अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ ने देश की शीर्ष व्यावसायिक परिवारों और बड़ी कंपनियों में चिंता बढ़ा दी है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडाणी ग्रुप और आर्सेलर मित्तल जैसी कंपनियों को इन शुल्कों के चलते नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
इन टैरिफ की मार से बचने के लिए कंपनियां अपनी व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव कर रही हैं।
- कुछ कंपनियां अमेरिका और अन्य कम टैरिफ वाले देशों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर रही हैं।
- वहीं, कुछ कंपनियां पहले से मौजूद सहायक कंपनियों के माध्यम से निर्यात के विकल्प पर विचार कर रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल कंपनियों की मुनाफाखोरी पर असर डालेगा, बल्कि भारत के वैश्विक व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।

ट्रंप प्रशासन ने बताया भारत पर 50% शुल्क लगाने का कारण:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% तक का आयात शुल्क लगाने के कदम के पीछे का कारण यूक्रेन-रूस युद्ध और उससे उत्पन्न राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति से निपटना बताया । ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद में भारत की भूमिका के जवाब में की गई।
IEEPA के तहत लिया गया कदम: ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में 251 पन्नों की अपील में बताया कि यह निर्णय IEEPA (अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम) के तहत लिया गया, जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकालीन परिस्थितियों में विशेष आर्थिक कदम उठाने की अनुमति देता है।
अमेरिकी टैरिफ का भारत के प्रमुख सेक्टर्स पर असर:
अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ से भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका है। यह शुल्क 7 अगस्त से पहले 25 प्रतिशत और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 प्रतिशत और लागू हो गया है। उदाहरण के लिए, जो चावल अमेरिकी नागरिक 100 रुपये में खरीद रहे थे, टैरिफ लागू होने के बाद उनकी कीमत बढ़कर 150 रुपये हो जाएगी।
- टेक्सटाइल: भारत के कपड़ा उद्योग का 28 प्रतिशत निर्यात अमेरिका पर निर्भर है, जिसकी कुल कीमत 10.3 अरब डॉलर से अधिक है। नए टैरिफ से भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को प्रतिस्पर्धा में नुकसान हो सकता है। जबकि वियतनाम (19%), इंडोनेशिया (20%) और बांग्लादेश (20% से कम) को यह अवसर लाभकारी होगा।
- रत्न-आभूषण: अमेरिका को भारत से 12 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण निर्यात होते हैं। वर्तमान में इस उद्योग पर अमेरिका का बेसलाइन 10 प्रतिशत टैरिफ है। नए शुल्क लागू होने से इस सेक्टर को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
- कृषि उत्पाद: भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से अधिक के कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जिसमें मरीन उत्पाद, मसाले, डेयरी, चावल, आयुष एवं हर्बल उत्पाद, खाद्य तेल, शक्कर, सब्जियां और फल शामिल हैं। टैरिफ का सबसे बड़ा प्रभाव सीफूड इंडस्ट्री (मरीन उत्पाद) पर पड़ेगा।
- अन्य प्रभावित सेक्टर्स: इसके अलावा चमड़ा और फुटवियर (1.18 अरब डॉलर), केमिकल उद्योग (2.34 अरब डॉलर), इलेक्ट्रिक और मशीनरी उद्योग (9 अरब डॉलर) पर भी असर होने की संभावना है।
- सीफूड सेक्टर: 24,000 करोड़ रुपये का कारोबार खतरे में: भारत अमेरिका को सालाना 60,000 करोड़ रुपये के समुद्री खाद्य निर्यात करता है, जिसमें लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को जाता है। 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने पर लगभग 24,000 करोड़ रुपये का कारोबार खतरे में पड़ सकता है। इससे करीब 2 करोड़ भारतीयों की रोजगार संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
इसके अलावा, भारत के प्रतिस्पर्धी देशों जैसे इक्वाडोर (10%), इंडोनेशिया (19%) और वियतनाम (20%) पर कम टैरिफ होने के कारण उनके उत्पाद भारत के मुकाबले सस्ते होंगे और भारतीय कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी घट सकती है।
50% अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हो सकते हैं ये भारतीय अरबपति और उनकी कंपनियां-
