स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2019 के नियमों में संशोधन का ऐलान: नए ड्रग्स और क्लिनिकल ट्रायल्स की मंजूरी होगी तेज़

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि वह दवा और नैदानिक अनुसंधान से जुड़े नियमों को आसान बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए नई औषधि और नैदानिक परीक्षण (NDCT) नियम, 2019 में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है। इन बदलावों का उद्देश्य परीक्षण लाइसेंस और BA/BE अध्ययनों से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि प्रस्तावित संशोधन 28 अगस्त 2025 को राजपत्र में प्रकाशित किए गए हैं और इस पर 30 दिनों के भीतर जनता से सुझाव मांगे गए हैं।

  • जैवउपलब्धता (Bioavailability – BA) का अर्थ है कि किसी दी गई खुराक से दवा की कितनी मात्रा वास्तव में शरीर के सिस्टमेटिक परिसंचरण (रक्त प्रवाह) में पहुँचती है और कितनी तेज़ी से वहाँ दिखाई देती है। यह दवा की प्रभावशीलता और खुराक तय करने में एक महत्वपूर्ण मानक है।
  • जैव-समतुल्य (Bioequivalent – BE) का अर्थ है कि यदि नई दवा और पहले से उपलब्ध मानक दवा शरीर में लगभग समान प्रभाव और गति से अवशोषित होती हैं, तो उन्हें जैव-समतुल्य माना जाता है।
Health Ministry announces amendments to 2019 rules

NDCT में संशोधन क्यों चाहती है केंद्र सरकार?

 

क्योंकि फार्मा और क्लीनिकल ट्रायल सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और वैश्विक छवि तीनों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है।

 

इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

 

  1. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती: नियम सरल और पारदर्शी होने से भारत में दवा और नैदानिक अनुसंधान करना सस्ता, तेज और आसान होगा, जिससे अधिक विदेशी निवेश और सहयोग आकर्षित होंगे।
  2. भारत को फार्मा हब बनाना: भारत पहले से ही जेनेरिक दवाइयों का सबसे बड़ा उत्पादक है। नियामकीय सुधार से रिसर्च और क्लीनिकल ट्रायल्स भी यहां अधिक होंगे, जिससे भारत “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” की भूमिका और मजबूत कर सकेगा।
  3. नवाचार और रोजगार के अवसर: नई दवाइयों और तकनीकों के परीक्षण आसान होने से अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार और स्टार्टअप्स के अवसर भी बढ़ेंगे।
  4. मरीजों तक नई दवाओं की तेजी से पहुँच: लाइसेंसिंग और ट्रायल की प्रक्रिया तेज होने पर नई और बेहतर दवाइयाँ भारतीय मरीजों तक जल्दी पहुँच पाएंगी।
  5. मानव संसाधन का बेहतर उपयोग – केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) अपने स्टाफ का उपयोग अधिक प्रभावी तरीके से कर सकेगा।

 

इसके संभावित लाभ  

 

  • लाइसेंस आवेदन में 50% की कमी:अनुपालन (compliance) का बोझ कम होगा।
  • BA/BE अध्ययन और दवा विकास में तेजी:परीक्षण और अनुसंधान जल्दी शुरू होंगे।
  • अनुसंधान और अनुमोदन प्रक्रिया में देरी कम होगी।
  • CDSCO के भीतर कार्यबल का बेहतर उपयोग:नियामक निगरानी (regulatory oversight) में सुधार होगा।

 

टेस्ट लाइसेंस लेने की प्रक्रिया होगी आसान:

 

प्रस्तावित संशोधनों के तहत अब कुछ विशेष और खतरनाक श्रेणी की दवाइयों को छोड़कर अन्य दवाइयों के लिए टेस्ट लाइसेंस प्राप्त करने में लंबा इंतजार नहीं करना होगा। इसके अलावा, लाइसेंस जारी करने की समय-सीमा को भी घटाकर 90 दिन से 45 दिन कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इन बदलावों से दवा उद्योग से जुड़े हितधारकों को लाभ मिलेगा और लाइसेंस के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या भी लगभग 50% तक घट जाएगी।

 

नई औषधि और नैदानिक परीक्षण (NDCT) नियम, 2019:

 

भारत में दवाओं के अनुसंधान, नैदानिक ​​परीक्षणों और नए दवाओं के निर्माण या आयात को विनियमित करने वाले नियम हैं, जिन्हें 19 मार्च 2019 को भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था।

 

NDCT नियम, 2019 का उद्देश्य:

  • नई दवाओं और नैदानिक परीक्षणों के लिए तेज़ और सरल प्रक्रिया उपलब्ध कराना।
  • पूरे नियामक ढाँचे को अधिक पारदर्शी और स्पष्ट बनाना।
  • दवा उद्योग में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना।
  • निवेश और व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित करना।
  • भारत को वैश्विक फार्मा और क्लीनिकल ट्रायल हब के रूप में मजबूत करना।

 

NDCT नियम, 2019 की मुख्य विशेषताएँ:

  • नियमों का एकीकरण: दवा अनुसंधान और नैदानिक परीक्षण से जुड़े सभी नियम एक ही दस्तावेज़ में।
  • आचार समिति: संरचना और जिम्मेदारियों के स्पष्ट प्रावधान।
  • पंजीकरण व अनुमोदन: नई दवाओं के परीक्षण के लिए पारदर्शी प्रक्रिया।
  • प्रतिकूल घटनाएँ व मुआवज़ा: चोट या मृत्यु पर मुआवज़ा और चिकित्सा प्रबंधन की व्यवस्था।
  • नई दवाओं पर लागू: परिभाषा का विस्तार, नई एंटीबायोटिक्स को शामिल कर रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटना।

 

निष्कर्ष:
स्पष्ट है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ये संशोधन न केवल दवा और नैदानिक अनुसंधान क्षेत्र में प्रक्रियाओं को सरल बनाएंगे, बल्कि निवेश, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहित करेंगे। यह पहल भारत को फार्मा सेक्टर के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उद्योग बल्कि मरीजों और समाज के लिए भी दूरगामी लाभकारी सिद्ध होगी।