दिल्ली हवाई अड्डे पर GPS स्पूफिंग संकट: जानिए GPS स्पूफिंग क्या है और कैसे उड़ानों को कर रहा प्रभावित..  

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर हाल के दिनों में पहली बार GPS स्पूफिंग की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे उड़ान संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शुक्रवार सुबह ATC सिस्टम में खराबी और GPS सिग्नल गड़बड़ी के चलते हवाई यातायात नियंत्रण को मैन्युअल मोड पर काम करना पड़ा। इसके कारण दिनभर में 350 से ज्यादा उड़ानों में देरी हुई और यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।

gps spoofing crisis at delhi airport

GPS स्पूफिंग क्या है ?

GPS स्पूफिंग एक ऐसा साइबर हमला है जिसमें किसी विमान, जहाज या वाहन के नेविगेशन सिस्टम को गलत दिशा में ले जाने के लिए नकली GPS सिग्नल भेजे जाते हैं। इससे सिस्टम को लगता है कि वह सही स्थान पर है, जबकि असल में वह कहीं और होता है।

इसके कई रूप होते हैं जैसे: GPS स्पूफिंग, GPS जामिंग, IP स्पूफिंग (जिससे हमलावर अपनी असली पहचान छिपा लेता है), SMS स्पूफिंग और कॉलर ID स्पूफिंग, जहां संदेश या कॉल किसी और नंबर से आते हुए लगते हैं।

 

नागरिक उड्डयन के लिए कितना बड़ा खतरा ?

विशेषज्ञों के अनुसार, GPS जैमिंग और स्पूफिंग नागरिक उड्डयन के लिए बहुत गंभीर खतरा है। युद्ध क्षेत्रों में तो यह आम है, लेकिन अगर ऐसा किसी बड़े नागरिक हवाई अड्डे पर हो जाए, तो स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।

क्यों खतरनाक है:

  • स्पूफिंग के कारण विमान का नेविगेशन सिस्टम गलत दिशा या ऊंचाई दिखा सकता है।
  • लैंडिंग या टेकऑफ के दौरान गलत डेटा मिलने से हादसे की संभावना बढ़ जाती है।
  • एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मैन्युअल तरीके से उड़ानों को संभालना पड़ता है, जिससे देरी और भ्रम बढ़ता है।
  • कभी-कभी स्पूफ किया गया डेटा 2,500 किलोमीटर तक गलत हो सकता है यानी विमान अपनी वास्तविक स्थिति से बहुत दूर दिख सकता है।

 

GPS स्पूफिंग के बाद पायलट क्या करते है ?

GPS स्पूफिंग होने पर भी विमान की सुरक्षा तुरंत खतरे में नहीं आती, क्योंकि विमानों में कई बैकअप सिस्टम होते हैं। जैसे:-

  • पायलट इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS) का इस्तेमाल करते हैं, जो बिना GPS के भी लगभग पाँच घंटे तक सटीक दिशा और स्थिति बताता है।
  • कॉकपिट में अलर्ट संदेश मिलते हैं जो जीपीएस में गड़बड़ी की जानकारी देते हैं।
  • पायलट अन्य नेविगेशन सिस्टम, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और NOTAMs (Notice to Airmen) से मिली जानकारी को क्रॉस-चेक करते हैं।
  • जरूरत पड़ने पर, विमान को मैन्युअल मोड में उड़ाया जाता है या वैकल्पिक मार्ग अपनाया जाता है।

 

दिल्ली एयरपोर्ट पर स्थिति और खराब क्यों हुई ?

दिल्ली एयरपोर्ट की स्थिति इसलिए और बिगड़ गई क्योंकि मुख्य रनवे (10/28) पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) को कुछ समय के लिए हटा दिया गया था। इसे कैटेगरी-III सिस्टम में अपग्रेड करने के लिए बंद किया गया है, जो बाद में घने कोहरे में भी दोनों दिशाओं से लैंडिंग की सुविधा देगा।

जब तक नया सिस्टम तैयार नहीं होता, विमानों को RNP(Required Navigation Performance) तकनीक पर निर्भर रहना पड़ता है और यह तकनीक GPS सिग्नलों पर ही आधारित होती है। अब जब GPS स्पूफिंग हो रही है, तो IGIA से करीब 60 समुद्री मील तक सिग्नल प्रभावित हो गए हैं। इस वजह से मुख्य रनवे पर उड़ानों की आवाजाही बुरी तरह बाधित हो गई और उड़ानों में भारी देरी हुई।

 

इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) क्या है ?

