भारत की पहली बुलेट ट्रेन सूरत और वापी के बीच 100 किलोमीटर तक दौड़ेगी

हाल ही में, भारत के रेल मंत्रालय ने घोषणा की कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन अगस्त 2027 में सूरत और वापी के बीच 100 किलोमीटर लंबी दूरी पर परिचालन शुरू करेगी। भविष्य में चलने वाली इस बुलेट ट्रेन परियोजना से न केवल यातायात दक्षता बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास और औद्योगिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा। पूर्ण रूप से संचालित होने के बाद यह भारत की उच्च-गति रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।

India first bullet train will run for 100 km between Surat and Vapi

भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना: मुंबई–अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर

भारत की पहली हाई-स्पीड रेल परियोजना देश के परिवहन क्षेत्र में एक बड़ी तकनीकी क्रांति का प्रतीक है। इस परियोजना के तहत ट्रेनें अधिकतम 320 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी, जो जापान और यूरोप जैसे विकसित देशों की उच्च-गति रेल प्रणालियों के अनुरुप हैं। 

  • परियोजना का विस्तार: मुंबई–अहमदाबाद कॉरिडोर की लंबाई 508 किलोमीटर है और इसमें कुल बारह स्टेशन शामिल हैं, जिनमें मुंबई, ठाणे, विरार, वापी, सूरत, भरुच, वडोदरा, आनंद और अहमदाबाद प्रमुख हैं। मुंबई के पास 21 किलोमीटर लंबा भूमिगत सुरंग नेटवर्क बनाया जा रहा है, जिसमें 7 किलोमीटर लंबी अंडरसी सुरंग भी शामिल है, जो भारत में अपनी तरह की पहली है।
  • पृष्ठभूमि: बुलेट ट्रेन भारत में प्रारंभिक रूप से 2010 के दशक की शुरुआत में गंभीर रूप से विचाराधीन थी। दिसंबर 2015 में भारत और जापान के बीच लंबी अवधि की साझेदारी मॉडल के तहत इस परियोजना के विकास के लिए समझौता हुआ। इसके बाद नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की स्थापना 2016 में की गई, जो कॉरिडोर की योजना, भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्यों का समन्वय करती है। सितंबर 2017 में भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने इसका भूमि पूजन किया।
  • वित्तीय व्यवस्था: परियोजना की अनुमानित लागत ₹1,08,000 करोड़ (लगभग $17 बिलियन) है। इस परियोजना में जापान कुल पूंजी आवश्यकता का लगभग 81% सॉफ्ट लोन के रूप में प्रदान कर रहा है। इस लोन पर केवल 0.1% ब्याज दर लागू है, पुनर्भुगतान अवधि 50 वर्ष है और इसमें 15 वर्षों की ग्रेस पीरियड भी शामिल है। इसमें प्रशिक्षण सुविधाओं, घटक निर्माण इकाइयों और तकनीकी हस्तांतरण जैसे पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
  • समयरेखा: 2024 में रेल मंत्री ने घोषणा की कि गुजरात के प्राथमिक खंड पर पहली ट्रायल रन आयोजित की जाएगी। 2025 में अपडेट के अनुसार, अगस्त 2027 में उद्घाटन के समय सूरत–वापी 100 किलोमीटर खंड पहली परिचालनीय भाग के रूप में तैयार होगा। 

 

भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की विशेषताएँ:

  • Shinkansen E5 तकनीक: भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक और उच्च-गति रेल नेटवर्क का प्रतीक है। इस परियोजना में जापानी Shinkansen E5 तकनीक अपनाई गई है, जो अधिकतम 320 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक ट्रेन संचालन की क्षमता प्रदान करता है। लंबी दूरी पर भी ट्रेन अपनी स्थिर गति बनाए रखती है, जिससे मुंबई–अहमदाबाद यात्रा का समय लगभग छह घंटे से घटाकर दो घंटे किया जा सकेगा।
  • उन्नत सुरक्षा प्रणाली: परियोजना में जापान की उच्च-गति रेल की जीरो-फेटैलिटी सुरक्षा रिकॉर्ड को लागू किया गया है। इसमें ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) और ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (ATC) सिस्टम शामिल हैं, जो चालक की गलती से होने वाले संभावित टकराव की संभावना को पूरी तरह समाप्त करते हैं। इसके अलावा, भूकंप संवेदनशील सेंसर लगाए गए हैं, जो किसी भूकंप के दौरान ट्रेन को तुरंत रोक देने में सक्षम है।
  • समर्पित हाई-स्पीड कॉरिडोर: मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन लाइन पूरी तरह से समर्पित ट्रैक पर बनाई गई है, जिससे ट्रेन की गति धीमी या मालगाड़ी से प्रभावित नहीं होती। 508 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर लंबे-ऊँचे पुलों और संरचनाओं से गुजरता हैं। 
  • आधुनिक स्टेशन अवसंरचना: बुलेट ट्रेन के सभी स्टेशन मल्टीमोडल इंटीग्रेशन के साथ डिज़ाइन किए गए हैं, जो यात्रियों को मेट्रो, बस और स्थानीय परिवहन से जोड़ते हैं। स्टेशन में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बाधारहित प्रवेश की व्यवस्था की गई है। स्टेशन की वास्तुकला में वाइड कॉनकॉर्ड, आधुनिक टिकटिंग और स्वचालित गेट्स शामिल हैं, जो यात्रियों को तेज़ और सहज आवाजाही प्रदान करते हैं।
  • ऊर्जा-कुशल रेल इंजन और वैन: ट्रेन सेटों में हल्के एल्युमिनियम मिश्र धातु के शरीर का उपयोग किया गया है, जो ऊर्जा की खपत को कम करता है। इसके अतिरिक्त, ट्रेन में रेजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम है, जो ब्रेकिंग ऊर्जा को विद्युत में बदलकर पावर सिस्टम में वापस भेजता है। ट्रेन की एरोडायनामिक नाक डिज़ाइन उच्च-गति पर हवा का प्रतिरोध घटाती है, जिससे ऊर्जा दक्षता और गति दोनों बढ़ती हैं।

