड्रिंग में सीधे शामिल पाए जाते हैं, उन्हें FATF “ब्लैकलिस्ट” में डालता है। इन्हें Non-Cooperative Countries or Territories भी कहा जाता है।
2025 तक ब्लैकलिस्ट में शामिल देश: उत्तर कोरिया, ईरान, और म्यांमार।
परिणाम:
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे IMF, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक आदि से वित्तीय सहायता नहीं मिलती।
- आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय सतर्कता का सामना करना पड़ता है।
निष्कर्ष:
FATF ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि देश में आतंकवादी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों पर नियंत्रण न होने की स्थिति गंभीर है। हवाला चैनलों पर कार्रवाई के बावजूद आतंकवादी नेटवर्क ने डिजिटल वॉलेट्स, मोबाइल बैंकिंग ऐप्स और क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स का सहारा लेकर धन का नया मार्ग तैयार कर लिया है। FATF का संदेश साफ है: अगर पाकिस्तान ने इन खतरनाक प्रवाहों को रोका और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित नहीं की, तो देश को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों, वित्तीय हिचकिचाहट और संभावित ब्लैकलिस्टिंग जैसी गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बनाने और वैश्विक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में लिया गया है।
