इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में उन्होंने वाराणसी न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी , जिसमें अमेरिका की यात्रा के दौरान सिखों पर की गई उनकी कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर पुनः सुनवाई करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट का यह फैसला राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है और अब वाराणसी की विशेष अदालत में उनके खिलाफ दायर रिविजन याचिका आगे बढ़ सकती है।

एकल न्यायाधीश की टिप्पणी:
ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित विद्वान मजिस्ट्रेट द्वारा पारित दिनांक 28.11.2024 के आदेश की सत्यता और वैधता की जांच करना निचली पुनरीक्षण अदालत का कर्तव्य था और चूंकि पुनरीक्षण अदालत के अनुसार विद्वान मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण था, इसलिए निचली पुनरीक्षण अदालत ने सही ढंग से दिनांक 28.11.2024 के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को वापस भेज दिया और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि दिनांक 21.7.2025 के विवादित आदेश को पारित करते समय निचली पुनरीक्षण अदालत ने कोई अवैधता की है।
सिख धर्म को लेकर की थी ये टिप्प्णी:
राहुल गांधी ने 10 सितम्बर 2024 में अमेरिका में कहा कि भारत में सिखों के लिए माहौल ठीक नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सिख भारत में पगड़ी पहनने, कड़ा रखने और गुरुद्वारे जाने की आज़ादी रखते हैं। यह टिप्पणी सिख धर्म से जुड़ी थी और इसके बाद राजनीतिक बहस शुरू हो गई।
इसी बयान के खिलाफ दायर की गई थी याचिका:
वाराणसी के नागेश्वर मिश्रा ने राहुल गांधी के बयान के खिलाफ सारनाथ थाने में FIR दर्ज कराने के लिए शिकायत दी, लेकिन FIR नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने अदालत में केस दायर किया। मजिस्ट्रेट ने 28 नवंबर 2024 को कहा कि मामला अमेरिका में दिए गए भाषण से जुड़ा है और यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, इसलिए केस खारिज कर दिया। इसके बाद नागेश्वर मिश्रा ने MP/MLA कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे 21 जुलाई 2025 को स्वीकार कर लिया गया। इसके खिलाफ राहुल गांधी ने 26 दिन पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी व अमन सिंह विषेन और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और AGA रुपक चौबे ने दलीलें पेश की थी.
राहुल गांधी ने अपनी दायर याचिका में क्या लिखा?
राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका में कहा कि वाराणसी के थाना सारनाथ में दर्ज आपराधिक मामले (Criminal Revision संख्या-61/2025) में 21 जुलाई को दिए गए आदेश पर तब तक रोक लगाई जाए जब तक हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी। याचिका में राज्य सरकार और शिकायतकर्ता नागेश्वर मिश्रा को प्रतिवादी बनाया गया था। राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी और आलोक रंजन मिश्रा ने कोर्ट में दलीलें दीं।
MP/MLA कोर्ट में भी लिखित जवाब दे चुके हैं राहुल गांधी:
राहुल गांधी ने 25 अगस्त को MP/MLA कोर्ट में लिखा कि उनके खिलाफ याचिका राजनीति से प्रेरित है और कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका बयान सिख समुदाय के हित में था और भारत के बाहर दिया गया, इसलिए इसमें किसी का अपमान नहीं हुआ। राहुल ने बताया कि ऐसे मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है।
अपने भाषण में BJP/RSS को भी बताया था देशविरोधी:
राहुल गांधी ने कहा कि देश सबका है, लेकिन बीजेपी इसे नहीं मानती। भारत एक संघीय देश है, जिसमें हर राज्य की अपनी परंपरा, संस्कृति और भाषा है। उन्होंने बताया कि RSS कुछ राज्यों, भाषाओं, धर्मों और समुदायों को कमतर समझती है। अपने भाषण में राहुल गांधी ने बीजेपी और RSS की इस सोच को देशविरोधी बताया।
राहुल के खिलाफ UP में पहले से चल रहे 3 केस:
- सुल्तानपुर की दीवानी अदालत में 2018 का मानहानि मामला, जिसमें बीजेपी नेता विजय मिश्रा ने आरोप लगाया था।
- लखनऊ की अदालत में वीर सावरकर पर विवादित बयान के कारण मामला, जिसमें राहुल को 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया और उन्हें 14 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया।
- हाथरस की MP-MLA कोर्ट में रामकुमार उर्फ रामू ने मानहानि का मामला दर्ज कराया, आरोप है कि राहुल ने दोषमुक्त युवकों को गैंगरेप का आरोपी बताया।
राहुल गांधी के साथ अब आगे क्या होगा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी के खिलाफ मामला अब सीधे वाराणसी MP/MLA कोर्ट में जाएगा। वहां रिविजन याचिका की सुनवाई शुरू होगी और अदालत मामले की आगे की कार्रवाई करेगी। यह कदम याचिका को अगले चरण में ले जाएगा और अदालत सभी पक्षों की दलीलों के आधार पर फैसला करेगी।