भारत और इज़राइल ने मंगलवार को अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए रक्षा सहयोग पर एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों को उन्नत तकनीक साझा करने, हथियार प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन में सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा। तेल अवीव में आयोजित भारत-इज़राइल संयुक्त कार्य समूह (JWG) की 17वीं बैठक के दौरान इसे अंतिम रूप दिया गया। इसी दिन नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इज़राइली विदेश मंत्री गिदोन सार की उपस्थिति में राजनयिकों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक अन्य समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
भारत-इज़राइल संयुक्त कार्य समूह (JWG) क्या है?
भारत-इज़राइल संयुक्त कार्य समूह (JWG) दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच बना एक उच्चस्तरीय निकाय है। इसका काम भारत और इज़राइल के बीच रक्षा सहयोग से जुड़ी सभी गतिविधियों की समीक्षा करना और उन्हें दिशा देना है। यह समूह दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए काम करता है और नई योजनाओं पर मिलकर निर्णय लेता है।
भारत-इज़राइल रक्षा सहयोग समझौतें का उद्देश्य:
रक्षा सहयोग पर हुए इस समझौतें का उद्देश्य भारत और इज़राइल के बीच पहले से मौजूद मजबूत रक्षा साझेदारी को और गहराई देना और उसे एक नई दिशा प्रदान करना है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह साझेदारी आपसी भरोसे और साझा सुरक्षा हितों पर आधारित है। समझौते में कई क्षेत्रों में सहयोग का प्रावधान किया गया है, जिनमें रणनीतिक संवाद, प्रशिक्षण, रक्षा उद्योग में साझेदारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास, तकनीकी नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
इससे उन्नत तकनीक साझा करने, हथियार प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। बैठक में भविष्य में तकनीकी सहयोग को और मजबूत करने, रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और आतंकवाद जैसी साझा चुनौतियों से मिलकर निपटने पर भी चर्चा की गई।
विदेश मंत्रियों के बैठक की मुख्य बातें:
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा: भारत और इज़राइल के बीच की रणनीतिक साझेदारी भरोसे और सहयोग पर आधारित है। दोनों देश कठिन समय में साथ खड़े रहे हैं और आतंकवाद की समान चुनौती का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई क्षमताएँ विकसित की हैं और भारतीय व्यवसाय इज़राइल में निवेश के अवसरों को लेकर उत्सुक हैं।
- इज़राइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा: उनकी भारत यात्रा प्रधानमंत्री नेतन्याहू की संभावित यात्रा से पहले हुई है, जिससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में भारत और इज़राइल ने एक द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और कृषि, अर्थव्यवस्था, पर्यटन व वित्त जैसे क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। इस्राइली विदेश मंत्री गिदोन सार और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच भी अहम बैठक हुई।
इस बीच UN रिपोर्ट ने किया चौंकाने वाला दावा:
आपको बता दें कि यह समझौतें ऐसे समय हुए है जब हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भारत को उन देशों में शामिल किया गया है, जिन्होंने पिछले 24 महीनों में गाजा पर सैन्य हमलों के दौरान इज़राइल को सबसे अधिक बार हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति की है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में क्या है?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने 20 अक्टूबर को “गाज़ा नरसंहार: एक सामूहिक अपराध” शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में बताया गया कि अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2025 के बीच 26 देशों ने इज़राइल को हथियार और गोला-बारूद की कम से कम 10 खेपें भेजीं। इनमें भारत भी शामिल था, जिसे “सबसे अधिक बार” ऐसा करने वाले देशों में गिना गया। रिपोर्ट में चीन, ताइवान, इटली, ऑस्ट्रिया, स्पेन, चेकिया, रोमानिया और फ्रांस जैसे देशों के नाम भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय संगठन की महासभा को भेज दी।
इज़राइल-फ़िलिस्तीन युद्ध में 68,000 से अधिक मौतें:
इज़राइल ने अक्टूबर 2023 में गाज़ा पर सैन्य अभियान शुरू किया, जो हमास की सशस्त्र शाखा क़स्साम ब्रिगेड के हमलों के जवाब में था। हमास ने उस समय दक्षिणी इज़राइल में 1,139 लोगों की हत्या की थी और 240 लोगों को बंधक बनाकर गाज़ा ले गया था। गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में इज़राइली हमलों में महिलाओं और बच्चों सहित 68,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है। भारत ने 7 अक्टूबर 2023 के हमलों और चल रहे इज़राइल-हमास संघर्ष में निर्दोष नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है और युद्धविराम, बंधकों की रिहाई तथा बातचीत के ज़रिए शांति बहाल करने की अपील की है।
इज़राइल-फ़िलिस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख:
फ़िलिस्तीन के प्रति भारत की नीति हमेशा से बातचीत के ज़रिए दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन करती रही है। भारत का मानना है कि फ़िलिस्तीन को एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राज्य के रूप में स्थापित होना चाहिए, जो इज़राइल के साथ शांति से रह सके। भारत संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन की सदस्यता का भी समर्थन करता है।
हालाँकि, 2014 में भाजपा सरकार के आने के बाद भारत-इज़राइल संबंध और मज़बूत हुए हैं। इसके बाद से भारत ने पूर्वी यरुशलम को फ़िलिस्तीन की भावी राजधानी बनाने के समर्थन से दूरी बना ली है, जबकि पहले यह भारत की नीति का हिस्सा था।
भारत ने किया ट्रंप की शांति योजना का समर्थन:
गाज़ा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना को भारत ने समर्थन दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर इस योजना का स्वागत किया और 9 अक्टूबर को ट्रंप को फोन कर हमास और इज़राइल के बीच संघर्ष को खत्म करने के उनके प्रयास की सफलता पर बधाई दी। मोदी ने इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से भी बात की।
भारत-इज़राइल संबंध:
भारत और इज़राइल के बीच मजबूत और बहुआयामी संबंध हैं, जो रणनीतिक हितों, आपसी भरोसे और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच 1992 में पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए। आज इज़राइल भारत के प्रमुख रक्षा, कृषि, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और आतंकवाद-निरोध साझेदारों में से एक है।
भारत इज़राइली हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि इज़राइल रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है। दोनों देश तकनीक, कृषि, जल प्रबंधन और नवाचार के क्षेत्रों में भी मिलकर काम कर रहे हैं। इज़राइल का दूतावास नई दिल्ली में है, जबकि भारत का दूतावास तेल अवीव में स्थित है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सहयोग और जनसमर्थन दोनों बढ़े हैं, और एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और विश्वास और गहरा हुआ है।
निष्कर्ष:
इन हालिया समझौतों से यह स्पष्ट होता है कि भारत और इज़राइल के बीच रणनीतिक साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुँच रही है। दोनों देश न केवल रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता के प्रति साझा प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित कर रहे हैं।
