लद्दाख के श्योक गांव में पहला वनस्पति उद्यान स्थापित किया जाएगा

पूर्वी लद्दाख के श्योक गाँव, जो गलवान घाटी के मार्ग पर स्थित है, में 10 हेक्टेयर बंजर सामुदायिक भूमि को बॉटनिकल गार्डन में बदलने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य किया जा रहा है। इस गार्डन का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के फलों, औषधीय पौधों तथा लद्दाख की विशिष्ट वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का संरक्षण करना है। परियोजना के पूर्ण होने पर यह केंद्र शासित प्रदेश का पहला बॉटनिकल गार्डन होगा।

लद्दाख को बॉटनिकल गार्डन की आवश्यकता क्यों?

लद्दाख का उच्च-ऊँचाई वाला पारिस्थितिकी तंत्र समृद्ध, अद्वितीय और नाजुक है। जलवायु परिवर्तन, विकास के दबाव और बढ़ते पर्यटन के कारण यहाँ की कई स्थानीय पौधों, वृक्षों और औषधीय प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है। लद्दाख में अपनी वनस्पति संपदा के व्यवस्थित संरक्षण के लिए औपचारिक अवसंरचना का अभाव है। प्रस्तावित श्योक बॉटनिकल गार्डन इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह केवल एक उद्यान नहीं, बल्कि लद्दाख के प्राकृतिक इतिहास का जीवंत संग्रहालय और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक वादा है।

स्थान और महत्व:

गलवान घाटी के मार्ग पर स्थित श्योक गाँव पहले से ही अपने भू-राजनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है। सरकार की प्रस्तावित “वार-ज़ोन टूरिज़्म” योजना इस परियोजना को और अधिक प्रासंगिक बना देती है। पारिस्थितिक पर्यटन को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन के साथ जोड़कर यह बॉटनिकल गार्डन लद्दाख का एक प्रमुख आकर्षण बन सकता है।

श्योक बॉटनिकल गार्डन परियोजना का मुख्य उद्देश्य श्योक गाँव की 10 हेक्टेयर बंजर भूमि को पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के माध्यम से एक हरित क्षेत्र में बदलना है।

यह परियोजना 2029 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखती है और “गो ग्रीन, गो ऑर्गेनिक” अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लद्दाख में जैविक और हरित जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इसके माध्यम से स्थानीय और उच्च हिमालयी वनस्पतियों का संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता में सुधार होगा। साथ ही, इको-टूरिज़्म और वार-ज़ोन टूरिज़्म के माध्यम से स्थानीय आय में वृद्धि होगी तथा कृषि, बागवानी और पर्यटन में स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।

परियोजना से सामाजिक स्तर पर भी लाभ की उम्मीद है, क्योंकि यह गाँववासियों की सक्रिय भागीदारी और सामुदायिक स्वामित्व की भावना को मजबूत करेगी। युवाओं के लिए रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अतिरिक्त, यह गार्डन छात्रों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र के रूप में कार्य करेगा और लद्दाख की दुर्लभ पौध प्रजातियों तथा अद्वितीय पर्यावरणीय विशेषताओं पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।

पूर्वी लद्दाख के श्योक गाँव, जो गलवान घाटी के मार्ग पर स्थित है, में 10 हेक्टेयर बंजर सामुदायिक भूमि को बॉटनिकल गार्डन में बदलने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य किया जा रहा है। इस गार्डन का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के फलों, औषधीय पौधों तथा लद्दाख की विशिष्ट वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का संरक्षण करना है। परियोजना के पूर्ण होने पर यह केंद्र शासित प्रदेश का पहला बॉटनिकल गार्डन होगा।

लद्दाख को बॉटनिकल गार्डन की आवश्यकता क्यों?

लद्दाख का उच्च-ऊँचाई वाला पारिस्थितिकी तंत्र समृद्ध, अद्वितीय और नाजुक है। जलवायु परिवर्तन, विकास के दबाव और बढ़ते पर्यटन के कारण यहाँ की कई स्थानीय पौधों, वृक्षों और औषधीय प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है। लद्दाख में अपनी वनस्पति संपदा के व्यवस्थित संरक्षण के लिए औपचारिक अवसंरचना का अभाव है। प्रस्तावित श्योक बॉटनिकल गार्डन इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह केवल एक उद्यान नहीं, बल्कि लद्दाख के प्राकृतिक इतिहास का जीवंत संग्रहालय और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक वादा है।

स्थान और महत्व:

गलवान घाटी के मार्ग पर स्थित श्योक गाँव पहले से ही अपने भू-राजनीतिक महत्व के लिए जाना जाता है। सरकार की प्रस्तावित “वार-ज़ोन टूरिज़्म” योजना इस परियोजना को और अधिक प्रासंगिक बना देती है। पारिस्थितिक पर्यटन को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन के साथ जोड़कर यह बॉटनिकल गार्डन लद्दाख का एक प्रमुख आकर्षण बन सकता है।

 

श्योक बॉटनिकल गार्डन परियोजना का मुख्य उद्देश्य श्योक गाँव की 10 हेक्टेयर बंजर भूमि को पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के माध्यम से एक हरित क्षेत्र में बदलना है।

यह परियोजना 2029 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखती है और “गो ग्रीन, गो ऑर्गेनिक” अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लद्दाख में जैविक और हरित जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इसके माध्यम से स्थानीय और उच्च हिमालयी वनस्पतियों का संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता में सुधार होगा। साथ ही, इको-टूरिज़्म और वार-ज़ोन टूरिज़्म के माध्यम से स्थानीय आय में वृद्धि होगी तथा कृषि, बागवानी और पर्यटन में स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।

परियोजना से सामाजिक स्तर पर भी लाभ की उम्मीद है, क्योंकि यह गाँववासियों की सक्रिय भागीदारी और सामुदायिक स्वामित्व की भावना को मजबूत करेगी। युवाओं के लिए रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अतिरिक्त, यह गार्डन छात्रों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र के रूप में कार्य करेगा और लद्दाख की दुर्लभ पौध प्रजातियों तथा अद्वितीय पर्यावरणीय विशेषताओं पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।

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