जीएसटी 2.0: दो-स्लैब संरचना को मंज़ूरी, 22 सितंबर से लागू होगा ऐतिहासिक बदलाव-

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में लम्बी चर्चा के बाद टैक्स संरचना को सरल करने का निर्णय लिया गया। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि अब पहले की तरह चार नहीं, बल्कि केवल दो जीएसटी दरें होंगी 5% और 18%। इस संशोधन से रोज़मर्रा की चीज़ें जैसे साबुन और शैम्पू के साथ-साथ एसी और कार जैसी वस्तुएँ भी सस्ती हो जाएँगी। इस फैसले की जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 सितंबर को साझा की।

GST 2.0 Two-slab structure approved

पीएम मोदी बोले: जीएसटी सुधार नई दिशा में बड़ा कदम

 

जीएसटी काउंसिल के हालिया फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधार न सिर्फ आम नागरिक की जिंदगी को आसान बनाएंगे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती देंगे। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पीएम मोदी ने लिखा कि स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान उन्होंने जीएसटी में अगली पीढ़ी के बदलावों की रूपरेखा रखी थी। केंद्र सरकार ने टैक्स ढांचे को सरल करने और प्रक्रियाओं को और सहज बनाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की थी, जिसका मकसद आम लोगों को राहत देना और अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है।

 

सभी वर्गों को मिलेगा लाभ

 

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह गर्व की बात है कि केंद्र और राज्य मिलकर बनी जीएसटी काउंसिल ने दरों में कटौती और सुधारों पर सहमति जताई है। इससे किसानों, एमएसएमई, मध्यम वर्ग, महिलाओं, युवाओं और छोटे कारोबारियों को सीधा फायदा होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि ये व्यापक सुधार नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करेंगे और व्यापार जगत, खासकर छोटे उद्योगों के लिए “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” को और सरल बनाएंगे।

आइए जानते है, घटाए गए जीएसटी दरें के बारे में-

 

रोजमर्रा के सामान: आम उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बड़ी राहत दी गई है।

  • अब साबुन, शैम्पू और टूथपेस्ट पर पहले लगने वाला 18% जीएसटी घटाकर केवल 5% कर दिया गया है।
  • इसी तरह घी और मक्खन, नूडल्स और नमकीन, बर्तन, बच्चों की बोतलें, नैपकिन व डायपर और सिलाई मशीन इन सभी पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जो अब घटकर केवल 5% रह गया है।

 

कृषि उपकरण व सामान: किसानों को सीधी राहत देने के लिए कृषि संबंधी उपकरणों पर भी कर का बोझ कम किया गया है।

  • ट्रैक्टर टायर, जिन पर पहले 18% जीएसटी लगता था, अब केवल 5% पर आ गए हैं।
  • वहीं ट्रैक्टर, सिंचाई की मशीनें और अन्य कृषि मशीनरी इन सब पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जो अब घटकर 5% कर दिया गया है।

 

स्वास्थ्य क्षेत्र: स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं और वस्तुओं पर भी बड़ा बदलाव हुआ है।

  • हेल्थ इंश्योरेंस पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा (पहले 18% लगता था)।
  • थर्मामीटर पर जीएसटी दर 18% से घटकर 5% कर दी गई है।
  • ऑक्सीजन और डायग्नॉस्टिक किट पर पहले 12% जीएसटी था, जो अब घटकर 5% कर दिया गया है। इससे इलाज और चिकित्सा उपकरण दोनों सस्ते होंगे।

 

ऑटोमोबाइल सेक्टर: वाहनों पर भी कर में कटौती की गई है।

  • छोटी कारों पर पहले 28% जीएसटी लगता था, जिसे घटाकर 18% कर दिया गया है।
  • मोटरसाइकिलों पर भी यही बदलाव किया गया है, यानी 28% से घटाकर 18% कर लागू होगा।

 

शिक्षा क्षेत्र: शिक्षा से जुड़े सामान पर कर में राहत दी गई है।

  • मैप, चार्ट और ग्लोब पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा (पहले 12% लगता था)।
  • पेंसिल और क्रेयॉन पर भी जीएसटी शून्य कर दिया गया है।
  • एक्सरसाइज बुक्स पर पहले 5% जीएसटी था, जिसे अब पूरी तरह हटा दिया गया है।

 

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: घर में इस्तेमाल होने वाले बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भी कर घटाया गया है।