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क का असर कई बड़े उद्योगपतियों और उनके व्यवसायों पर पड़ने की संभावना है।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज (मुकेश अंबानी): मुकेश अंबानी का साम्राज्य पेट्रोकेमिकल्स, उपभोक्ता वस्तुएं, रिटेल और डिजिटल सेवाओं तक फैला है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, इसके ऑयल-टू-कैमिकल्स डिविजन ने पिछले साल $71.1 अरब का राजस्व कमाया, जिसमें 45% का हिस्सा निर्यात से आया। अमेरिका में इसके ऊर्जा संचालन इसे नीति में बदलाव के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
- अडाणी ग्रुप – (गौतम अडाणी): भारत का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क संचालित करने वाला अडाणी समूह, अमेरिका को निर्यात पर टैरिफ से कार्गो वॉल्यूम और सौर सेल निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। पहले से ही अमेरिकी नियामकों की जांच के तहत आने के कारण यह टैरिफ अतिरिक्त चुनौती बन सकता है।
- ईचर मोटर्स – (विक्रम लाल): रॉयल एनफील्ड बाइक बनाने वाली कंपनी ने 2018 में अमेरिका में प्रवेश किया और अब 8% बाजार हिस्सेदारी रखती है। टैरिफ लागू होने से अमेरिकी खरीदारों पर लागत बढ़ सकती है और मांग में कमी आ सकती है।
- पॉलीकैब इंडिया – (इंदर जैसिंगहानी): भारत की प्रमुख घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी, अमेरिका को अपना सबसे बड़ा विदेशी बाजार मानती है। हालांकि निर्यात राजस्व का केवल 6% है, लेकिन अमेरिका में टैरिफ इसे प्रभावित कर सकते हैं और उत्तरी अमेरिका में विकास धीमा हो सकता है।
- मोथर्सन ग्रुप – (विवेक चांद सेगल): ऑटो पार्ट्स सप्लायर अपने 19% राजस्व अमेरिका से प्राप्त करता है। अधिकांश उत्पादन स्थानीय रूप से होने के कारण कुछ राहत है, लेकिन वाहन की कीमत बढ़ने से मांग घट सकती है और ग्राहक आधार पर असर पड़ सकता है।
- भारत फोर्ज – (बाबा कल्याणी): फोर्ज्ड कंपोनेंट्स और रक्षा इंजीनियरिंग में अग्रणी, भारत फोर्ज ने 2024-25 में अमेरिका को $200M का निर्यात किया। टैरिफ से मुनाफा घट सकता है, विशेषकर ऑटोमोटिव पार्ट्स में। अब सतर्क रुख अपनाते हुए वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रही है.
- वेल्सपुन वर्ल्ड – (बालकृष्ण गोयनका): अमेरिकी रिटेल दिग्गजों जैसे वॉलमार्ट और कॉस्टको को होम टेक्सटाइल्स निर्यात करने वाली वेल्सपुन ने पिछले साल 61% राजस्व अमेरिका से कमाया। टैरिफ सीधे बिक्री और अमेरिकी उत्पादन लागत पर असर डाल सकते हैं।
भारत के शीर्ष अरबपतियों की संपत्ति में गिरावट:
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के शीर्ष अरबपतियों की कुल संपत्ति में हाल ही में गिरावट देखी गई है।
मुकेश अंबानी – नेट वर्थ 96.6 अरब डॉलर
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की संपत्ति में पिछले दिन 2.04 अरब डॉलर (लगभग 2%) की गिरावट आई। हालांकि, वर्ष की शुरुआत से अब तक उनकी संपत्ति में 8.39 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि मुख्यतः रिलायंस की एनर्जी और टेलीकॉम व्यवसायों के मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई। इसके अलावा, रिलायंस ने हाल ही में एशियन पेंट्स में अपनी हिस्सेदारी ($895 मिलियन) बेचने जैसे कदम उठाए, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
गौतम अडानी – नेट वर्थ 77.5 अरब डॉलर
गौतम अडानी, अडानी ग्रुप के चेयरमैन, की संपत्ति में 1.80 अरब डॉलर की गिरावट आई है। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक उनकी संपत्ति में कुल 1.06 अरब डॉलर की कमी दर्ज की गई है। अडानी ग्रुप के शेयरों में यह गिरावट कंपनी के विविधिकरण और हाल के निवेशों (जैसे वियतनाम में 10 अरब डॉलर के निवेश की योजना) के बावजूद आई। हालांकि, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर जैसी कंपनियों के शेयर में इस साल क्रमशः 10% और 13% की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है।

निष्कर्ष:
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसी भारत की टॉप कंपनियों की संपत्ति पर हाल के आर्थिक और नीतिगत बदलावों का असर पड़ा है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ, साथ ही वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेश की गति, इन अरबपतियों के व्यवसायों और उनके शेयर मूल्यों पर दबाव डाल रहे हैं।
इसका सीधा प्रभाव निर्यात-आधारित सेक्टर्स, जैसे पेट्रोकेमिकल्स, पोर्ट्स, ऊर्जा, और टेक्सटाइल पर पड़ सकता है। परिणामस्वरूप, व्यापारिक लाभ में कमी, निवेश की अनिश्चितता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नुकसान की संभावना बढ़ गई है।