भारत-इजराइल में FTA पर बातचीत के लिए समझौता: पीयूष गोयल ने इसे  साझा समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जानिए इसके मायने..

भारत और इज़राइल के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को औपचारिक बातचीत की शुरुआत की घोषणा की। दोनों देशों ने ‘विचारणीय विषयों’ (ToR) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद अब व्यापार, निवेश, तकनीक और बाजार पहुंच जैसे क्षेत्रों में गहराई से चर्चा आगे बढ़ेगी। यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब भारत अपने निर्यात को विविध बनाने और वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दे रहा है।

India-Israel reach agreement to negotiate FTA

विचारणीय विषयों (ToR) पर हस्ताक्षर का मतलब:

ToR पर हस्ताक्षर करना यह दिखाता है कि भारत और इज़राइल ने अब औपचारिक रूप से मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू कर दी है। यह एक तरह का रोडमैप होता है, जिसमें तय किया जाता है कि बातचीत किन मुद्दों पर होगी और कैसे आगे बढ़ेगी।

इज़राइल के दौरे पर गए 60 सदस्यीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे गोयल ने पहले ही दिन कहा कि उन्होंने इज़राइल के अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत के साथ ToR पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका मतलब है कि अब दोनों देश बाजार पहुंच, निवेश, टैरिफ में कमी, तकनीक सहयोग और व्यापार को आसान बनाने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कर सकेंगे।

 

गोयल की कई CEOs से मुलाकात:

नेटाफिम के CEO गैबी मियोडोनिक से उन्होंने कृषि और जल-प्रबंधन तकनीकों पर चर्चा की। गोयल ने बताया कि उन्होंने भारत में कंपनी के काम की समीक्षा की और सटीक सिंचाई, कृषि-तकनीक तथा टिकाऊ खेती के समाधान विकसित करने में बड़े सहयोग की संभावनाएँ देखीं।

इसके बाद गोयल ने एनटीए–मेट्रोपॉलिटन मास ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड के CEO इतामार बेन मीर से मुलाकात की। यहाँ बातचीत इज़राइल की नई मेट्रो परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों के लिए अवसरों पर केंद्रित रही। गोयल के अनुसार, शहरी परिवहन और बुनियादी ढाँचे में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के कई नए रास्ते खुल सकते हैं।

 

गोयल ने किया अर्थव्यवस्था के मज़बूत प्रदर्शन का जिक्र:

पीयूष गोयल ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता, व्यापार अनिश्चितताओं और बहुपक्षवाद की चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने बताया कि IMF और अन्य विशेषज्ञों द्वारा अनुमान घटाए जाने के बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

पहली तिमाही में GDP वृद्धि 7.8% रही और दूसरी तिमाही भी लगभग 7% रहने की उम्मीद है। गोयल के अनुसार, वित्त वर्ष 2025–26 के अंत तक भारत करीब 7% की स्थिर वृद्धि दर्ज करेगा, जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है। अपने संबोधन में उन्होंने जीएसटी और एकीकृत बिजली ग्रिड जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों को भी भारत की आर्थिक मजबूती की महत्वपूर्ण वजह बताया।

 

दोनों पक्षों का लक्ष्य क्या है?

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और इज़राइल का मुख्य उद्देश्य अपने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और उसे ज्यादा विविध बनाना है। दोनों देश ऐसे नए क्षेत्रों को पहचानना चाहते हैं जहाँ मिलकर काम किया जा सके और एक बड़ा व मजबूत बाज़ार तैयार हो सके।

गोयल के मुताबिक, दोनों देश एक-दूसरे की ताकतों और पूरक क्षमताओं का उपयोग करके ऐसा समझौता बनाना चाहते हैं जो दोनों के लिए फायदेमंद हो। इसके साथ ही वे उन क्षेत्रों की चुनौतियों और संवेदनशीलताओं को भी ध्यान में रखेंगे जहाँ समन्वय की ज़रूरत है। इसी उद्देश्य से गोयल अपनी यात्रा के दौरान शुक्रवार को येरुशलम भी जाएंगे, जहाँ वे व्यापार, निवेश और रणनीतिक आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।

 

भारत-इज़रायल के बीच 2010 से FTA को लेकर बातचीत:

भारत और इज़रायल के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत कोई नई पहल नहीं है, बल्कि इसकी शुरुआत मई 2010 में हुई थी। तब से अब तक दोनों देशों के बीच आठ दौर की विस्तृत वार्ताएँ हो चुकी हैं। हालांकि बीच में कुछ समय के लिए यह प्रक्रिया रुक गई थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में दोनों पक्षों ने फिर से बातचीत शुरू करने पर सहमति जताई। अब ताज़ा कदम इसी लंबे प्रयास को आगे बढ़ाते हुए FTA को अंतिम रूप देने की दिशा में एक नई गति देता है।

 

भारत के लिए इज़राइली बाज़ार कितना महत्वपूर्ण?

