‘गिफ्ट सिटी’ में विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली की शुरुआत: अब डॉलर में भी हो सकेगा लेनदेन, भारत गिने-चुने देशों के क्लब में शामिल..

7 अक्टूबर 2025 को मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल 2025 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में नई विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली (FCSS) का उद्घाटन किया। यह प्रणाली गिफ्ट सिटी में विदेशी मुद्रा लेनदेन को वास्तविक समय में निपटाने में मदद करेगी और भारत को उन चुनिंदा वैश्विक वित्तीय केंद्रों में शामिल करेगी जिनके पास स्थानीय विदेशी मुद्रा निपटान सुविधा है। इसके जरिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश और वित्तीय गतिविधियों की दक्षता बढ़ाने, जोखिम कम करने और तरलता सुधारने की उम्मीद है।

Foreign exchange settlement system launched in GIFT City

ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में वित्त मंत्री ने कहा,

विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली (FCSS) वास्तविक समय में लेनदेन करने, तरलता बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने में मदद करेगी। यह प्रणाली IFSC के भीतर काम करेगी और इसे खासतौर पर विदेशी मुद्रा में लेनदेन तुरंत या लगभग तुरंत निपटाने के लिए बनाया गया है। साथ ही यह निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS Act) के नियामक ढांचे के तहत रहते हुए तरलता प्रबंधन और परिचालन लचीलापन को मजबूत करेगा।

फिनटेक इकोसिस्टम के बारे में सीतारमण ने कहा:

भारत के फिनटेक इकोसिस्टम के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अब फिनटेक कंपनियों की संख्या में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और डिजिटल भुगतान में भी अग्रणी है। 2024-25 तक देश में 18,580 करोड़ से ज्यादा यूपीआई लेनदेन किए गए, जिनकी कुल राशि 261 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

 

विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली क्या है?

पहले गिफ्ट सिटी की कंपनियाँ अमेरिकी डॉलर, यूरो या येन जैसी विदेशी मुद्राओं में लेनदेन के लिए विदेशी बैंकों पर निर्भर थीं। इस समस्या को हल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और IFSCA ने विदेशी मुद्रा निपटान प्रणाली शुरू की है। अब गिफ्ट सिटी के बैंक भारत के भीतर ही अंतरराष्ट्रीय लेनदेन निपटा सकते हैं।

 

‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’की दिशा में बड़ा सुधार:

भारत में अब तक जब कोई कंपनी विदेशी मुद्रा जैसे डॉलर में लेनदेन करती थी, तो उसे लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जिसे ‘कॉरस्पांडेंट बैंकिंग’ कहते हैं। इसमें पैसा कई बैंकों और अलग-अलग देशों के सिस्टम से होकर गुजरता था, और पूरा लेनदेन 36 से 48 घंटे, यानी लगभग दो दिन ले लेता था। इससे कारोबार धीमा होता था और बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी बढ़ जाता था।

वित्त मंत्री ने बताया कि नया फॉरेन करेंसी सेटलमेंट सिस्टम (FCSS) इस समस्या को खत्म कर देगा। अब विदेशी मुद्रा में होने वाले लेनदेन ‘रियल-टाइम’, यानी तुरंत पूरे होंगे। इससे गिफ्ट सिटी में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए पैसों का प्रबंधन आसान हो जाएगा और उनका पैसा अटकेगा नहीं। इससे वे तेजी से और कुशलता से अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे। यह कदम कारोबार करने में आसानी यानी ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की दिशा में एक बड़ा सुधार है।

 

भारत गिने-चुने देशों के क्लब में शामिल:

गिफ्ट सिटी में यह नया सिस्टम शुरू होने का मतलब है कि भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास अपने देश में सीधे विदेशी मुद्रा लेनदेन करने की क्षमता है। पहले यह सुविधा सिर्फ हांगकांग, टोक्यो और मनीला जैसे बड़े वित्तीय केंद्रों के पास थी। यह भारत के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इससे दुनिया भर के निवेशकों और कंपनियों का भारत पर भरोसा और बढ़ेगा।

 

नई प्रणाली कैसे काम करती है?

FCSS एक मुख्य वाणिज्यिक बैंक को केंद्रीय निपटान बैंक बनाता है। अन्य सभी सदस्य IBU इसी बैंक में खाते रखते हैं, जिससे वे सीधे एक-दूसरे के साथ लेनदेन कर सकते हैं, बिना विदेशी प्रणाली पर निर्भर हुए। यह प्रणाली भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत संचालित होती है और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा विनियमित होती है।

  • सिस्टम ऑपरेटर: क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की सहायक कंपनी, CCIL IFSC लिमिटेड, FCSS का संचालन करेगी।
  • निपटान बैंक: स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को निपटान बैंक के रूप में चुना गया है।
  • प्रौद्योगिकी साझेदार: इस प्रणाली का सॉफ्टवेयर IFTAS (भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी एवं संबद्ध सेवाएं) ने बनाया है, जो भारतीय रिजर्व बैंक की सहायक कंपनी है।
  • शुरुआत में मुद्रा: शुरुआत में यह प्रणाली अमेरिकी डॉलर में लेनदेन संभालेगी, और भविष्य में अन्य विदेशी मुद्राओं को भी जोड़ने की योजना है।

