ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से उनकी सभी शाही उपाधियाँ, सम्मान और विशेषाधिकार वापस ले लिए हैं। साथ ही उन्हें विंडसर स्थित आवास खाली करने का आदेश भी दिया गया है। यह कदम प्रिंस एंड्रयू के जेफरी एपस्टीन से जुड़े विवादों और बढ़ते जन दबाव के बीच उठाया गया है।
बकिंघम पैलेस से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया की महामहिम ने आज प्रिंस एंड्रयू की सभी उपाधियाँ, सम्मान और विशेष अधिकार वापस लेने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।
कौन हैं प्रिंस एंड्रयू?
एंड्रयू दिवंगत महारानी एलिजाबेथ II के दूसरे बेटे और किंग चार्ल्स III के छोटे भाई हैं। उनकी शादी सारा फर्ग्यूसन से हुई थी। प्रिंस ने इस महीने की शुरुआत में ड्यूक ऑफ यॉर्क का अपना टाइटल छोड़ दिया था। उनकी दो बेटियां हैं, प्रिंसेस बीट्राइस और प्रिंसेस यूजनी।
उन्होंने 22 साल तक रॉयल नेवी में भी काम किया और 1982 के फॉकलैंड्स युद्ध के दौरान हेलीकॉप्टर पायलट के तौर पर काम किया। बाद में उन्होंने माइन काउंटरमेजर शिप एचएमएस कॉटेसमोर की कमान संभाली। 2019 में पब्लिक ड्यूटी से हटने के बाद उनकी मिलिट्री भूमिकाएं सस्पेंड कर दी गईं।
राजा चार्ल्स तृतीय ने क्यों छिनी राजकुमार की उपाधि?
राजा चार्ल्स तृतीय ने प्रिंस एंड्रयू की उपाधि इसलिए छीन ली क्योंकि उनके खिलाफ जेफरी एपस्टीन से जुड़े विवाद और यौन शोषण के नए आरोप सामने आए हैं। एपस्टीन की पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन खुलासों के बाद प्रिंस एंड्रयू पर बढ़ता दबाव था और महल में उन्हें रॉयल लॉज से हटाने की मांग उठ रही थी। राजा ने इसे “गंभीर निर्णय की गलती” मानते हुए कार्रवाई की। बकिंघम पैलेस ने कहा कि यह कदम ज़रूरी था, भले ही एंड्रयू ने आरोपों से इनकार किया हो, क्योंकि राजा का समर्थन हमेशा पीड़ितों और बचे हुए लोगों के साथ है।
क्या है एपस्टीन से जुड़ा विवाद?
जेफरी एपस्टीन एक अमेरिकी वित्त विशेषज्ञ थे, जो बाद में बाल यौन शोषण के गंभीर आरोपों में फँसे। 1953 में न्यूयॉर्क में जन्मे एपस्टीन ने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की, लेकिन बाद में बैंकिंग और निवेश के क्षेत्र में आए और अपनी खुद की कंपनी शुरू की।
उन्होंने अमीर और प्रभावशाली लोगों से संबंध बनाए और उन पर आरोप लगा कि उन्होंने कई नाबालिग लड़कियों और महिलाओं का यौन शोषण किया तथा उन्हें अपने संपर्कों के माध्यम से दूसरों के पास भेजा। यह विवाद इसलिए और बढ़ा क्योंकि ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू समेत कई प्रसिद्ध लोगों के नाम इसमें सामने आए। 2019 में जेल में रहते हुए एपस्टीन की मौत हो गई, जिसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन उसकी मौत पर अब भी संदेह बना हुआ है।
वर्जीनिया गिफ्रे ने क्या आरोप लगाए?
पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे ने अपनी किताब “नोबडीज गर्ल” में आरोप लगाया कि जब वह 17 साल की थीं, तब जेफरी एपस्टीन और उसकी सहयोगी गिसलिन मैक्सवेल ने उन्हें प्रिंस एंड्रयू के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। गिफ्रे का कहना है कि एंड्रयू के साथ उनके तीन बार यौन संबंध बने- एक बार लंदन में, दूसरी बार न्यूयॉर्क में और तीसरी बार एपस्टीन के निजी द्वीप पर। उन्होंने कहा कि एंड्रयू ने उनके साथ ऐसा व्यवहार किया, जैसे यह उसका हक हो।
वह बताती हैं कि उस समय वह नाबालिग थीं और एपस्टीन ने उन्हें पैसे और दबाव के ज़रिए इस स्थिति में पहुँचाया। हालांकि, प्रिंस एंड्रयू ने इन सभी आरोपों को सख्ती से इनकार किया है।
वर्जिनिया की मौत:
प्रिंस एंड्रयू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली वर्जिनिया गिफ्रे की मौत अप्रैल में हो गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसने आत्महत्या की। 41 वर्षीय वर्जिनिया ने वर्ष 2011 में अमेरिका के हाई-प्रोफाइल वेश्यावृत्ति नेटवर्क का खुलासा कर दुनिया को चौंका दिया था। उसने बताया था कि जब वह केवल 15 साल की थी, तब उसे जेफ्री एपस्टीन के नेटवर्क में फंसा लिया गया था और कई प्रभावशाली लोगों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। इसी दौरान उसने ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू के साथ अपनी मुलाकातों का भी उल्लेख किया था।
राजा के इस कदम का मतलब क्या है?
राजा के इस फैसले का मतलब है कि अब एंड्रयू के पास कोई शाही उपाधि या पद नहीं रहेगा। उन्हें अब “प्रिंस” या “हिज रॉयल हाइनेस” जैसे सम्मानजनक नामों से नहीं पुकारा जाएगा। उनके सभी शाही खिताब और सम्मान जैसे “ड्यूक ऑफ यॉर्क” और “ऑर्डर ऑफ द गार्टर” भी छीन लिए गए हैं। अब वह किसी आधिकारिक शाही जिम्मेदारी में नहीं होंगे और आम नागरिक की तरह रहेंगे। उम्मीद है कि वह अपने भाई राजा के सैंड्रिंघम एस्टेट में रहेंगे और खर्च के लिए उन्हें परिवार से निजी आर्थिक मदद मिलेगी। साथ ही, प्रिंस एंड्रयू को अब माउंटबेटन-विंडसर नाम से पुकारा जायेगा।
पिछली बार 1919 में छिना गया था प्रिंस का ख़िताब:
ब्रिटिश इतिहास में बहुत कम बार ऐसा हुआ है जब किसी राजकुमार या राजकुमारी से “प्रिंस” या “प्रिंसेस” का खिताब छीन लिया गया हो। आखिरी बार यह 1919 में हुआ था, जब हैनोवर के प्रिंस अर्नेस्ट ऑगस्टस से उनका ब्रिटिश खिताब इसलिए लिया गया था क्योंकि उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी का साथ दिया था। अब सौ साल से भी ज्यादा समय बाद, किंग चार्ल्स ने भी ऐसा सख्त कदम उठाया है।
वर्जीनिया गिफ्रे के भाई ने कहा- बहन के साहस की जीत:
वर्जीनिया गिफ्रे के भाई स्काई रॉबर्ट्स ने अपनी बहन की जीत की घोषणा करते हुए कहा कि यह उनकी बहन के साहस की बड़ी मिसाल है। उन्होंने कहा, “आज एक साधारण अमेरिकी परिवार की एक साधारण लड़की ने अपनी सच्चाई और असाधारण हिम्मत से एक ब्रिटिश राजकुमार को झुका दिया।” गिफ्रे की इसी साल अप्रैल में 41 साल की उम्र में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया स्थित अपने फार्म पर आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी। लेकिन उनके परिवार ने उनकी इस लड़ाई को उनकी जीत के रूप में देखा।
