कश्मीर में मंगलवार को मौसम ने करवट ली। ऊंचे इलाकों में ताज़ा बर्फबारी और मैदानों में बारिश हुई, जिससे पूरी घाटी में ठंड बढ़ गई। जिसके कारण ऊनी कपड़े सामान्य से पहले ही बाहर आ गए हैं। जिन इलाकों में बर्फबारी हुई उनमें गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग, अरु घाटी, चंदनवाड़ी और कोकरनाग शामिल हैं। अक्टूबर की शुरुआत में इस तरह की ठंडक और बर्फबारी बीते कई वर्षों में पहली बार देखने को मिली है।
सामान्य से कम दर्ज किया गया तापमान:
कश्मीर के कई इलाकों में तापमान सामान्य से काफी नीचे चला गया है। पहलगाम में रात का न्यूनतम तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 4.5 डिग्री कम है। गुलमर्ग में दिन का तापमान सिर्फ 4.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो सामान्य से 12 डिग्री कम है। वहीं, पहलगाम में दिन का तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से करीब 13 डिग्री कम है। अधिकारियों के अनुसार, ऊंचाई वाले ज़ोजिला दर्रे में इस मौसम में पहली बार तापमान शून्य से नीचे गया और -8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

घाटी के मैदानी इलाकों में भी तापमान में गिरावट:
कश्मीर घाटी के मैदानी इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है। श्रीनगर समेत कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई, जिससे दिन का तापमान काफी नीचे चला गया। सोमवार को श्रीनगर का अधिकतम तापमान सिर्फ 12.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो सामान्य से 13 डिग्री कम है। रात का तापमान भी गिरकर 9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से दो डिग्री कम है। मौसम विभाग ने मंगलवार शाम तक हल्की बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी होने की संभावना जताई थी।
बर्फबारी के कारण बंद हुए ऊँचे दर्रे:
बर्फबारी की वजह से कश्मीर घाटी को जोड़ने वाले कई ऊंचे दर्रे बंद कर दिए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, साधना दर्रा (जो कुपवाड़ा को तंगधार से जोड़ता है), राजदान दर्रा (जो बांदीपुर को गुरेज और ज़ोजिला से जोड़ता है) और लद्दाख जाने वाले रास्ते पर बर्फबारी हुई है। इसके अलावा, सिंथन दर्रा और पीर की गली पर भी बर्फ जमी है, जो घाटी को किश्तवाड़ और पुंछ से जोड़ते हैं।
बर्फबारी और बारिश के कारण श्रीनगर-जम्मू, श्रीनगर-पुंछ और श्रीनगर-किश्तवाड़ राजमार्गों पर यातायात रोक दिया गया है।
तीर्थयात्राएं स्थगित:
कश्मीर में अचानक मौसम बदलने का असर वैष्णो देवी यात्रा पर भी पड़ा है। कटरा से भवन तक के मार्ग पर भारी बारिश के चलते यात्रियों की आवाजाही अस्थायी रूप से रोक दी गई। गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में बर्फबारी ने पर्यटकों को रोमांचित तो किया है, लेकिन कई फंसे हुए यात्रियों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
IMD की चेतावनी के बाद बंद हुए थे स्कूल:
श्रीनगर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक मुख्तार अहमद ने बताया कि ऊंचे इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी और जम्मू संभाग के मैदानी इलाकों में भारी बारिश की संभावना है। रविवार शाम से मंगलवार दोपहर के बीच सबसे ज्यादा बारिश होने का अनुमान है।
IMD की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सभी विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, जम्मू के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने 6 और 7 अक्टूबर को सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया था।
पर्यटकों की उमड़ी भीड़:
