इस वर्ष भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑस्ट्राहिन्द-25 का चौथा संस्करण, अक्टूबर 2025 में पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जाएगा। हर वर्ष आयोजित होने वाला यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामरिक समन्वय, रणनीतिक समझ और आपसी विश्वास को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इस अभ्यास में दोनों पक्षों की थल और नौसैनिक क्षमताओं का परीक्षण और समन्वय किया जाएगा।

अभ्यास “ऑस्ट्राहिन्द” क्या है?
- परिचय: अभ्यास ऑस्ट्राहिन्द भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना के बीच आयोजित एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मंच के माध्यम से दोनों देशों की सेनाएं आपस में सामरिक ज्ञान, क्षेत्रीय रणनीतियों और परिचालन विशेषज्ञता को साझा करते हैं।
- इतिहास: अभ्यास ऑस्ट्राहिन्द का पहला संस्करण 2022 में आयोजित किया गया था, जहां से दोनों देशों के बीच इस औपचारिक सैन्य सहयोग की शुरुआत हुई। वर्ष 2022 में इसका प्रथम संस्करण भारत के राजस्थान स्थित महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में संपन्न हुआ था। इस दौरान दोनों सेनाओं ने अर्ध-रेगिस्तानी परिस्थितियों में आतंकवाद-रोधी अभियानों का प्रशिक्षण लिया था।
- उद्देश्य: अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सैन्य-से-सैन्य संबंधों को मज़बूत करना और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है। यह अभ्यास सामरिक संचार, समन्वय और एकीकरण को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, इसमें उग्रवाद-रोधी और आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के अध्याय VII के तहत अर्ध-शहरी और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में संयुक्त उप-पारंपरिक अभियानों के तहत आयोजित किया जाता है।
- चरण: अभ्यास ऑस्ट्राहिंड को दो चरणों में आयोजित किया जाता है, जिनका उद्देश्य सैन्य तत्परता और संयुक्त समन्वय के विभिन्न पहलुओं का परीक्षण करना है।
- प्रशिक्षण चरण: इस चरण में सैनिक तकनीकी प्रशिक्षण, शारीरिक फिटनेस और एक-दूसरे के हथियारों व रणनीति से परिचित होते है। दोनों देशों की सेनाएँ भू-भाग विश्लेषण और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र के बारे में ज्ञान का आदान प्रदान करते हैं।
- सत्यापन चरण: इस चरण में संयुक्त इकाइयाँ अपने सहयोग और दक्षता स्तर का आकलन करने के लिए समन्वित मिशन का आयोजन करती हैं। इसमें परिदृश्य-आधारित समस्या समाधान के तहत त्वरित निर्णय लेने और दबाव में अनुकूलनशीलता की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है।
अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिन्द’ 2025
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भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा संबंध
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहयोग निरंतर बढ़ जा रहा है। दोनों देशों ने 2020 में अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership – CSP) के स्तर तक उन्नत किया। इसके अंतर्गत दोनों देशों के सहयोग को केवल व्यापार और कूटनीति तक सीमित न रखकर रक्षा, प्रौद्योगिकी, खुफिया और रणनीतिक संवादों तक विस्तारित किया है।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार मार्च 2006 में रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत कर्मचारियों के आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास और वरिष्ठ स्तर की नीतिगत बैठकें आयोजित की जाती है।
- नवंबर 2009 में दोनों सरकारों ने सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणापत्र अपनाया था। इस दस्तावेज़ में आतंकवाद-रोधी उपाय, समुद्री सुरक्षा, रक्षा नीति वार्ता, आपदा प्रबंधन और कानून प्रवर्तन में सहयोग को शामिल किया गया। वर्तमान में यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी भरोसे को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है।
- जून 2020 में दोनों प्रधानमंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत दोनों पक्ष समुद्र में नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने और नौवहन की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हुए। इसके अतिरिक्त, इसके माध्यम से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान जैसे क्षेत्रीय मंचों पर मिलकर काम करने की सहमति जताई गई।
- नवंबर 2024 में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हवा से हवा में ईंधन भरने की कार्यान्वयन व्यवस्था को अपनाया। इसके तहत ऑस्ट्रेलियाई टैंकर विमान संचालन के दौरान भारतीय विमानों में ईंधन भरने की सुविधा प्राप्त कर सकते है।
- अक्टूबर 2025 में भारत के रक्षा मंत्री की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने तीन प्रमुख रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसमें सूचना साझाकरण तंत्र, पारस्परिक पनडुब्बी बचाव सहायता और रक्षा उद्योग, अनुसंधान एवं सामग्री सहयोग को बढ़ावा देने की सहमति शामिल थी।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया नियमित रूप से रक्षा नीति वार्ता करते हैं। हाल ही में, 9वीं वार्ता मार्च 2025 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस वार्ता के दौरान दोनों देशों ने भूमि, समुद्र और वायु में परिचालन अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाने पर चर्चा की। साथ ही, दोनों देशों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग और संयुक्त अभ्यासों को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के अन्य प्रमुख संयुक्त सैन्य अभ्यास
