पिछले कुछ वर्षों में भारत में ओला, उबर, रैपिडो जैसी एप आधारित टैक्सी सेवाओं ने शहरी परिवहन का चेहरा बदल दिया है। इन सेवाओं ने यात्रियों को सुविधा तो दी है, लेकिन समय-समय पर किराया निर्धारण (surge pricing), ड्राइवर कमीशन विवाद, सुरक्षा की चिंता, और नियमों की स्पष्टता की कमी जैसी समस्याएँ सामने आती रही हैं।
विशेष रूप से पीक आवर्स (जैसे ऑफिस टाइम, बारिश, त्योहारों के दौरान) में किराये में अचानक भारी बढ़ोतरी यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनी है। राज्यों ने अलग-अलग नियम बनाए, जिससे एकरूपता की कमी रही। इसी को देखते हुए लंबे समय से यह मांग थी कि केंद्र सरकार इस सेक्टर के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश (Uniform Guidelines) तैयार करे, ताकि यात्रियों और कंपनियों—दोनों के हितों का संतुलन हो सके।
अब इसी संदर्भ में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 (MVAG 2025) का नया सेट पेश किया है। हालांकि, इस नए नियम के तहत यदि आप पीक आवर्स में कैब बुक करते हैं, तो अब यात्रा पहले से महंगी हो जाएगी।
ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप आधारित कैब एग्रीगेटर्स को अब पीक आवर्स में बेस फेयर का अधिकतम दो गुना किराया वसूलने की अनुमति दी गई है। पहले यह सीमा सिर्फ 1.5 गुना तक थी।

आइए, विस्तार से जानते हैं, इन बदलावों के बारे में-
- पीक आवर्स में दोगुना किराया
केंद्र सरकार ने मंगलवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 (MVAG 2025) का नया सेट जारी किया है। इसके तहत अब ओला, उबर, रैपिडो, इनड्राइव जैसी ऐप आधारित कैब कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराए का अधिकतम दोगुना (2X) तक किराया वसूलने की अनुमति दी गई है। इससे पहले यह सीमा 1.5 गुना तक थी।
मान लीजिए किसी शहर में कैब का बेस फेयर ₹120 प्रति 5 किलोमीटर है। अब नए नियमों के अनुसार, पीक आवर्स में उसी दूरी के लिए एग्रीगेटर अधिकतम ₹240 तक चार्ज कर सकते हैं।
पीक आवर क्या होता है?
गाइडलाइंस में ‘पीक आवर’ शब्द का उल्लेख है। असल में पीक आवर वह समय होता है जब कैब की मांग सबसे ज़्यादा होती है। जैसे:
- सुबह ऑफिस जाने का समय
- शाम को ऑफिस से लौटने का समय
- त्योहारी मौसम, बारिश या ट्रैफिक जाम के दौरान
ऐसे समय में डायनैमिक प्राइसिंग लागू होती है यानी जब मांग ज़्यादा और सप्लाई कम हो, तो किराया अपने आप बढ़ जाता है। सरकार ने इस वृद्धि की अधिकतम सीमा अब 2 गुना तक निर्धारित कर दी है।
- नॉन-पीक आवर्स में न्यूनतम किराया तय
नए नियमों के अनुसार, नॉन-पीक टाइम (जब मांग कम हो) जैसे दोपहर के समय या देर रात को, किराया बेस फेयर के न्यूनतम 50% से कम नहीं होगा।
यानी अगर बेस फेयर ₹120 है, तो उस दौरान न्यूनतम किराया ₹60 तय रहेगा — भले ही यात्रा बहुत छोटी क्यों न हो। इसका उद्देश्य ड्राइवरों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित करना है।- डेड माइलेज में भुगतान का प्रावधान
गाइडलाइंस के अनुसार, बेस फेयर कम से कम 3 किलोमीटर के लिए लागू किया जाएगा। इसका मकसद ‘डेड माइलेज’ को कवर करना है — यानी वह दूरी जो ड्राइवर बिना सवारी के तय करता है या ग्राहक को लेने के लिए तय करता है। इससे ड्राइवर को अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा।
- राज्य सरकारें तय करेंगी बेस फेयर
गाइडलाइंस में स्पष्ट किया गया है कि कैब, ऑटो या बाइक टैक्सी जैसी सेवाओं के लिए बेस किराया राज्य सरकारें तय करेंगी।
हर राज्य को नई गाइडलाइंस के अनुसार अपने नियम बनाने के लिए 3 महीने (सितंबर तक) का समय दिया गया है। किराया तय करते समय वाहन की श्रेणी (SUV, बाइक टैक्सी आदि) और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा।- राइड कैंसलेशन पर ड्राइवर और ग्राहक दोनों पर जुर्माने का प्रावधान
अगर कोई ड्राइवर बिना उचित कारण के राइड कैंसल करता है, तो उस पर कुल किराए का 10% (अधिकतम ₹100 तक) जुर्माना लगाया जाएगा।इसी तरह यदि कोई ग्राहक भी बिना वैध वजह के राइड कैंसल करता है, तो उसी तरह का जुर्माना उसे भी भुगतना होगा।
- लाइसेंस के लिए होगा सिंगल ऑनलाइन पोर्टल
सरकार एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल तैयार करेगी, जिससे सभी एग्रीगेटर्स एक ही प्लेटफॉर्म से लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकें। लाइसेंस शुल्क ₹5 लाख निर्धारित किया गया है, और यह 5 वर्षों तक वैध रहेगा।
- ड्राइवरों के लिए इंश्योरेंस अनिवार्य: अब हर एग्रीगेटर को अपने साथ जुड़े ड्राइवरों के लिए देना होगा:
- कम से कम ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा
- ₹10 लाख का टर्म इंश्योरेंस
इससे ड्राइवरों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और यह कदम उन्हें पेशेवर रूप से सहयोग देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- 8 साल से पुरानी गाड़ियां नहीं चलेंगी
गाइडलाइंस के अनुसार, ऐसी कोई भी गाड़ी जो पहली बार रजिस्ट्रेशन के 8 साल से अधिक पुरानी हो, उसे एग्रीगेटर सेवा में शामिल नहीं किया जा सकेगा। इससे यात्रियों की सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सख्ती सुनिश्चित की जा सकेगी।
- ग्राहक शिकायतों के लिए ‘शिकायत निवारण अधिकारी’ की व्यवस्था: हर एग्रीगेटर को एकशिकायत निवारण अधिकारी (Grievance Officer)नियुक्त करना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य यात्रियों और ड्राइवरों की समस्याओं का समय पर समाधान सुनिश्चित करना है।
निष्कर्ष
MVAG 2025 गाइडलाइंस का उद्देश्य है कि कैब एग्रीगेटर सेवाओं को पारदर्शी, जवाबदेह और संतुलित ढांचे में लाया जाए। इससे एक ओर यात्रियों की सुविधा और अधिकार सुनिश्चित होंगे, वहीं दूसरी ओर ड्राइवरों की आमदनी, सुरक्षा और सम्मान में भी वृद्धि होगी। हालांकि, किराये में संभावित बढ़ोतरी को लेकर आम जनता को थोड़ी चिंता जरूर हो सकती है, लेकिन यह बदलाव सेवा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।