125 गीगावाट सौर क्षमता के साथ भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश : केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने घोषणा की है कि भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। देश की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता अब लगभग 125 गीगावाट तक पहुँच चुकी है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है।

ndia is now the third largest solar energy producer in the world

भारत की यह सफलता उस स्पष्ट दृष्टिकोण और निरंतर नीतियों का परिणाम है, जिसके कारण देश ने अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को तय समय से पाँच वर्ष पहले ही हासिल कर लिया। आज भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 50% से अधिक हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों से आता है।

 

श्री जोशी ने क्या कहा?

“हमारी यह प्रगति केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों के जीवन में बदलाव की कहानी है। विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा ने ग्रामीण घरों को रोशनी दी है, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों को ऊर्जा प्रदान की है और किसानों को नई तकनीक से सशक्त बनाया है।” उन्होंने आगे बताया कि पीएम सूर्य घर – मुफ्त बिजली योजना’ के तहत अब तक 20 लाख से अधिक परिवारों को सौर ऊर्जा का लाभ मिल रहा है। इसी तरह पीएम-कुसुम योजना ग्रामीण भारत के हृदय तक इस परिवर्तन को पहुँचा रही है।

 

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की आठवीं महासभा का कर्टेन रेज़र हुआ लॉन्च:

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री तथा आईएसए असेंबली के अध्यक्ष श्री प्रह्लाद जोशी ने आज अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की आठवीं महासभा के कर्टेन रेज़र कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

यह महासभा 27 से 30 अक्टूबर, 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जिसमें सदस्य, हस्ताक्षरकर्ता और भावी देशों के मंत्रीगण तथा विभिन्न साझेदार संगठन एकत्रित होकर सौर ऊर्जा आधारित विश्व की दिशा में आगे बढ़ने की रणनीतियों पर विचार करेंगे। इस अवसर पर श्री जोशी ने आईएसए के सदस्य, हस्ताक्षरकर्ता और संभावित देशों के मंत्रियों तथा साझेदार संगठनों को महासभा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने कहा, “इस महासभा में हम प्रगति की समीक्षा करेंगे, चुनौतियों का समाधान खोजेंगे, और एक साझा लक्ष्य ‘सभी के लिए सुलभ सौर ऊर्जा की दिशा में अपने प्रयासों को एकजुट करेंगे।”

भारत विश्व में अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में शीर्ष तीन देशों में शामिल: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की आठवीं महासभा के कर्टेन रेज़र कार्यक्रम के अवसर पर भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के सचिव ने भारत की अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, “आज भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरा, पवन ऊर्जा में चौथा, और कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। सौर मॉड्यूल निर्माण में भी भारत चीन के बाद दूसरा स्थान रखता है। हमारा विनिर्माण केवल सौर मॉड्यूल तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित हो रहा है, जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। हम वर्ष 2031 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लक्ष्य की दिशा में अग्रसर हैं।”

2030 तक 11,000 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का लक्ष्य: केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि CoP28 में तय वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप, पूरी दुनिया को वर्ष 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर लगभग 11,000 गीगावाट तक पहुँचाना होगा। इस वैश्विक परिवर्तन में सौर ऊर्जा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।

 

नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के बारे मे:

नवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा स्रोत हैं जो प्राकृतिक रूप से पुनःपूर्ति (renew) होते रहते हैं और कभी समाप्त नहीं होते। इनमें प्रमुख रूप से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत, बायोमास और भूतापीय ऊर्जा शामिल हैं।

जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल, गैस) के विपरीत, ये स्रोत बहुत कम या शून्य कार्बन उत्सर्जन करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद मिलती है। नवीकरणीय ऊर्जा न केवल पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) है, बल्कि आर्थिक रूप से लाभकारी और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने वाली भी है।

 

नवीकरणीय ऊर्जा के प्रमुख स्रोत:

  1. सौर ऊर्जा (Solar Energy): सूर्य के प्रकाश और ऊष्मा से प्राप्त ऊर्जा, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन, पानी गर्म करने और अन्य घरेलू तथा औद्योगिक कार्यों में किया जाता है।
  2. पवन ऊर्जा (Wind Energy): हवा की गति से उत्पन्न ऊर्जा, जिसे पवनचक्कियों (wind turbines) के माध्यम से बिजली में परिवर्तित किया जाता है।
  3. जलविद्युत (Hydropower): नदियों या बांधों में बहते पानी की शक्ति से उत्पन्न ऊर्जा, जो भारत जैसे जलसमृद्ध देश के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  4. बायोमास ऊर्जा (Biomass Energy): पौधों, फसलों के अवशेष, लकड़ी और जैविक कचरे से प्राप्त ऊर्जा, जिसे जलाने या जैव-ईंधन (biofuel) में परिवर्तित करने के माध्यम से प्रयोग किया जाता है।
  5. भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy): पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद प्राकृतिक ऊष्मा से प्राप्त ऊर्जा, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन और हीटिंग में किया जाता है।

 

नवीकरणीय ऊर्जा के प्रमुख लाभ:

  • पर्यावरण के अनुकूल: यह कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों की तुलना में बहुत कम ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करती है।
  • अक्षय एवं स्थायी स्रोत: इनके स्रोत प्रकृति द्वारा निरंतर पुनःपूर्ति होते रहते हैं, इसलिए ये कभी खत्म नहीं होते।
  • रोज़गार सृजन (Employment Generation): नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र पारंपरिक ऊर्जा की तुलना में अधिक रोजगार अवसर प्रदान करता है, विशेषकर स्थापना, संचालन और रखरखाव के क्षेत्रों में।
  • आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा लाभ: नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ अब सस्ती और कुशल होती जा रही हैं, जिससे ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटती है और देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता (energy independence) बढ़ती है।

