देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में सरकार की अब भी भारी हिस्सेदारी है। मई 2022 में जब LIC का बहुप्रतीक्षित IPO आया था, तब सरकार ने अपनी 3.5% हिस्सेदारी बेचकर करीब ₹21,000 करोड़ जुटाए थे। उस समय शेयर का प्राइस बैंड ₹902 से ₹949 तय किया गया था। IPO के बाद भी सरकार के पास अब भी 96.5% हिस्सेदारी बनी हुई है।
अब सरकार इस हिस्सेदारी को और कम करने की तैयारी में है। ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार ने OFS (Offer for Sale) के ज़रिए LIC में 6.5% हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी है। यह कदम विनिवेश के माध्यम से सरकार की आय बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। इससे एक बार फिर बाजार में LIC के शेयरों को लेकर हलचल बढ़ सकती है।

आइए जानते हैं – क्या होता है OFS (Offer for Sale)?
ओएफएस (Offer for Sale) यानी “बिक्री का प्रस्ताव” एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई सूचीबद्ध कंपनी (listed company) अपने प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को बाजार में बेचने के लिए स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है।
शुरुआत कब हुई? OFS की शुरुआत साल 2012 में SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने की थी। इसका मकसद यह था कि प्रमोटर्स अपने शेयरों को पारदर्शी और सरल तरीके से बेच सकें और बाजार में हिस्सेदारी कम कर सकें।
इस प्रक्रिया में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII), घरेलू संस्थागत निवेशक (DII), खुदरा निवेशक (retail investors) और कंपनियां – सभी बोली (bid) लगा सकते हैं।मुख्य विशेषताएं:
- OFS सिर्फ list किए गए शेयरों पर लागू होता है।
- इसमें शेयरों की बिक्री एक फिक्स्ड टाइम फ्रेम में होती है
- शेयरों की बिक्री स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है।
- यह प्रक्रिया कम समय में, बिना अतिरिक्त पेपरवर्क के हो जाती है।
सरकार अक्सर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (जैसे LIC, ONGC आदि) में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए OFS का उपयोग करती है।
SEBI के नियमों के मुताबिक 10% हिस्सेदारी जनता के पास होना जरूरी, LIC में अब भी सिर्फ 3.5% – सरकार बेचेगी 6.5% हिस्सा
शेयर बाज़ार से जुड़े नियमों के मुताबिक, किसी भी लिस्टेड सरकारी कंपनी में कम से कम 10% हिस्सा जनता (public) के पास होना जरूरी है। यह नियम पूंजी बाजार में पारदर्शिता और तरलता (liquidity) बनाए रखने के लिए बनाया गया है।
फिलहाल LIC में सिर्फ 3.5% हिस्सेदारी ही आम जनता के पास है, जो मई 2022 में IPO लाकर बेची गई थी। बाकी 96.5% हिस्सेदारी अभी भी सरकार के पास है। सेबी (SEBI) के नियमानुसार, सरकार को 10% की न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए 16 मई 2027 तक अपनी हिस्सेदारी घटानी होगी। इसका मतलब है कि सरकार को 6.5% हिस्सेदारी और बेचनी होगी। इस हिस्सेदारी को OFS (Offer for Sale) के जरिए बेचने की योजना है। इससे न सिर्फ नियमों का पालन होगा, बल्कि सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व (revenue) भी मिल सकता है।आइए जानते हैं LIC का इतिहास: कैसे 245 निजी कंपनियों के विलय से बनी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी
भारत की आजादी के बाद एक ऐसी सरकारी बीमा कंपनी की आवश्यकता महसूस की गई जो आम जनता तक जीवन बीमा की सुविधा पहुँचा सके। उस समय बीमा कारोबार पूरी तरह निजी हाथों में था और इसकी पहुँच केवल सीमित लोगों तक ही थी। इसी जरूरत को देखते हुए 19 जून 1956 को भारतीय संसद ने ‘लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट’ पारित किया और देश में काम कर रही 245 निजी बीमा कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया।
इन सभी कंपनियों के विलय से 1 सितंबर 1956 को ‘भारतीय जीवन बीमा निगम‘ (LIC) की स्थापना हुई। गठन के समय ही करीब 27,000 कर्मचारियों के साथ एलआईसी की शुरुआत हुई, जो उन सभी निजी कंपनियों में पहले से काम कर रहे थे। उस दौर में यह भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक बन गई थी।
LIC कैसे करता है काम: बीमा सुरक्षा से लेकर निवेश तक की प्रक्रिया
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) एक ऐसी संस्था है जो पॉलिसीधारकों को जीवन बीमा सुरक्षा प्रदान करती है। इसके लिए वे एक निश्चित प्रीमियम (premium) जमा करते हैं। इन सभी लोगों से प्राप्त प्रीमियम की राशि को LIC सरकारी बॉन्ड, बाजार से जुड़े फंड्स और अन्य सुरक्षित साधनों में निवेश करता है। इन निवेशों से जो लाभ (return) मिलता है, उसी का उपयोग पॉलिसी के क्लेम सेटलमेंट जैसे मृत्यु लाभ (death benefit), परिपक्वता लाभ (maturity benefit) या जीवित रहने पर लाभ (survival benefit) देने में किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया का मूल उद्देश्य है – बीमाधारक की अकस्मात मृत्यु की स्थिति में उसके परिवार को आर्थिक सुरक्षा देना। यह एक ऐसी योजना है जिसमें ग्राहक थोड़ा-थोड़ा करके प्रीमियम देता है और बदले में एक बड़ी वित्तीय सुरक्षा पाता है।
LIC के मुख्य उद्देश्य:
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का प्रमुख उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को व्यापक जीवन बीमा की सुविधा प्रदान करना है। यह संस्था बीमा के ज़रिए न केवल सुरक्षा देती है, बल्कि लोगों में नियमित बचत की आदत को भी बढ़ावा देती है।
LIC अपने ग्राहकों को ULIP, एंडोवमेंट, और पेंशन योजनाओं के ज़रिए अनुशासित निवेश की दिशा में प्रोत्साहित करता है, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहे। साथ ही, यह संस्था सार्वजनिक धन को संतुलित ढंग से उच्च जोखिम और निम्न जोखिम वाले पोर्टफोलियो में निवेश कर उसकी गति बनाए रखती है, ताकि ग्राहक को बेहतर लाभ मिल सके और संस्थान की लाभप्रदता भी बनी रहे।
LIC शेयर प्राइस:
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की वर्तमान मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग ₹5.85 लाख करोड़ है। मई 2022 में जब कंपनी का IPO लॉन्च हुआ था, तब शेयर का प्राइस बैंड ₹902 से ₹949 रखा गया था। वर्तमान में LIC का शेयर ₹926.90 पर ट्रेड कर रहा है।
स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग के बाद से LIC के शेयरों में 3.4% की बढ़त दर्ज की गई है। हालांकि, बीते एक साल में इसके शेयरों ने 11% का नुकसान भी झेला है।
निष्कर्ष:
LIC में हिस्सेदारी बेचने का सरकार का यह कदम कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। एक ओर यह SEBI के उस नियम के अनुरूप है, जिसके तहत किसी भी लिस्टेड सरकारी कंपनी में कम से कम 10% हिस्सेदारी जनता के पास होनी चाहिए, जबकि फिलहाल LIC में केवल 3.5% हिस्सेदारी ही पब्लिक के पास है। दूसरी ओर, OFS (Offer For Sale) के जरिए सरकार अपने हिस्से के मौजूदा शेयरों को बेच रही है, जिससे सरकार को राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी, लेकिन कंपनी में कोई नया इक्विटी इन्फ्लो नहीं होगा।