- AUSINDEX: AUSINDEX भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के बीच आयोजित एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है। इसका पहला संस्करण 2015 में बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ और तब से इसका आयोजन द्विवार्षिक रूप से किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री सहयोग को मज़बूत करना और दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है।
- PITCH BLACK: अभ्यास PITCH BLACK रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना (RAAF) द्वारा आयोजित एक बहुराष्ट्रीय वायु युद्ध अभ्यास है। इसमें भारतीय वायु सेना (IAF) और कई अन्य सहयोगी देश भाग लेते हैं। यह अभ्यास आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में हर दो साल में आयोजित किया जाता है। भारत ने पहली बार 2018 में इसमें भाग लिया, जिसमें सुखोई Su-30MKI लड़ाकू विमान, वायुसैनिक दल और सहायता दल तैनात किए गए थे। इसका उद्देश्य वायु युद्ध अंतर-संचालन क्षमता और संयुक्त परिचालन कौशल को बढ़ाना है।
- SINGAEX: SINGAEX एक त्रिपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जिसमें भारतीय सेना, सिंगापुर सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना भाग लेती हैं। यह अभ्यास विशेष रूप से शांति अभियानों और मानवीय सहायता मिशनों में सहयोग को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। इसमें तीनों देशों के सैनिक सामरिक अभ्यास, क्षेत्रीय प्रशिक्षण और आपदा-प्रतिक्रिया सिमुलेशन में भाग लेते हैं।
- SLINEX: SLINEX का अर्थ है श्रीलंका-भारत नौसेना अभ्यास, जो भारतीय नौसेना और श्रीलंका नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यासों की श्रृंखला है। इसमें कभी कभी ऑस्ट्रेलिया भी भाग लेता है। यह अभ्यास समुद्री सहयोग को मज़बूत करने, आपसी विश्वास बढ़ाने और नौसैनिक अभियानों में अंतर-संचालन क्षमता में सुधार लाने के लिए प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- इंडो-पैसिफिक एंडेवर (IPE): इंडो-पैसिफिक एंडेवर क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के नेतृत्व वाले सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय सैन्य जुड़ाव कार्यक्रमों में से एक है। यह अभ्यास ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल (ADF) के नेतृत्व में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इसे 2017 में शुरू किया गया, तब से भारत इसमें क्षेत्रीय भागीदार के रूप में भाग लेता आ रहा है। इसका मुख्य फोकस मानवीय सहायता, आपदा राहत (HADR), समुद्री सुरक्षा सहयोग और रक्षा कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करना है। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया और अन्य इंडो-पैसिफिक देशों के नौसैनिक जहाज, विमान और कर्मी सम्मिलित होते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यासों का महत्व
- भू-राजनीतिक संबंधों को मज़बूत करना: ऑस्ट्राहिन्द, ऑसिन्डेक्स और पिच ब्लैक जैसे संयुक्त अभ्यास भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करने के साथ-साथ स्वतंत्र, खुली और नियम-आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था के प्रति साझा प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करते हैं। 2020 में स्थापित व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) ने इस भू-राजनीतिक संरेखण को और अधिक औपचारिक रूप प्रदान किया है।
- परिचालन अंतर-संचालन क्षमता में वृद्धि: नियमित संयुक्त अभ्यास भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सेनाओं को समान प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करते हैं। इससे थल, समुद्र और वायु अभियानों में समन्वय और तालमेल में सुधार होता है। उदाहरण के लिए, ऑसिन्डेक्स 2023 में पनडुब्बी रोधी अभियानों का अभ्यास किया गया था। इस प्रकार के अनुभव दोनों देशों के सैनिकों को रणनीति, संचार और कमान संरचनाओं की आपसी समझ विकसित करने में सहायक होते हैं।
- क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना: इस प्रकार के नौसेना और वायु अभ्यास हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में प्रमुख समुद्री मार्गों की सुरक्षा में योगदान करते हैं। ये मार्ग वैश्विक व्यापार का लगभग 50% हिस्सा संभालते हैं। AUSINDEX और INDO-PACIFIC ENDEAVOUR जैसे अभ्यास समुद्री क्षेत्र में साझा जागरूकता, संयुक्त आपदा प्रतिक्रिया और त्वरित संकट प्रबंधन को बढ़ावा देते हैं।
- रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा: संयुक्त अभ्यास उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने और वास्तविक परिदृश्यों में आधुनिक प्रणालियों का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से भारत और ऑस्ट्रेलिया ड्रोन संचालन, सुरक्षित संचार और खुफिया जानकारी साझा करने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। यह सहयोग भविष्य की सह-विकास परियोजनाओं के लिए रक्षा उद्योग संबंधों को भी मज़बूत करने में सहायक है।
निष्कर्ष:
भारत-ऑस्ट्रेलिया के मध्य ऑस्ट्राहिंद जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, परिचालन दक्षता और क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार के अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को नवीनतम तकनीकी और सामरिक कौशल में उन्नत बनाने का एक स्थायी मंच प्रदान करते हैं।