हिमाचल को मिला पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा: 99.30% साक्षरता दर के साथ टॉप पर, ड्रॉप आउट दर लगभग शून्य..

हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजधानी शिमला के पीटरहॉफ में राज्य को “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित किया। केंद्र सरकार की नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (उल्लास योजना) के तहत यह उपलब्धि हासिल करते हुए हिमाचल प्रदेश देश का चौथा पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है।

 

सीएम ने अपने भाषण में बताया कि वर्ष 2024 में हिमाचल की अनुमानित जनसंख्या लगभग 75.27 लाख थी। इसमें से 95,307 निरक्षर व्यक्तियों की पहचान की गई। अब तक 42,578 लोग नवसाक्षर बन चुके हैं और वर्तमान में राज्य में केवल 52,729 निरक्षर व्यक्ति बचे हैं।

Himachal gets the status of a fully literate state

हिमाचल आजादी के 78 साल बाद बना पूर्ण साक्षर राज्य:

 

आजादी के 78 साल बाद हिमाचल प्रदेश को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा मिला है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उनके माता-पिता सीमित शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद बच्चों को पढ़ाने पर जोर देते रहे और मेहनत के बल पर वे आज इस पद तक पहुँचे हैं। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों के गलत निर्णयों से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। सीएम ने आश्वासन दिया कि आने वाले वर्षों में हिमाचल की स्कूली शिक्षा का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा।

 

हिमाचल में ड्रॉप आउट दर लगभग शून्य:

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि आज़ादी के बाद जब हिमाचल का गठन हुआ था, तब राज्य शिक्षा के क्षेत्र में लगभग अंतिम पायदान पर था और साक्षरता दर केवल 7% थी। लेकिन सभी सरकारों के निरंतर प्रयासों से आज यह बढ़कर 99.30% तक पहुँच गई है और ड्रॉप आउट दर लगभग शून्य हो चुकी है।

 

कौशल आधारित शिक्षा पर भी जोर:

भारत सरकार के शिक्षा सचिव संजय कुमार ने वीडियो संदेश के माध्यम से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण साक्षर राज्य बनने पर बधाई दी और नव साक्षरों को कौशल आधारित शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

उठाए कई कदम महत्वपूर्ण कदम:

मुख्यमंत्री ने बताया कि 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद हिमाचल ने शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार किए हैं। सरकार ने पहली कक्षा से अंग्रेज़ी माध्यम की पढ़ाई शुरू की, डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए और आधुनिक शिक्षण पद्धतियाँ लागू कीं।

 

अब क्या है हिमाचल का शिक्षा प्लान?

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अब सरकार का मुख्य ध्यान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर होगा और प्रदेश को विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थानों की दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी-अध्यापक अनुपात आज देश में सबसे बेहतर है।

 

हिमाचल से पहले तीन राज्य साक्षर, साल के अंत तक 10 और जुड़ेंगे:

हिमाचल प्रदेश से पहले मिजोरम (98.2%), गोवा (99.5%) और त्रिपुरा (95.6%) को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया जा चुका है। वहीं, जून 2024 में लद्दाख 97% साक्षरता दर के साथ देश का पहला पूर्ण साक्षर केंद्र शासित प्रदेश बना। शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव अर्चना शर्मा अवस्थी ने बताया कि इस वर्ष के अंत तक और 10 राज्यों के पूर्ण साक्षर बनने की संभावना है।

 

कैसे घोषित होता है “पूर्ण साक्षर राज्य”?

केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार, जब किसी राज्य की 95% या उससे अधिक आबादी साक्षर हो जाती है, तब उसे “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित किया जाता है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र के मुताबिक, राज्य में साक्षरता दर 99.30% तक पहुँच चुकी है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह अभी 80.9% है।

 

‘उल्लास योजना’ के बारे में:

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (उल्लास योजना) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के निरक्षर लोगों को शिक्षित कर देश को ‘जन-जन साक्षर’ बनाना है। इसे ULLAS (Understanding of Lifelong Learning for All in Society) के नाम से भी जाना जाता है और यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो अब 26 भारतीय भाषाओं में शिक्षण सामग्री प्रदान करता है.

