चार साल पहले स्थानीय उत्पादन बंद करने के बाद, अमेरिकी ऑटो दिग्गज फोर्ड मोटर कंपनी एक बार फिर भारत में मजबूत वापसी की तैयारी में है। कंपनी तमिलनाडु के मराइमलाई नगर संयंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए ₹3,250 करोड़ (लगभग $370 मिलियन) का निवेश करने जा रही है। इस कदम से भारत को निर्यात-उन्मुख इंजन उत्पादन के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में बढ़ाया जाएगा।
पुनर्जीवन योजना के मुख्य बिंदु:
- उद्देश्य: पुनर्निर्मित संयंत्र में अगली पीढ़ी के इंजन तैयार किए जाएंगे, जो पूरी तरह निर्यात के लिए होंगे। फिलहाल इसका मतलब यह नहीं है कि फोर्ड अपनी कारों की बिक्री भारत में फिर से शुरू कर रही है।
- समयसीमा: संयंत्र की तैयारी और निवेश की प्रक्रिया इस वर्ष से शुरू होगी, लेकिन इंजन उत्पादन 2029 से पहले नहीं शुरू होगा। यह लंबी अवधि इस परियोजना की तकनीकी जटिलता को दर्शाती है।
- उत्पादन क्षमता: संयंत्र की वार्षिक क्षमता 2,35,000 इंजनों की होगी। इससे 600 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी।
- सरकारी समझौता: यह योजना फोर्ड और तमिलनाडु सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत औपचारिक रूप से तय की गई है, जो सितंबर 2024 में जारी इरादा पत्र (LoI) पर आधारित है।
फोर्ड ने 2021 में भारतीय बाजार से अपना संचालन बंद कर दिया था:
फोर्ड मोटर कंपनी ने 2021 में भारतीय बाजार से अपने संचालन को बंद करने का फैसला लिया था। यह निर्णय अमेरिकी ऑटोमोबाइल दिग्गज के लिए कठिन लेकिन कदम था, क्योंकि कंपनी भारत में लगातार नुकसान झेल रही थी। कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक परिस्थितियों ने स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, फोर्ड को भारत में लगभग 2 अरब डॉलर (करीब ₹14,600 करोड़) का नुकसान हुआ।
कंपनी ने साणंद (गुजरात) और मराइमलाई नगर (चेन्नई) स्थित अपने दोनों प्रमुख संयंत्रों में उत्पादन बंद कर दिया, क्योंकि भारत में मुनाफे की कोई ठोस संभावना नहीं दिख रही थी।
फोर्ड के भारत छोड़ने के प्रमुख कारण:
- लगातार घाटा:पिछले एक दशक में फोर्ड को भारत में भारी परिचालन नुकसान (लगभग 2 अरब डॉलर) झेलना पड़ा।
- कम बिक्री और मांग:भारतीय ग्राहकों में फोर्ड की गाड़ियों की मांग लगातार घटती रही और बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई।
- कम उत्पादन उपयोग:कंपनी के संयंत्रों की कुल क्षमता 4,00,000 यूनिट थी, लेकिन केवल 20% क्षमता का ही उपयोग हो पा रहा था।
- कड़ी प्रतिस्पर्धा:मारुति सुजुकी, हुंडई और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों के मुकाबले फोर्ड अपनी कारों को भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतों और मूल्य संवेदनशीलता के अनुसार नहीं ढाल सकी।
- महिंद्रा के साथ साझेदारी का टूटना:2021 में महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ संयुक्त उद्यम रद्द हो जाने से फोर्ड का भारत में रणनीतिक “प्लान बी” खत्म हो गया।
भारत में फोर्ड की यात्रा:
फोर्ड ने 1995 में भारत में अपनी शुरुआत की थी और तमिलनाडु के चेन्नई तथा गुजरात के साणंद में दो बड़े संयंत्र स्थापित किए। चेन्नई प्लांट की क्षमता 2 लाख वाहनों की थी, जबकि साणंद संयंत्र में 2.4 लाख वाहनों और 2.7 लाख इंजनों के उत्पादन की क्षमता थी। कंपनी ने यहां इकोस्पोर्ट, एंडेवर, फिगो, फ्रीस्टाइल और एस्पायर जैसे लोकप्रिय मॉडल बनाए।
अब, चार साल बाद, कंपनी फिर से भारत में एक नई रणनीति और निर्यात-उन्मुख दृष्टिकोण के साथ वापसी की तैयारी कर रही है — यह फोर्ड की कहानी का एक नया अध्याय होगा।
2018 में हुए थे 10 लाख ग्राहक:
फोर्ड ने भारत में 1995 में महिंद्रा से पार्टनरशिप करके एंट्री की थी। उस वक्त कंपनी का नाम महिंद्रा फोर्ड इंडिया लिमिटेड (MFIL) था। फोर्ड इंडिया ने जुलाई 2018 में 1 मिलियन (10 लाख) ग्राहकों के आंकड़ा छुआ था।
मुख्यमंत्री का प्रयास: स्टालिन ने सितंबर 2024 में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान फोर्ड के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी, जहाँ उन्होंने कंपनी को तमिलनाडु में अपने परिचालन को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया था।
तमिलनाडु संयंत्र को दोबारा करेगी चालू:
सूत्रों के अनुसार, फोर्ड तमिलनाडु में स्थिति अपने पुराने मराइमलाई नगर संयंत्र को दोबारा चालू करने की योजना बना रही है. इस प्लांट को पूरी तरह से नई तकनीक के साथ रिटूल किया जाएगा ताकि वहां निर्यात के लिए हाई-परफॉर्मेंस इंजन तैयार किए जा सकें. यह संयंत्र हर साल 2 लाख से अधिक इंजन बनाने की क्षमता रखेगा. हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ये इंजन किन देशों को निर्यात किए जाएंगे, लेकिन इतना तय है कि इनका निर्यात अमेरिका को नहीं किया जाएगा.