मंगलवार को भद्रवाह के गुलदांडा मैदान में मौसम की पहली और भारी बर्फबारी देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे। बर्फ से ढका यह इलाका अब सर्दियों में किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा। दिल्ली और हरियाणा से आए पर्यटक यहां की प्राकृतिक सुंदरता से बेहद खुश दिखे।
भद्रवाह में हुई इस सीजन की पहली बर्फबारी से स्थानीय लोगों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों में भी उत्साह है। 9,555 फीट की ऊंचाई पर स्थित गुलदांडा पूरी तरह बर्फ से ढक गया, जिससे यह जगह एक खूबसूरत बर्फीले स्थल में बदल गई।
एक पर्यटक ने कहा, “भद्रवाह घूमने के लिए शानदार जगह है, अक्टूबर के पहले ही हफ्ते में यहां इतनी बर्फ देखकर अच्छा लगा।” वहीं एक स्थानीय निवासी ने बताया, “गुलदांडा और आसपास की पहाड़ियों पर हुई बर्फबारी न सिर्फ सुंदर दृश्य पेश कर रही है, बल्कि पर्यटन के लिए नई उम्मीद भी लाई है।”
हालिया घटनाओं के कारण प्रशासन सतर्क:
हाल की बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं में अब तक 155 लोगों की मौत हो चुकी है और काफी नुकसान हुआ है। इसी वजह से आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। श्रीनगर, पुलवामा और आसपास के जिलों में अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे घरों के अंदर रहें और पहाड़ी इलाकों या नदियों-झीलों के पास जाने से बचें।
कश्मीर में बर्फबारी का सामान्य मौसम:
- नवंबर: कश्मीर के ऊँचाई वाले इलाकों जैसे गुलमर्ग और सोनमर्ग में हल्की बर्फबारी शुरू हो जाती है।
- दिसंबर: इस महीने में बर्फबारी अधिक बार और व्यापक रूप से होने लगती है। दिसंबर 2024 में श्रीनगर में पहली बर्फबारी महीने के अंत में हुई थी। गुलमर्ग और पहलगाम में आमतौर पर मध्य दिसंबर से भारी बर्फबारी शुरू हो जाती है।
- जनवरी: यह साल का सबसे ठंडा और सबसे ज्यादा बर्फबारी वाला महीना होता है। इस दौरान 40 दिनों की कड़ी सर्दी का समय, जिसे “चिल्लई कलां” कहा जाता है, में भारी बर्फबारी आम बात है।
- फरवरी: बर्फबारी जारी रहती है, हालांकि महीने के अंत तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।
- मार्च–अप्रैल: ऊँचाई वाले इलाकों में बर्फ बनी रह सकती है, जबकि निचली घाटियों में मौसम गर्म होना शुरू हो जाता है।
कश्मीर में बर्फबारी का अनुभव करने के प्रमुख स्थल:
- गुलमर्ग: बर्फबारी और स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग जैसे विंटर स्पोर्ट्स के लिए यह सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है। गुलमर्ग गोंडोला आपको ऊँचाई वाले क्षेत्रों में ले जाती है, जहाँ बर्फ की कोई कमी नहीं होती।
- सोनमर्ग: ग्लेशियरों और जमी हुई झीलों के लिए प्रसिद्ध यह जगह नवंबर से अप्रैल तक बर्फ से ढकी एक खूबसूरत सर्दियों की वादियों में बदल जाती है।
- पहलगाम: यहाँ आमतौर पर नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में बर्फबारी शुरू होती है, खासकर ऊँचाई वाले इलाकों में।
- श्रीनगर: शहर में मुख्य रूप से दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी होती है, जिससे यह एक मनमोहक सर्दियों के दृश्य में बदल जाता है।
कश्मीर में बर्फबारी का महत्व:
- उपयुक्त बर्फबारी का मौसम: सर्दियों की शुरुआत से लेकर ‘चिलई कलां’ तक बर्फबारी कश्मीर में अहम भूमिका निभाती है। जनवरी की शुरुआत में होने वाली बर्फबारी लंबे समय तक टिकी रहती है। कड़ाके की सर्दी का मौसम 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक रहता है।