  • एयर कंडीशनर, 32 इंच से बड़े टीवी और वॉशिंग मशीन इन सभी पर पहले 28% जीएसटी लगता था, जिसे घटाकर अब 18% कर दिया गया है।

 

जिन पर 40% जीएसटी लगेगा: कुछ हानिकारक वस्तुओं पर जीएसटी दर बढ़ाकर 40% कर दी गई है।

  • इसमें 350 सीसी से अधिक क्षमता वाली मोटरसाइकिलें, पान मसाला, तंबाकू, गुटखा और बीड़ी शामिल हैं।
  • इसके अलावा मीठे और शर्करा युक्त कार्बोनेटेड पेय, सुगंधित व कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, बड़ी गाड़ियां (पेट्रोल इंजन 1200 सीसी से ऊपर और डीजल इंजन 1500 सीसी से ऊपर), निजी उपयोग के विमान व हेलीकॉप्टर तथा मनोरंजन या खेल के लिए नौकाएं और जहाज भी इस उच्चतम जीएसटी दर के अंतर्गत रखे गए हैं।

जीएसटी दरों में बदलाव का उद्देश्य:

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जीएसटी 2.0 का मुख्य लक्ष्य टैक्स प्रणाली को आसान बनाना, आम उपभोक्ताओं पर कर का दबाव घटाना और छोटे कारोबारों को प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही सरकार का फोकस इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने पर भी है।

क्या है इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर: यह वह स्थिति है जब किसी उत्पाद के कच्चे माल पर टैक्स की दर तैयार माल से ज्यादा होती है। ऐसे में निर्माण की लागत बढ़ जाती है, क्योंकि निर्माता को इनपुट पर अधिक जीएसटी देना पड़ता है, जबकि अंतिम उत्पाद पर अपेक्षाकृत कम टैक्स वसूल किया जा सकता है।

 

22 सितंबर से लागू होंगे नए टैक्स स्लैब:

निर्मला सीतारमण ने बताया कि नई दरें नवरात्रि के पहले दिन, 22 सितंबर से लागू की जाएँगी। हालांकि तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर प्रस्तावित 40% जीएसटी फिलहाल लागू नहीं होगा। इन सुधारों का उद्देश्य आम जनता को राहत देना, छोटे कारोबारियों को सहारा प्रदान करना और हानिकारक वस्तुओं जैसे तंबाकू के उपभोग को कम करना है।

 

इस परिवर्तन से आम आदमी को क्या फायदे होंगे-

 

  • जीवन-यापन की लागत कम होगी: रोजमर्रा के सामान जैसे साबुन, टूथपेस्ट, शैम्पू, खाने-पीने की चीजें और घरेलू सामान सस्ते हो जाने से हर घर का मासिक खर्च घटेगा।
  • स्वास्थ्य और इलाज पर बचत होगी: हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स हटने और दवाइयाँ व मेडिकल उपकरण सस्ते होने से इलाज किफायती होगा और ज़्यादा लोग बीमा ले पाएंगे।
  • आवास का खर्च घटेगा: सीमेंट और निर्माण सामग्री पर टैक्स कम होने से घर बनाना या मरम्मत कराना पहले से सस्ता पड़ेगा।
  • यातायात और वाहन खरीदना आसान होगा: छोटी कारें, मोटरसाइकिलें और ऑटो पार्ट्स सस्ते होने से गाड़ी खरीदने और चलाने की लागत कम होगी।
  • घरेलू सुविधाएँ सस्ती होंगी: टीवी, एसी और वॉशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सस्ते होने से मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इन्हें खरीदना आसान होगा।
  • शिक्षा की लागत घटेगी: पढ़ाई से जुड़ी चीज़ों (पुस्तकें, पेंसिल, चार्ट, मैप) पर टैक्स हटने से बच्चों की पढ़ाई कम खर्चीली होगी।
  • किसानों को फायदा: ट्रैक्टर, टायर, सिंचाई उपकरण और कृषि मशीनरी पर टैक्स कम होने से खेती-किसानी की लागत घटेगी। इससे किसानों की जेब पर बोझ कम होगा और आधुनिक मशीनरी अपनाना आसान होगा। उत्पादन लागत कम होने का फायदा अंततः उपभोक्ताओं तक भी पहुँचेगा।

 

आइए जानते है Goods and Services Tax (GST) के बारे में-

 

