भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव के बीच, नई दिल्ली ने वॉशिंगटन डी.सी. में अपने कूटनीतिक प्रयासों को और मजबूत करने का कदम उठाया है। इसी कड़ी में भारतीय दूतावास ने पूर्व अमेरिकी सीनेटर डेविड विटर के नेतृत्व वाली मर्करी पब्लिक अफेयर्स को लॉबिंग फर्म के रूप में नियुक्त किया है, जो व्हाइट हाउस और अमेरिकी प्रशासन के साथ भारत के हितों की पैरवी करेगी।
लॉबिंग क्या होता है?
किसी देश की सरकार जब दूसरे देश में लॉबिंग करती है, तो इसका तात्पर्य यह है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए उस विदेशी देश की नीतियों, कानूनों या सरकारी निर्णयों को प्रभावित करने हेतु किसी व्यक्ति या संगठन (लॉबिस्ट) को नियुक्त करती है। यह प्रक्रिया आम तौर पर उस विदेशी देश में आधारित लॉबिस्ट या लॉबिंग फर्मों के माध्यम से संचालित होती है। लॉबिंग एक कानूनी और औपचारिक प्रक्रिया है, जिसमें लॉबिस्ट नीति निर्माताओं से संपर्क कर जानकारी प्रदान करते हैं और निर्णयों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
लॉबिंग का उद्देश्य-
- हितों की रक्षा: लॉबिंग का मुख्य उद्देश्य उस देश के आर्थिक, राजनीतिक या रणनीतिक हितों की रक्षा और संवर्धन करना होता है।
- नीति निर्माण को प्रभावित करना: सरकारें लॉबिंग के माध्यम से विदेशी कानूनों और नीतियों में ऐसे बदलाव लाने का प्रयास करती हैं जो उनके पक्ष में अनुकूल हों।
- सटीक जानकारी प्रदान करना: लॉबिस्ट डेटा, विशेषज्ञता और विश्लेषण के माध्यम से अपने देश का दृष्टिकोण पेश करते हैं, ताकि नीति निर्माता निर्णय लेते समय सही संदर्भ में विचार कर सकें।
लॉबिंग की प्रक्रिया-
- लॉबिस्ट की नियुक्ति: सरकारें पेशेवर लॉबिंग फर्मों या व्यक्तिगत लॉबिस्ट को काम पर रखती हैं, जो उस विदेशी देश में सक्रिय होते हैं।
- सीधा संपर्क: लॉबिस्ट विधायकों, सरकारी अधिकारियों और अन्य नीति निर्माताओं से प्रत्यक्ष संवाद करते हैं।
- रणनीतिक गतिविधियां: वे अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करते हैं, जैसे जानकारी साझा करना, बैठकें आयोजित करना और प्रभाव डालना।
- विदेशी दूतावासों की भूमिका: विदेशी दूतावास लॉबिंग प्रक्रिया में सहायक भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय परंपरा और कूटनीतिक संबंधों का हिस्सा होती है।
प्रति महीने 75000 डॉलर का करना होगा भुगतान :
विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम (FARA) के तहत अमेरिकी न्याय विभाग की जानकारी के अनुसार, भारतीय दूतावास ने अमेरिकी लॉबिंग फर्म मर्करी के साथ एक रणनीतिक करार किया है। यह समझौता अगस्त 2025 के मध्य से नवंबर 2025 के मध्य तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि के दौरान भारत मर्करी को प्रति माह 75,000 डॉलर का भुगतान करेगा। कुल मिलाकर चार महीनों में भारत द्वारा 2,25,000 डॉलर की फीस दी जाएगी। इस करार के अंतर्गत मर्करी को अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच भारत के हितों की रक्षा हेतु रणनीतिक परामर्श और सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मर्करी की टीम में प्रमुख सदस्य: मर्करी की टीम में कई अनुभवी और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं। भारत के खाते को संभालने की जिम्मेदारी लुइसियाना से पूर्व रिपब्लिकन सीनेटर डेविड विटर और ट्रंप ट्रांजिशन टीम के पूर्व कम्युनिकेशंस डायरेक्टर ब्रायन लांजा को सौंपी गई है। इसके अलावा, न्यूयॉर्क स्टेट सीनेट के पहले भारतीय-अमेरिकी सीनेटर बने केविन थॉमस भी इस परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