- सालभर का महत्व: कश्मीर में बर्फ केवल सर्दियों में ही नहीं, बल्कि पूरे साल अहम रहती है। यह क्षेत्र की आर्थिक और सांस्कृतिक विरासत को संवारने वाला प्रमुख पर्यटन आकर्षण है।
- मनमोहक वसंत: 21 मार्च से 21 जून के बीच कश्मीर हरा-भरा स्वर्ग बन जाता है। ट्यूलिप गार्डन निशात और शालीमार पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण बनते हैं।
- शीतकालीन सौंदर्य: सर्दियों में कश्मीर एक विश्वप्रसिद्ध ‘विंटर वंडरलैंड’ में बदल जाता है। बर्फ से ढकी शानदार पर्वत श्रृंखलाएं विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। बर्फबारी इस मौसम में जादुई माहौल जोड़ती है।
- पर्यावरणीय महत्व: बर्फ कश्मीर के परिदृश्य को आकार देने वाली एक अहम प्राकृतिक शक्ति है। यह मिट्टी में नमी बनाए रखती है और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- जल स्रोत: कश्मीर जैसे उत्तरी क्षेत्रों में ठोस रूप में बर्फ जल स्रोत के रूप में अपरिहार्य है। लिद्दर, शालिगनाग और दूधगंगा जैसे हिमाच्छादित पर्वतों के ग्लेशियर पेयजल और गर्मियों में ठंडक बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।
- स्थानीय जीवन में भूमिका: कश्मीर में बर्फ स्थानीय जलवायु को संतुलित रखती है, शीतकालीन फसलों और बागवानी में सहायक होती है। यह नदियों और झरनों में जल प्रवाह सुनिश्चित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
हिमाचल में भी बर्फबारी:
बीते रविवार हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति इलाके में बर्फबारी के नजारे देखने को मिले। बर्फबारी के कारण प्रशासन को रोहतांग मार्ग बंद करना पड़ा। हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियां और प्रकृति के खूबसूरत नजारे आपको अपनी ओर खींचते हैं। स्पीति आने वाले ज्यादातर लोग ट्रेकिंग करना पसंद करते हैं।
सेब किसानों पर आई आफत:
लाहौल-स्पीति की पट्टन घाटी में भारी बर्फबारी से सेब के पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। कई किसानों को बर्फ में ही सेब तोड़ने पड़े। लाहौल के निवासी राकेश ने कहा कि अगर सेब नहीं तोड़े गए, तो पेड़ों की टहनियां और पेड़ बर्फ का भार नहीं सह पाएंगे। इस बेमौसम बर्फबारी से कई किसानों को नुकसान होने की संभावना है। लाहौल में सेब का मौसम सितंबर के अंत में शुरू होकर 15 अक्टूबर तक चलता है।
मैदानी राज्यों में दिखा ठंड का असर:
पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी का असर मैदानी राज्यों में भी दिखने लगा है। पंजाब-हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के कई शहरों में दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इससे ठंड बढ़ने लगी है। कई शहरों में पारा 20°C से नीचे रिकॉर्ड किया गया।
स्नोफॉल(snowfall) से क्या तात्पर्य है?
स्नोफॉल का मतलब हिमपात या बर्फ गिरना है। यह तब होता है जब वातावरण में मौजूद ठंडी हवा और नमी से बर्फ के क्रिस्टल बनते हैं। ये क्रिस्टल मिलकर बर्फ के टुकड़े यानी स्नोफ्लेक बनाते हैं। स्नोफ्लेक अलग-अलग आकार के होते हैं, जैसे प्लेटलेट, सुई, स्तंभ और शिला। जब ये बर्फ के टुकड़े धरती पर गिरते हैं, तो इसे हिमपात कहते हैं। बर्फ समय के साथ जमती है, पिघलती है या बहती है। ठंडे क्षेत्रों में बर्फ सालों तक जमा रह सकती है और ग्लेशियर बना सकती है। अन्यथा यह पिघलकर नदियों और भूजल को भरती है।
निष्कर्ष:
अक्टूबर की शुरुआत में हुई बर्फबारी और ठंडक ने कश्मीर घाटी के मौसम में असामान्य बदलाव को दर्शाया है। यह न केवल पर्यटन स्थलों की सुंदरता को और बढ़ा रही है, बल्कि स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के लिए भी सर्दियों का अनुभव सामान्य से पहले ही शुरू कर दिया है।