GST एक अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) है, जिसने भारत में कई पुराने अप्रत्यक्ष करों जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट (VAT), सर्विस टैक्स आदि को खत्म कर दिया। इसे संसद में 29 मार्च 2017 को पास किया गया और 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया।

यह पूरे देश के लिए एक समान घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है। GST एक व्यापक, बहु-स्तरीय (multi-stage), और डेस्टिनेशन-बेस्ड टैक्स है, जो सामान और सेवाओं की सप्लाई पर निर्माता से लेकर उपभोक्ता तक लगाया जाता है।

 

GST के मुख्य पहलू

 

  • कई टैक्स दरें:भारत में GST की कई दरें हैं, मुख्य रूप से 5%, 12%, 18% और 28%। कुछ आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर “शून्य दर” (Zero Rate) लागू है।
  • ड्यूल स्ट्रक्चर (Dual Structure):GST दो हिस्सों में काम करता है—सेंट्रल GST (CGST) केंद्र सरकार द्वारा और स्टेट GST (SGST) राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  • अंतरराज्यीय लेन-देन (Inter-State Transactions):ऐसी बिक्री पर Integrated GST (IGST) लागू होता है, जिसे केंद्र सरकार वसूल करती है और संबंधित राज्यों में वितरित किया जाता है।

 

GST के 8 साल में प्रमुख उपलब्धियाँ:

 

  • एकीकृत कर प्रणाली:GST ने 17 केंद्र और राज्य करों और 23 उपकरों को एक साथ मिला दिया, जिससे टैक्स ढांचा सरल और संगठित हुआ।
  • राजस्व वृद्धि:वित्त वर्ष 2024–25 में GST ने अब तक का सबसे बड़ा सकल संग्रह ₹22.08 लाख करोड़ दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4% की वृद्धि दर्शाता है।
  • मासिक औसत संग्रह:मासिक औसत संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा।
  • टैक्सपेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी:सक्रिय GST पंजीकरणों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 30 अप्रैल 2025 तक 51 करोड़ से अधिक सक्रिय पंजीकरण दर्ज किए गए।

 

जीएसटी से सरकार की लगातार बढ़ती कमाई:

 

1 जुलाई 2017 को लागू होने के बाद से GST सरकार की आमदनी में हर साल लगातार इजाफा कर रहा है। शुरुआती वर्ष में (जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक) GST से सरकारी खजाने में ₹7.41 लाख करोड़ रुपये आए थे। अगले वित्त वर्ष 2018–19 में यह आंकड़ा बढ़कर ₹11.77 लाख करोड़ रुपये हो गया।

GST के शुरू होने के बाद से अब तक कलेक्शन में तीन गुना से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। खासतौर पर 2021–22 से 2024–25 के बीच केवल पांच साल में GST से होने वाली कमाई दोगुनी हो गई, जो ₹11.37 लाख करोड़ से बढ़कर ₹22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

  • वित्त वर्ष 2025 में GST कलेक्शन ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और सरकार को भारी राजस्व उपलब्ध कराया। अप्रैल महीने में भी अब तक का सबसे बड़ा मासिक GST संग्रह दर्ज किया गया।

अब टैक्स छूट से सरकार को संभावित नुकसान:

 

राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो इन टैक्स कटौतियों से लगभग 48,000 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व नुकसान हो सकता है। वहीं, SBI रिसर्च का अनुमान है कि सालाना यह नुकसान करीब 85,000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है।

सरकार का पक्ष: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये सभी फैसले आम आदमी को राहत देने के लिए लिए गए हैं, उनके अनुसार, खपत बढ़ने से लंबी अवधि में इस नुकसान की भरपाई हो जाएगी और साथ ही टैक्स चोरी रोकने और अनुपालन (compliance) बढ़ाने से जीएसटी राजस्व में सुधार होगा।

 

निष्कर्ष:

जीएसटी को सरल बनाने के लिए 2 स्लैब व्यवस्था एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हो सकता है। मौजूदा जटिल टैक्स ढाँचे में कई दरों के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को दिक्कत होती है। दो स्लैब प्रणाली से न केवल अनुपालन आसान होगा, बल्कि टैक्स चोरी की संभावनाएँ भी कम होंगी। इससे आम आदमी को रोज़मर्रा की वस्तुओं पर राहत मिलेगी और उद्योग जगत को भी स्थिर एवं पूर्वानुमेय टैक्स वातावरण मिलेगा।