  • ‘उल्लास’ योजना 2022 में 1,037.9 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई थी।
  • लक्ष्य: 2022-27 तक 1 करोड़ से अधिक निरक्षरों को शिक्षित करना।
  • मुख्य घटक: बुनियादी साक्षरता व अंकगणित, जीवन कौशल, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सतत शिक्षा।
  • फिलहाल इसमें लगभग 3 करोड़ से ज्यादा शिक्षार्थी और 42 लाख स्वयंसेवक जुड़े हुए हैं।

 

साक्षरता की परिभाषा:

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार साक्षरता का मतलब अब सिर्फ पढ़ना-लिखना नहीं है, बल्कि समझ के साथ गणना करना, पहचानना, व्याख्या करना और नया निर्माण करना भी इसमें शामिल है। इसके साथ ही डिजिटल, वित्तीय और अन्य जीवनोपयोगी कौशल भी साक्षरता का हिस्सा माने जाएंगे।

 

भारत में साक्षरता से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • निम्न साक्षरता स्तर: 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 25.76 करोड़ लोग निरक्षर थे। प्रगति के बावजूद आज भी करीब 18 करोड़ वयस्क निरक्षर हैं।
  • कम बजट आवंटन: NILP (New India Literacy Programme) के लिए बजट 2023-24 में 157 करोड़ से घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया, जिससे कार्यक्रम की गति प्रभावित होती है।
  • लैंगिक असमानता: महिलाओं की शिक्षा तक पहुँच अब भी सीमित है। सांस्कृतिक मानदंड, घरेलू जिम्मेदारियाँ और बाल विवाह जैसे कारणों से महिला छात्रों में ड्रॉपआउट दर अधिक है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता: ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, पुराना पाठ्यक्रम और संसाधनों की कमी से छात्र बुनियादी पढ़ाई और गणना कौशल में भी पीछे रह जाते हैं।
  • उच्च ड्रॉपआउट दर: गरीब और ग्रामीण परिवारों में बच्चे अक्सर आर्थिक कारणों से स्कूल छोड़ देते हैं। लड़कियों में यह समस्या अधिक गंभीर है।
  • आर्थिक बाधाएँ: गरीबी के कारण परिवार बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजते हैं। यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन का खर्च भी शिक्षा में बड़ी रुकावट है।

 

शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जरुरी कदम:

  • समुदाय सहयोग: स्थानीय समाज, NGO और SHG की भागीदारी।
  • लचीले मॉडल: वीकेंड वर्कशॉप, ऑनलाइन कोर्स।
  • तकनीक का उपयोग: डिजिटल साक्षरता, मोबाइल ऐप, एडैप्टिव लर्निंग।
  • प्रोत्साहन व सहकर्मी सीखना: सर्टिफिकेट, स्किल ट्रेनिंग, peer-to-peer लर्निंग।
  • जीवन कौशल प्रशिक्षण: वित्तीय, स्वास्थ्य, रोजगार उन्मुख कौशल।
  • भागीदारी मज़बूत करना: सरकार–निजी क्षेत्र–अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सहयोग।
  • निगरानी व मूल्यांकन: डेटा आधारित समीक्षा और सुधार।

निष्कर्ष:

हिमाचल प्रदेश आजादी के 78 साल बाद देश का चौथा पूर्ण साक्षर राज्य बनकर शिक्षा में नई मिसाल बना है। 99.30% साक्षरता दर और लगभग शून्य ड्रॉप आउट दर इसकी बड़ी उपलब्धि है। अब राज्य का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण और कौशल आधारित शिक्षा के साथ विश्वस्तरीय शैक्षणिक केंद्र बनना है।