ब्रिटिश शाही परिवार में उत्तराधिकार का क्रम: एंड्रयू अब भी सिंहासन की दौड़ में आठवें स्थान–
ब्रिटेन के शाही परिवार में उत्तराधिकार का क्रम यानी ‘लाइन फॉर थ्रोन’ यह निर्धारित करता है कि मौजूदा राजा या रानी के बाद अगला शासक कौन होगा। हाल ही में किंग चार्ल्स ने अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू से उनकी उपाधि और सभी शाही सम्मान वापस ले लिए, लेकिन इसके बावजूद एंड्रयू अब भी सिंहासन की दौड़ में आठवें स्थान पर बने हुए हैं।
आइए जानते हैं ब्रिटिश राजशाही के बारे में:
ब्रिटिश राजशाही यूनाइटेड किंगडम की शासन व्यवस्था का वह रूप है, जिसमें राजा या रानी देश के प्रमुख होते हैं। यह वंशानुगत प्रणाली है यानी राजा या रानी का पद परिवार में आगे बढ़ता है। हालांकि अब उनकी शक्तियाँ ब्रिटिश संविधान द्वारा सीमित हैं — यानी वे केवल औपचारिक और प्रतीकात्मक भूमिका निभाते हैं, जबकि असली शासन जनता द्वारा चुनी गई सरकार चलाती है।
8 सितंबर 2022 को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की मृत्यु के बाद उनके बेटे चार्ल्स तृतीय राजा बने। राजा और उनका परिवार कई आधिकारिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। भले ही उनके पास “महामहिम की सरकार” जैसी उपाधियाँ हों, लेकिन वे किसी राजनीतिक फैसले में दखल नहीं देते। वे केवल परंपरागत काम करते हैं, जैसे प्रधानमंत्री की नियुक्ति, सम्मान प्रदान करना, और देश की एकता का प्रतीक बनना।
राजशाही को ब्रिटेन की “सॉफ्ट पावर” यानी उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और सांस्कृतिक ताकत का प्रतीक माना जाता है। यह विदेशों में ब्रिटेन के मूल्यों और संस्कृति को बढ़ावा देती है, पर्यटन आकर्षित करती है और चैरिटी कार्यों में भी बड़ी भूमिका निभाती है।
ब्रिटिश राजशाही की जड़ें:
ब्रिटिश राजशाही की जड़ें बहुत पुरानी हैं, इसका आरंभ एंग्लो-सैक्सन और स्कॉटिश राज्यों से हुआ था। 1066 में नॉर्मन विजय के बाद इंग्लैंड, वेल्स और बाद में आयरलैंड पर ब्रिटिश शासन फैल गया। समय के साथ मैग्ना कार्टा (1215) और अधिकार विधेयक (1689) जैसे कानूनों ने राजा की शक्तियाँ घटाईं और जनता के अधिकारों को मजबूत किया। 1707 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड मिलकर ग्रेट ब्रिटेन बना। 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य दुनिया के एक चौथाई हिस्से पर फैला था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ज्यादातर उपनिवेश स्वतंत्र हो गए।
आज ब्रिटिश सम्राट 15 स्वतंत्र देशों (जिन्हें कॉमनवेल्थ नेशंस कहा जाता है) के भी औपचारिक प्रमुख हैं, जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड। इसके अलावा, सम्राट ब्रिटिश क्राउन डिपेंडेंसीज़ (जैसे जर्सी, ग्वेर्नसे, आइल ऑफ मैन) और ओवरसीज़ टेरिटरीज़ (जैसे बरमूडा, फ़ॉकलैंड द्वीप) के भी राष्ट्राध्यक्ष हैं।
निष्कर्ष:
राजा चार्ल्स तृतीय का यह कदम ब्रिटिश राजशाही में जवाबदेही और नैतिकता की नई मिसाल है। इससे यह संदेश गया है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह शाही परिवार का सदस्य ही क्यों न हो, कानून और सच्चाई से ऊपर नहीं है। वर्जीनिया गिफ्रे की हिम्मत और सच्चाई ने साबित किया कि न्याय अंततः जीतता है।
