बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसाओं पर आया है, जिसमें 1,400 से अधिक लोगों की मौत दर्ज की गई थी। हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी फांसी की सजा दी गई, जबकि पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई है। ममून राज्य गवाह बन चुके हैं।
निर्णय सुनते ही कोर्टरूम में मौजूद लोगों ने तालियां बजाईं। ढाका में फैसले का लाइव प्रसारण बड़े पर्दों पर दिखाया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग जुड़े रहे। राजधानी ढाका में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं और शहर को छावनी में बदल दिया गया है।
हसीना की बनाई कोर्ट ने ही सुनाई मौत की सजा
दिलचस्प है कि इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना 2010 में खुद शेख हसीना की सरकार ने की थी, ताकि 1971 के युद्ध अपराधों की सुनवाई हो सके। हालांकि इसकी कानूनी नींव 1973 के एक्ट में रखी गई थी, पर यह कोर्ट सक्रिय रूप से 2010 में काम शुरू कर पाई।
आज उसी अदालत ने हसीना को सबसे बड़ी सजा सुनाई – वह भी ऐसे समय में जब वे पिछले 15 महीनों से भारत में हैं और बांग्लादेश उन्हें ‘फरार आरोपी’ घोषित कर चुका है।
केस में क्या आरोप थे?
ट्रिब्यूनल ने हसीना पर पाँच गंभीर आरोप तय किए थे:
- हत्या, हत्या के प्रयास और यातना
- आरोपियों ने पुलिस और अवामी लीग के हथियारबंद कार्यकर्ताओं को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के लिए उकसाया।
- कई घटनाओं में गोलीबारी, पिटाई और टॉर्चर के सबूत मिले।
- घातक हथियारों का प्रयोग: हसीना पर आरोप था कि उन्होंने हेलिकॉप्टर गनफायर, ड्रोन, और भारी हथियार इस्तेमाल करने की अनुमति दी।
- अबू सैयद की हत्या
- 16 जुलाई को बेगम रौकेया यूनिवर्सिटी के छात्र अबू सैयद की हत्या को कोर्ट ने ‘प्लान्ड मर्डर’ माना।
- आदेश हसीना और गृह मंत्री द्वारा दिए गए थे, ऐसा कोर्ट में प्रस्तुत सबूतों से दावा किया गया।
- चांखारपुल किलिंग: 5 अगस्त 2024 को छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या, जिसे ट्रिब्यूनल ने हसीना के सीधे आदेश और साजिश का नतीजा बताया।
- पांच प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर मारना और लाशें जलाना: एक प्रदर्शनकारी को जिंदा जलाने का आरोप भी शामिल था।
सबूत क्या थे?
अदालत ने कहा कि उनके पास ‘अनरिफ्यूटेबल एविडेंस‘ (अखंडनीय सबूत) हैं। इनमें शामिल थे-
- पुलिस के गोली चलाने वाले वीडियो
- हसीना के कथित ‘शूट-टू-किल’ ऑडियो
- ड्रोन लॉग्स
- अस्पतालों के रिकॉर्ड
- सर्वाइवर्स, डॉक्टर, पत्रकारों और अधिकारियों सहित 84 गवाहों के बयान
- इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन की रिपोर्ट
ट्रिब्यूनल ने 453 पेज का विस्तृत जजमेंट जारी किया है।
हसीना और असदुज्जमान कहाँ हैं?