 

भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007:

भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 भारत में सुरक्षित, तेज और सुचारू भुगतान प्रणालियों को सुनिश्चित करने के लिए RBI को अधिकार देता है और भुगतान प्रणालियों के लिए स्पष्ट नियम व मानक निर्धारित करता है।

 

गिफ्ट सिटी के बारे में:

गिफ्ट सिटी भारत का पहला विशेष आर्थिक क्षेत्र है, जिसे वैश्विक वित्त, बीमा, फिनटेक और पूंजी बाजार के लिए बनाया गया है। यह अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच 886 एकड़ में फैला है।

इसका उद्देश्य भारत में एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाना है, जो लंदन, सिंगापुर और दुबई जैसे बड़े शहरों के साथ मुकाबला कर सके। गिफ्ट सिटी की स्थापना 2007 में हुई और 2020 से इसे IFSCA द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। यहां विशेष नियम लागू हैं, जो विदेशी मुद्रा लेनदेन, कर लाभ और आसान नियामक ढांचे की अनुमति देते हैं।

 

गिफ्ट सिटी के निर्माण का कारण:

गिफ्ट सिटी बनने से पहले, कई भारतीय कंपनियाँ कर और नियमों की सुविधाओं के कारण सिंगापुर या मॉरीशस जैसे विदेशी केंद्रों का इस्तेमाल करती थीं। इससे भारत की आय और वैश्विक वित्तीय भूमिका कम हो रही थी। गिफ्ट सिटी इसी समस्या को हल करने के लिए बनाया गया, ताकि कंपनियों को भारत में ही आसान और लचीला विकल्प मिल सके। यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय वित्तीय गतिविधियों को आकर्षित करने के लिए भारत के अंदर एक विशेष क्षेत्र के रूप में काम करता है।

 

भारत की अर्थव्यवस्था में गिफ्ट सिटी का योगदान:

गिफ्ट सिटी भारत को एक वैश्विक वित्तीय केंद्र बनाने में मदद करती है। यह बहुराष्ट्रीय बैंक, निवेश कोष और फिनटेक कंपनियों को आकर्षित करती है। इससे उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियाँ पैदा होती हैं और अंतरराष्ट्रीय पूंजी भारत में आती है। गिफ्ट सिटी विदेशी केंद्रों की ओर होने वाले वित्तीय बहिर्वाह को भी कम करती है। 2025 अंत तक, गिफ्ट सिटी में लगभग 1,000 संस्थाएँ, जैसे बैंक, बीमा कंपनियाँ, परिसंपत्ति प्रबंधक और पूंजी बाजार के मध्यस्थ मौजूद होंगे।

 

गिफ्ट सिटी प्रगति से सशक्त फिनटेक क्षेत्र:

गिफ्ट सिटी की विशेष क्षमताओं को देखते हुए, वित्त मंत्री ने फिनटेक कंपनियों से इस पारिस्थितिकी तंत्र का इस्तेमाल करने का आग्रह किया। भारत अब दुनिया के लगभग 50% डिजिटल लेनदेन में हिस्सा लेता है, और डिजिटल भुगतान की दर 87% तक पहुँच गई है, जो वैश्विक औसत 63% से बहुत ज्यादा है। इसके साथ ही, भारत फिनटेक कंपनियों की संख्या में दुनिया में तीसरे स्थान पर है, जो देश की डिजिटल वित्त में बढ़ती भूमिका को दिखाता है।

 

गिफ्ट सिटी की अब तक की उपलब्धियाँ:

  • BSE की सहायक कंपनी इंडिया INX ने वैश्विक प्रतिभूतियों में 22 घंटे ट्रेडिंग की सुविधा दी है, जबकि NSE IX भी इसी तरह की सेवाएँ प्रदान करता है। इन एक्सचेंजों का कारोबार लगातार बढ़ रहा है।
  • गिफ्ट सिटी भारत की पहली विमान और जहाज लीजिंग इकाइयों का घर है, जो घरेलू लीजिंग और वित्तपोषण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए स्थापित की गई हैं।
  • यहाँ कई वैश्विक कंपनियों ने अपना संचालन शुरू किया है, जिनमें विमान पट्टे देने वाली कंपनियाँ, फंड मैनेजर और फिनटेक स्टार्टअप शामिल हैं।
  • हाल के वर्षों में मॉर्गन स्टेनली, HSBC, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और MUFG बैंक जैसी संस्थाएँ भी गिफ्ट सिटी में रुचि ले रही हैं।
  • गिफ्ट सिटी अब अपतटीय व्युत्पन्न उपकरणों और स्थायी वित्त उत्पादों का केंद्र बन गया है, जहाँ ग्रीन बॉन्ड और ESG फंड लॉन्च किए जा रहे हैं।

 

निष्कर्ष:

FCSS के शुभारंभ से गिफ्ट सिटी की वैश्विक फिनटेक नवाचार के केंद्र के रूप में स्थिति और मजबूत होगी। यह प्रणाली विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे, स्पष्ट नियामक दिशा-निर्देश और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ सहज एकीकरण के लिए उन्नत भुगतान सुविधाएँ प्रदान करेगी।