भारत के लिए इज़राइली बाज़ार आकार में बड़ा भले ही न हो, लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। दोनों देशों के बीच मजबूत राजनीतिक और सुरक्षा संबंध हैं, और अब व्यापार इन्हीं रिश्तों को और गहरा बनाने का साधन बन रहा है।

इज़राइल दुनिया की सबसे उन्नत तकनीकों का केंद्र है जैसे; साइबर सुरक्षा, कृषि नवाचार, जल प्रबंधन और रक्षा तकनीक। इसी वजह से भारत के लिए यह बाज़ार खास महत्व रखता है। कई इज़राइली कंपनियाँ भारत में निवेश करना चाहती हैं ताकि यहाँ उत्पादन कर सकें और भारतीय तथा वैश्विक बाज़ार को सप्लाई कर सकें। इज़राइल के अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत ने भी कहा है कि भारत निवेश के लिए एक शानदार स्थान है, जो दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को और मज़बूत बनाता है।

 

भारत–इज़राइल व्यापारिक संबंध:

1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से भारत और इज़राइल के आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते तेज़ी से मजबूत हुए हैं। 1992 में जहाँ व्यापार सिर्फ 200 मिलियन डॉलर था और वह भी ज्यादातर हीरों तक सीमित, वहीं समय के साथ व्यापार काफी विविध हुआ और बढ़ते-बढ़ते वित्त वर्ष 2022-23 में यह रक्षा क्षेत्र को छोड़कर 10.77 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया।

हालाँकि इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में व्यापार घटकर क्रमशः 6.53 बिलियन डॉलर और 3.75 बिलियन डॉलर रह गया। इस गिरावट की बड़ी वजह क्षेत्रीय सुरक्षा हालात और व्यापारिक मार्गों में पैदा हुए व्यवधान रहे।

 

आइए जानते है मुक्त व्यापार समझौता (FTA) के बारे में:

मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच किया गया ऐसा समझौता होता है, जिसका मकसद देशों के बीच व्यापार को आसान और तेज़ बनाना है। इसके तहत सामान और सेवाओं के आदान-प्रदान में लगने वाले टैक्स, शुल्क और अन्य रुकावटों को कम या खत्म किया जाता है, ताकि दोनों देशों के कारोबारी और उपभोक्ता आसानी से व्यापार कर सकें।

 

मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) की मुख्य विशेषताएँ:

  • टैरिफ में कमी या खत्म करना: देशों के बीच आयात-निर्यात पर लगने वाले कर (ड्यूटी) को कम या हटाया जाता है।
  • अधिक बाज़ार पहुंच: दोनों देशों के व्यापारियों को नए और बड़े बाज़ारों में अपने उत्पाद बेचने के अधिक अवसर मिलते हैं।
  • सेवाओं में व्यापार: IT, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसी सेवाओं का व्यापार भी आसान होता है।
  • निवेश संरक्षण: समझौते के तहत निवेशकों को सुरक्षा और स्थिर माहौल मिलता है, जिससे निवेश बढ़ता है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों पर प्रावधान: पेटेंट, कॉपीराइट, ब्रांड आदि की कानूनी सुरक्षा को मजबूत किया जाता है।
  • उत्पत्ति के नियम: यह तय किया जाता है कि किसी उत्पाद का ‘मूल देश’ कौन सा है, ताकि किसी तीसरे देश के उत्पाद को गलत तरीके से FTA के लाभ न मिलें।
  • गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना: जैसे- कोटा, लाइसेंसिंग की शर्तें, तकनीकी मानक आदि को सरल बनाया जाता है।
  • सीमा शुल्क सहयोग: सीमा पर सामान की जांच, क्लीयरेंस और प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ करने के लिए सहयोग बढ़ाया जाता है।

 

निष्कर्ष:

भारत और इज़राइल के बीच FTA वार्ता की औपचारिक शुरुआत दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को नई दिशा देने वाला कदम है। ToR पर हस्ताक्षर के साथ अब व्यापार, निवेश और तकनीक जैसे क्षेत्रों में बातचीत तेज़ होगी। वैश्विक चुनौतियों और निर्यात में हाल की गिरावट के बीच यह पहल भारत को अपने व्यापारिक दायरे को बढ़ाने और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।