दोनों नेता भारत में हैं और बांग्लादेश सरकार उन्हें ‘फरार’ मानती है।
शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कुछ दिनों पहले कहा था: “हमें पहले से पता था कि मां को मौत की सजा सुनाई जाएगी। भारत उनकी सुरक्षा कर रहा है और वे सुरक्षित हैं।”
भारत ने हसीना का वीज़ा पहले ही बढ़ा दिया है, जिससे उनके डिपोर्टेशन की संभावना लगभग खत्म हो गई है।
पूर्व IGP ममून का खुलासा
राज्य गवाह बने ममून ने कोर्ट में स्वीकार किया कि:
- “18 जुलाई को PM हसीना ने गृह मंत्री को घातक हथियार उपयोग करने का आदेश दिया था।”
- “हर दिन प्रधानमंत्री आवास में मीटिंग होती थी, जहां छात्र आंदोलन को कुचलने की रणनीति बनती थी।”
उनके सहयोग के कारण उन्हें रियायत दी गई।
ढाका की सड़कों पर तनाव, सन्नाटा
ट्रिब्यूनल के फैसले से पहले ढाका को छावनी में बदल दिया गया था।
- सेना, BGB और पुलिस की भारी तैनाती
- कई जगह धारा 144 जैसी रोक
- भीड़ इकट्ठा होते ही कार्रवाई
- उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश
धानमंडी 32 में हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का घर गिराने पहुँचे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी हुआ। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए साउंड ग्रेनेड तक इस्तेमाल किए।
हसीना का बयान – “यह राजनीति से प्रेरित फैसला है”
भारत में रह रहीं हसीना ने कहा:
“फैसला झूठा, पक्षपाती और राजनीतिक साजिश है। यह एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है, जिसका जनता से कोई जनादेश नहीं है।
अवामी लीग को खत्म करने की कोशिश हो रही है।”
उन्होंने यूनुस सरकार पर अल्पसंख्यकों, महिलाओं और अवामी लीग समर्थकों पर हमले बढ़ने का आरोप लगाया।
कैसे हुआ तख्तापलट
- जून 2024 में बांग्लादेश हाईकोर्ट ने फ्रीडम फाइटर्स कोटा बहाल किया।
- छात्रों ने इसका विरोध शुरू किया।
- 5 अगस्त को प्रदर्शन हिंसक हुए और भीड़ PM आवास पर पहुँची।
- उसके कुछ घंटों बाद हसीना भारत भाग गईं।
- 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार आई।
- इसके बाद हसीना पर 225 से अधिक केस दर्ज हुए।
मुख्य घटनाओं की टाइमलाइन
- जुलाई-अगस्त 2024: छात्र आंदोलन, 1,400 मौतें
- 5 अगस्त 2024: हसीना इस्तीफा देकर भारत पहुँचीं
- 8 अगस्त 2024: यूनुस सरकार बनी
- 6 जनवरी 2025: गिरफ्तारी वारंट जारी
- 1 जून 2025: ट्रायल शुरू
- 10 जुलाई 2025: 5 आरोप तय
- अगस्त-अक्टूबर 2025: गवाहों की गवाही
- 23 अक्टूबर 2025: ट्रायल समाप्त
- 17 नवंबर 2025: मौत की सजा
20 साल बांग्लादेश की सत्ता में रहीं शेख हसीना
- 23 जून 1996: पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं
- 2001–2009: लगातार दो कार्यकाल विपक्ष की नेता रहीं
- 6 जनवरी 2009: दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता में वापसी
- 2014: तीसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं
- 2019: चौथी बार प्रधानमंत्री पद संभाला
- जनवरी 2024: लगातार चौथी बार और कुल पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनीं
- 5 अगस्त 2024: रिजर्वेशन आंदोलन के उग्र होने पर पद से इस्तीफा दिया
निष्कर्ष:
शेख हसीना के खिलाफ यह फैसला बांग्लादेश के इतिहास में सबसे बड़ा राजनीतिक और कानूनी मोड़ है। छात्र आंदोलन के खूनखराबे और उसके बाद हुए तख्तापलट ने देश की राजनीति को मूल रूप से बदल दिया है। कोर्ट का फैसला बहुतों के लिए न्याय है, लेकिन अवामी लीग के समर्थकों के लिए यह ‘राजनीतिक बदला’ है।
आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता कैसे लौटती है और भारत में रह रहीं हसीना का भविष्य किस दिशा में जाता है।
