पंजाब में बाढ़ का कहर: 30 की मौत, 37 साल बाद सबसे भयावह आपदा

पंजाब में हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ ने जानमाल का भारी नुकसान किया है. लगभग 1400 गांव प्रभावित हुए हैं और 30 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई है, हालात इतने विकट हो गए हैं कि राज्य सरकार को सभी 23 जिलों को आपदा प्रभावित घोषित करना पड़ा है।

निचले इलाकों से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे 1988 के बाद की सबसे गंभीर बाढ़ बताते हुए पूरे देश से राज्य के साथ खड़े होने की अपील की है।

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पंजाब में सभी शैक्षणिक संस्थान 7 सितंबर तक बंद:

 

पंजाब सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त और निजी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और पॉलिटेक्निक संस्थानों को 7 सितंबर 2025 तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। यह कदम छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

 

दशकों की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा पंजाब:

प्रदेश इन दिनों दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। भारी मानसूनी बारिश के साथ-साथ बांधों से छोड़े गए पानी ने कई जिलों में तबाही मचा दी है। आदेशों में साफ कहा गया है कि बाढ़ की वजह से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर होने की आशंका है।

 

पंजाब में बांधों और नदियों की स्थिति:

 

पंजाब के भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर बांध पूरी तरह भर गए हैं। पोंग बांध का जलस्तर 1,391 फीट खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है, जिससे ब्यास नदी में 1.09 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। वहीं, रावी नदी में 14.11 लाख क्यूसेक प्रवाह दर्ज हुआ, जो 1988 की बाढ़ से भी अधिक है।

 

खतरे के निशान के करीब पहुंचा भाखड़ा बांध का जलस्तर

 

पंजाब में बाढ़ की गंभीर स्थिति के बीच भाखड़ा बांध का जलस्तर 1678 फीट तक पहुंच गया है। यह स्तर खतरे के निशान से केवल दो फीट नीचे है। कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस ने जानकारी दी कि फिलहाल 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मंत्री बैंस ने कहा कि बांध को मजबूत किया गया है और लगातार निगरानी रखी जा रही है। इसके बावजूद पानी का स्तर बढ़ने से आस-पास के क्षेत्रों में खतरा बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि पानी लोगों के घरों तक पहुंच सकता है, इसलिए प्रभावित इलाकों के निवासियों को सतर्क रहना चाहिए।

 

1988 में पंजाब में आयी बाढ़:

 

11 मार्च 1988 को रावी नदी में अचानक आई बाढ़ ने पंजाब के गुरदासपुर ज़िले को बुरी तरह प्रभावित किया था। इस आपदा में 40 गाँव जलमग्न हो गए, एक व्यक्ति की जान चली गई और पूरे क्षेत्र का संपर्क तीन दिनों तक टूट गया। उस समय गुरदासपुर से लेकर लुधियाना, जालंधर और संगरूर तक पंजाब के बड़े हिस्से बाढ़ की चपेट में आ गए थे। यह घटना राज्य की सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं में से एक मानी जाती है और आज की बाढ़ की तुलना अक्सर इसी 1988 की विनाशकारी बाढ़ से की जाती है।

 

पंजाब में बाढ़ के प्रमुख कारण:

 

  • भारत की मौसम एजेंसी के अनुसार: पंजाब में बाढ़ बार-बार सक्रिय हो रही मानसूनी धाराओं और पश्चिमी विक्षोभ की पारस्परिक क्रिया के कारण आई है।
  • मूसलाधार बारिश: पिछले कई दिनों से हो रही लगातार भारी वर्षा ने नदियों और जलाशयों में पानी का स्तर असामान्य रूप से बढ़ा दिया है।
  • नदियों का उफान: राज्य की प्रमुख नदियाँ सतलुज, व्यास और रावी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और गहरा गया है।
  • निचले इलाकों की भौगोलिक स्थिति: नदियों के किनारे बसे गाँव और खेत सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, क्योंकि वहाँ पानी रुकने और भरने की संभावना अधिक रहती है।
  • बांधों से रिसाव और दबाव: कुछ स्थानों पर बांधों से पानी रिसने की घटनाएँ सामने आई हैं, जिन्हें अस्थायी रूप से मिट्टी और बोरियों से रोका जा रहा है। यह भी बाढ़ के खतरे को और बढ़ा देता है।

 

जलवायु परिवर्तन और मानवीय गलतिया कितनी जिम्मेदार:

 