यह निर्णय सीईओ (CEO) जिम फर्ले का भारत को एक उत्पादन आधार के रूप में नवीनीकृत विश्वास दर्शाता है और इलेक्ट्रिक वाहन महत्वाकांक्षाओं से उन्नत दहन इंजन निर्यात की ओर एक बदलाव को उजागर करता है।
ट्रंप टैरिफ के बावजूद भारत में निवेश:
ट्रंप की नीतियों के तहत अमेरिकी कंपनियों को अमेरिका लौटने और वहीं उत्पादन करने पर जोर दिया जा रहा है, इसके बावजूद, एप्पल के बाद अब फोर्ड जैसी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, इससे साफ है कि अमेरिकी कंपनियां अब भी भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार को उच्च लागत और सख्त व्यापारिक नीतियों से बेहतर विकल्प मान रही हैं ।
भारत में अमेरिकी कंपनियों का बढ़ता निवेश:
गूगल का 10 अरब डॉलर का निवेश निर्णय: भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति अमेरिकी कंपनियों के मजबूत भरोसे का प्रमाण है कि गूगल ने विशाखापत्तनम में एक डेटा सेंटर हब स्थापित करने के लिए 10 अरब डॉलर (लगभग 88,730 करोड़ रुपये) का निवेश करने का फैसला किया है।
वर्ष 2024 में कंपनी ने 6 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी, लेकिन अब योजना को विस्तार देते हुए निवेश राशि बढ़ा दी गई है। इस परियोजना के लिए नई दिल्ली में इस महीने समझौता होने जा रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट का तीन अरब डॉलर का निवेश:इसी क्रम में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने जनवरी 2025 में भारत दौरे के दौरान अगले दो वर्षों में 3 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा की थी। सूत्रों के अनुसार, जब जुलाई 2024 में शुल्क विवाद अपने चरम पर था, तब माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय टीम ने इस निवेश योजना को अंतिम रूप दिया। इस निवेश के तहत कंपनी भारत में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेंटर स्थापित करेगी। यह भारत में माइक्रोसॉफ्ट का प्राथमिक एआई निवेश होगा।
भारत में एप्पल उत्पादन: भारत में एप्पल के आईफोन का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। मार्च 2025 तक के 12 महीनों में, भारत में $22 अरब डॉलर के आईफोन असेंबल किए गए।
निर्यात: भारत में उत्पादित आईफोन का बड़ा हिस्सा निर्यात किया जाता है। 2021-22 से 2024-25 के बीच भारत में उत्पादित $45 अरब डॉलर के आईफोन में से $34 अरब डॉलर ($76%) का निर्यात हुआ।
तमिलनाडु का औद्योगिक लाभ: फोर्ड के पुनर्निवेश से बढ़ेगा राज्य का ऑटोमोटिव प्रभाव–
तमिलनाडु लंबे समय से भारत के शीर्ष औद्योगिक और ऑटोमोटिव विनिर्माण केंद्रों में से एक रहा है। यहां हुंडई, रेनॉल्ट, बीएमडब्ल्यू जैसी वैश्विक कंपनियों की उपस्थिति ने इसे “भारत का डेट्रॉइट” भी कहा जाने लगा है।
ऐसे में फोर्ड का ₹3,250 करोड़ का पुनर्निवेश तमिलनाडु के औद्योगिक परिदृश्य के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है। यह कदम न केवल फोर्ड और भारत के बीच पुराने सहयोगी रिश्ते को पुनर्जीवित करता है, बल्कि राज्य की ऑटोमोटिव आपूर्ति श्रृंखला को और सशक्त बनाएगा।
फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Company) के बारे में:
फोर्ड मोटर कंपनी एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय वाहन निर्माता कंपनी है, जिसका मुख्यालय डियरबोर्न, मिशिगन (डेट्रॉइट का उपनगर) में स्थित है। कंपनी की स्थापना हेनरी फोर्ड द्वारा की गई थी और इसे 16 जून, 1903 को आधिकारिक रूप से शामिल किया गया।
फोर्ड कंपनी “Ford” ब्रांड के तहत ऑटोमोबाइल और वाणिज्यिक वाहन तथा “Lincoln” ब्रांड के तहत लक्जरी कारें बेचती है। यह विश्व की प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माताओं में से एक है, जो अपने नवाचार, इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और वैश्विक उत्पादन नेटवर्क के लिए प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष:
फोर्ड का ₹3,250 करोड़ का निवेश तमिलनाडु में उसके संयंत्र को नई ऊर्जा देने के साथ-साथ भारत के साथ उसके पुराने औद्योगिक संबंधों को भी फिर से मजबूत करता है। निर्यात-केन्द्रित इंजन निर्माण की यह रणनीति न केवल फोर्ड की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की भूमिका को बढ़ाएगी, बल्कि देश को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र के रूप में भी स्थापित करेगी।