 

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता:

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 12 अगस्त 2025 तक, देश की कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 234.24 गीगावाट (जिसमें बड़ी पनबिजली परियोजनाएँ भी शामिल हैं) तक पहुँच चुकी थी। यह उपलब्धि भारत की सतत और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विवरण:

  • सौर ऊर्जा (Solar Power): 116.24 गीगावाट (अब 125 गीगावाट)
  • पवन ऊर्जा (Wind Power): 51.67 गीगावाट
  • बड़ी पनबिजली (Large Hydropower): 49.62 गीगावाट
  • छोटी पनबिजली (Small Hydropower): 5.10 गीगावाट
  • जैव-ऊर्जा (Bio Power): 11.59 गीगावाट

कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: 234.24 गीगावाट (बड़ी पनबिजली सहित)

भारत का लक्ष्य (Target for 2030):

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण, ऊर्जा आत्मनिर्भरता, और जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से दर्शाता है।

 

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के प्रमुख प्रेरक कार्यक्रम-

  • पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana): फरवरी 2024 में शुरू की गई यह प्रमुख योजना एक करोड़ घरों को छत पर सोलर सिस्टम लगाकर मुफ्त बिजली प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। यह पहल न केवल बिजली के बिलों को कम करती है, बल्कि घरेलू ऊर्जा आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है।
  • पीएम-कुसुम योजना (PM-KUSUM Scheme): यह योजना किसानों को सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों और खेती योग्य भूमि पर छोटे सौर संयंत्रों के माध्यम से सशक्त बनाती है। इससे डीज़ल पर निर्भरता कम होती है और किसानों की आमदनी में वृद्धि होती है।
  • सोलर पार्क योजना (Solar Parks Scheme): इस योजना के तहत सरकार बड़े पैमाने पर ग्रिड-संलग्न सौर परियोजनाओं के विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा और नीतिगत सहयोग उपलब्ध कराती है, जिससे सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
  • उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के माध्यम से विनिर्माण को बढ़ावा: PLI योजना ने भारत की घरेलू सौर पीवी मॉड्यूल और सेल विनिर्माण क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। इससे आयात पर निर्भरता में कमी आई है और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित हुई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व: भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया गया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है। इसके माध्यम से भारत विश्वभर में सौर ऊर्जा के विस्तार, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और वित्तीय व तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित कर रहा है।

इन सभी पहलों ने मिलकर भारत को एक आत्मनिर्भर, समावेशी और सतत ऊर्जा भविष्य की दिशा में अग्रसर किया है और यह वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत के सार्थक योगदान को भी प्रदर्शित करता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) के बारे मे-

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) एक वैश्विक पहल है, जिसे 2015 में भारत और फ्रांस ने COP21, पेरिस में शुरू किया था। इस गठबंधन में 124 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश शामिल हैं। ISA का उद्देश्य दुनिया भर में ऊर्जा तक पहुँच और ऊर्जा सुरक्षा में सुधार करना और सौर ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक स्थायी विकल्प के रूप में बढ़ावा देना है।

ISA का मिशन है कि 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देना, तकनीक और उसके वित्तपोषण की लागत को कम करना, और विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना। सदस्य देश नीतियाँ और नियम बनाकर, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके, सामान्य मानक तय करके और निवेश जुटाकर वैश्विक स्तर पर बदलाव ला रहे हैं।

ISA ने इस दिशा में कई प्रयास किए हैं:

  • सौर परियोजनाओं के नए व्यावसायिक मॉडल तैयार, डिज़ाइन और परीक्षण किए।
  • सरकारों को उनके ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर अनुकूल बनाने में सहयोग किया।
  • विभिन्न देशों से सौर प्रौद्योगिकी की मांग को एकत्रित किया और लागत घटाई।
  • निजी निवेश आकर्षक बनाने के लिए वित्तीय जोखिमों को कम किया और वित्तीय पहुँच बढ़ाई।
  • सौर प्रशिक्षण, डेटा और जानकारी सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए उपलब्ध कराई।

 

ISA का लक्ष्य क्या है?

ISA का लक्ष्य है कि सौर-ऊर्जा आधारित समाधानों के माध्यम से जीवन बदलें, दुनिया भर में साफ, विश्वसनीय और सस्ती ऊर्जा पहुँचाएँ, सतत विकास को बढ़ावा दें और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें।

6 दिसंबर 2017 को, 15 देशों ने ISA फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर और अनुमोदन किया, जिससे ISA भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बन गया।

ISA बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs), विकास वित्तीय संस्थानों (DFIs), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी करके, खासकर कम विकसित देश (LDCs) और छोटे द्वीप विकासशील राज्य (SIDS) में लागत-कुशल और परिवर्तनकारी सौर ऊर्जा समाधान लागू कर रहा है।

 

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की आठवीं महासभा:

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के अठवें सत्र की मेजबानी भारत नई दिल्ली के भारत मंडपम में 27 से 30 अक्टूबर 2025 तक करेगा। इस आयोजन का उद्देश्य वैश्विक समुदाय को एक साथ लाना, सहयोग को बढ़ावा देना और एक उज्ज्वल एवं टिकाऊ भविष्य के लिए सौर ऊर्जा के व्यापक अपनाने की दिशा में तेजी लाना है।

 

निष्कर्ष:
भारत अब न केवल अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा के मानचित्र पर अग्रणी देश है, बल्कि एक टिकाऊ, स्वच्छ और समावेशी ऊर्जा भविष्य की दिशा में मजबूत प्रगति कर रहा है। यह उपलब्धि देश की संकल्प शक्ति, नीति स्पष्टता और तकनीकी नवाचार का प्रमाण है।