भारतीय परिवारों की रसोई में दूध, पनीर और खोया जैसे डेयरी उत्पाद रोजमर्रा के भोजन का अहम हिस्सा हैं। त्योहारों पर खरीदी जाने वाली मिठाइयों से लेकर घर में बनने वाली सब्जियों तक, इन चीजों की खपत बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन पिछले कुछ समय से नकली और मिलावटी डेयरी प्रोडक्ट्स की बढ़ती घटनाओं ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है।
इसी समस्या से निपटने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पूरे देश में एक विशेष अभियान शुरू किया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए ताजा निर्देशों में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई का आदेश दिया गया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य जनस्वास्थ्य की रक्षा करना और खाद्य व्यवस्था में लोगों का भरोसा बहाल करना है।
अभियान क्यों जरूरी हो गया?
यह निर्देश खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 16(5) के तहत जारी किया गया है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में तत्काल कदम उठाने की अनुमति देती है। अधिकारियों के मुताबिक, देश भर में दूध, पनीर और खोया में लगातार मिलावट और गलत लेबलिंग की शिकायतें मिलने के बाद यह फैसला लिया गया।
स्टार्च, चीनी, डिटर्जेंट और रासायनिक पदार्थों जैसी मिलावट सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। FSSAI का मानना है कि खाद्य धोखाधड़ी न सिर्फ उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि ईमानदार डेयरी उत्पादकों की साख को भी नुकसान पहुंचाती है।
चौंकाने वाले आंकड़े
संसद में साझा किए गए हालिया आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं। पंजाब में 2024-25 के दौरान जांच किए गए पनीर और अन्य दुग्ध उत्पादों के लगभग 47 प्रतिशत सैंपल खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे। कई नमूनों में स्टार्च और अतिरिक्त चीनी जैसी मिलावट पाई गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ये आंकड़े राष्ट्रीय स्तर की समस्या को दर्शाते हैं।
व्यापक निरीक्षण की तैयारी
विशेष अभियान के तहत राज्य खाद्य सुरक्षा विभागों और FSSAI के क्षेत्रीय कार्यालयों को डेयरी आपूर्ति श्रृंखला के सभी चरणों का निरीक्षण करने का आदेश दिया गया है। इसमें उत्पादन इकाइयां, भंडारण केंद्र, परिवहन, थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता और खानपान सेवाएं शामिल हैं।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नमूने एकत्र करेंगे और जांचेंगे कि व्यवसायों के पास उचित लाइसेंस या पंजीकरण है या नहीं। यह अभियान बड़े निर्माताओं के साथ-साथ छोटे, अनौपचारिक या बिना लाइसेंस वाले खाद्य व्यवसाय संचालकों को भी कवर करेगा।
उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
FSSAI ने निर्देश दिया है कि जहां भी उल्लंघन पाया जाए, वहां सख्त कार्रवाई की जाए। इसमें असुरक्षित उत्पादों की जब्ती, लाइसेंस निलंबन या रद्द करना, अवैध इकाइयों को बंद करना और मिलावटी सामान को नष्ट करना शामिल है।
संदिग्ध मामलों में अधिकारी मिलावट के स्रोत की पहचान करने के लिए ट्रेसेबिलिटी जांच करेंगे और अवैध आपूर्ति श्रृंखलाओं को तोड़ेंगे। FSSAI ने राज्यों के बीच बेहतर समन्वय पर भी जोर दिया है ताकि नकली डेयरी उत्पादों की सीमा पार आवाजाही रोकी जा सके।
होटल, रेस्तरां और मिठाई की दुकानें भी निशाने पर
नियामक ने राज्य अधिकारियों से कहा है कि वे होटलों, रेस्तरां, कैटरर्स और खाद्य सेवा संघों को जागरूक करें। इन प्रतिष्ठानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि केवल सुरक्षित और असली पनीर तथा डेयरी उत्पादों की खरीद और उपयोग हो।
देश भर से मिलने वाले निरीक्षण डेटा को फूड सेफ्टी कंप्लायंस सिस्टम (FoSCoS) में रियल टाइम में अपलोड किया जाएगा, जिससे FSSAI रुझानों की निगरानी कर सके और त्वरित कार्रवाई कर सके। खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और FSSAI के क्षेत्रीय निदेशकों से कहा गया है कि वे व्यक्तिगत रूप से इस अभियान की देखरेख करें।
नकली पनीर आखिर बनाया कैसे जाता है?
नकली पनीर दरअसल दूध से बने पारंपरिक पनीर जैसा बिल्कुल नहीं होता। इसे बनाने में कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो खाने योग्य नहीं होतीं। कई मामलों में खराब या बासी दूध, आटा, पाम ऑयल, डिटर्जेंट पाउडर और ग्लिसरॉल मोनोस्टियरेट जैसे केमिकल्स मिलाए जाते हैं।
इतना ही नहीं, असली पनीर जैसा रंग और आकार देने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड जैसे खतरनाक रसायन का भी प्रयोग किया जाता है। ये सभी तत्व शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक माने जाते हैं। इस तरह तैयार किया गया पनीर देखने में तो असली जैसा लगता है, लेकिन पोषण के नाम पर इसमें कुछ भी नहीं होता।
सेहत पर नकली पनीर के खतरनाक असर
नकली पनीर में मौजूद केमिकल्स शरीर के अंदर जाकर गंभीर बीमारियों की वजह बन सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे पनीर का लगातार सेवन करने से किडनी और लिवर पर सीधा असर पड़ता है।
इसके अलावा नकली पनीर खाने से फूड पॉइजनिंग, पेट दर्द, उल्टी, दस्त और अपच जैसी समस्याएं आम हो सकती हैं। कुछ लोगों में इससे स्किन एलर्जी भी देखी जाती है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।
घर पर कैसे पहचानें असली और नकली पनीर?
