उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1:45 बजे बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। खीर गंगा नदी में आए तेज मलबे के चलते गांव का बाजार, कई मकान और होटल बह गए। इस घटना में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहत-बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन को युद्धस्तर पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। डीएम ने बताया कि घटनास्थल पर बचाव अभियान जारी है। वहीं, सेना के कुछ जवानों के भी लापता होने की खबर है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
हर्षिल के पास स्थित इस इलाके में अचानक जल स्तर बढ़ने से बड़े पैमाने पर तबाही हुई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सेना, पुलिस, अग्निशमन और आपदा प्रबंधन टीमें मौके पर राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री ने जताई संवेदना
इस हादसे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह समाचार अत्यंत दुःखद एवं पीड़ादायक है। उन्होंने बताया कि राहत एवं बचाव कार्यों के लिए SDRF, NDRF, जिला प्रशासन तथा अन्य संबंधित टीमें युद्ध स्तर पर कार्य कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क में हैं और स्थिति की गहन निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने ईश्वर से सभी के सकुशल होने की प्रार्थना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी की धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना प्रकट करता हूं और सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं। पीएम ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से बात की है और हालात की जानकारी ली है।

धराली गांव कहां है?
धराली गांव उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक छोटा पहाड़ी गांव है, जो भागीरथी नदी के किनारे और हर्षिल घाटी के पास बसा हुआ है। यह गांव गंगोत्री धाम की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। यह समुद्र तल से 9,005 फीट की ऊंचाई पर स्थित है
- गंगोत्री धाम से 18 किमीऔर देहरादून से लगभग 218 किमी की दूरी पर स्थित है।
क्या होता है बादल फटना और क्यों होता है यह पहाड़ी क्षेत्रों में?
बादल फटना क्या होता है?
बादल फटना एक स्थानीय मौसमी घटना है, जिसमें बहुत छोटे क्षेत्र में बेहद कम समय में अत्यधिक बारिश होती है। कई बार जो बारिश कई घंटों में होती है, वह कुछ ही मिनटों में गिर जाती है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन, मकानों का ढहना और यातायात बाधित होने जैसी घटनाएं होती हैं। यह घटना आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में ही देखने को मिलती है।
बादल फटने की घटना होती कैसे है?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बादल फटना दरअसल तीव्र संवहन (convection currents) और स्थानीय भंवरों की उपस्थिति के कारण होता है। जब नमी से भरी गर्म हवा बहुत तेज़ी से ऊपर उठती है, तो यह क्यूम्यलोनिम्बस (Cumulonimbus) बादलों का निर्माण करती है।
इन बादलों में अस्थिरता और ऊर्जा इतनी अधिक होती है कि वे थोड़े ही समय में भारी बारिश लाते हैं। इस दौरान बिजली गिरने और गड़गड़ाहट की संभावना भी बनी रहती है।
बादल फटना आमतौर पर 1,000 से 2,500 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में ही क्यों होता है बादल फटना?
- खड़ी ढलानों और ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं की वजह से नमी से भरी हवाएं तेजी से ऊपर उठती हैं, जिससे संवहन तेज़ हो जाता है और भारी बादल बनते हैं।
- जब यह बारिश होती है, तो पानी अपने साथ मलबा, पत्थर और पेड़ बहाकर लाता है, जिससे भारी तबाही होती है।
- ऐसे क्षेत्रों में पानी का बहाव तेज़ और अनियंत्रित होता है, जिससे नुकसान कई गुना बढ़ जाता है।
बादल फटने की घटनाओं के लिए सबसे संवेदनशील राज्य
देश में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड बादल फटने की घटनाओं के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं। इन पहाड़ी राज्यों में मॉनसून के दौरान अब बादल फटना एक सामान्य घटना बनती जा रही है।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही है आपदाओं की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य में बादल फटने की घटनाओं में और तेजी आने की आशंका है। वातावरण में तेजी से हो रहे बदलाव इन आपदाओं की संख्या और तीव्रता को बढ़ा सकते हैं।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, जंगलों में आग, और कचरे को जलाना जैसे कार्य जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं। ये गतिविधियाँ पहाड़ों के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रही हैं।
उत्तराखंड में सबसे बड़े आपदा की घटनाओं की सूची
- उत्तरकाशी (असी गंगा क्षेत्र): 2012
- केदारनाथ (रुद्रप्रयाग): 2013
- पिथौरागढ़ और चमोली: 2016
- रामगढ़ (नैनीताल): 2021
- तपोवन-रैणी (चमोली): 2021
धराली में भारी तबाही
इस घटना में अचानक बाढ़ और मलबा गांव में घुस गया, जिससे कई घर, दुकानें और होटल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। बाढ़ का पानी कई होटलों और दुकानों में घुस गया, और बाजार क्षेत्र को भी भारी नुकसान पहुंचा।
तेज रफ्तार में बहते पानी और मलबे ने महज 34 सेकेंड में धराली गांव को जमींदोज कर दिया। इस आपदा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं। स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 20 से ज्यादा लोगों का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया जा चुका है।
प्रशासन ने लोगों को किया अलर्ट
प्रशासन ने हर्षिल क्षेत्र में स्थित खीर गाड़ नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण लोगों को सतर्क रहने की अपील की है। नदी किनारे से दूर रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। हादसे के बाद राहत शिविर भी स्थापित किए गए हैं।
जारी हुए हेल्पलाइन नंबर:उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी करते हुए प्रभावित लोगों से संपर्क बनाए रखने की अपील की है। जारी नंबर हैं – 01374-222126, 01374-222722, 9456556431। प्रशासन और राहत एजेंसियां लगातार क्षेत्र में निगरानी और सहायता कार्य कर रही हैं।