 

भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का महत्व:

  • भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक दृष्टि से देश के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह परियोजना विशेष रूप से पश्चिमी भारत में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है। महाराष्ट्र और गुजरात मिलकर भारत की कुल जीडीपी का 25% से अधिक योगदान करते हैं और निर्यात में भी इनकी हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है। मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर कुशल श्रम, व्यावसायिक यात्रियों और उच्च-मूल्य वाले सेवाओं की आवाजाही को तीव्र बनाता है, जिससे निर्माण, रियल एस्टेट और सेवा क्षेत्र में निवेश आकर्षित होता है।
  • तकनीकी हस्तांतरण: इस परियोजना के माध्यम से भारत जापान के Shinkansen इकोसिस्टम से बड़े पैमाने पर तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर रहा है। समझौते के तहत भारत को ट्रैक निर्माण, रोलिंग स्टॉक तकनीक, सिग्नलिंग सिस्टम और भूकंप-रोधी डिज़ाइन में विशेषज्ञ सहायता मिल रही है। पहले ही 300 से अधिक भारतीय इंजीनियरों ने जापान में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिससे भविष्य में उच्च-गति रेल प्रौद्योगिकी के स्थानीय विकास की क्षमता मजबूत होगी।
  • रोज़गार सृजन: नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना से निर्माण क्षेत्र में 20,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। निर्माण चरण में कुल मिलाकर 90,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने का अनुमान है। यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल को भी प्रोत्साहित करती है, क्योंकि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए आवश्यक उपकरण और सामग्री का निर्माण देश में ही किया जा रहा है।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि: इस परियोजना की सफलता से भारत में उच्च-गति रेल और अन्य बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में विदेशी निवेश आकर्षित होने की संभावना बढ़ती है। रेल क्षेत्र में पहले से ही कुछ क्षेत्रों में 100% FDI की अनुमति है, और बुलेट ट्रेन परियोजना इससे निवेशकों के लिए भरोसेमंद अवसर का विकल्प देती है।
  • भारत–जापान सहयोग: जापान इस परियोजना के लिए लंबी अवधि का सॉफ़्ट लोन प्रदान कर रहा है, जो भारत और जापान के बीच स्ट्रेटेजिक साझेदारी का प्रतीक है। यह सहयोग न केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि तकनीक, इंजीनियरिंग और आर्थिक नीति में गहरी साझेदारी को भी मजबूत करता है। दिल्ली मेट्रो परियोजना के बाद यह भारत–जापान संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक माना जा सकता है।

 

शिंकानसेन E5 प्रौद्योगिकी के बारे मे:

  • शिंकानसेन E5 जापान की सबसे उन्नत उच्च-गति रेल प्रौद्योगिकियों में से एक है। यह तकनीक वैश्विक स्तर पर उच्च संचालन गति, अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली और उन्नत एयरोडायनामिक डिज़ाइन के लिए जानी जाती है।
  • E5 श्रृंखला में 15 मीटर लंबा विशिष्ट ‘डकबिल’ नाक वाला ग्रांक्लास (GranClass) डिज़ाइन इस्तेमाल किया गया है, जो सुरंग में प्रवेश करते समय उत्पन्न होने वाले तेज़ आवाज़ यानी टनल बूम को कम करता है।
  • शिंकानसेन E5 में डिजिटल ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल (D-ATC) प्रणाली लागू है, जो लगातार ट्रैक सेंसर और नियंत्रण केंद्रों के साथ संचार करती है। यह सिस्टम वास्तविक समय में गति, दूरी और ट्रैक की स्थिति की निगरानी करता है, जिससे ट्रेन की समयबद्धता में सुधार होता है। इसके कारण देरी का मापन सेकंड स्तर तक संभव हो पाता है।
  • E5 प्रौद्योगिकी केवल तेज़ गति की सुविधा ही नहीं देती, बल्कि सुरक्षा और स्थिरता में भी उच्च मानक स्थापित करती है। इसका एयरोडायनामिक डिज़ाइन ऊर्जा की खपत को कम करता है और यात्रा के दौरान झटकों और कंपन को न्यूनतम बनाता है। यह तकनीक भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना में अपनाई जा रही है, जिससे यात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और तेज़ यात्रा अनुभव प्राप्त होगा।