यह सच है कि आम लोगों के पास कोई लैब या मशीन नहीं होती, जिससे वे पनीर की शुद्धता की जांच कर सकें। इसी वजह से मिलावटी पनीर का कारोबार आसानी से चल रहा है।
हालांकि कुछ घरेलू तरीके अपनाकर पनीर की क्वालिटी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- पनीर को हाथ से मसलकर देखें। अगर वह टूटकर चूरा-चूरा हो जाए, तो उसमें मिलावट हो सकती है।
- नकली पनीर अक्सर पाउडर मिल्क से बनाया जाता है, इसलिए वह दबाने पर बिखर जाता है।
- असली पनीर ज्यादा सॉफ्ट और मुलायम होता है, वह आसानी से चूरा नहीं बनता।
कीमत से भी पकड़ में आता है नकली पनीर
असली और नकली पनीर के दामों में भी साफ अंतर होता है। शुद्ध दूध से बने पनीर की कीमत आमतौर पर 400 से 450 रुपये प्रति किलो के आसपास होती है। इसकी वजह यह है कि एक किलो पनीर बनाने में करीब 5 किलो दूध की जरूरत पड़ती है।
वहीं मिलावटी या आर्टिफिशियल पनीर 150 से 250 रुपये प्रति किलो में तैयार हो जाता है। कई बार दुकानदार इसे भी असली पनीर के दाम पर बेच देते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं। इस लालच में वे ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते।
कब सबसे ज्यादा बढ़ती है नकली पनीर की सप्लाई?
जैसे ही शादी-विवाह का मौसम शुरू होता है, मिलावटखोर सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। इस समय दूध, मावा और पनीर की मांग अचानक बढ़ जाती है, जबकि दूध का उत्पादन उतनी तेजी से नहीं बढ़ता।
इसी कमी का फायदा उठाकर नकली पनीर की सप्लाई बाजार में बढ़ा दी जाती है। यही कारण है कि शादी के सीजन में मिलावटी पनीर के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं।
एक और पहचान यह भी है कि नकली पनीर को तलने के बाद उसमें कोई खास स्वाद नहीं आता। शादी या बारात में कई बार बेस्वाद पनीर खाने का अनुभव हुआ होगा-अक्सर इसकी वजह नकली पनीर ही होता है।
पनीर खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?
अगर आप खुले में पनीर खरीद रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
- दुकानदार से थोड़ा सा पनीर सैंपल के तौर पर जरूर मांगें।
- पनीर को हल्का दबाकर देखें। असली पनीर सॉफ्ट और स्पॉन्जी होता है, जबकि नकली पनीर अक्सर हार्ड लगता है।
- असली पनीर याद रखें कि सिर्फ दूध से बनता है। उसमें दूध के अलावा किसी और तरह की गंध या स्वाद नहीं आना चाहिए।
- असली पनीर रबर की तरह खिंचता नहीं है। वह नरम और मुलायम बना रहता है।
पैकेज्ड पनीर लेते समय क्या जांचें?
आजकल लोग पैकेट वाला पनीर भी ज्यादा खरीदते हैं। ऐसे में कुछ अतिरिक्त सावधानियां जरूरी हैं।
- पैकेज पर मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट जरूर देखें।
- यह भी जांचें कि पनीर को स्टोर करने की सही व्यवस्था की गई है या नहीं।
- डेयरी प्रोडक्ट्स ज्यादा गर्मी में जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए ठंडे स्टोरेज में रखा पनीर ही खरीदें।
पनीर के पोषण तत्व और सेहत के फायदे
नकली पनीर से अलग, शुद्ध पनीर सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और फोलेट जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करते हैं।
करीब 100 ग्राम पनीर में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है। प्रोटीन शरीर में मसल्स को मजबूत बनाने और हार्मोन बैलेंस रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा पनीर पाचन क्रिया को बेहतर करता है और लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करता है, जिससे ओवरईटिंग से बचा जा सकता है।
किन बीमारियों में फायदेमंद है पनीर?
पनीर में मौजूद कैल्शियम और फॉस्फोरस हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। जिन लोगों को जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या रहती है, उनके लिए सीमित मात्रा में पनीर का सेवन लाभकारी हो सकता है।
इसके अलावा पनीर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं, जिससे व्यक्ति बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ पाता है।
उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर
FSSAI अधिकारियों ने कहा कि यह देशव्यापी अभियान उपभोक्ता विश्वास को फिर से बनाने, खाद्य धोखाधड़ी को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले दुग्ध उत्पाद हर घर तक पहुंचें। उपभोक्ताओं के लिए संदेश स्पष्ट है: नियामक आपकी थाली में क्या आता है, उसकी सुरक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
