अपाचे हेलीकॉप्टरों की पहली खेप भारत पहुंची: वायुसेना की मारक क्षमता में बड़ा इजाफा

भारतीय सेना को अमेरिका से दुनिया के सबसे उन्नत माने जाने वाले अपाचे AH-64E गार्डियन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की पहली खेप प्राप्त हो गई है। अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित इन अत्याधुनिक हेलीकॉप्टरों को गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर एंटोनोव ट्रांसपोर्ट विमान के ज़रिए लाया गया। कुल छह हेलीकॉप्टरों के सौदे के तहत तीन की आपूर्ति पूरी हो चुकी है, जिन्हें अब राजस्थान के जोधपुर में तैनात किया जाएगा। लगभग 15 महीने की देरी से मिली इस डिलीवरी के साथ भारतीय सेना की हमला करने की क्षमता और ऑपरेशनल दक्षता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। खास बात यह है कि इन हेलीकॉप्टरों को रेगिस्तानी इलाकों के अनुरूप रेत जैसे रंग में रंगा गया है, जिससे इन्हें छिपने में अतिरिक्त रणनीतिक लाभ मिलेगा।

अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर:

अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर दुनिया का सबसे उन्नत और घातक अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है। इसे अमेरिकी रक्षा कंपनी बोइंग ने विकसित किया है और इसका नवीनतम संस्करण AH-64E Apache Guardian है, जिसे दुनिया का सबसे आधुनिक मल्टी-कॉम्बैट हेलीकॉप्टर माना जाता है। यह हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों से लैस है। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका नाइट विजन सिस्टम है, जो पायलटों को दिन और रात दोनों में सटीकता से लक्ष्यों की पहचान और हमले की अनुमति देता है। यह हर मौसम में, चाहे बारिश हो, धूल हो या कोहरा, सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर सकता है।

 

अपाचे हेलीकॉप्टर की प्रमुख विशेषताएं

  • यह 280 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
  • यह 21,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ने में सक्षम है।
  • इसमें 16 एंटी-टैंक AGM-114 हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं, जो भारी बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर सकती हैं।
  • हेलीकॉप्टर में स्ट्रिंगर मिसाइलें लगी होती हैं, जो हवा से आने वाले खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
  • इसमें हाइड्रा-70 अनगाइडेड मिसाइलें होती हैं, जो जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  • इसमें 30 मिमी की ऑटो-कैनन गन लगी होती है, जो एक बार में 1,200 राउंड फायर कर सकती है।
  • यह एक मिनट में 128 लक्ष्यों पर निशाना साधने की क्षमता रखता है।
  • इसका हाई-क्वालिटी नाइट विजन सिस्टम अंधेरे में भी दुश्मन की पहचान और ट्रैकिंग में सक्षम है।
  • यह सभी मौसमों में ऑपरेशन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसका उपयोग हमले, सुरक्षा, टोह लेने और शांति अभियानों के लिए किया जा सकता है।

 

स्टील्थ, सर्वाइवल और स्ट्राइक: अपाचे हेलीकॉप्टर से भारत की हवाई शक्ति और मजबूत

अपाचे हेलीकॉप्टर न केवल हमला करने की शक्ति के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी स्टील्थ और सर्वाइवल क्षमता भी बेहद उत्कृष्ट है। इसमें उपयोग की गई सेमी-स्टेल्थ टेक्नोलॉजी और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इसे दुश्मन के राडार से छिपने में मदद करती है। यह युद्ध क्षेत्र में इसके जीवित रहने (Survivability) की संभावना को काफी बढ़ा देती है। इसमें लगा लॉन्गबो रडार सिस्टम धूल, धुंध, कोहरा और बारिश जैसी कठिन मौसमीय परिस्थितियों में भी दुश्मन की स्थिति और संभावित स्ट्राइकिंग पॉइंट्स की पहचान करने में सक्षम है।

 

अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी
भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2020 में एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता हुआ था, जिसके तहत भारत को 6 अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर मिलने थे। यह सौदा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान हुआ था, जिसकी कुल अनुमानित लागत लगभग 600 मिलियन डॉलर (लगभग 5,691 करोड़ रुपये) थी। इस सौदे के तहत पहला बैच मई-जून 2024 तक भारत पहुंचने वाला था, लेकिन डिलीवरी में देरी हो गई। इसकी प्रमुख वजहें वैश्विक सप्लाई चेन में आई बाधाएं और बदलते भू-राजनीतिक हालात थीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रसद संकट और कई देशों के बीच बढ़ते तनावों ने इस डिलीवरी कार्यक्रम को प्रभावित किया। हालांकि, भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही दो अपाचे स्क्वाड्रन मौजूद हैं, जिनमें से एक पंजाब के पठानकोट और दूसरा असम के जोरहाट में तैनात है।

 

वायुसेना और थलसेना दोनों का मददगार
अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर युद्ध के मैदान में न केवल भारतीय वायुसेना, बल्कि थलसेना के लिए भी एक अत्यंत प्रभावी हथियार है। यह थलसेना की स्ट्राइक कोर के हमलों को हवाई कवर प्रदान करता है, जिससे जमीनी हमला और भी ज्यादा खतरनाक और प्रभावी हो जाता है। इसकी रणनीतिक तैनाती युद्ध की दिशा बदलने में सक्षम है। अपाचे हेलीकॉप्टर में दो पायलट होते हैं, जो एक के पीछे एक बैठते हैं। इनमें आगे बैठा पायलट हेलीकॉप्टर को उड़ाता है, जबकि पीछे बैठा को-पायलट हथियार प्रणाली और टारगेटिंग सिस्टम को संचालित करता है। यह समन्वय दुश्मन की स्थिति की सटीक पहचान और उस पर निर्णायक हमला करने में सहायक होता है। दो पायलटों की यह टीम जटिल युद्ध परिस्थितियों में भी अपाचे को अत्यंत प्रभावशाली बनाती है।

 

अपाचे हेलिकॉप्टर की तैनाती
भारतीय थल सेना को पहली बार अत्याधुनिक अपाचे AH-64E लड़ाकू हेलिकॉप्टर मिले हैं, जिन्हें पश्चिमी सीमा के पास राजस्थान के जोधपुर में तैनात किया जाएगा। यह तैनाती रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पाकिस्तान के साथ लगी सीमा के करीब है।

इससे पहले भारतीय वायुसेना के पास अमेरिका से प्राप्त 22 अपाचे हेलिकॉप्टर पहले से ही मौजूद हैं, जो पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर सक्रिय मोर्चों पर तैनात हैं। अमेरिका ने वर्ष 2020 में वायुसेना को ये हेलिकॉप्टर डिलीवर किए थे। अब थल सेना को भी इन हेलिकॉप्टरों से लैस किए जाने के बाद देश की हवाई आक्रमण क्षमता और अधिक मजबूत हो गई है। वर्तमान में भारत के पास कुल 25 अपाचे हेलिकॉप्टर हैं।

 

किन देशों के पास है अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर
अपाचे AH-64 अटैक हेलीकॉप्टर का निर्माण अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने किया था और इसका पहला संस्करण AH-64A वर्ष 1984 की जनवरी में अमेरिकी सेना को सौंपा गया था। इसके बाद से अब तक अमेरिका और अन्य देशों को 2,800 से अधिक अपाचे हेलीकॉप्टर डिलीवर किए जा चुके हैं। अपनी घातक क्षमताओं, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और उच्चतम तकनीक के कारण यह हेलीकॉप्टर कई देशों की सेनाओं का प्रमुख हिस्सा बन चुका है। भारत सहित अनेक देशों ने अपनी हवाई आक्रामक क्षमता को सशक्त करने के लिए अपाचे हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल किया है।

अपाचे हेलीकॉप्टर रखने वाले प्रमुख देश: अमेरिका, भारत, मिस्र, ग्रीस, इंडोनेशिया, इजराइल, जापान, दक्षिण कोरिया, कुवैत, नीदरलैंड, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम (UK)

 

निष्कर्ष:
अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना को न केवल आधुनिक युद्ध क्षमताएं मिली हैं, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक बढ़त भी हासिल हुई है। यह भारत की हवाई शक्ति को और अधिक घातक, सटीक और भरोसेमंद बनाता है।