ILS एक रेडियो-आधारित नेविगेशन प्रणाली है जो विमान को रात या खराब मौसम में सुरक्षित रूप से रनवे तक लाने में मदद करती है। ILS की मदद से विमान बहुत कम दृश्यता में भी सटीक रूप से रनवे तक पहुंच सकता है, जिससे सुरक्षित लैंडिंग संभव होती है। इसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं:

  1. लोकलाइज़र: जो विमान को दाएं-बाएं दिशा में मार्गदर्शन देता है।
  2. ग्लाइडस्लोप: जो ऊंचाई बताता है ताकि विमान सही ढंग से नीचे उतर सके।

 

कब से बहाल होगा इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) ?

दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (DIAL) और विमानन नियामक प्राधिकरण रनवे 10/28 पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) को 27 नवंबर तक दोबारा शुरू करने के लिए काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इंडिगो एयरलाइन ने नई एप्रोच लाइटिंग सिस्टम लगने के बाद एक परीक्षण उड़ान संचालित की है, और उसकी रिपोर्ट नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को सौंप दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि GPS स्पूफिंग के खतरे को देखते हुए ILS प्रणाली को जल्द से जल्द बहाल करना जरूरी है, ताकि उड़ान संचालन सुचारु और सुरक्षित रूप से जारी रह सके।

 

भारत में GPS स्पूफिंग संबंधित घटनाएं:

मार्च 2025 में संसद में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बताया कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच भारत के सीमावर्ती इलाकों, खासकर अमृतसर और जम्मू क्षेत्रों में 465 GPS स्पूफिंग और सिग्नल हस्तक्षेप की घटनाएं दर्ज की गईं। यानी लगभग हर दिन एक घटना हुई।

सरकार ने कहा है कि वह ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और यूरोपीय संघ सुरक्षा एजेंसी (EASA) की सर्वोत्तम तकनीक और प्रक्रियाओं का पालन कर रही है। इसके अलावा, नवंबर 2023 में DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने एयरलाइनों को निर्देश दिया कि वे GPS स्पूफिंग से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाएं और इन घटनाओं पर हर दो महीने में रिपोर्ट जमा करें।

 

दुनियाभर में GPS स्पूफिंग की घटनाएं:

GPS स्पूफिंग की घटनाएं ज्यादातर संघर्ष क्षेत्रों जैसे काला सागर, पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में देखी जाती हैं। अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) के अनुसार, 2024 में 4.3 लाख GPS जामिंग और स्पूफिंग मामले दर्ज किए गए, जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं।

दिसंबर 2024 में एक बड़ी दुर्घटना हुई थी, जब अज़रबैजान एयरलाइंस का एक विमान (एम्ब्रेयर 190), जो बाकू से रूस के ग्रोज़्नी जा रहा था, गलती से रूसी मिसाइल की चपेट में आ गया। इस हादसे में 67 में से 38 लोगों की मौत हो गई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे “दुखद गलती” बताते हुए अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव से माफ़ी मांगी।

IATA के मुताबिक, 2021 से 2024 के बीच GPS सिग्नल लॉस की घटनाओं में 220% की बढ़ोतरी हुई है। इनमें पश्चिमी रूस और उत्तरी इराक प्रमुख हॉटस्पॉट हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान और म्यांमार से सटी भारत की सीमाएं भी अब ऐसी गतिविधियों के लिए सबसे संवेदनशील क्षेत्र मानी जा रही हैं।

 

GPS स्पूफिंग रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयास:

जून 2024 में IATA और यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EASA) ने मिलकर एक योजना जारी की, जिसमें GPS हस्तक्षेप के खतरे को कम करने के लिए चार-स्तरीय रणनीति बताई गई।

इसमें शामिल हैं:

  • बेहतर रिपोर्टिंग सिस्टम: ताकि घटनाओं की तुरंत जानकारी मिल सके।
  • जैमिंग उपकरणों पर सख्त नियंत्रण: अवैध उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक।
  • तकनीकी समाधान: जैसे सिग्नल हानि के बाद GPS की जल्दी रिकवरी और उन्नत सुरक्षा प्रक्रियाएं।
  • नागरिक और सैन्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय: ताकि आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।

 

निष्कर्ष:

दिल्ली हवाई अड्डे पर हुई GPS स्पूफिंग की घटना नागरिक उड्डयन के लिए एक गंभीर चेतावनी है। अधिकारियों ने स्थिति संभालने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं, और मुख्य रनवे 10/28 पर ILS की जल्द बहाली इस समस्या के समाधान में अहम साबित होगी। इससे खराब मौसम या तकनीकी बाधाओं के दौरान उड़ान संचालन अधिक सुरक्षित और सुचारु हो सकेगा।