ट्रंप से जुड़े संबंध: मर्करी का व्हाइट हाउस के साथ पुराना और सुदृढ़ संबंध है। नवंबर 2024 तक ट्रंप की चीफ ऑफ स्टाफ सूजी वाइल्स (Susie Wiles) इसी फर्म में पंजीकृत लॉबिस्ट थीं। ब्रायन लांजा 2016 में ट्रंप-पेंस अभियान में डिप्टी कम्युनिकेशंस डायरेक्टर के रूप में कार्य कर चुके हैं और उन्होंने जे. डी. वेंस (J.D. Vance) के सीनेट अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पूर्व लॉबिंग अनुभव: मर्करी ने इससे पहले कई प्रमुख चीनी कंपनियों के लिए लॉबिंग की है। 2018 में इसने हांगझोउ हिकविजन डिजिटल टेक्नोलॉजी और प्रतिबंधित चीनी कंपनी जेडटीई कॉर्प की ओर से लॉबिंग गतिविधियां संचालित की थीं। यही कारण है कि वॉशिंगटन में मर्करी का नेटवर्क अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
पाकिस्तान अमेरिका में भारत से अधिक लॉबिंग खर्च कर रहा: अमेरिका में अपनी मौजूदगी और प्रभाव बढ़ाने के लिए पाकिस्तान भारत की तुलना में कहीं ज्यादा पैसा लॉबिंग पर खर्च कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने लॉबिंग फर्मों को हायर करना शुरू कर दिया था। अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान हर महीने करीब 6 लाख डॉलर (लगभग 5 करोड़ रुपये) सिर्फ लॉबिंग पर खर्च करता है।
6 बड़ी लॉबिंग फर्मों की सेवाएं
पाकिस्तान ने वॉशिंगटन डीसी में कम से कम 6 लॉबिंग फर्मों को नियुक्त किया था। इनका मुख्य उद्देश्य था—
- ट्रंप प्रशासन के साथ पाकिस्तान के रिश्ते सुधारना।
- भारत और अमेरिका के संबंधों को कमजोर करना।
इन फर्मों में Orchid Advisers LLC, Seiden Law, Team Eagle Consulting और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर: पिछले महीने हुए खुलासे से यह माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में आई खटास के पीछे इन लॉबिंग फर्मों की बड़ी भूमिका रही है।
लॉबिंग रणनीति का असर इतना गहरा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में डिनर के लिए आमंत्रित किया। इसके अलावा, पाकिस्तान के लिए अमेरिकी टैरिफ दर घटाकर 19 प्रतिशत कर दी गई, जो इस लॉबिंग के सीधे परिणाम के रूप में देखा जाता है।
ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर कुल 50% टैरिफ लागू करने की घोषणा की:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयातित वस्तुओं पर अब तक कुल 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। 30 जुलाई को उन्होंने 25% टैरिफ लगाया, जो 7 अगस्त से लागू हुआ, और 6 अगस्त को एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर कर अतिरिक्त 25% टैरिफ और बढ़ा दिया, जो 27 अगस्त से प्रभावी होगा।
ट्रम्प प्रशासन ने यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद को मुख्य कारण बताते हुए उठाया। उनका आरोप है कि रूस इस धन का उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील में गतिरोध:
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर लंबे समय से बातचीत चल रही थी, किंतु यह कृषि और डेयरी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर अटक गई। अमेरिका चाहता था कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए खोले, जबकि भारत ने साफ कर दिया कि किसानों से जुड़े मुद्दों पर कोई समझौता संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया कि “देश के लिए किसान सबसे पहले हैं।