पंजाब की हालिया बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय गलतियों का सम्मिलित परिणाम मानी जा रही है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हुई असामान्य भारी वर्षा ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया, जबकि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की तीव्रता और पैटर्न को और अनियमित बना दिया। दूसरी ओर, नदियों की समय पर सफाई न होना, बाढ़ मैदानों पर अतिक्रमण और कमजोर बांधों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया। पानी का प्राकृतिक बहाव बाधित होने से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, जिससे खासकर धान की फसल प्रभावित हुई है। सरकार ने इसके आकलन के लिए विशेष “गिरदावरी” (फसल नुकसान सर्वेक्षण) का आदेश दिया है।

 

पंजाब में बाढ़ के प्रभाव:

 

  • कृषि पर भारी असर: पंजाब, जिसे भारत की “खाद्य टोकरी” कहा जाता है, बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। करीब 1.48 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिसमें धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा है। फाजिल्का, कपूरथला, फिरोजपुर और तरनतारन की हजारों एकड़ जमीन बर्बाद होने से राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है।
  • ग्रामीण जीवन पर प्रभाव: पंजाब की 3 करोड़ की आबादी में से एक चौथाई लोग कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में फसलों के नुकसान से किसानों की आजीविका संकट में है, जबकि बाढ़ ने पशुधन और दैनिक ज़रूरतों को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
  • जनजीवन पर संकट: पंजाब के 1,400 से अधिक गाँव बाढ़ से प्रभावित हैं, जहाँ 3.5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए और 20,000 को सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाकर राहत शिविरों में ठहराया गया है।
  • आर्थिक और सामाजिक असर: बाढ़ से कृषि उत्पादन घटने से खाद्यान्न आपूर्ति पर दबाव, किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी बुनियादी सेवाएँ बाधित हो रही हैं।

 

राहत और बचाव कार्य:

 

पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 23 टीमें, सेना, वायुसेना, नौसेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की इकाइयाँ सक्रिय रूप से मोर्चा संभाले हुए हैं। बचाव कार्यों के लिए 114 नावें और राज्य का एक हेलीकॉप्टर तैनात किया गया है। अब तक 15,688 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है, जिनमें सबसे अधिक गुरदासपुर, फिरोजपुर और फाजिल्का के लोग शामिल हैं। प्रभावित जिलों में 174 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 74 वर्तमान में सक्रिय हैं और लगभग 4,729 लोग उनमें शरण लिए हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्री बलवीर सिंह के अनुसार, 818 मेडिकल टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात की गई हैं ताकि हर व्यक्ति को समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। साथ ही, पशुओं के लिए चारा और पशु चिकित्सा सेवाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

 

पंजाब के सभी आईपीएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देने का फैसला किया है, जबकि हरियाणा सरकार ने राहत कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है।

 

केंद्र सरकार द्वारा मदद का आश्वासन:

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित किसानों को भरोसा दिलाया है कि केंद्र सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है। नई दिल्ली में कृषि क्षेत्र की स्थिति पर उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने पंजाब में बाढ़ और फसलों पर उसके प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने जल्द ही राज्य का दौरा कर जमीनी स्थिति का आकलन करने और किसानों से मिलकर उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

 

आम आदमी पार्टी और पंजाब सरकार की मांग:

आम आदमी पार्टी ने घोषणा की है कि उसके सभी सांसद और विधायक पंजाब के मुख्यमंत्री राहत कोष में अपना एक महीने का वेतन दान करेंगे।

वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र से अटकी हुई लगभग 60,000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने और बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए वित्तीय राहत बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने प्रभावित किसानों को कम से कम ₹50,000 प्रति एकड़ मुआवज़ा देने की माँग भी की है, क्योंकि करीब 3 लाख एकड़ धान की फसल बाढ़ में डूब गई है।

 

राघव चड्ढा ने बाढ़ राहत के लिए 3.25 करोड़ रुपये आवंटित किए

पंजाब में बाढ़ की भयावह स्थिति को देखते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने अपने सांसद निधि (MPLADS) से कुल 3.25 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इनमें से 2.75 करोड़ रुपये गुरदासपुर में बाढ़ सुरक्षा बांधों की मरम्मत और मजबूती के लिए दिए गए हैं, जबकि 50 लाख रुपये अमृतसर में राहत और पुनर्वास कार्यों पर खर्च किए जाएंगे।

 

सरकार की अपील और सावधानियां: सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन लगातार बढ़ते जलस्तर ने चुनौती को और बड़ा बना दिया है।